vinodkumarm826
सत्य वादी हमेशा निडर,तेजस्वी, ओजस्वी होते है।
और मेरा विश्व के कोने कोने में फैला हिंदु समाज, सत्यवादी तो है ही,संस्कृति पूजक भी है।इसीलिए तेजस्वी, ओजस्वी भी है।
मगर .....
इस देश में बहुसंख्यक होकर भी,जो की गणतंत्र में बहुमतों की किमत होती है....
हम हमारे संस्कृति का रक्षण और संवर्धन क्यों नही कर रहे है ?
एक राम मंदिर निर्माण में आई सभी बाधाएं हम सभी एक होकर क्यों नही दूर कर सकते ?एक शक्तीशाली हिंदुत्ववादी सरकार बनाकर, क्यों नही हम ऐसे कानून पारित करते जो राममंदिर निर्माण कर सके,जो हिंदु हितों की रक्षा कर सके,जो हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को मिटा सके ?
कहाँ है हमारा ईश्वरी तेज,ओज,बल,शक्ती ?
कहाँ है.हमारा सामर्थ्य ?
इतने बहुसंख्यक होकर भी हम हताश, उदास,निराश क्यों ?
हतोत्साहित क्यों ?
अज्ञान और गरीबी तो सभी प्रकार की बाधाएं है,मगर फिर भी इसे हम संस्कृति पूजक होने के नाते मात क्यों नही दे सकते ?
मुझे मंजूर है की बहुसंख्यक हिंदु समाज देहात में रहता है,रोजी रोटी में ही इतना गहरा डुब गया है की,आसपास या समाज-देश में क्या चल रहा है इसके बारे में सोचने को समय ही नही है।
फिर भी स्वाभिमान शून्यता से बाहर आकर,स्वाभिमानी जीवन जीने के लिए-आर्थिक विकास अनिवार्य है,इसके साथ ही...संस्कृति रक्षण भी अती आवश्यक है।
नही तो..? अस्तित्व को समझना होगा।
हर एक व्यक्ति को जागना होगा,विविध माध्यमों से हर एक को जगाना होगा।हर की आत्मा जगानी होगी,चेतना जगानी होगी,चैतन्य जगाना होगा,ईश्वरी तेज जगाना होगा।
जाती पाती में बँटेंगे,लडते झगडते रहेंगे तो..कट जायेंगे, मिट जायेंगे।
और ऐसा हमें हरगिज नही होने देना है।
देश का कश्मीर हमें नही बनने देना है।
इसीलिए जागना है,सोचना है और आगे भी बढना है।
और संस्कृति संवर्धन भी करना है।
देश में भयंकर ही नही अपितु अती भयंकर तरीकों से हिंदस्थान का कश्मीर बनाने की अंदरूनी निती,गहरी चाल, भयंकर साजिश, घोर षड्यंत्र जमीन के निचे से खेला जा रहा है।
देश के अंदर की और बाहर की विघातक ताकदें हमें नेस्तनाबूद करने की अंदरूनी चाले रच रही है।और हम गहरे निंद में है।
देखते देखते पाकिस्तान.. बांग्ला हातसे कब गया समझ में भी नही आया।देखते ही देखते कश्मीर पंडित मुक्त कैसे बनाया गया समझ में भी नही आया।
केरल,बंगाल जैसे अनेक प्रदेशों में खतरे की घंटी बज चुकी है।जगह जगह पर कैराना हो रहे है।
गहरी निंद से जागकर, आपसी लडाई झगड़ा खतम करके हमें एक होना ही होगा,और एक होना ही है।
क्योंकि हमारा अस्तित्व ही खतरें में है।
आज नही जागेंगे तो भारत का कश्मीर बनने में देर नही लगेगी।
अनेक मंदिरों के बाहर...
सफेद पत्थर इंतजार में है,अंदर जाने के लिए।
सोचो,समझो,जानो,जागो।
नही तो..?
बर्बाद ही नही हो जायेंगे तो.?नामोनिशान मिट जायेगा।
आज इस देश में कश्मीरी पंडित दर दर की ठोकरे खाकर जीना जी रहे है,भयंकर नारकीय जीवन जी रहे है।
असली मालिक ही गुनहगार बन गए है और ठोकरे खा रहै।और आक्रमणकारी ,लुटेरे बढ रहे है।
कब तक भागोगे ?कहाँ भागोगे ?
आज कश्मीर के पंडित असहाय, मजबूर है मगर हिंदुस्तान में कम से कम हिंदु बनकर तो जी रहे है।
मगर भविष्य में भागने को भी जगह ना मिलें...
ऐसा अती भयंकर घोर समय आने का इंतजार मत किजिए मेरे प्यारे सभी भाईयों।
लडाई-झगडा छोडो।एक हो जावो,जागृत हो जावो,संगठित हो जावो।
और आक्रमणकारियों की गहरी चाल, गहरी साजिश नाकामयाब बनावो।
माँ भारती है तुम्हें पुकारती।गौमाता है तुम्हें पुकारती।समय है तुम्हें पुकारता।
जागो मोहन प्यारे।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
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