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Showing posts from August, 2021

श्रीकृष्ण

 *कृष्ण*,,, नावातील एकही अक्षर सरळ नसणारा हा देव,,, प्रत्येक शब्द हा जोडाक्षर,,, जितकं नांव कठीण तितका समजायला कठीण,, पण एकदा समजला की जीवनाचा अर्थ समजलाच म्हणून समजा,, जीवन म्हणजे काय हे समजून घ्यायचं असेल तर कृष्ण समजून घ्यावा,, दशावतारी भगवंताचा आठवा अवतार म्हणजे कृष्ण,, सातवा अवतार प्रभू राम,, *राम* ही अक्षरे सुद्धा सरळ अन त्याचं वागणं ही सरळ,,मर्यादेत,, म्हणून *मर्यादा पुरुषोत्तम*,,, रामाने आपल्या जीवनात कधीच कोणतीच मर्यादा ओलांडली नाही,, तरीही काही जणांनी त्याच्यात दोष शोधले,त्याच्यावर टीका केली,,, मग पुढच्या अवतारात प्रभू ने सर्व मर्यादा ओलांडल्या,, करा काय करायचं ते,,,😃😃😃 जीवनात आचरण रामसारखं असावं अन समजून कृष्ण घ्यावा,, कृष्ण आचरणात आणायच्या भानगडीत पडू नये,, कृष्ण म्हणजे *श्रीमदभगवद्गीता*,,, जीवनाचं सार,,, प्रभू रामाने जसा भर दुपारी मध्यानी अवतार घेतला तसा कृष्णाने पार मध्यरात्री अवतार घेतला,, जन्म झाल्याबरोबर त्याला ते ठिकाण सोडून गोकुळात जावं लागलं,, गोकुळात कृष्ण फक्त वयाच्या आठव्या वर्षापर्यंत राहिला,,, म्हणजे राधा राणी फक्त तोवर कृष्णासोबत होती, कृष्ण 8 वर्षाचा होऊ प

कृष्णासारखे जगा

 *➖▪️⭕|| श्री ||⭕▪️➖*  कृष्णाने आयुष्यात जितक्या गोष्टी सोडल्या, तितक्या त्या इतर कोणालाही सोडता आल्या नाहीत. कृष्णाने आपली आई, वडील सोडले, त्यानंतर नंद-यशोदाला. मित्र निघून गेले. राधा निघून गेली. गोकुळ सोडले आणि मथुराही सोडली. आयुष्यभर कृष्ण काही ना काही सोडतच गेला. कृष्णाने आयुष्यभर त्याग केला. आपली आजची पिढी, जी एखाद्या गोष्टीच्या विरहाने कोसळून पडते, तिने कृष्णाला गुरु बनवावे. ज्याला कृष्ण समजला तो कधीच औदासिन्यात (depression) जात नाही. कृष्ण आनंदाचा देव आहे. एखादी गोष्ट हातातून निसटून गेल्यावरही सुखी कसे रहावे हे कृष्णापेक्षा कोणीही उत्तम शिकवू शकत नाही.  *"श्रीकृष्ण जन्माष्टमीचा हार्दीक शुभेच्छा"*        *➖▪️शुभ सकाळ▪️➖*      ➖▪️⭕🟢⭕▪️➖ संकलन : - विनोदकुमार महाजन

सब्र का फल

 सब्र का फल मिठा होता है। ------------------------------- भाईयों, बिजेपी और मोदिजी को कोई लोग बदनाम करने की कोशिश में और उसमें लगातार षड्यंत्र करने में दिन रात डुबे हुए है। मोदिजी तो सभी जाती-धर्म-पथ-पंथ को साथ लेकर, सभी भारतीयों का विकास का सपना लेकर आगे बढ रहे है... "सबका साथ सबका विकास",करने में और देश विदेश में भारतीयों का संन्मान बढाने में दिन रात मेहनत कर रहे है। और हम... मोदी विरोधी और भाजपा विरोधी मोदिजी औल भाजपा को ही बदनाम करने में जूटे है,इसका बहुत दुख दर्द होता है। विषेशत: हमारे कुछ हिंदु भाई भी उनकी टाँग अडाने की कोशिश में दिनरात लगे है, तो.....? दुखदर्द तो होगा ही ना? मन ही नही तो आत्मा भी तडप उठती है। सोचो भाईयों सोचो।जिसे ना घर है ना दार,वह इंन्सान न होकर समस्त भारतीयों को संन्मान का जीना देने के लिए, देवदूत जैसा दिनरात काम कर रहा है.. उसी महात्मा को कोसने में ही कुछ लोग धन्यता मान रहे है... यह बात हम देशवासियों के लिए और देश के लिए भयंकर है। अनेक सालों बाद हमें ऐसा योग्यतापूर्ण युगपुरूष मिला है, भाईयों, उसपर कीचड़ उछाल कर उस महात्मा को दुखी मत करो। उनको आत्मक्

श्रीमंत कोण

 माझी गरीबी मला प्यारी आहे ------------------------------------- नको राजमहालाचा हव्यास नको श्रीमंतीचा थाटमाट माझी झोपडी मला प्यारी आहे माझी गरीबी मला प्यारी आहे श्रीमंतीच्या थाटमाटात सगळ नाटक आहे राजमहालात अहंकाराचा दर्प आहे पण माझ्या झोपडीत मला नित्यदिन भगवंताचा सहवास आहे म्हणून नको मला राजमहाल नको ती अहंकारी श्रीमंती माझ्या झोपडीतच माझ राजऐश्वर्य आहे झोपडीत सुख आहे अन् महालात दु:ख आहे म्हणूनच मला माझी झोपडी प्यारी आहे कारण मी इथे माझ्या मनाचाच राजा आहे कुणाची हुजरेगिरी नाही अथवा कुणाची हांजी हांजी नाही म्हणूनच मी जगातला सर्वात श्रीमंत माणूस आहे ------------------------------------- विनोदकुमार महाजन

विश्व स्वधर्म संस्थान

 *विश्व स्वधर्म संस्थान का , कार्यविस्तार....* -------------------------------------- साथीयों, हमारे, " विश्व स्वधर्म संस्थान " , व्हाट्सएप ग्रुपपर देशविदेशों से अनेक संन्माननीय सदस्यों की उपस्थिति है। अब इसीमें से हमें जितना जल्दी हो सके,ग्यारह मान्यवरों का चयन करके एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाकर, कार्य को गती देनी है। सबसे पहले हमें माता महालक्ष्मी मंदिर निर्माण करके , वैश्विक कार्य के लिए,शक्ति को आवाहन करना है।इसमें सौ लोगों की रहने की संपूर्ण सुविधा उपलब्ध कर दी जायेगी। क्योंकि माता महालक्ष्मी के बिना कौनसा भी कार्य सफल नही हो सकता।और मैंने इसी कार्यों के लिए अनेक देवीदेवताओं के साथ,कोल्हापुर निवासी, माता महालक्ष्मी की साधना की है।और माता के आशिर्वाद भी प्राप्त किया है। हमारे वैश्विक संस्कृति पुनर्निर्माण हेतु ,  १) अनेक भाषाओं में इसी विषय को समाज जागृती लाने के लिए तथा सामाजिक सहयोग प्राप्त करने के लिए , अनेक किताबें लिखकर , उसे प्रकाशित करना। २ ) अनेक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक विश्व स्तर पर अनेक भाषाओं में डबिंग द्वारा अनेक फिल्मों का निर्माण करके विश्व

शक्तिशाली योजना चाहिए

 शक्तीशाली योजना चाहिए। ------------------------------- अपनी मंजील तक पहुंचने के लिए,उत्तुंग ध्येयपुर्ती के लिए, दृढ निश्चय और अथक प्रयत्नवाद तो चाहिए ही मगर इसके साथ भी मंजील तक पहुंचा देनेवाली सशक्त योजना भी तैयार होनी जरूरी होती है। जैसे की राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाना और उसमें कामयाबी हासिल करना हो, या फिर कोई उद्योग व्यावसाय बनाना हो, या फिर देश जब मुसीबत की घडी से गुजर रहा होता है तब... बिल्कुल ठंडे दिमाग से,शांती से क्रांति के मार्ग पर चलकर, धिरे धिरे योजना के तहत मंजिल तक पहुंचने के सदैव प्रयासों की शिकस्त करना। क्या आज भी देश को और संपूर्ण विश्व को शांती से क्रांति की जरूरत आ गई है? अहिंसा के मार्ग से,शक्तिशाली मार्ग से ... "विश्वपरीवर्तन", करना मुमकिन हो जायेगा? कंधे से कंधा मिलाकर, कदम कदम आगे बढेंगे तो...? सभी असंभव भी संभव होगा। हरी ओम। ------------------------------- --  विनोदकुमार महाजन।

संगठन हमारा

 संगठन हमारा, आल मिडिया प्रेस, देश के सभी पत्रकारों के लिए, बना है खास। देश के... "आल मिडिया"वालों का संरक्षण करता रहेगा सदा के लिए, चौबीस घंटो के लिए, यही है मेरे दिल में आंस अध्यक्षजी कुशवाहा सरजी का, है इसमें विषेश प्रयास। देश के कोने कोने से हर सदस्य, जुडे है..जुडते जा रहे है इस संगठन के लिए, खांसम खास। ऐसे शक्तिशाली संगठन को उंचाई तक आगे बढाने के लिए, आल मिडिया प्रेस के राष्ट्रीय सलाहकार, श्री.विनोदकुमार महाजन का, सदैव रहेगा प्रयास। प्रभुचरणों में आज ऐसी प्रार्थना करता हुं और मेरी लेखनी को अब मैं देता हुं विराम। हरी ओम। --  विनोदकुमार महाजन।

हिंदुराष्ट्र घोषित करो

 " *हिंदुराष्ट्र " त्वरित घोषित करो*  लोकसभा तथा राज्यसभा में यह " हिंदुराष्ट्र " है ऐसा घोषित किजिए और राष्ट्रपति द्वारा इसको प्रमाणित किजिए। इसके साथ ही , ऐसा भी घोषित किजिए की, यहाँ बहुसंख्यक हिंदु होने के कारण सभी कानून और नियम हिंदुहितों के ही बनाए जायेंगे।मानवता के नाते से सभी को यह निर्णय स्वीकार्य रहेगा।जो भी इसका विरोध करेगा, उसपर कानूनी कारवाई की जायेगी। इसके साथ ही,हिंदु संस्कृति, सभ्यता,संस्कार, देवीदेवता, साधुसंत,महापुरुष, ईश्वरी सिध्दांतों के खिलाफ कोई कृती करेगा, तो कानून के तहत वह घोर अपराध रहेगा और ऐसा व्यक्ति कठोर दंडनीय पात्र रहेगा। ऐसा होनेपर थोडे ही दिनों में देश का अराजक समाप्त होगा तथा देश समृद्धि और शांती,सद्भाव की ओर बढेगा। इसपर तुरंत अमल होने की अपेक्षा। हरी ओम्  *विनोदकुमार महाजन*

घर में घुसने की तैयारी

 घर में घुसने की तैयारी -------------------------------------- तालीबानी, हमारे दरवाजे पर खडा है, घर में घुसने की तैयारी में, सावधान हिंदुस्तानियों। गलतफहमी,बेसावधपन,बेपर्वाई घात कर सकती है। और आत्मघात साबित हो सकता है। क्योंकि घर में बसे हुए उनके समर्थक उनके लिए घर में बसाने का मौका ढुंड रहे है। परिणाम ❓⁉ भयानक, भयंकर, भयावह तबाही। देख रहे हो ना उधर क्या हो रहा है ? इसीलिए, सजग होकर,चौकीदार की शक्ति बढाईये भाईयों। समझ गये ना ? हरी ओम् -------------------------------------- विनोदकुमार महाजन

मोदिजी और तेजस्वी होंगे

 *मोदिजी अब और तेजस्वी होंगे  : - मेरी भविष्यवाणी* ------------------------------------- मोदिजी जब एकांत में भूतकाल में साधना कर रहे थे और नवराष्ट्र निर्माण की अनेक योजनाएं बना रहे थे,उस योजनाओं का सही दौर अब इसके आगे संपूर्ण देश को और सपूर्ण विश्व को देखने को मिलेगा। राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब मोदिजी, सत्य तथा ईश्वरी सिध्दांतों की जीत के लिए,उनकी अनेक सालों की योजना अनुसार अनेक जबरदस्त निर्णय लेंगे और उसपर तुरंत अमल भी करेंगे। संपूर्ण देश तथा संपूर्ण विश्व का अराजक समाप्त करने के लिए मोदिजी अब अनेक सत्य वादी देशों को एकत्र लाकर अनेक शक्तिशाली योजनाएं बनाकर वैश्विक स्तर पर उसका अमल करेंगे। लाल किले पर मोदिजी ने इसपर अनेक भविष्य का संकेत देनेवाली प्रभावी टिप्पणीयाँ भी की है। नवराष्ट्र निर्माण तथा विश्वगुरू भारत के कार्यों को मोदिजी द्वारा अब तेज गती दी जायेगी।और सख्त तथा कठोर निर्णय भी लिए जायेंगे। और यह सब ईश्वरी इच्छा के अनुसार ही हो रहा है। इसिलिए मेरे प्रखर राष्ट्रप्रेमी भाईयों,अब निश्चिंत रहिए।क्योंकी हमारा उज्वल भविष्य अब आरंभ होने जा रहा है। मूगल,अंग्रेज और काले अंग्र

अखंड हिंदुराष्ट्र कसे होते

 *अखंड हिंदुराष्ट्र, हा माझा ध्यास, श्वास, प्यास, मी माझे ध्येय गाठणारच.. विनोदकुमार.... ***जगभरात पसरलेल्या हिन्दू संकृतिची पाठमूळ -एकदा जरूर वाचा* *अक्षरशः हजारो मंदिरं, हजारो शिलालेख, हजारो शिल्पं, अनेक कागदपत्रं, हे सर्व आग्नेय आशियात पसरलेल्या भारतीय संस्कृतीचे पुरावे आहेत.* *पण, आपलं #दुर्दैव इतकंच की आपल्या शाळेत जाणाऱ्या मुलाला कोलंबस माहीत असतो, त्याने शोधलेली अमेरिका माहीत असते, अमेरिकेतली शहरं माहीत असतात, नेपोलियन माहीत असतो, वास्को-डी-गामा ही माहीत असतो. मात्र आपल्याच संस्कृतीला अभिमानाने मिरवणाऱ्या कंबोडियाची राजधानी माहीत नसते..! जावा-सुमात्रा, यवद्वीप, श्रीविजय, यशवर्मन, अंगकोर वाट.....वगैरे शब्द म्हणजे त्यांना ग्रीक किंवा हिब्रू भाषेतले शब्द वाटतात. कारण त्यांना कधी आपल्या विशाल सांस्कृतिक - धार्मिक साम्राज्याबद्दल सांगितलंच जात नाही..!* दक्षिण – पूर्व (म्हणजेच आग्नेय) आशियात आपली #भारतीय_संस्कृती आजही ठळकपणे दिसते, जाणवते. मात्र भारतीय संस्कृतीचा प्रभाव या भागावर केंव्हापासून पडायला लागला याबद्दल नक्की माहिती कुठेच उपलब्ध नाही. काही शिलालेखांमधून माहिती मिळते. पण या भ

बाप,आई आणी सद्गुरू

 हक्काने आरडावे ओरडावे, रागाने डोके बडवून घ्यावे, भांडावे आदळआपट करावी, तरी त्याबदल्यात प्रेमच मिळते तो बाप.... आणी, काळजावर कितीही आघात केलेतरी दुखा:त हंबरडा फोडून धावत येते अन् वेळप्रसंगी ह्रदयही तळहातावर काढून देते ती आई.... आणी जन्मोजन्मी सोबत राहून वारंवार मार्गदर्शन करून शिष्याला ईश्वरस्वरूप बनवते ती सद्गुरू माऊली.... अशी तीन नाती ज्याला लाभली, त्याच्या जन्मोजन्मीचे कोट कल्याण झाले असे समजावे. हरी ओम् विनोदकुमार महाजन.

ईश्वरी कार्यों के लिए

 *अगर हमें हमारे ईश्वरी कार्य में सफल होना है तो...*  -------------------------------------- काल ,समय बडा बलवान होता है साथीयों।और अगर हमें काल पर विजय हासिल करना है और हमारे ईश्वरी कार्यों में सफलता हासिल करनी है तो... चौबीसों घंटे सावधान रहना होगा,सतर्क रहना होगा।और बडे निश्चय से और हिम्मत से एक एक कदम हर दिन हमें आगे बढना ही होगा। केवर दुष्ट लोग ही हमारे रास्ते में बाधाएं डाल सकते है,ऐसा नही तो.... अनेक बिमारीयाँ,आर्थिक परेशानियां अथवा अन्य मार्गों से भी हमें मंजिल तक पहुंचने में बाधाएं उत्पन्न कर सकती है। रास्ते में ,सफर में विचित्र अपघात होना,काम करते समय साँप - बिच्छू का आगमन अथवा  खेतों में अनेक जंगली श्वापदों का उपद्रव होना,ऐसी अनेक प्रकार की बाधाओं को पार करके ही हर पल हमें आगे बढना ही होगा। इसके लिए अंतिम मुकाम हासिल होने तक बडे स्फूर्ति से खुद को कार्यों में झोंक देना होगा।और दूसरों को भी स्फुर्तीला बनाना होगा।हर एक का आत्मविश्वास, अंदर का आत्मचैतन्य जगाकर, निश्छल और दृढ होकर आगे बढना ही होगा। हमारे आसपास का वातावरण भी इतना स्फुर्तीला होना चाहिए की,हमें देखकर ही लोगों में चै

गोमाता

 *देशी गाय वाचवा,देश वाचवा... गौ माता को दान की नही सन्मान जरुरत है !!!*          *जगदीश गौड*        *२४ जून १८१३ म्हणजे 200 वर्षापूर्वी ब्रिटिश हाऊस ऑफ कॉमन्स मध्ये*  *"देशी गाय" नष्ट करून भारतीय गरीब कसे करायचे? यावर चर्चा होऊन बिल मंजूर झाले. भारताचा सहा महिने ब्रिटिश तज्ज्ञांनी अभ्यास केला, तेव्हा त्यांच्या लक्षात आले...* *१) भारत ९५ % शेतीप्रधान देश आहे. कारण इथली शेती अतिशय समृध्द आहे.*  *२) उत्तम धनधान्य मुबलक आहे. घरोघरी सोनं नाणं भरपूर आहे.* *३) या शेतीचा मुळ आधार आहे गाय, आणि ही गाय नष्ट झाली तर शेती व्यवस्था नष्ट होईल. व गरीब झालेले लोक ख्रिस्त होतील.*        *आणि यासाठी १८२० साली गाईंच्या कत्तलीसाठी पहिला कत्तलखाना कलकत्त्याला सुरू झाला, आणि त्यानंतर गोवंशाची बेसुमार कत्तल झाली. देश स्वतंत्र झाल्यावर सुध्दा कत्तली चालूच आहेत. गोमांसाचे (मीट ) महत्त्व  परदेशात वाढत गेले. यामुळं गेल्या २०० वर्षानंतर फक्त एक टक्का देशी गाय देशात शिल्लक आहे. हे एक आंतरराष्ट्रीय षडयंत्र होतं व त्याला आमच्याच राज्यकर्त्यांनी नंतर मोठ्याप्रमाणात सहकार्य केले आहे.*             *गोधन नष्ट

चक्रव्यूह भेदन

 ---   चक्रव्यूह भेदन   --- ------------------------------- भगवान ने हमें जन्म तो दिया है।जन्म मृत्यु तो भगवान के हाथ में है।चाहे मनुष्य हो या अन्य सजीव। मनुष्य जन्म मिलने पर हमें इच्छा आकांक्षाएं होती है। जैसे की,किसी को ऐश्वर्य कमाना है,तो कोई धन के लिए दिन रात दौड रहा है।किसिको नाम,इज्जत कमानी है तो किसिको यश चाहिए।तो अनेकों को इज्जत-प्रतिष्ठा चाहिए। किसिको संकटों से तुरंत छुटकारा, तो किसिको बिमारियों से मुक्ति चाहिए।तो किसिको नौकरी-धंदा-काम चाहिए। अनेक समस्या और समस्याओं से समाधान चाहिए। वह भी तुरंत। मगर प्रारब्ध, नशीब, संचित कर्म यह बात हमें छुटकारा नही देती।और अपेक्षित यश नही मिलता,हाथ में नही लगता।और हम नाराज हो जाते है। लगातार कोशिश करनेपर भी यश कोसों दूर रहता है तो आदमी हताश-निराश होकर नशीब को कोसता है और दुखों से तडपता रहता है। यह हकीकत है-मेरी आपकी, हम सभीकी। और अगर किसिका सपना बडा होता है...और सपना पूरा करने में अनेक रूकावटें आती है तो वह जीव थक हारकर, काफी हताश उदास हो जाता है। इंन्सान जब मुसिबतों के घोर चक्रव्यूह में पूरा फँस जाता है...और बाहर निकलने के लिए, दुखों से छुटक

महापुरुष

 जब धर्म डुबने की कगार पर होता है तब ईश्वरी इच्छा से बडे बडे महापुरुष धरती पर अवतीर्ण होते है... क्या आज भी मोदीजी, योगीजी रामदेव बाबा जैसे महापुरुष इसिलिए ही आज धरती पर ईश्वरी इच्छा से फिरसे अवतीर्ण हो गए है....? साथीयों, उत्तर आपको देना है हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

प्रलय आ रहा है ?

 अतीवृष्टी,बाढ,कोरोना जैसी भयंकर विपदाएं क्या ईश्वर का मनुष्य जाती को सुधरने के लिए दिया हुवा संकेत है...??? क्या इंन्सानों की अनेक गलतीयों की वजह से ... समस्त ईश्वरी सृष्टिसंतुलन खतरे में है...??? क्या प्रलय आरंभ हो गया है ? क्या ईश्वर सृष्टी निर्माण के नवसृजन के कार्यों में  पडदे के पिछे से अनेक शक्तिशाली योजनाएं बना रहा है ....??? भाईयों, उत्तर तो आपको देना है ! हाँ या ना ??? हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

फिर भी तु संत कैसे बन गया ?

 *फिर भी तु संत कैसे बन गया ?*  ( यह कोई व्यक्ति विशेष का उपरोध,विरोध या उपहास नही है,बल्कि सत्य कथन द्वारा समाज जागृती का प्रयास है।कानूनी विपरीत परिस्थिति निर्माण ना हो इसिलिए इसमें किसी व्यक्ति विशेष का उल्लेख टाल दिया है।बाकी मेरे समस्त देशवासी तथा राष्ट्राभिमानी इसका यथोचित मतितार्थ समझने में समर्थ होंगे,ऐसी आशा करता हुं। ) 👇👇👇 ऐसा कैसे तुने संत पद धारण किया ? सत्य, ईश्वरी सिध्दांतों को उखाड़ फेंकने का इसके आड में तुने क्यों नाटक किया ? अहिंसा के नाम पर हिंसक व्यक्ति, समाज, समुह को तुने क्यों आगे किया ? और सत्य वादियों को क्यों तबाह, बरबाद, नेस्तनाबूद किया ??? ऐसा खेला तुने क्यों किया ? इतना भयंकर, भयानक, भयावह धोका,विश्वासघात, दगा,कपट,छल तुने भोलेभाले देशवासियों के साथ बारबार क्यों किया ? सत्य और अहिंसा के नाम पर तुने असत्य और हिंसा का बीज क्यों बोया ? जानबूझकर तुने देश बरबाद क्यों किया...??? फिर भी तु संत कैसे बना ? बेईमानी, फरेब, धोकाधड़ी करनेवालों के हाथों में देश का पूरा कारोबार दिया। और इमानदार, सत्य प्रिय,सिध्दांतों पर चलने वालों को तुने धिरे धिरे समाप्त क्यों किया ??? अगर

श्रीकृष्णा, तु कुठे आहेस ?

 *कृष्णा, तु कुठे आहेस रे !* कृष्णा,सत्य तडफडत आहे, तु कुठे आहेस ? तु तर गोपालक,गोरक्षक आहेस ना रे ? मग तुझ्या गाई दररोज हजारों च्या संख्येने पृथ्वीतलावर तडफडत आहेत. त्यांना तडफडून मारलं जात आहे. त्यांच्या रक्ताचे.पाटचे पाट वहात आहेत. कृष्णा,दररोज त्या तुझं नांव घेऊन, टाहो फोडून, हंबरडा फोडून, तुला हाका मारतायत. तुला त्यांचा आर्त आवाज,हंबरडा ऐकू येत नाही का रे गोपाला ? कुठं आहेस तु कृष्णा ? निष्पाप जीवांना वाचवण्यासाठी तु धावून येणार आहेस की नाही रे बाबा ? कुठं आहेत तुझ्या भगवत् गीतेमधली ती वचनं ? एवढा दगडासारखा कठोर का बरे झालास देवा तु ? की पंढरपुरात विठ्ठल होवून डोळे मिटून घेतलेस ? एवढा कठोर, निष्ठूर नको नारे होवू भगवंता। डोळे उघड पांडूरंगा। धर्म रक्षणासाठी,सत्य रक्षणासाठी, अधर्माचा नाश करुन, निष्पाप जिवांना,हजारो, लाखो,करोडो गोमातेला अभय देण्यासाठी अवतीर्ण हो देवा आता। दुसरा पर्याय नाही पांडूरंगा। डोळे उघड। ज्वाला नारसिंव्हासारखं भयंकर उग्र रूप धारण करून, एकेक पापी,उन्मत्त, उन्मादी गौहत्या-यांना यमसदनी पाठवण्यासाठी ज्वाला होऊन धावत ये रे भगवंता, विठ्ठला,पांडूरंगा। गोमातेची करून हाक

भारतीय संस्कृती चा आदर्श

 *U turn!* ~~~~~~~           युरोपमधील फिनलंड या देशातील ही कथा. थॉमस मुर अँड कंपनी या नावाची प्रचंड मोठी आंतरराष्ट्रीय कंपनी.स्वतःची 55 मजली इमारत ही फक्त कंपनीचे ऑफिस होते.विशेष म्हणजे या कंपनीचे फक्त बारा संचालक होते. एकाच कुटुंबाचे हे सर्व सदस्य. होते.प्रत्येक सदस्या साठी. स्वतंत्र पाच मजली इमारती होत्या.या इमारतीं मध्ये मूर कुटुंबीय राहात होते. एकूण बावीस देशात कंपनीची कार्यालये होती. प्रत्येक ठिकाणी कार्यालयाच्या स्वतंत्र इमारती होत्या. सुमारे तीन लाख कर्मचारी कंपनीत काम करीत होते.कंपनीचे अनेक प्रकारचे व्यवसाय होते. फिनलँड मध्ये कंपनीचा स्वतंत्र विमानतळ होता. कंपनीची ३५ विमाने ठीक ठिकाणी जात असत. एवढ्या मोठ्या कंपनीचे व्यवस्थापन पाहणारा विल्यम मूर जगात उत्कृष्ट व्यवस्थापक म्हणून प्रसिद्ध होता.            त्याची बायको भारतीय वंशाची होती सुभद्रा असे तिचे नाव होते.विल्यम तिला सुबा या नावाने हाक मारीत असे. तिचा हि खूप मोठा सहभाग होता. कंपनीचा विस्तार गेल्या पाच वर्षात थांबवला होता. सर्व संचालकांनी सर्वानुमते हा निर्णय घेतला होता.इतकेच काय कंपनीने आपले शेअर्स आपल्या कर्मचाऱ्यांमध्ये व

पेड लगाओ,धरती बचाओ

 पेड लगाओ,धरती बचाओ। ------------------------------ सृष्टि संतुलन के लिए, प्राणीयों की रक्षा के लिए, आँस्किजन की मात्रा बढाने के लिए देश में ही नही तो संपूर्ण विश्व में अब पेड,जंगल बढने की और प्रयत्नपूर्वक बढाने की अती आवश्यकता आ गई है। इसी ईश्वरी उद्देश्य से प्रेरित होकर मैंने तथा मेरे कुछ मित्रोंने नियोजन पूर्वक पेड जंगल बढाने का अभियान आरंभ करने का संकल्प किया है। मेरा सभी राज्य सरकारें तथा केंद्र सरकार को आवाहन है की हमारे इस अभियान को बढाने के लिए सरकार की तरफ से पुरी सहायता की जायेगी। आम,इमली जैसे बडे तथा फल देनेवाले पेड कोई लगायेगा और पेडों की पूरी जिम्मेदारी से पालन पोषण करेगा,उसे हमारे संगठन द्वारा उचित मेहनताना दिया जायेगा... ऐसा हमारा संकल्प है। इस विषय में कोई अधिक सुचना करना चाहता है अथवा व्हाट्सएप ग्रुप पर आना चाहता है ,ऐसे मान्यवर कृपया मेरे व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क करें। पत्रकार श्री.विनोदकुमार महाजन, व्हाट्सएप नंबर... + 91 98903 49751 (हिंदुस्तान, भारत,इंडिया) नोट:- इसी कार्य को तेजी से बढाने के लिए राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाने की जरूरत है।जो भी व्यक्ति इस ई

हिंदवी स्वराज्य

 " *हिंदवी स्वराज्य "* निर्मीतीसाठी राजे शिवबांना जीवाला जीव देणारे , सर्वस्व समर्पित करणारे, बलिदान देणारे मावळे मिळाले. आज जर शिवबा पुन्हा जन्म घेऊन आले तर....? सर्वस्व समर्पित करणारे, बलिदान देणारे, जीवाला जीव देणारे... किती मावळे मिळतील ? निदान प्रोत्साहन देणारे तरी ? प्रेम देणारे ? तुम्हाला काय वाटतं ? योग्य वाटल तर,  *जरूर कळवा.*  विनोदकुमार महाजन