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Showing posts from February, 2022

सौ बार सोचो

 सौ बार सोचो... -------------------------- हमारे प्यारे हिंदुस्तान में रहनेवाले सभी धर्मीय भाईयों, एक बार नहीं सौ बार सोचो और फैसला लो। मेरे , आप सभी के पूर्वज अगर हिंदुही थे...रामभक्त ही थे... तो मतलब साफ है.... हम सब हिंदुही है। तो व्यर्थ का झगड़ा, नफरत क्यों ? राम से नफरत, हिंदुओं से नफरत मतलब साफ है.... खुद से नफरत। खुद के पूर्वजों से नफरत। और यह सब सरासर गलत है। तो.....??? मैं आप सभी को जाहिर आवाहन करता हुं की, आ जावो साथियों सनातन धर्म में वापिस। हिंदु धर्म में वापिस। हमारे घर में वापिस। इसीसे  ही सबका कल्याण है। हमारे देश की आन - बान - शान है। जोर से बोलो एकसाथ, हम सब हिंदु है। और सभी हिंदु एक ही है। एक ही ईश्वर की सब संतान। हरी ओम् ------------------------------ विनोदकुमार महाजन

कौन है भारत का विराथु ?

 कौन है भारत का... विराथु ??? --------------------------------- हर घर में जायेगा, मन मन को जगायेगा, ईश्वरी राज्य लायेगा, देशद्रोहियों का बहिष्कार करने के लिए... हर व्यक्ति को जगायेगा ? माथे पर भगवान का भगवा तीलक, हर दुकान, मकान पर भगवा ध्वज, लगाने को बताएगा ! रामराज्य के लिए वायुगती से कार्य आगे बढायेगा ! जागो हिंदुस्थानीयों ! मायावी अजगर चारों तरफ से शक्ति बढा रहा है ! सत्य, इमान, संस्कृति को निगलने की रणनीति बना रहा है ! और हम गहरी निंद में सो रहे है ! जब रात में " कश्मीर कांड " आरंभ हो जाता है तब हमारी निंद खुलती है ! अनेक आक्रमणकारी,लुटेरे, अत्याचारी आये ! संस्कृति तबाह करते गये ! संस्कृति भंजन करते रहे ! मंदिर गिराते रहे ! सत्य को जमीन के निचे दफनाते गये ! उफ् , ... फिर भी हम सोते रहे ! आपस में लडते रहे ! एक दूसरे का पाँव खिंचते रहे ! महापुरुषों को,समाजसुधारकों को.... पीडा, नरकयातनाएं देते रहे...!! उनका जीना हराम करते गये ! और खुद का अध:पतन करते रहे !!!! जातीपाती में बँटते गये,  समाज को कमजोर करते रहे, निजी स्वार्थ के लिए  अनेक राजकीय पार्टीयों में बँटते गये ! सत्ता, संप

भगवान की प्राप्ति

 भगवान की प्राप्ति आसान नहीं है, कठिन है। ------------------------------- सृष्टि रचियते भगवान को पहचानना आसान नहीं है।और उसे प्राप्त करना तो बहुत ही कठिन होता है।जनम जनम तक खडतर तपश्चर्या तो करनी पडती ही है।और उसके प्राप्ति के लिए सर्वस्व त्यागना भी पडता है।सर्वस्व समर्पित प्रेम ही भगवत् प्राप्ति की ओर ले जाता है।सर्वस्व समर्पित प्रेम होकर भी,भगवान किसीको युंही अपने नजदीक नही आने देता है।अनेक कठोर अग्नीपरिक्षाएं,सत्वपरिक्षिएं देनी होती है। इसीलिए यह कोई बच्चों का खेल नहीं है। और आज इंन्स्टंट जमाने में तो तुरंत फलप्राप्ति चाहिए लोगों को। आग में जलना पडता है ईश्वर प्राप्ति के लिए। मगर जो सद्गुरु के चरणों में समर्पित हो जाते है तो सद्गुरु, भक्त और भगवान को जोडते है।और भवसागर पार कराके ही देते है। इसके लिए सद्गुरु भी पहुंचे हुए चाहिए और चेला भी हार नही मानने वाला चाहिए।तभी आज्ञाचक्र में शिव-शक्ति का सुंदर मिलन हो जाता है।और सद्गुरु कृपा से चेला भी एकदिन ईश्वर स्वरूप हो जाता है। सो अहम्..सो अहम्.. मगर हर जिव मोह माया, धन वैभव,यश किर्ती, मान सन्मान, अपमान अहंकार में,माया के मोहमई बाजार में इ

कमल का फूल

 लक्ष्मीजी का वास कमल पर सुखसमृद्धि के लिए लक्ष्मी माता चाहिए और इसके लिए कमल फूल की सख्त जरूरत है। कमल का फूल,हटा देगा जीवन की सारी सारी धूल। समझे या नही ? घर घर में सुखसमृद्धि, आनंद, वैभव लाना है... घर को खुशहाल बनाना है... देश को भी समृद्ध बनाना है... देश को भी आगे ले जाना है... तो साथीयों, कमल का फूल ही चुनना बहुत जरूरी है,सख्त जरूरी है। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

अरे देवा

 जीवन!!!!! ------------------------------- आज मनुष्य जीवन बहुत ही संघर्ष मय हो चुका है।कुछ पाने के लिए, जीवन में अनेक उंचाईयों तक पहुंचने के लिए, संघर्ष तो करना ही पडता है। मगर सभी को एक संघर्ष हरदिन, नितदिन तो करना ही पडता है। पेट के लिए संघर्ष।जीवन जीने के लिए संघर्ष।पैसा कमाने के लिए, घर खरीदने के लिए आज हर एक को भयंकर संघर्ष करना पड रहा है। भाईयों, सचमुच में यह पेट ही नही होता तो क्या इतना संघर्ष करना पडता? भगवान भी कमाल का है।एक पेट क्या इंन्सानों को दिया, सजीवों को दिया और उसमें ही सभी को अटकाया। मनुष्य छोडकर तो बाकी जीव सचमुच में सुखी ही है। कैसे? देखो,ना उन्हे पैसा कमाना पडता है।ना घर बांधना पडता है।ना सोना चांदी।ना गाडी माडी।ना मान ना अपमान। ना उन्हें बिडी लगती है,ना सिगारेट, ना दारू,मटका, जुगाड़, ना मावा गुटखा।ना तमाकू ना चरस गांजा। भगवान ने जैसा दिया वैसा मस्त,आनंद से,मस्ती से जीना।जमीन पर ही सोना। फिर भी भुके पेट के लिए उन्हे भी संघर्ष तो करना ही पडता है। और इंन्सान? मान-अपमान, लोभ-मोह,स्वार्थ-माया, मेरा-तेरा,मद-अहंकार।न जाने कितने प्रलोभन। और बदले कि आग!!! हुश्य.....!!!!!!

हमारे रिश्तेदार

 हमारे रिश्तेदार ------------------------------------ हमारे सच्चे रिश्तेदार कौन ? केवल एक जनम में ही साथ रहनेवाले हाडमांस के रिश्तेदार ? या फिर आत्मतत्त्व से जुडकर जनम जनम साथ देनेवाले आत्मीय रिश्तेदार ? अगर हम स्वर्ग से धरती पर आये है तो... हमारे रिश्तेदार भी स्वर्गीय, दिव्य,भव्य,सुंदर,निरपेक्ष जैसे ही होंगे। जितने भी देवीदेवता पृथ्वी पर आये है,वह सभी भी हमारे रिश्तेदार ही है।दिखते तो नही,मगर हरपल नई आत्मप्रचिती तो देते ही रहते है। निरंतर दिव्य प्रेम तो देते ही रहते है।अनेक अनुभूतियां तो बारबार देते ही रहते है। मेरे आण्णा,मेरी गोजरमाय,मेरी माई,मेरा भगवान श्रीकृष्ण, मेरी गोमाता, मेरा ग्रामदैवत खंडोबा, नारायण, दत्तात्रेय, गजानन महाराज, रामदास स्वामी, कल्याण स्वामी, मेरी कोल्हापुर की माता महालक्ष्मी, ज्वाला नारसिंह, मेरा हनुमान, मेरे सोनारी के कालभैरव नाथ,जोगेश्वरी,मेरे बार्शी का भगवंत, पांडूरंग, ज्ञानराजा ऐसे अनेक देवी देवता मेरे असली रिश्तेदार है।और मुझे हर सुखदुखों में सहयोग, प्रेम करते ही है। यह एक उच्च प्रेम की उच्च अनुभूति है। आप भी ऐसा उच्च कोटि का देवताओं पर पवित्र ईश्वरीय प्रेम

षट्चक्र भेदन

 #मानव_शरीर_में_सप्तचक्रों_का_प्रभाव 1. #मूलाधारचक्र :  यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।  मंत्र : लं  चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है- यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।  प्रभाव :  इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है। 2. #स्वाधिष्ठानचक्र-  यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से 4 अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी 6 पंखुरियां हैं। अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रध

स्वर्ग को वापस लौटने से पहले

 *स्वर्ग को वापस लौटने से* *पहले...*  ------------------------------------ स्वर्ग ही हमारा घर है।और यहाँ पृथ्वी पर ईश्वरी इच्छा से हम यहाँ की ड्यूटी पूरी करने के लिए ही आये है। और हमारी ड्यूटी पूरी करके ही हमें हमारे घर को वापस लौटना है। कोई मृत्यु के बाद मोक्षप्राप्ति करेगा,कोई फिरसे अधूरा ईश्वरी कार्य पूरा करने के लिए फिरसे पंचमहाभूतों का मनुष्य देह धारण करके पृथ्वी पर वापस लौट आयेगा।या फिर पापपुण्य के हिसाब के अनुसार चौ-याशी लक्ष योनियों मे घुमता रहेगा। पिछला जनम किसीको याद भी नहीं रहेगा। केवल महासिध्दयोगी अथवा देवीदेवताओं को ही पिछला अधूरा कार्य याद रहेगा। मृत्यु तो हर एक की एक दिन होनी ही है।मृत्यु क्या है ? देहत्यागने का अर्थ ही मृत्यु है।मगर आत्मा तो अमर है। और हम सभी को मृत्यु पुर्व ईश्वरी कार्य पूरा करके ही स्वर्ग को वापिस लौटना है। सत्य की जीत,सत्य सनातन की जीत,ईश्वरी सिध्दांतों की जीत यही हमारा दाईत्व है,जो हमें पूरा करना है। अनेक पवित्र आत्माएं धर्म कार्य के लिए समय की जरूरत के अनुसार पृथ्वी पर दिव्य देह धारण करके आती है।और गुप्त रूप से सत्य की जीत के लिए, ईश्वरी सिध्दांतों

आँखें खोल

 *आँखें खोल प्राणी !!!*  🕉🚩🕉🚩🕉🚩 संपूर्ण ब्रम्हांड, सभी देवीदेवता, साक्षात स्वर्ग भी... हमारे अंदर ही समाया है...! सो अहम् ...सो अहम्... अहम् ब्रम्हास्मी... चर्मचक्षु नही बल्कि ज्ञानचक्षु खोलेंगे तो... सभी रहस्य खुल जायेंगे...! अंतरात्मा में बसा है मेरा सुंदर सुंदर राम... रोम रोम में बसा है मेरा प्यारा प्यारा शाम... यही है हमारा आत्माराम आँखें खोल प्राणी !!! आँखें खोल....! हरी ओम् 🕉🚩🕉🚩🕉🚩  *विनोदकुमार महाजन*

मेरे हिंदु भाईयों

 मेरे हिंदू भाईयों। ----------------------------- देश के मेरे प्यारे सभी हिंदू भाईयों, हमारी संस्कृति, इतिहास, अस्मिता,ईश्वरी सिध्दांत बचाने और बढाने के लिए, सच्चाई कि जीत के लिए, सारे मतभेद, जाती पाती का भेद भुलकर तन-मन-धन से एक हो जावो,संगठित हो जावो।समय कठिन है।हमारे ही देश में हम बहुसंख्यक होकर भी अत्याचार सह रहे है।हमारे देवी देवताओं का अपमान सह रहे है। मगर...अब...यह... नही चलेगा।और हम न ही चलने देंगे। इसीलिए हमें अब हिंदुत्व के झंडे के निचे एक होना ही है। अगले लोकसभा चुनाव के लिए अब हमें,हमारे हर हिंदुत्ववादी संगठन को सुसज्ज होना है। सबसे पहले हमें अती शिघ्र सभी सज्ञान हिंदू मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने ही है।इसके बाद सभी को अस्तित्व के लिए, हर एक को प्रेमसे मतदान के लिए, बाध्य बनाना ही है।और मतदान भी हमें मतभेद भुलकर केवल और केवल हिंदुत्ववादी राष्ट्रीय पार्टी को ही करना है। विशेषत:ग्रामीण इलाके और कम शिक्षीत या अध शिक्षीत इलाकों में जाकर, उन्हे मतदान का महत्व अभी से बताना है।और मतदान के लिए मतदान चिन्ह को भी बारबार रिपीट करना है। इसके लिए सभी हिंदुत्ववादी संगठन तुर

हनुमंता

 हनुमंता। ----------------------------- हे हनुमान, तु तो चिरंजीव है।तेरा अद्रश्य जागृत चैतन्य आज भी शक्ति बनकर नभोमंडल में घुमताहै।तेरा चैतन्य, तेरा तेज आज भी जागृत है। जनमते ही तु तो सूर्य को फल समझकर खाने को गया था।रावण की लंका को भी तुने आग लगाई थी। फिर आज ही तेरा तेज,तेरी आग कहाँ है।हे मेरे प्रभु, तु तो भक्तों के साथ आज भी बोलता है,बाते करता है,चमत्कार करता है। कभी कभार मुझे भी तु चमत्कार दिखाता है। इतना होने के बावजूद भी तेरे प्यारे रामलला का मंदीर शिघ्र बनाने में तु सहायता क्यों नही कर रहा है?अधर्मी,पापीयों को सजा क्यों नही दिला रहा है।उनके पाप की लंका जलाकर खाक क्यों नही कर रहा है? कहाँ है तेरा चैतन्य, तेरी आग,तेरा तेज? हे हनुमान, अब अधर्म का अंधेरा मिटाने के लिए, दौडके चला आ जा।उन्मत्त पापीयों का नाश करने के लिए, पृथ्वी का पाप का बोझ हल्का करने के लिए, तेरी शक्ति दिखा। तेरे रामजी के सिध्दांतों की जीत के लिए, भगवन्, सामर्थ्य दिखा। लक्ष्मण को बचाने के लिए तुने,संजीवनी बूटी के लिए, द्रोणागिरी पर्बत ही उठा लाया था। आज फिर से वही शक्ति दिखा महाबली। ओम हं हनुमते नम:। जय श्रीराम। हरी

खबरदार

 खबरदार किसीने हिंदू धर्म और देवी देवताओं को बदनाम किया तो।। ------------------------------- भाईयों, हम हिंदू धर्म प्रेमी,सभी देवताओं से प्रेम करते है।सभी धर्मों से प्रेम आदर ही करते है।हम इंन्सानियत, मानवता प्रेमी भी है।हम निसर्ग प्रेमी भी है।हम धरती माता और माँ भारती पर भी प्रेम करते है।हम सभी पशुपक्षियों पर भी जी-जान से प्रेम करते है।इसीलिए गाय हमारी माता है,और नाग भी हमारी देवता है। हम सहिष्णु है।सभी धर्मों का आदर भी जी-जान से करते है। और यह सत्य भी है। अगर इतना होने के बाद भी हमसे अगर कोई बैर करता है,हमारी संस्कृति-सभ्यता-मंदिरों को नष्ट करने का सपना देखता है-तो यह भयंकर ही नही तो,अती भयंकर है। हमारे प्रेम अमृत के बदले अगर विनावजह हमें कोई नफरत का जहर देता है,हमारे धर्म को-देवी देवताओं को बदनाम करता है तो??? तो यह अन्याय अत्याचार ही है।और हम अब अन्याय अत्याचार नही सहेंगे।बस्स...बहुत हो चुका। इसिलिए मैं सभी को नम्र निवेदन एवं आवाहन करता हुं की,अब कोई हमारे धर्म को और देवी देवताओं को बदनाम मत करों। यह एक कानुनन अपराध भी है।और हिन्दू अब जाग भी चुका है। हरी ओम। -----------------------

नारसिंव्हा

 नारसिंव्हा अब जाग भी जा। ----------------------------- हे विष्णु अवतारी तेजस्वी नारसिंव्हा, कहाँ है तेरा तेज?कहाँ है तेरी आग?कहाँ है तेरी ज्वाला? धर्म संकट में है।अधर्म की आग चारो ओर से बढ रही है।इंन्सानियत खतरे में है।ईश्वरी कानून को पापीयों ने घेर दिया है। हे नारसिंव्हा, पापी हिरण्यकश्यपु जैसे उन्मादी सैतान,हैवान हैवानियत बढा रहे है। हे मेरे भगवन्, कहाँ है तेरा तेज?कहाँ है तेरी आग? अब धर्म रक्षा के लिए, अधर्म के नाश के लिए, पापीयों के नाश के लिए संपूर्ण विश्व को तेरी जरूरत है। हे ज्वाला नारसिंव्हा अब देर मत कर।फिरसे लौटकर आ जा। पाप का कहर,पाप का आतंक, पाप का उन्माद बढ रहा है। हे मेरे भगवान, अब तेरा ही सहारा। अब तुही पापी उन्मादीयों का तुरंत और संपूर्ण नाश कर।नामोनिशान मिटा दे तु पाप का। और अब तो तुझे आना ही पडेगा।वचन गीता वाला तुझे निभाना पडेगा। हरी ओम। ------------------------------- --  विनोदकुमार महाजन।

स्वर्ग

 स्वर्ग।!!!!!!!🕉 ----------------------------- जहाँ पावित्र्य होता है,मांगल्य होता है,श्रेष्ठत्व होता है,भव्यत्व-दिव्यत्व होता है,जहाँ दिव्य प्रेम होता है,जहाँ ऐश्वर्य होता है,जहाँ हमेशा शुभ ही होता है ,जहाँ अमृत होता है,और जहाँ शुध्द आत्माओं का विचरण होता है,जहाँ जन्म-मृत्यु का भय नही होता है,जहाँ देवत्व होता है,जहाँ सच्चाई-अच्छाई, नेकी ही सदा के लिए श्रेष्ठ होती है-वही स्वर्ग होता है। कुछ ज्ञानेश्वर, तुकाराम, रामदास स्वामी, शंकराचार्य, अक्कलकोट स्वामी, गजानन बाबा जैसे पवित्र आत्मे जब स्वर्ग से सिधे पृथ्वी पर अवतीर्ण होते है,पंचमहाभूतों का देह धारण कर लेते है,विश्वोध्दार,समाजोध्दार,मानवता की जीत,ईश्वरी कानून की पुनर्स्थापना करने को,पृथ्वी का स्वर्ग बनाने के लिए अवतरित होते है..... तब...... यहाँ का स्वार्थ, मोह,अहंकार, अधर्म का अंधियारा, पैसों का बाजार, मेरा तेरा जैसा कनिष्ठ नारकीय जीवन देखकर बहुत दुखी होते है।पछताते है।साक्षात अमृतसागर में नहाने वाले ईश्वरी आत्मे जब मनुष्यों के अंदर की गंदगी की वजह से जब परेशान होते है-परोपकारी जीवन की बजाए यहाँ का अत्यंत भयंकर और भयानक स्वार्थी इंन्

विश्व हिंदु संगठन

 संपूर्ण देश के और संपूर्ण विश्व के सभी हिंदुओं को वायुगती से एक करके अंतरराष्ट्रीय शक्तिशाली हिंदु संगठन अब बनेगा ! विनोदकुमार महाजन

ये भी दिन जायेंगे

 प्यारे,ये भी दिन जायेंगे। ------------------------------ दोस्तों,जीवन क्या है?आस निराश का खेल है।सुख दुख का बडा ही अजब मेल है। कैसे.....? देखो,हम हरदीन, हर समय बडे ही आशा से जीवन जिते है।जैसे की,एक दिन हमारा भि दुख भाग जायेगा।हमारे भी एक दिन सचमुच में सुख के दिन आ जायेंगे।है ना दोस्तों? और.....? सुख का ईंतजार करते करते जिंदगी यों ही गुजर जाती है।यही तो आस निरास यह खेला जिवनभर चलता ही रहता है।धुपछाँव जैसा। सुख आता भी है कभी कभी।और तुरंत निकल भी जाता है हातसे।देखते देखते।और दुख...?पिछे हटता ही नही है। इसिलीए मन भी कभी कभी चिंता में रहता है।बडा विचित्र होता है यह मन भी।दिखता तो नही है।मगर सताता तो रहता ही है।मन का नियमन करने के लिए,उसे नियंत्रण में रखने के लिए आध्यात्मिक साधना ही एक शुध्द रास्ता है दोस्तों। और अगर मन ही नियंत्रण में आ गया तो सभी समस्याएं खत्म।दुनिया हिलाने की शक्ती रखता है यह मन।नामुमकीन को भी मुमकीन में बदलने की क्षमता रखता है यह मन। तो मेरे प्यारे प्रिय मित्र,क्यों व्यर्थ की चिंता करता है?मुसीबत के दिन भी गुजर जायेंगे।यह भी दिन जायेंगे।हँसते हँसते कट जायेंगे रस्ते। क्य

नामजप

 *💐💐भगवान नाम की महिमा💐💐* एक अनपढ़(गँवार) आदमी एक महात्मा जी के पास जाकर बोला ‘‘महाराज ! हमको कोई सीधा-साधा नाम बता दो, हमें भगवान का नाम लेना है। महात्माजी ने कहा- तुम ‘अघमोचन-अघमोचन’ ("अघ" माने पाप, "मोचन" माने छुड़ाने वाला) नाम लिया करो ।’’  अब वह बेचारा गाँव का गँवार आदमी "अघमोचन-अघमोचन" करता हुआ चला तो पर गाँव जाते-जाते "अ" भूल गया। वह 'घमोचन-घमोचन" बोलने लगा। एक दिन वह हल जोत रहा था और "घमोचन-घमोचन" कर रहा था, उधर वैकुंठ लोक में भगवान भोजन करने बैठे ही थे कि घमोचन नाम का उच्चारण सुन उनको हँसी आ गयी। लक्ष्मीजी ने पूछा-‘प्रभू! आप क्यों हँस रहे हो ? भगवान बोले- आज हमारा भक्त एक ऐसा नाम ले रहा है कि वैसा नाम तो किसी शास्त्र में है ही नहीं। उसी को सुनकर मुझे हँसी आ गयी है। ‘‘लक्ष्मी जी बोली- प्रभू! तब तो हम उसको देखेंगे और सुनेंगेे कि वह कैसा भक्त है और कौन-सा नाम ले रहा है।’’ लक्ष्मी-नारायण दोनों उसी खेत के पास पहुँच गए जहाँ वह हल जोतते हुए "घमोचन-घमोचन" का जप कर रहा था ।  पास में एक गड्ढा था भगवान स्वयं तो वहाँ छ

रहस्य

 रहस्य।!!!!! ----------------------------- जि हाँ भाईयों, रहस्य।आजादी के बाद का रहस्य। आजादी के पहले हमारे साथ अनेक अत्याचारी आक्रमणकारियों ने हमारे संस्कृति के साथ अत्यंत क्रुर अन्याय, अत्याचार किए।और ऐसा लगा की आजादी के बाद हमें, हमारी संस्कृति को यथोचित न्याय मिलेगा। मगर....न्याय मिलना तो दूर अनेक भयंकर रहस्यमयी घटनाएं हमारे देश में हो गई।आईये जानते है। (1)योग्यता अनुसार, मतदान अनुसार, लोकप्रियता अनुसार सरदार वल्लभभाई पटेल प्रधानमंत्री बनने के बजाय भी क्यों नही बने? (2)सुभाषचंद्र बोसजी की अत्यंत श्रेष्ठ योग्यता होने के बाद भी उनके साथ अन्याय क्यों हुवा?उनके रहस्यमयी मृत्यु की अभितक सच्चाई बाहर क्यों नही आई? (3)लालबहादुर शास्र्तीजी के साथ अनेक रहस्यमयी घटनाएं कैसे हो गई? (4)सावरकरजी को जानबूझकर बदनाम क्यों और किसने किया? (5)करपात्री महाराजजी को किसने और क्यों धोका दिया? (6)जानबूझकर संस्कृति, संस्कारों को,ईश्वरी सिध्दांतों को बदनाम करने की मुहीम किसने चलाई? (7)शिवाजी महाराज जैसे महापुरुषों को,हमारे आदर्श युगपुरुषों को जानबूझकर किसने षड्यंत्र के तहत बदनाम किया? (8)हमारे देवी देवताओं को

दुर्लभ दर्शन

 दुर्लभ दर्शन... झोपडी में रहकर खुद... रूखी सुखी रोटी खाकर केवल एक आशिर्वाद से दुसरों को करोडपती बनाते है दुखितोंको दुखमुक्त बनाते है ऐसे महासिध्दयोगीयों के दर्शन बहुत ही दुर्लभ होते है जिसे भी ऐसे महापुरूषों के दर्शन हो गये... समझो,उसके भाग्य के दरवाजे खुल गये... ऐसे दुर्लभ दर्शन ढुंडने से नही बल्की पुण्यसंचय से ही मिलते है... हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

अलग देश देकर भी

 अलग से मुस्लिम देश भी दिया यहाँ भी रहने के अधिकार दिये यहाँ जादा अधिकार भी दिये हमारे मंदिरों के,टैक्स के पैसों से पालन पोषण भी किया हमने एकपत्नी का स्विकार भी किया तुम्हें जादा.पत्नी और बच्चों के अधिकार भी दिया भाईचारा निभातेनिभाते तुम्हारी संख्या भी बढा दी... और उपर से तुम्हारी भयंकर दादागिरी ??? दादागिरी करनी है तो पाकिस्तान चले जाव ना यहाँ हमें पिडा, तकलीफ देने को रहते हो ? कितने दिन तुम्हारे अत्याचार सहेंगे ??? अब तुम्हारी दादागिरी नही सहेंगे क्योंकि हिंदु अब जाग गया है

दो बदमाश

 आजादी के बाद दो महाबदमाशों ने सत्ता हतीयाई मुसलमानों को अलग देश देकर भी यहाँ भी जादा अधिकार दिये और आज का देश का भयंकर अराजक उसी गलतीयों का भयंकर नतीजा है तो बतावो, देश को बर्बाद करनेवाले नौटंकीबाज वह दो महाबदमाश कौन ???

अगस्त क्रांति

 अगस्त क्रांति की करो तैयारी आ रहे है भगवाधारी एक ही नारा एक ही ध्यास हिंदुराष्ट्र का निर्माण का है अट्टाहास गली गली में शोर है हिंदुराष्ट्र निर्माण का जोर है लक्ष्मण बालयोगीजी का है जोरों का प्रयास अगस्त क्रांति का है पूरजोर प्रयास... नया यूग नया जमाना का अब हो रहा है... चारों तरफ एहसास.. हरी ओम् विनोदकुमार महाजन