ठंडे दिमाग का,मगर अध्यात्मिक "युगपुरुष"पापियों का और अधर्म का नाश करके,ईश्वरीय सिध्दांतो की जीत करेगा।और"सत्य-सनातन "की पुनर्स्थापना करेगा।
(इती,नोस्ट्रैडेमस की भविष्यवाणी)।
क्या यह समय कालचर्क अनुसार,सचमुच में नजदिक आया है?क्या संपूर्ण "विश्व"उसी दिशा की ओर तेजीसे बढ रहा है।क्या ईश्वर का और कुदरत का कानुन भी इसके संकेत दे रहा है?क्या सचमुच में कोई"दिव्य पुरुष" अवतरीत हुआ है।निराकार ब्रम्ह का और सृष्टी रचियेता भगवान का क्या खेल चल रहा है,भगवान ही जाने।एक बात तो पक्की तय है की,"समय"करवट बदल रहा है।
*विनोदकुमार महाजन।

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस