स्वयं को संगठन से जोड़िये

एक वन में बहुत बडा अजगर रहता था। वह बहुत अभिमानी और अत्यंत क्रूर था। जब वह अपने बिल से निकलता तो सब जीव उससे डरकर भाग खड़े होते। उसका मुंह इतना विकराल था कि खरगोश तक को निगल जाता था। एक बार अजगर शिकार की तलाश में घूम रहा था। सारे जीव अजगर को बिल से निकलते देखकर भाग चुके थे । जब अजगर को कुछ न मिला तो वह क्रोधित होकर फुफकारने लगा और इधर-उधर खाक छानने लगा। वहीं निकट में एक हिरणी अपने नवजात शिशु को पत्तियों के ढेर के नीचे छिपाकर स्वयं भोजन की तलाश में दूर निकल गई थी। अजगर की फुफकार से सूखी पत्तियां उडने लगी और हिरणी का बच्चा नजर आने लगा। अजगर की नजर उस पर पड़ी हिरणी का बच्चा उस भयानक जीव को देखकर इतना डर गया कि उसके मुंह से चीख तक ना निकल पाई। अजगर ने देखते-ही-देखते नवजात हिरण के बच्चे को निगल लिया। तब तक हिरणी भी लौट आई थी, पर वह क्या करती ? आंखों में आंसू भरके दूर से अपने बच्चे को काल का ग्रास बनते देखती रही। हिरणी के शोक का ठिकाना न रहा। उसने किसी-न किसी तरह अजगर से बदला लेने की ठान ली। हिरणी की एक नेवले से दोस्ती थी। शोक में डूबी हिरणी अपने मित्र नेवले के पास गई और रो-रोकर उसे अपनी दुखभरी कथा सुनाई। नेवले को भी बहुत दु:ख हुआ। वह दुख-भरे स्वर में बोला मित्र, मेरे बस में होता तो मैं उस नीच अजगर के सौ टुकडे कर डालता। पर क्या करें, वह छोटा-मोटा सांप नहीं है, जिसे मैं मार सकूं वह तो एक अजगर है। अपनी पूंछ की फटकार से ही मुझे अधमरा कर देगा। लेकिन यहां पास में ही चीटिंयों की एक बांबी हैं। वहां की रानी मेरी मित्र हैं। उससे सहायता मांगनी चाहिए। हिरणी निराश स्वर में विलाप किया “पर जब तुम्हारे जितना बडा जीव उस अजगर का कुछ बिगाडने में समर्थ नहीं हैं तो वह छोटी-सी चींटी क्या कर लेगी?” नेवले ने कहा 'ऐसा मत सोचो। उसके पास चींटियों की बहुत बडी सेना हैं। संगठन में बडी शक्ति होती हैं।' हिरणी को कुछ आशा की किरण नजर आई। नेवला हिरणी को लेकर चींटी रानी के पास गया और उसे सारी कहानी सुनाई। चींटी रानी ने सोच-विचार कर कहा 'हम तुम्हारी सहायता अवश्य करेंगे । हमारी बांबी के पास एक संकरीला नुकीले पत्थरों भरा रास्ता है। तुम किसी तरह उस अजगर को उस रास्ते पर आने के लिए मजबूर करो। बाकी काम मेरी सेना पर छोड़ दो। नेवले को अपनी मित्र चींटी रानी पर पूरा विश्वास था इसलिए वह अपनी जान जोखिम में डालने पर तैयार हो गया। दूसरे दिन नेवला जाकर सांप के बिल के पास अपनी बोली बोलने लगा। अपने शत्रु की बोली सुनते ही अजगर क्रोध में भरकर अपने बिल से बाहर आया। नेवला उसी संकरे रास्ते वाली दिशा में दौड़ाया। अजगर ने पीछा किया। अजगर रुकता तो नेवला मुड़कर फुफकारता और अजगर को गुस्सा दिलाकर फिर पीछा करने पर मजबूर करता। इसी प्रकार नेवले ने उसे संकरीले रास्ते से गुजरने पर मजबूर कर दिया। नुकीले पत्थरों से उसका शरीर छिलने लगा। जब तक अजगर उस रास्ते से बाहर आया तब तक उसका काफ़ी शरीर छिल गया था और जगह-जगह से ख़ून टपक रहा था। उसी समय चींटियों की सेना ने उस पर हमला कर दिया। चींटियां उसके शरीर पर चढकर छिले स्थानों के नंगे मांस को काटने लगीं। अजगर तडप उठा। अपने शरीर से खुन पटकने लगा जिससे मांस और छिलने लगा और चींटियों को आक्रमण के लिए नए-नए स्थान मिलने लगे। अजगर चींटियों का क्या बिगाडता? वे हजारों की गिनती में उस पर टूट पढ़ रही थीं। कुछ ही देर में क्रूर अजगर तडप-तडपकर दम तोड दिया।* 
*सीख- संगठन शक्ति बड़े-बड़ों को धूल चटा देती है। क्योंकि*
*संगठन में - कायदा नहीं, व्यवस्था होती है।*
*संगठन में - सुचना नहीं, समझ होती है।*
*संगठन में - क़ानून नहीं, अनुशासन होता है।*
*संगठन में - भय नहीं, भरोसा होता है।*
*संगठन में - शोषण नहीं, पोषण होता है।*
*संगठन में - आग्रह नहीं, आदर होता है।*
*संगठन में - संपर्क नहीं, सम्बन्ध होता है।*
*संगठन में - अर्पण नहीं, समर्पण होता है।*

*इस लिए स्वयं को संगठन से जोड़े रख।ें।*
*संगठन सामूहिक हित के लिए होता है।*
*व्यक्तिगत स्पर्धा और स्वार्थ के लिए नही।*
🙏🙏🙏🌹

मेरे सभी मित्रों,
मेरे राष्ट्रीय पत्रकारों के ग्रुपपर मेरे एक दोस्त ने उपर की सुंदर कथा लिखी।मुझे बहुत पसंद आ गई।दिल को छु गई।और मैंने यह कथा अनेक माध्यमों द्वारा, तुरंत लाखों,करोड़ों लोगों तक पहुंचाई।
सचमुच में हमारे पत्रकारों का संगठन भी चिंटियों जैसा एकजूट बने।और देश में बूरे शक्तियों का महान अजगर की तरह सदा के लिए नाश करें।
मैं भी इसी महान उद्देश्य से एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय संगठन बना रहा हुं।
अपेक्षा करता हुं की,चींटियों की तरह आप सभी मेरा जरूर साथ देंगे।
हरी ओम।

विनोदकुमार महाजन,
राष्ट्रीय सलाहकार,
ओल मिडिया प्रेस असोशिएशन।
👍💐💐💐🌹


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  1. सत्य सनातन संघ पंजीकृत
    7310676563

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