।।कलंकायन।।

पाप का कलंक मिटाने के लिए वो जरुर आयेगा।उसे आना ही पडेगा।धर्म की रक्षा के लिए,अधर्म का नाश करने के लिए,सत्य-मानवता-ईश्वरी सिध्दांतो का रक्षण करने के लिए वो जरुर आयेगा।अंधेरा मिटाने के लिए उसे आना ही पडेगा।रामायण,महाभारत के बाद का कलंकायन करके,सत्य सनातन की पुर्नस्थापना के लिए उसे अब आना ही पडेगा।"वचन गीता वाला"तुझे निभाना ही पडेगा।
सचमुच में वो आयेगा,तो कृष्ण की तरह,अनेक योजना बनाकर ही उसे आना होगा।उन्मत्त कली के हाथ नही लगने के लिए,"नाना नाटक सुत्रधारीया"उसे बनना ही होगा।उन्मत्त कली उसे ढुंढने के लिए,जंग जंग करेका।पहले उसके ही दिल-दिमाग-आत्मा में प्रवेश करके,कभी अनेक संकटों से उसे घेरने की कोशीश करेगा।कभी अनेक राक्षसों के अंदर ,उनके आत्मा के अंदर,"परकाया प्रवेश"करके,सत्य को पहचानने की और उसे नेस्तनाबुत करने की रणनिती खेलेगा।जंग जंग करके भी,अगर कली को कल्की नही मिला तो भी "कंस"की तरह उसे नाना योजनांओं द्वारा ढुंढने की कोशीश भी करेगा।
क्या सचमुच में ऐसा होगा?क्या जाने मेरे भगवान की अगाध लिला।
अगर कुछ भी होगा तो भगवान जरुर आयेगा।वो कब आयेगा,और कैसे कार्य करेगा,यह त़ो उन्मत्त,अहंकारी,स्वार्थी,धोकेबाज कली को पता भी नही चलेगा।
क्योंकी असुरों से बढकर शक्तिशाली रणनिती भगवान की होती है।
मगर शास्त्रों और पुरानों के अनुसार क्या "कल्की"आने का समय नजदिक आया है?या और कोई समय बाकी है?यह तो सचमुच ही भगवान ही जाने।मैं तो उस"महाविष्णु" का छोटासा सेवक और दास हूं।
हरी ओम।
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विनोदकुमार महाजन।

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