आँधी और तूफान!!!
मेरे सभी हिंदु भाईयों,और विश्व के सभी हिंदु धर्म प्रेमी भाईयों,प्रणाम।
यह बात बिल्कुल सत्य है की,विश्व में हिंदु धर्म प्रेमीयों की संख्या दिन-बदिन बढती जा रही है।देश विदेश में अनेक हिंदु संगठन भी सक्रिय है।
मगर अब हमें विश्व के सभी हिंदुओं को,और हिंदु धर्म प्रेमी व्यक्तीयों को सिर्फ एक ही नही करना है,बल्की सबकी अंदर की सुप्त चैतन्य शक्ती जागृत करनी है।सच्चाई की जीत के लिए अब हमें सक्रिय होकर,एक शक्तीशाली आँधी और तूफान खडा करना है।
हरेक को राम,हरेक को कृष्ण,हरेक को राजा शिवाजी,हरेक को महाराणा प्रताप,हरेक को स्वामी विवेकानंद बनना है।समय की यही पुकार है,मांग है।
हमारे महापुरुषों के आदर्श सिध्दांत ही हमे लेने नही,बल्की उस सिध्दांत पर चलना है।
यह नामुमकिन नही है।यह मुमकीन है।तीव्र इच्छाशक्ती द्वारा हमारी पवित्र,शुध्द आत्मा,हमारी ईश्वरी आत्मा,हमारे अंदर के चैतन्य को हम आवाज देंगे तो,अंदर से आवाज आयेगी,"सो अहम्,सो अहम्।"
जी हां।आप सभी असामान्य हो,आप सभी ईश्वर पुत्र हो।आप सभी की आत्मा एक है।
इतना ही नही तो,पशु पक्षीयों की भी आत्मा एक है।शुध्द अवस्था में,"परकाया प्रवेश"करके तो देखलो।आपका सुंदर पवित्र,विशाल रुप खुद को नजर आ जायेगा।
और यही "चैतन्य जागृती"का महासमंदर बनाकर,संपूर्ण विश्व में हमें"शक्तीशाली संगठन"बनाकर हमें अब संपूर्ण विश्व में"विश्व क्रांती"के लिए फैल जाना है।ईश्वरी शक्तीसंपन्न ,प्रचंड सामर्थ्यवान,"सत्य (-- --)सागर।हमारा देह आज का है।मगर हम सभी की आत्माएं?अंदर टटोलके तो देखो।बडा अजीब,सुंदर,ईश्वरी नजारा सामने आ जायेगा।और इस अद्भुत नजारे में,धन से मिलने वाले सब सुख,बेकार नजर आयेंगे।इसेही,सिध्द महापुरुष"सिध्द-समाधी" कहते है।
पहले आज्ञाचक्र में देखेंगे,और उसमे निरंतर "ओम"कार की रट लगायेंगे,तो धिरे धिरे सब पता चल जायेगा।
अरे भई,यही तो "चैतन्य जागृती"है।बस हो गया आपका काम।धन-वैभव,मोह-माया,स्वार्थ -अहंकार से हटकर,आप विश्व के "ईश्वरी"कार्य के लिए तैय्यार हो गए।
है ना अजूबा!!!!सिधी सी बात!!!!इसी तरह से हमे अब सभी को जागृत करके,"विश्व क्रांती"की ओर बढना भी है।और"शांती से क्रांती"भी करनी है।
"जोर का झटका",धिरे से लगे।"
भाईयों,मित्रों इसी माध्यम से हमें,"विश्व क्रांती"करनी ही है।
तो इसी संगठन के लिए,एक एक बुंद से,शक्तीशाली महासागर बनाना है।
तो हो गए सब तैय्यार???
इसके लिए,
तो एक बार सबको,हरी ओम"तो बोलना ही पडेगा।
हरी हरी:ओम।
_____________
----विनोदकुमार महाजन।
यह बात बिल्कुल सत्य है की,विश्व में हिंदु धर्म प्रेमीयों की संख्या दिन-बदिन बढती जा रही है।देश विदेश में अनेक हिंदु संगठन भी सक्रिय है।
मगर अब हमें विश्व के सभी हिंदुओं को,और हिंदु धर्म प्रेमी व्यक्तीयों को सिर्फ एक ही नही करना है,बल्की सबकी अंदर की सुप्त चैतन्य शक्ती जागृत करनी है।सच्चाई की जीत के लिए अब हमें सक्रिय होकर,एक शक्तीशाली आँधी और तूफान खडा करना है।
हरेक को राम,हरेक को कृष्ण,हरेक को राजा शिवाजी,हरेक को महाराणा प्रताप,हरेक को स्वामी विवेकानंद बनना है।समय की यही पुकार है,मांग है।
हमारे महापुरुषों के आदर्श सिध्दांत ही हमे लेने नही,बल्की उस सिध्दांत पर चलना है।
यह नामुमकिन नही है।यह मुमकीन है।तीव्र इच्छाशक्ती द्वारा हमारी पवित्र,शुध्द आत्मा,हमारी ईश्वरी आत्मा,हमारे अंदर के चैतन्य को हम आवाज देंगे तो,अंदर से आवाज आयेगी,"सो अहम्,सो अहम्।"
जी हां।आप सभी असामान्य हो,आप सभी ईश्वर पुत्र हो।आप सभी की आत्मा एक है।
इतना ही नही तो,पशु पक्षीयों की भी आत्मा एक है।शुध्द अवस्था में,"परकाया प्रवेश"करके तो देखलो।आपका सुंदर पवित्र,विशाल रुप खुद को नजर आ जायेगा।
और यही "चैतन्य जागृती"का महासमंदर बनाकर,संपूर्ण विश्व में हमें"शक्तीशाली संगठन"बनाकर हमें अब संपूर्ण विश्व में"विश्व क्रांती"के लिए फैल जाना है।ईश्वरी शक्तीसंपन्न ,प्रचंड सामर्थ्यवान,"सत्य (-- --)सागर।हमारा देह आज का है।मगर हम सभी की आत्माएं?अंदर टटोलके तो देखो।बडा अजीब,सुंदर,ईश्वरी नजारा सामने आ जायेगा।और इस अद्भुत नजारे में,धन से मिलने वाले सब सुख,बेकार नजर आयेंगे।इसेही,सिध्द महापुरुष"सिध्द-समाधी" कहते है।
पहले आज्ञाचक्र में देखेंगे,और उसमे निरंतर "ओम"कार की रट लगायेंगे,तो धिरे धिरे सब पता चल जायेगा।
अरे भई,यही तो "चैतन्य जागृती"है।बस हो गया आपका काम।धन-वैभव,मोह-माया,स्वार्थ -अहंकार से हटकर,आप विश्व के "ईश्वरी"कार्य के लिए तैय्यार हो गए।
है ना अजूबा!!!!सिधी सी बात!!!!इसी तरह से हमे अब सभी को जागृत करके,"विश्व क्रांती"की ओर बढना भी है।और"शांती से क्रांती"भी करनी है।
"जोर का झटका",धिरे से लगे।"
भाईयों,मित्रों इसी माध्यम से हमें,"विश्व क्रांती"करनी ही है।
तो इसी संगठन के लिए,एक एक बुंद से,शक्तीशाली महासागर बनाना है।
तो हो गए सब तैय्यार???
इसके लिए,
तो एक बार सबको,हरी ओम"तो बोलना ही पडेगा।
हरी हरी:ओम।
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----विनोदकुमार महाजन।
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