कुलदेवता या कुलदेवी उपासना।

हर एक मनुष्य प्राणी को अनेक बार, या फिर बारबार कहेंगे तो भी ठीक रहेगा...
हमेशा अनेक मुसीबतों का,संकटों का सामना तो करना ही पडता है।
ऐसे भयंकर कठीण परिस्थितियों में हम विचलित होकर काफी दुखी भी होते है।
कभी कभी तो ऐसी भयंकर विचित्र परिस्थिति निर्माण होती है की..ऐसे भयंकर प्रसंग में हमें साथ देने वाला ना साथी रहता है-ना संगी।ना सगा रहता है-ना सोबती।
मुसिबतों के अती भयंकर कष्टकारी समय में सभी हमसे दूर भाग जाते है।उपर से हमारी ही मजा देखते है,या फिर हमें ही भयंकर दुखदर्द या पिडा,आत्मक्लेश देते रहते है।
विषेशत: जिसके लिए हमनें उसके मुसीबतों में हमारे जान की भी पर्वा नही की,ऐसे भी लोग हमारे मुसिबतों में दूर भागते है...उल्टा हमें ही रूलाते है।
यह तो मेरा निजी अनुभव है।
और ऐसे भयंकर घोर मुसीबतों के समय में हमारा असली तारणहार एक ही रहता है...
प्रभू परमात्मा भगवान।
और उसके शरण में जाने से ही हमें मुसिबतों के कठोर समय में आधार मिलता ही है।चाहे हम कितने भी अंधकार में फँस गए हो,या चक्रव्युह में अटक गए हो।
परमात्मा तो हमें जरूर बाहर निकालता ही है।
मगर...
उसके लिए...
एकमात्र तारणहार अथवा संकटसमयी तुरंत आधार देनेवाला होता है..हमारी कुलदेवता या कुलदेवी।
दुसरे देवताओं से जादा सहायकारी हमारी कुलदेवता ही होती है।
इसिलए संकटों के क्षणों में केवल और केवल कुलदेवता उपासना ही करना अनिवार्य होता है।
अगर दुसरे देवताओं की उपासना की तो भी तुरंत फलदायी सिध्द नही होती।
और अगर किसिको, कुछ कारणवश अपनी कुलदेवता ही पता नही है तो..
ऐसे बिकट परिस्थितियों में कालभैरवनाथ उपासना हितकारक होती है।
उपासना अखंड और पूर्ण श्रध्दापूर्वक ही होनी चाहिये।
मैं मेरा एक निजी अनुभव इसमें देता हुं।
मैं जब भयंकर तथा अती घोर मुसिबतों के अनेक चक्रव्युहों से लटक तथा अटक गया था,
घोर आर्थिक परेशानियां तथा अनेक मुसीबत थे..
और ऐसे समय कौन किसिका होता है ?कोई भी नही।
तब मैंने मेरे कुलदेवता सोनारी,परांडा(उस्मानाबाद)जो की महाराष्ट्र में है...कालभैरवनाथ की उपासना की थी।
तो मुझे मेरे कुलदेवता कालभैरवनाथ ने एक दृष्टांत दिया था।
कालभैरवनाथ मुर्ती से एक सत्वगुणप्रधान छोटासा बालक दौडता हुवा मुर्ती से बाहर आया और मेरे हाथ में धन देकर फिर वही वायुगती से वापस दौडता हुवा मुर्ती में जाकर एकरूप हो गया।
तभी से आज तक मुझे कभी भी आर्थिक परेशानियों का सामना नही करना पडा।
हाथों पर हमेशा धन रहता ही रहता है।
कठोर तपश्चर्या के कारण मुझे बार बार अनेक देवी देवताओं के,सिध्दपुरुषों के
दर्शन-दृष्टांत होते ही रहते है।
जिसका जिक्र मैंने मेरे अनेक लेखों में भी किया है,आगे भी करुंगा।
यह लेख लिखकर आप तक पहुंचाने का बस एकमेव पवित्र उद्देश्य है की,
अगर कोई मुसिबतों से झुलस रहा है तो कृपया अपने कुलदेवता की उपासना जरूर करें।
जरूर सहायता मिलेगी।
ईश्वरी शक्ती को नकारने वाले नतदृष्टों को मैं सिर्फ इतना ही कहुंगा की,
चाहे कितना भी घोर कलियुग आयें...
ईश्वरी शक्तीयाँ तो निराकार रूप से हमेशा जागृत ही होती है।और हमारा मन अगर पवित्र है,उच्च श्रध्दा है,अतूट विश्वास है तो....
ऐसी दिव्य अदृष्य शक्तीयाँ निरंतर हमें सहायता ही करती रहती है।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।

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