---*  कमाल है !!!!!* 

जी हां,कमाल है।कृष्ण को जन्म होने के बाद,स्थानांतरीत होना पडा,उनकी मृत्यु भी,बाण लगकर।रामजी को भी बनवास सहना पडा।अधर्म का नाश करने के लिए,मनुष्यों का संगठन नही बना सके।बंदरों को साथ लेकर,उनका"ईश्वरी चैतन्य"जगाकर,धर्मयुध्द करना पडा।राजे शिवाजी को,सैन्यबल,मनुष्यबल और द्रव्य बल के लिए,बहुत संघर्ष करना पडा।सत्य को अनेक अग्नीपरीक्षाएं,सतँवपरीक्षाएं!!!!युग चाहे कौनसा भी हो।कडा और कठोर संघर्ष।तो रावण,कंस,औरंगजेब को सैन्यबल,मनुष्यबल,द्रव्यबल अंतीम क्षण तक मिलता रहा।नियती की भी कमाल है!!!!!इतना होने के बावजूद भी,ईश्वरी सिध्दांतो पर चलने वाले पवित्र आत्माओं को अनेक संघर्षमय,कटू जीवन जीने के बाद भी,विजय तो आखिर उन्हीकी ही हुई है।और असत्य,अधर्म की हार हो गई है।
कमाल है!!!!!!
आज भी देखो,सत्य आज भी अनेक संकटों से घिरकर परेशान हो रहा है।और असत्य?अधर्म?
कमाल है!!!!!
एक समय ऐसा थाकी,संपूर्ण विश्व पर हिंदुओं का राज्य था।और आज?बहुसंख्य हिंदु होकर भी,हिंदुस्थान में ही हिंदुओं को न्याय के लिए जुंझना पड रहा है।सत्य की,सत्यता वादियों की अवहेलना,निंदा होती रहती है।
आज एक भी हिंदु राष्ट्र संपूर्ण विश्व में नही है।खुद ईश्वर निर्मित,अनेक देवी देवता,रुषी मुनी,सिध्द पुरुष,महापुरुष,साधु संत पैदा करने वाली भूमी को,अस्तीत्व के लिए कठोर संघर्ष करना पड रहा है।अंतिम विजय तो हमेशा सत्य की ही होती है।
देखो।उनको बाहर से द्रव्यबल,मनुष्यबल अनेक मार्गों से मिलता है।और हमे?संगठन बनाने के लिए,बढाने के लिए,शक्ती बढाने के लिए,कठोर संघर्ष कृना पड रहा है।अनेक कठोर अग्नीपरीक्षाएं,सत्वपरीक्षाएं।कठोर संघर्ष।ऊपर से हमारे ही देश के अंदर छिपे रावण,कंस,दुर्योधन,जयचंद सत्य को सभी अंगो से परेशान कर रहे है।
कडा संघर्ष।जो सच्चे,अच्छे है वो भी शक्तीविभाजन करके लड रहे है।एक नही हो रहे है।आखिर क्यों?
"सत्य परेशान हो सकता है,मगर पराभुत नही",ऐसी कहावत का कितने दिनों का सामना करना पडेगा?और सत्यवादियों को अपमान,अपयश के भयंकर जहर का कितने दिनों तक सामना करना पडेगा?सत्य को परेशान करने वाले,अंदर के और बाहर के राक्षसों का हम सभी एक होकर,हम सभी जमकर विरोध कब करेंगे?
सत्य की जीत के लिए हमें और कितना इंतजार करना पडेगा?असत्य,अधर्म,अन्याय,अत्याचार के भयंकर जहर का हमें और कितने दिन सामना करना पडेगा???
सभी सत्यवादियों सोचो।समयचक्र किसीका इंतजार किए बिगैर तेजी से आगे बढ रहा है।असुरी शक्तीयां अनेक मार्गों से,अनेक अंगो से,गुप्त रुप से अपनी शक्तीयां बढा रहे है।और ईश्वर देख लेगा कहकर हम सो रहे है।जो जाग रहे है,उनको हम ही पिडा,तकलिफें दे रहे है।अस्तीत्व की लडाई का बाका प्रसंग आने के बावजुद भी,हम आपस में लडकर समय और शक्ती व्यर्थ बरबाद कर रहे है।सत
यवादियों की शक्ती बढाने की बजाए उनको ही,पिडा तकलिफें देकर उन्हें ही परेशान कर रहे है।सत्य वादियों को हर पल पिडा तकलिफें उठानी पड रही है।फिर भी"पुरातन विचारों का",ऐसी उसकी निंदा करके,उसको ही हम परेशान,अपमानित कर रहे है।
यह तो"कमाल हो गया!!!!"
कमाल है ना भाईयों???आखिर सृष्टी रचियेता प्रभु ने चौ-यां ऐंशी लक्ष योनीयों में से,सिर्फ इन्सान ही नही पैदा किया होता,तो ऐसा प्रसंग कभी नही आता।
कमाल है सृष्टीरचियेता भगवान का।कमाल है उसकी लिला का!!!!!
मेरे जैसे अज्ञान जीव उसकी रचना का,और विधाता का "खेल।"क्या समझे???
सब"कमाल ही कमाल है।"
--------------------------------
***विनोदकुमार महाजन।
--------------------------------
हरी ओम।

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस