*सत्य सनातन धर्म कि अंतिम* *विजय ??* ✍️ २६०८ 🕉🕉🕉🕉🕉 चौ-याशी लक्ष योनियों में केवल मनुष्य प्राणीही प्रगल्भ , संपूर्ण विकसित और पूर्णत्व को प्राप्त करके , ईश्वर स्वरूप बननेवाला सजीव है ! इसिलिए ही ईश्वर ने सबसे हटकर , मनुष्य प्राणी का निर्माण किया है ! नर का नारायण बनकर , केवल आत्मोध्दार ही जीवन का अंतिम लक्ष नहीं है ! अथवा संपूर्ण मोक्षप्राप्ति यह भी जीवन का अंतिम उद्दिष्ट नहीं है ! इसके सिवाय भी , समाजोध्दार , राष्ट्रोत्थान , धर्म की जीत , अधर्मीयों पर और आसुरीक शक्तीयों पर प्रहार तथा संपूर्ण सजीव सृष्टि का कल्याण , तथा चौ-याशी लक्ष योनियों का पालकत्व , ईश्वरी सिध्दांतों की जीत , यही महान उद्दीष्ट पूर्ति के लिए ही , स्वयं ईश्वर ने ही मानवसमुह का तथा मनुष्य देह का निर्माण स्वयं परमात्मा ने किया हुवा है ! और इसके लिए एक आदर्श जीवनप्रणाली तथा उच्च सैध्दांतिक जीवन पध्दति द्वारा , सृष्टि का संपूर्ण कल्याण , साधने के लिए , स्वयं ईश्वर ने ही.... " आदर्श सनातन संस्कृति का निर्माण भी किया हुवा है ! " जो विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूलता में बदलकर , सत्य की और धर्म की अंतिम...