नटखट !!! 

बहुत नटखट है रे तु नंदलाला,
बनता है कभी तु सिधा साधा,
तो बनता है कभी भोलाभाला।
बडा नटखट रे तु मोरे नंदलाला।
अनेक रंग तोरे अनेक है,
तेरे रुप।
अगाध तेरी माया,
अगाध तेरी लिला।
रे मेरे नंदलाला,
"नेती नेती"कहकर थक ...
गये रे वेद,
तो क्या पहचाने"मुरख"लोग तेरी..
अगाध लिला।
रे मोरे नंदलाला।
तु बनता है कभी,
"भिक्षुक वामन"तो कभी,
सुदामा का भाग्य बदलने वाला..रे मेरे नंदलाला।
भोली मिरा का प्रेमी,
राधा का कृष्ण बनके..
बनता है ,प्रेम दिवाना।
और...
अनेक उन्मत्त,अहंकारी
राक्षसों को मृत्यु भी देकर,
उन्हे भी "मोक्ष "देने वाला..
अब"कल्की"बनके आ जाना,
"अहंकारीयों का"बजा दे..
"ताना बाना",
रे मेरे नंदलाला।
मेरे "नटखट"नंदलाला।
***विनोदकुमार महाजन।

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