अंधेरा कितना भी,
घनाहो,
सूरज उगने वाला ,
है ही है।
संकटों के पहाड,
कितने भी भयंकर हो,
पार ह़ोने वाले,
है ही है।
सत्य-धर्म पर,
कितना भी भयंकर,
संकट हो,
अधर्म का नाश होकर,
सत्य-धर्म की,
जीत होने वाली,
है ही है।
क्यों की,सत्य-धर्म तो,
खुद ईश्वर निर्मित है।
ईसिलीए,
बस्स,चाहिए थोडासा,
इंतजार ,और...
मौन और शांती!!!
ईश्वरी इच्छा से,
सबकुछ ठीक होने वाला,
ही है,होने वाला ही है।
***विनोदकुमार महाजन।

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