दुनियादारी
अजब की दुनियादारी है दोस्त, ना जीने देगी, ना मरने देगी !!! ✍️ २१८६ विनोदकुमार महाजन -------------------------------- दुनियादारी ! मनुष्यों की ! बडी अजब गजब की है ये दुनियादारी ! ना जीने देगी, ना मरने देगी ! किसी को भी सुखचैन से नही जीने देगी,इसी का नाम ही दुनियादारी है दोस्त ! संभल के रहना, बचके रहना ! कोई सुख में जी रहा है, तो दुनियादारी, दुनियावाले लोग उसे सुख शांती से जीने नहीं देंगे ! और अगर कोई मुसिबतों में है,दुखदर्द, पीडा झेल रहा है , तो...? तो भी यही दुनियावाले, उसे और जादा पीडा,यातना, दुखदर्द, आत्मक्लेश देंगे ! मुसिबतों के बूरे दौर में,विचित्र क्षणों में,कोई सहारा देनेवाला नहीं मिलेगा ! मगर पग पग पर पीडा देनेवाले ,रूलाने वाले बहुत मिलेंगे ! अश्रु पोंछने वाला शायद कोई नहीं मिलेगा ! मगर अश्रु देनेवाले ही बहुत कुछ देखने को मिलेंगे ! मुसिबतों के दौर में,दूरसे तमाशा देखने वाले और हँसकर बरबादी देखनेवाले भी बहुत कुछ मिलेंगे ! शायद, जिसे हम हमारा समझ रहे थे,उसके मुसिबतों में हम उसका सहारा बने थे,शायद ऐसे लोग भी ,हमारे मुसिबतों के क्षणों में दूर भाग जायेंगे, दूरसे तमाशा देखेंगे ! अथवा