प्यारे,ये भी दिन जायेंगे।

दोस्तों,जीवन क्या है?आस निराश का खेल है।सुख दुख का बडा ही अजब मेल है।
कैसे.....?
देखो,हम हरदीन, हर समय बडे ही आशा से जीवन जिते है।जैसे की,एक दिन हमारा भि दुख भाग जायेगा।हमारे भी एक दिन सचमुच में सुख के दिन आ जायेंगे।है ना दोस्तों?
और.....?
सुख का ईंतजार करते करते जिंदगी यों ही गुजर जाती है।यही तो आस निरास यह खेला जिवनभर चलता ही रहता है।धुपछाँव जैसा।
सुख आता भी है कभी कभी।और तुरंत निकल भी जाता है हातसे।देखते देखते।और दुख...?पिछे हटता ही नही है।
इसिलीए मन भी कभी कभी चिंता में रहता है।बडा विचित्र होता है यह मन भी।दिखता तो नही है।मगर सताता तो रहता ही है।मन का नियमन करने के लिए,उसे नियंत्रण में रखने के लिए आध्यात्मिक साधना ही एक शुध्द रास्ता है दोस्तों।
और अगर मन ही नियंत्रण में आ गया तो सभी समस्याएं खत्म।दुनिया हिलाने की शक्ती रखता है यह मन।नामुमकीन को भी मुमकीन में बदलने की क्षमता रखता है यह मन।
तो मेरे प्यारे प्रिय मित्र,क्यों व्यर्थ की चिंता करता है?मुसीबत के दिन भी गुजर जायेंगे।यह भी दिन जायेंगे।हँसते हँसते कट जायेंगे रस्ते।
क्या यह मेरा छोटासा मनोगत पढकर मन थोडासा हल्का हल्का हुवा या नही?थोडासा "फ्रेश मुड",बना या नही।
अगर हाँ तो ठिक है।और अगर ना तो....?
जरूर होगा।
क्योंकी,
प्यारे, ये भी दिन जायेंगे।दुख के दिन भी गुजर जायेंगे।सुख के दिन भी एक दिन जरुर आयेंगे।
इसिलीए हरी नाम रट ले प्राणी।
हरी बोल।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।

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