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ईश्वर

 एक बात ध्यान में रखिए जब मुसिबतों की घडी में कोई साथ नहीं देता है तो      स्वयं ईश्वर दौडकर आता है ! विनोदकुमार महाजन

यश

 अगर जीवन में यशस्वी होना है तो , बच्चों जैसा छोटासा बनो , आज्ञाकारी बनो , अहंकार शून्य बनो , नम्र बनो , अज्ञान बनकर रहो ! विनोदकुमार महाजन

सुखी रहो

 स्वर्गीय प्रेम मत करना !! स्वर्गीय पवित्र ईश्वरी प्रेम करनेपर भी , जिन्होने नरकयातनाओं के सिवाय , कुछ दिया ही नहीं , आजीवन आँसुओं के सिवाय कुछ दिया ही नहीं , दुखदर्द में भी तडपाया , उनसे प्रेम करने से , उनके घर जानेसे , उनसे संबंध रखने से क्या फायदा ? इससे बेहतर यही होगा की , आजीवन उनसे दूरी बनाये रखकर , निरंतर ईश्वर से नाता जोड देना ! किसी से झगडा करने से बेहतर यही होगा की , हमेशा दूर चले जाना ! किसीसे भी संबंध नहीं रखना !  संपूर्ण संबंध विच्छेद ! हम भी सुखी , वो भी सुखी ! विनावजह का झगडा खतम होने से , कम से कम मन को शांति तो मिलेगी ? और झगड़े में ही व्यर्थ जीवन गवाँने के बजाए , वही मौलिक समय , ईश्वरी कार्य के लिए ही काम आयेगा ? जय श्रीकृष्ण !!! विनोदकुमार महाजन

सुखी जीवन

 *सुखी जीवन के लिए ?*   *मंत्र , तंत्र और यंत्र ??* ✍️ लेखांक २६०९ 🩷🩷🩷🩷🩷 सनातन संस्कृति में अनेक ऋषीमुनियों ने , सिध्दपुरूषों ने , महात्माओं ने अनेक प्रकार के संशोधन किए हुए है ! वह भी केवल तर्क संगत ही नहीं , बल्कि वैज्ञानिक कसौटियों पर भी खरे उतरने वाले , आश्चर्यजनक , हर युग में प्रभावशाली रहनेवाले , सप्रमाण अनेक प्रयोग किए गये है ! योग, प्राणायाम ,आयुर्वेद जैसे अनेक अद्वितीय संशोधन भी तो सनातन धर्म की , सभी के कल्याण के लिए , दी हुई देन तो है ही ! समस्त मानवसमुह के लिए , यह एक अद्भुत वरदान है ! सभी के सुखों का , सभी सजीव सृष्टि का कल्याण का विस्तृत मार्ग सनातन धर्म में सिखाया - बताया जाता है !  *इसीलिए सनातन धर्म महान* *है !*  मंत्र ,तंत्र और यंत्र यह भी एक सनातन धर्म की विश्व कल्याण तथा मानवकल्याण की ईश्वर निर्मित अद्भुत देन है !  *फिर भी सनातन धर्म के* *विरुद्ध अपप्रचार क्यों ?*   *वह भी जानबूझकर ??*  इससे प्रदत्त और ईश्वर निर्मित सनातन धर्म पर खरोंच भी नहीं आयेगी ! बल्कि सनातन धर्म के विरूद्ध अपप्रचार करनेवालों के , नौटंकीबाज मुखौट...

सत्य सनातन

 *सत्य सनातन धर्म कि अंतिम* *विजय ??*  ✍️ २६०८ 🕉🕉🕉🕉🕉 चौ-याशी लक्ष योनियों में केवल मनुष्य प्राणीही प्रगल्भ , संपूर्ण विकसित और पूर्णत्व को प्राप्त करके , ईश्वर स्वरूप बननेवाला सजीव है ! इसिलिए ही ईश्वर ने सबसे हटकर , मनुष्य प्राणी का निर्माण किया है ! नर का नारायण बनकर , केवल आत्मोध्दार ही जीवन का अंतिम लक्ष नहीं है ! अथवा संपूर्ण मोक्षप्राप्ति यह भी जीवन का अंतिम उद्दिष्ट नहीं है ! इसके सिवाय भी , समाजोध्दार , राष्ट्रोत्थान , धर्म की जीत , अधर्मीयों पर और आसुरीक शक्तीयों पर प्रहार तथा संपूर्ण सजीव सृष्टि का कल्याण , तथा चौ-याशी लक्ष योनियों का  पालकत्व , ईश्वरी सिध्दांतों की जीत , यही महान उद्दीष्ट पूर्ति के लिए ही , स्वयं ईश्वर ने ही मानवसमुह का तथा मनुष्य देह का निर्माण स्वयं परमात्मा ने किया हुवा है ! और इसके लिए एक आदर्श जीवनप्रणाली तथा उच्च सैध्दांतिक जीवन पध्दति द्वारा , सृष्टि का संपूर्ण कल्याण , साधने के लिए , स्वयं ईश्वर ने ही.... " आदर्श सनातन संस्कृति का निर्माण भी किया हुवा है ! " जो विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूलता में बदलकर , सत्य की और धर्म की अंतिम...

कृष्णशिष्टाई

 जब ? " कृष्णशिष्टाई " ' फेल ' हो जाती हे तब ? " महाभारत " आरंभ हो जाती है और आसुरीक शक्तियों का क्रूरतासे निर्दालन किया जाता है !! विनोदकुमार महाजन

तीर

 केवल एक ही तीर ऐसा चलायेंगे की जो विश्व के सभी अधर्मीयों का नाश करके ही रहेगा और सनातन संस्कृती को विश्व के कोने कोने में पहुंचायेगा !! विनोदकुमार महाजन