महालक्ष्मी मंदीर ही क्यों?

मेरे गाँव में,मेरी खेती में मैं शक्तीदाईनी माता महालक्ष्मी जी का मंदीर बनवाना चाहता हुं।
इसकी वजह यह है की,वैश्विक कार्य के लिए जब सन्मार्ग के धन की जरूरत होती है।इसलिए मैंने माता महालक्ष्मी की साधना की थी।
दृष्टांत में मुझे महालक्ष्मी माता ने हाथ में हाथ देकर मेरे घर रहने को आने का वचन दिया था।
और माता मुझे बोली थी,"मैं तेरे घर रहने आई हुं।"
फिर भी मुझे फलप्राप्ति नही मिल रही थी।तो हरिद्वार के श्री. दिवाकर श्री.जी ने मुझे बताया की,माता का मंदीर बनावो।
इसिलए ट्रस्ट का संकल्प हुवा।
देहली के मेरे एक तपस्वी मित्र तथा भैरवनाथ के उपासक श्री.देवेन्द्र जी ने मुझे इस विषय पर आश्वस्त किया।
विश्व क्रांति के लिए,"महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती"के शक्ति की जरूरत है।
क्योंकी संगठन चलाने के लिए, और संगठन के सभी सदस्यों को चैतन्य, शक्ति, बल,आरोग्य, धन,दिर्घायुता और ईश्वरी वरदान तो चाहिए ही और शक्तीदाईनी माता सभी असंभव भी संभव बनाएगी।
संयोग वश मेरा जन्म भी,विजया दशमी की नववी रात्री, सिध्दीदात्री के दिन हुवा है।इसिलए कार्य सफलता के लिए माता ही बुध्दि, शक्ती ,यश और चैतन्य तो देगी ही।
खैर....।
महालक्ष्मी के बिना सभी कार्य अधुरे ही है।
विश्व में सत्य विचारों की जीत करने के लिए, टिवी, अखबार, फिल्म जैसे प्रभावी तथा प्रमुख प्रसार माध्यमों की जरूरत होती है।
और माध्यम चलाने के लिए, सन्मार्ग के धन की भी जरूरत तो होती ही है।
कार्य सफल बनाने में सद्गुरु, ईश्वर और माता समर्थ है।
संकल्प तो किया है।अब संकल्प पुर्ती खुद,"सिध्दीदात्री",ही करेगी।
सभी मित्रों को इसी माध्यम से वैश्विक कार्य में सहयोग करने का भी आवाहन करता हुं।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।

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