अब तो सभीको सोचना ही होगा।जागना भी होगा।

मेरे प्यारे सभी भाईयों, आज मैं ऐसा वास्तव लिखुंगा की पढकर इसपर आप सभी को गौर से विचार करना ही पडेगा।लेख अगर लंबा भी हुवा तोभी पूरा पढना ही पढेगा।
सोचो,धिरे धिरे हम पिछे पिछे क्यों हटते जा रहे है?
मतलब.....?
एक समय ऐसा भी था जब पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ऐसे अनेक देश जहाँपर नितदिन मंदीरों में घंटियां बजती थी,सुबह को मंगल आरतियां होती थी।
हमारे संस्कृति पूजकों के अनेक मठ मंदिर वहाँ मौजूद थे।
और क्या हो गया की,मठ-मंदिर वहाँ से जमिनदोस्त हो गए,धाराशायी हो गए,नेस्तनाबूद हो गए?
सत्य और सत्यवादी जमीन में दफना दिये गए।
हर जगह से मंगल धून गायब होती गई।क्यों?
और आज भी कश्मीर, केरला, पश्चिम बंगाल जैसे अनेक प्रदेश है जो हमारे अस्तित्व को ही चुनौती दे रहे है।और हम ऐशोआराम, पैसा कमाना और आपसी लडाई झगडा,स्वार्थ मोह से अंधे बन गए है।
इतिहास को भी हम भुलेंगे तो अस्तित्व कैसे रखेंगे?और उज्वल भविष्य कैसा रखेंगे?
आप सभी मेरे प्यारे भाईयों, आप के अंदर की आत्मा की आवाज सुनो-जानो-पहचानो।
समय कठिण है,हमारा अस्तित्व खतरे में है।और हम गहरी निंद में है।
"उनकी",और "हमारी",निती पर गौर से सोचो।
हमें नेस्तनाबूद करके हमें जमीन में दफनाने के तरिके, हमारे मंदीरों को दफनाने के तरिके, हमारी संस्कृति नेस्तनाबूद करने के तरीकों को गौर से सोचो।सत्य को समाप्त करने के असत्य के तरिके।
बिल्कुल ठंठे दिमाग से सोची समझी गहरी साजिश और हमारे एक एक प्रदेश पर कब्जा।
क्या रणनिति है?
और हम?
हम तो लडते झगडते है।जाती के नाम पर,पैसों के लिए।और...?
मर मिट जाते है।
जब हमारे कोई उच्च कोटि के महात्मा सभी जातियों को एक करने की,परकियों को भी हमारे संस्कृति की ओर आकर्षित करने की,जोडने की रणनीति बनाते है तो?
उन पुण्यात्माओं को गहरी साजिश द्वारा अटकाया, लटकाया जाता है।और हम?
ऐसे महात्माओं को भी भला बूरा कहते है,और"उनके",चंगुल में फँस जाते है।
ठीक इसी तरिके से उन्होंने आधी पृथ्वी पर कब्जा किया है।और हम???
अस्तित्व शून्य बनते जा रहे है।
दुख की बात तो यह है की,हमारे ही कुछ नमकहराम जयचंद हमपर अंदर बाहर से सभी प्रकार के हमले करके हमें परेशान कर रहे है।और हम दुर्भाग्य से एक होकर उन नमहरामिओं का सदा के लिए बंदोबस्त करना भी दूर, उनका विरोध भी नही कर रहे है।उल्टा ऐसे जहरीले पौधों से हम निकटता बढा रहे है।
गहराई से बात समझ में आ रही है ना?
निद्रिस्त रहेंगे तो नेस्तनाबूद हो जायेंगे, बरबाद हो जायेंगे।मिट्टी में मिल जायेंगे।
जैसे की,पाकिस्तान की मंगल आरती,मंदीरों की घंटी,मंगल सूर सब गायब हो गए है।
क्या हम हिंदुस्तान में भी ऐसी ही स्थिति आने का इंतजार कर रहे है?
नही,बिल्कुल नही।
हम सभी एक होंगे।ठंडे दिमाग से शक्तिशाली विश्व संगठन बनाएंगे।
संस्कृति बचायेंगे ही नही संस्कृति बढायेंगे भी।हमारे भुप्रदेश कि रक्षा करेंगे।और जहाँ से हमें भगाया गया है,वहाँ फिर से,ठंढे दिमाग से ,चाणक्य निती से,कृष्ण निती से फिर से हमारे संस्कृति की पुनर्स्थापना करेंगे।करके रहेंगे।
क्या नामुमकिन लग रहा है?
संकल्प में बहुत शक्ति होती है भाईयों।और संकल्प पूर्ति के लिए जब चौबीसों घंटे भगवान हमारे साथ होता है तो?
तो नामुमकिन भी मुमकिन में बदल ही जाता है।जी हाँ दोस्तों।इतिहास गवाँ है।
बिल्कुल ठंडे दिमाग से,शांती से क्रांति।विश्व क्रांति।
क्या सोच रहे हो?सच्चाई लग रही है ना?
या मैं कुछ गलत लिख रहा हुं?बकवास कर रहा हुं?
आपके अंदर कि आत्मा को पुछो।जागृत और सावधान हो जावो।
हमारे अंदर नामुमकिन को भी मुमकिन में बदलने की दिव्य शक्ति मौजूद है।
है या नही?यह बात आप ही बताईये।
तो....?
बन जावो तैयार...
"विश्व विजेता-हिंदू धर्म",बनाने के लिए।हो जावो संगठित।बढाओ शक्ती।
संपूर्ण विश्व के सत्य वादियों को अनेक मार्गों से कर दो एक।
बोलो।
देंगे साथ???
भाईयों, अब कार्यसफलता के लिए अगले जन्म का इंतजार नही।
केवल और केवल इसी जन्म में कार्यसिद्धि।
हरी ओम।
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--  विनोदकुमार महाजन।

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