कौन चाहिए ? ? ?
आँख मारता है देखों
आँख मारता है।
संसद में बैठे बैठे
आँख मारता है।
आँख मार मार के
भारतवासियों को
उल्लू बनाता है देखो
उल्लू बनाता है।
सालाना 72 हजार
देने का वायदा भी करता है।
और वायदा पूरा करने का समय आया तो...?
वायदा भूलकर
विदेशों में भाग जाता है।
देखो देखो यारों,
ये आँख मारता है,
हमें उल्लू बनाता है।
तो....
इसके बहकावे में मत आना,
इसकी झूटी जबानी का भरौसा कभी ना करना।
और एक असली शेर,
जमीन में,हवा में,
अंतरीक्ष में घुसघुस कर
हैवानियत भरे शत्रुओं को चुनचुनकर मारता है।
तो..तो..तो..? ? ?
आपको चाहिए कौन ?
आँख मारकर हमें उल्लू बनानेवाला ?
या फिर हमारे सरदर्दी शत्रुओं को...
चुन चुनकर मारनेवाला ? ? ?
कौन चाहिए बाबा,
कौन चाहिए ?
शेर जैसा जिगरबाज असली हिरा ?
या नकली कांच का टुकडा ?
विनोदकुमार की ,
" सिध्दबाणी पर ",
गहराई से विचार करना।
और आँख मारनेवाला कभी भी नही चुनना।
गिन गिन के शत्रुओं को
मारनेवाले को ही चुनना।
सावधान हो जाना बाबा
सावधान हो जाना।
अपना बहुमूल्य मत व्यर्थ ना गँवाना।
" कमल का फूल ,
मिटा देगा सारी जीवन की धूल।"
तो...
सावधान रहना, सावधान होकर मतदान करना।
हरी ओम।
🕉
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विनोदकुमार महाजन।
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