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हमारा पैसा

 " हमारा " पैसा चाहिए ? " हमारे " मठ मंदिरों का भी पैसा चाहिए ? और ?? " हमारे " पैसों से ही ? हमारा , हमारे सर्वनाश का सपना देखते हो ? ऐसी अनेक गुप्त योजनाएं भी चलाते हो ? वारे बेईमानों , नमकहरामों ,गद्दारों ! मगर हमारे सर्वनाश का तुम्हारा भयंकर सपना कभी भी पूरा नहीं होगा ! क्योंकि ? सत्य का रखवाला और  सृष्टि का विधाता दिनरात जागता रहता है ! और तुम्हारे जैसे भयावय उन्मादीयों का ऐन मौका आते ही सर्वनाश भी कर देता है ! युगों युगों से युगों युगों तक  संभवामी युगे युगे और तुम्हारे भयावय उन्माद के अंत का समय सृष्टिकर्ता के अनुसार नजदीक है ! उन्मादीयों सावधान !! चक्रधर भगवान श्रीकृष्ण की जयजयकार हो !! विनोदकुमार महाजन

सत्ययुग

 " मेरा " सत्य का , ईश्वर का , ईश्वरी सिध्दांतों का , कुदरत के कानून का , सनातन धर्म का , राज्य आरंभ हो रहा है ! सत्ययुग आ रहा है !! भयंकर , भयावय ,भयानक विनाशकारी , उन्मत्त , उन्मादी ,हाहाकारी कलीयुग के चंगूल से सत्य छूट गया ! अब अधर्म का भी नाश होगा ! अधर्मी , हाहाकारी , उन्मादीयों का भी संपूर्णत: सर्वनाश होगा ! धरती पर स्वर्ण युग लौटकर आयेगा !  धरती पर फिरसे सत्ययुग आयेगा ! सनातन का स्वर्णीम युग आरंभ होगा ! " रामराज्य " धरती पर फिरसे लौट के आयेगा ! अंधेरा छट गया ! सूरज निकल गया !! ।। सुर्य देवाय नमः ।। विनोदकुमार महाजन

गणेशजी

https://youtu.be/a4VljA-vEsU  My Puja  धनलाभ एवं ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए यहाँ होता है अनुष्ठान यह स्थान मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर से तकरीबन पांच कलोमीटर दूरी पर है ! यहां पर एक जागृत गणेश जी का मंदिर है ! धनप्राप्ति तथा ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए यहां पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है ! राजा विक्रमादित्य ने भी यहां पूजा की थी ! बनवास के समय जब यहां राम , लक्ष्मण और सीतामाता आये थे तब यहांपर तीनोंने एक ही स्थान पर पूजा की थी ! भगवान श्रीराम ने चिंतामणि गणेशजी की , लक्ष्मण ने इच्छामण गणेशजी की और माता सिता ने सिध्दीविनायक की पूजा की थी ! यहां पर तीनों गणेशजी एकसाथ विराजमान है ! चींता हरनेवाला चिंतामणि , इच्छीत फल देनेवाला , इच्छामण और हर प्रकार की सिध्दीयाँ देनेवाला सिध्दीविनायक यहां पर एकसाथ उपस्थित है ! इसीलिए यहां के पूजा विधान का विशेष महत्व होता है ! अष्ट ब्राह्मणों द्वारा मेरे नाम और गोत्रोच्चार से , मैंने भी यहां पर विशेष अनुष्ठान एवं अभिषेक कराया ! इस वीडियो में यह अनुष्ठान दिखाई देता है ! ।। जय गजानन श्री  गजानन ।। ।। गण गण गणात बोते ।। गणेशजी की आप सभी पर कृपा बनी रहे ! विनोदकुमा

तडपती मछली !

 *जलबीन मछली ?* ✍️ २५५१ ( बोधकथा ) 🦈🐟🦈🐟🦈🐟 एक थी मछली ! स्वच्छ समंदर में आनंद से विहार करनेवाली ! अमृतसागर में मस्त होकर रहनेवाली ! मगर ? एक लहर आ गई ! विनाशकारी लहर ! और उस आनंदी मछली को सागर के किनारे पर ले गई ! लहर वापिस गई ! गहरे समंदर में एकरूप हो गई ! निष्पाप मछली को समंदर के किनारे अकेला छोडकर ... जलबीन तडपने के लिये ... अनेक सालों तक... समंदर किनारे पर भटकने के लिए ,मौजमजा करने के लिए... अनेक लोग आते थे... हँसीमजाक करते थे ! तडपती हुई , अकेली , अनाथ मछली की ओर भी देखते थे.... और...चले जाते थे ! उस बेचारे मछली को , कर्मगति से तडपती मछली को ... ऐसा लगता था... कोई तो भी देवदूत आयेगा.. उस जलबीन तडपती मछली को अपने हाथ में लेकर , गहरे समंदर में छोड़ देगा... फिर से आनंद से विहार करने के लिए.... मगर अनेक साल बितते गये मछली तडपती रही ! ना समंदर में वापिस जा सकती थी ! और...? ना ही उसकी मृत्यु होती थी ! तडप और तडप ! कर्मगति का फेरा ! ईश्वर भी उस निष्पाप , निष्कलंक मछली को ना तो समंदर में पहुंचाने के लिए सहायभूत होता था ! ना मृत्यु देता था ! कर्म गति के उल्टे फेरे के आगे ईश्वर भी क्या

सुख के सब साथी ?

 *जब हम मुसिबतों में होते* *है ?* ✍️ २५५० 👆👇👆👇👆👇 जब हम मुसिबतों में होते है , चारों ओर से घोर मुसिबतों में फँस जाते है , दुखी मन हमेशा तडपता रहता है ... तब.... हमें ऐसा लगता है की , मुसिबतों की घडी में हमें कोई सहायता करें , आधार दें ! आर्थिक ना सही कम से कम दो प्रेम के शब्दों का आधार दें ! " चींता मत करना , ईश्वर सबकुछ ठीक करेगा ! " ऐसे दो शब्द बोलें ! ऐसे समय में ऐसे दो शब्दों के लिए , आत्मा तडपती रहती है ! मगर ऐसे पत्थरदिल समाज में , ह्रदयशून्य समाज में , हमारी अपेक्षा पूरी होना तो दूर की बात.... उल्टा हमारे कोमल ह्रदय पर , ह्रदयशून्य लोगो द्वारा , क्रूर समाज द्वारा , कुठाराघात होता है तब... सचमुच में मृत्यु भी अच्छी लगने लगती है ! चारों तरफ से घोर उपेक्षा , विडंबना , अपमान , मनस्ताप से ह्रदय भी घायल हो जाता है ! जिसके साथ जी जान से प्रेम किया , जीसके मुसिबतों की घडी में पहाड़ बनकर आधार दिया , वोभी हमारे मुसिबतों में और पीडा और नरकयातनाएं देते रहते है ...तब ? जीवन ही असह्य लगने लगता है ! मुसिबतों की घडी में साथ देना तो दूर की बात है , सब दूर ही भाग जायेंगे ! कुछ नामर्

सिरीअस ??

 *काम बंद ? रास्ता चालू ??*  ( *सिरिअस मैटर ?? )*  ✍️ २५४९ ❓❓❓❓❓❓ आज के लेख का विषय ? गंभीर ! सिरिअस मैटर ?? सारे प्रश्न ही प्रश्न !? उत्तर ? शून्य ? फिर वहीं विषय ? वैश्विक समस्या ! विनाशकारी राष्ट्रीय समस्याओं का भयंकर प्रश्न ? और...शायद वैफल्यग्रस्त वैश्विक मानवसमुह के पास  उत्तर ? हल ? ना के बराबर ! वैश्विक स्तरपर समस्त मनुष्य प्राणी इतने भयंकर गहरे चक्रव्यूह में फँस गया है कि , इसके बारे में , विचार करने के लिए भी , सामुहिक मनुष्य प्राणी के पास समय नहीं है ! समस्याएं , चिंताएं गहरी होती जा रही है ! वैश्विक समस्याएं ! और ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर , चर्चा करके यथोचित रास्ता निकालकर , समस्त मानवसमुह तथा समस्त सजीव सृष्टि को ऐसे विनाशकारी मुसिबतों से बाहर निकालने के लिए , ... शायद... सारे रास्ते बंद से हो गये है ! मतलब ? मुख्य काम बंद है मगर रास्ता तो चालू है ! संपूर्ण विश्व के जो दो चार प्रतिशत तत्ववेत्ता है , सृष्टि के हितचिंतक है , वह पुण्यात्माएं इस विषय पर जरूर विचार करेंगे !  मगर फिर भी , अगली रणनीति बनाना असंभव लगता है !? क्योंकि उन्हें एक करना , एक व्यासपीठ पर लाना भी असंभव है !

खेला होबे ??

 क्या ? दुनिया का अंत ?? निश्चित है ??? ✍️ २५४८ 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 अगर कल्कि आयेगा तो ? धरती का नब्बे प्रतिशत पाप जलाकर राख कर देगा ! ?? इसमें केवल पुण्यपुरूष ही बचेंगे ?? और अगर कल्कि नहीं भी आयेगा तो भी सुर्यदेव धरती के बढते भयंकर तापमान ( ग्लोबल वार्मिंग ) से ? सजीव सृष्टि को जलाकर भस्म कर देगा ?? इसमें भी आश्चर्यजनक तरीकों से केवल और केवल पुण्यपुरूष ही बचेंगे !?? क्या सचमुच में , पापियों  का थोडे दिनों का " खेला " बाकी बचा है ??? ईश्वर भी आखिर कबतक सहेगा ?? असत्य जब " खेला होबे " शुरू कर देता है तो ?? ईश्वर का " खेला होबे ?? " तो ? अतिभयंकर ही  होगा ना ??? विनोदकुमार महाजन 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩