और क्या चाहिए ?

सुख,संपत्ति, आरोग्य, ऐश्वर्य, यश,किर्ती, मान,सन्मान सभी को चाहिए ही चाहिए।इसिलए तो जीवन का संघर्ष, भागदौड़ चल रही है।हर एक को कुछ न कुछ चाहिए ही।
मगर अगर किसीको भगवान ही मिल गया,या फिर वह महात्मा भगवत् स्वरूप ही बन गया तो?तो और क्या चाहिए?
उसे तो सबकुछ मिल गया।स्वर्ग भी मिल गया,स्वर्गीय आनंद भी मिल गया।मोक्ष और मुक्ति भी मिल गई।
तो इससे बढकर क्या होता है?सभी सुख-संपत्ति-आरोग्य-ऐश्वर्य-यश-किर्ती-मान-सन्मान-अपमान-दुख-दर्द भी इस आनंद के सामने य:कश्चीत् हो जाते है।
सभी सुखदूख,बैराग्य, सभी सिध्दीयाँ ऐसे महान सुख के सामने कुछ भी मायने नही रखते।
आत्मानंद का अवर्णनीय, अगाध, अत्यानंददाई,अमृतमई अखंड ध्यान और समाधि सोहळा,उत्सव।
सद्गुरू  कृपा से जिसने ऐसी अवस्था साध्य की,उसे और क्या चाहिए?
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।

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