* लक्ष्मी और ....... अलक्ष्मी(अवदसा)***

घर में जब लक्ष्मी माता रहती है,तो उस घर में सुख,शांती,आनंद रहता है।तो जीस घर में अलक्ष्मी याने की अवदसा रहती है,उस घर मेंसदा के लिए दुख,अशांती रहती है।
हमारे भी घर में माता लक्ष्मी अखंड रहे इसके लिए क्या करना चाहिए?
प्रेम,विश्वास,क्षमा,शांती ईत्यादी अनेक ईश्वरी गुणसंपन्न व्यक्ती जीस घर में रहते है,उस घर में माता महालक्ष्मी सदा के लिए रहती है।और.....
स्वार्थ,मोह,अहंकार,अविश्वास,नफरत ईत्यादी अनेक राक्षसी अवगुण के व्यक्ती जीस घर में रहते है,वहां हमेशा के लिए अलक्ष्मी याने की अवदसा वास करती है।
जहां लक्ष्मी का वास होता है,वहाँ स्वर्ग सा दिव्य माहौल रहता है।और जहां अवदसा का वास रहता है,वहाँ नारकीय वातावरण रहता है।
आओ इसके लिए अब एक मनोरंजक कथा सुनेंगे।क्या आप पुरी कथा पढेंगे???
एक बहुत ही सुखी कुटूंब था।पाँच भाई और उनकी पाँच बिवियाँ।बहुत ही आनंदी कुटूंब था।सभी एक जगह रहकर भी,कभी भी असुरी दुर्गुण दिखाते नही थे।बल्की ईश्वरी गुणसंपन्न स्वर्गीय माहौल था वहां का।दिव्य प्रेम,विश्वास,श्रध्दा,सामंजस्य।.........
इसी लिए लक्ष्मी माता का अखंड वास्तव्य था उस घर में।......
एक दिन अवदसा माता महालक्ष्मी को उस घर के बारे में बोली,
"हे लक्ष्मी उस घर में तु सदा रहती हो,मुझे भी थोडी देर के लिए कुछ देर रहने के लिए अवसर दे।"
तभी माता लक्ष्मी बोली"उस घर में तु कभी भी नही रह सकती।वहाँ का हर व्यक्ती आपस में बहुत ही प्रेम करता है।"
इतना कहने के बाद भी,अलक्ष्मी ने बहुत हट किया।इसिलीए थोडी देर के लिए,माता लक्ष्मी उस घर से बाहर चली गई।और अवदसा ने उस घर में प्रवेश किया।मन में आनंदित होकर अवदसा बोली,"इस घर को मैं अब तबाह कर दुंगी।"
घर में प्रवेश करते ही,अवदसा ने वहां के व्यक्तींयों द्वारा ,दिमाग में घुसने का प्रयास करना आरंभ कर दिया।
दोपहर के भोजन के लिए,पाँचो भाई और उनकी पाँच बिवियां इकठ्ठा हो गई।
घर में झगडा और आग लगाने के लिए,अलक्ष्मी ने पहले से ही नियोजन कर रखा था।सब्जी करते वक्त अनजाने में किसी ने सब्जी में नमक ही नही डाला था।
अवदसा को लगा अब नमक के बहाने घर में झगडे शुरु होंगे,और देखते ही देखते,धिरे धिरे, झगडे की वजह से घर तबाह हो जायेगा।मगर......
हुआ कुछ उलटा,भोजन करने के लिए जब सभी ईकठ्ठा हो गए तो....
घर की हर औरत शांती से कहने लगी,"मुझसे ही नमक जादा हुआ होगा।"
इस समझदारी से घर में झगडा होना तो दूर,हंसी मजाक से,सभी सदस्यों ने बडे ही आनंद से भोजन किया।
इससे हुआ य्यों की,अलक्ष्मी को भी पछताना पडा।माता महालक्ष्मी के पास जाकर बडे नाराज स्वर में अवदसा महालक्ष्मी को बोली,"मैं उस घर में कभी भी असुरी साम्राज्य नही निर्माण कर सकती।"ऐसा कहकर वह उस घर से बाहर निकल गई।
बडे आनंद से मन में हंसकर माता महालक्ष्मी उस आनंदी घर मे,स्वर्गीय माहौल में,फिर से ,सदा के लिए,जीवन भर के लिए रहने को चली गई।
भाई बहनो,क्या आप भी"विनोदकुमार महाजन,"का कहना मानकर,अपने घर में आनंद से माता महालक्ष्मी को रहने के लिए आमंत्रीत करेंगे।बडे ही प्रेम से घर का स्वर्ग बनाएंगे?स्वार्थ,मोह को त्यागकर,घर का स्वर्ग बनाओगे?लक्ष्मी सह सभी देवताओं को घर में आनंद से बुलाओगे?क्या मुझे भी आपके घर में बहुत ही प्यार से बुलाएंगे?
क्या यह मेसैज बिना तोड फोड के,बिना नाम बदल के बडे आनंद से आगे भेजेंगे?
इसी तरह घर घर सुखी होगा।समाज,राष्ट्र सुखी होगा।"विश्व-बदलेगा,क्रांती होगी,विश्व-पर असुरी सिध्दांतों की हार होकर,प्रभु के पृथ्वी पर ईश्वरी राज्य आयेगा।"
तो चलो,कली का उन्मत्त साम्राज्य खतम करके,"सत्य का",........
नया युग,"सत्य युग".......
आरंभ करते है।मुझपर,ईश्वर पर,जी-जान से,ह्रदय से,आत्मा से सभी प्रेम करते है,तो.....
मेरा कहना सभी को मानना ही पडेगा।सक्ती से नही, प्रेम से।
तो बोलो सब मिलकर एक साथ,मेरे साथ,
"सत्य-सनातन की जय हो।अंतीम सत्य की जय हो।ईश्वरी कानून की जय हो।"
आप सभी पर,सभी आत्माओं पर पवित्र प्रेम करने वाला,आप सभी का,
एक छोटासा जीव।
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***विनोदकुमार महाजन।
(हो सके,मेरा लेख पसंद आये,तो.....
व्हाटस्अप पर एक मेसैज जरुर देना।
हरी:ओम।🙏🕉⛳
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***विनोदकुमार महाजन।

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