कल्की आ जायेगा
मैं धधगती आग हूं,
मैं साक्षात ज्वाला हूं।
पाप को,पापीओं को;
अधर्म को जलाकर,
राख मैं कर दूंगा।
मैं साक्षात नारसिंव्ह का;
धधगता तेज हूं।
धर्म की रक्षा करने;
सत्य की पुनर्थापना करने;
पशु पक्षीयों की रक्षा करने,
पेड जंगलो को बचाने,
मैं आया हूं।
उन्मत्त पापीयों को सजा दिलाने,
सृष्टी का संतुलन
बनाये रखने मैं आया हूं।
धधगती आग बनकर,
अब मैं आया हूं।
--------------------------
***विनोदकुमार महाजन।
(काल्पनीक कविता,
अगर ईश्वर खुद आया तो क्या करेगा ऐसी कल्पना करके यह रचना की है।)
मैं साक्षात ज्वाला हूं।
पाप को,पापीओं को;
अधर्म को जलाकर,
राख मैं कर दूंगा।
मैं साक्षात नारसिंव्ह का;
धधगता तेज हूं।
धर्म की रक्षा करने;
सत्य की पुनर्थापना करने;
पशु पक्षीयों की रक्षा करने,
पेड जंगलो को बचाने,
मैं आया हूं।
उन्मत्त पापीयों को सजा दिलाने,
सृष्टी का संतुलन
बनाये रखने मैं आया हूं।
धधगती आग बनकर,
अब मैं आया हूं।
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***विनोदकुमार महाजन।
(काल्पनीक कविता,
अगर ईश्वर खुद आया तो क्या करेगा ऐसी कल्पना करके यह रचना की है।)
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