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Showing posts from April, 2023

फर्जी लोग

 फर्जी लोगों को ढूंढना पडेगा ! ✍️ २२५२ विनोदकुमार महाजन ***************** हम हिंदु...!! बडे दयालु , सहिष्णु ,परोपकारी ,क्षमाशील ! ईश्वरी सिध्दातों के अनुसार चलनेवाले ! सदैव सभी का भला चाहनेवाले ! शत्रु पर भी दया दिखानेवाले ! इसिलिए तो पृथ्वीराज चौहान जी ने , मोहम्मद घोरी को अनेक बार जीवनदान दिया ! और मोहम्मद घोरी ने पृथ्वीराज जी के साथ क्या किया ? छल , कपट, धोखा ? विश्वासघात ? क्रौर्य ही दिखाया ना उसने ? हम प्रतिघात करना नहीं जानते है ? अती सहिष्णुता के कारण ?? इसिलिए ऐसा होता आया है ! मगर हमें अब बदलना ही पडेगा ! हम तो सभी धर्म - पथ - पंथो पर भी सदियों से, सदैव निरपेक्ष प्रेम ही करते आये है ! सभी को सहयोग ही करते आये है ! बदले में हमें क्या मिला ? छल , कपट , विश्वासघात ? पृथ्वीराज चौहान जी की तरह ? हम सदीयों से षड्यंत्र का शिकार ही बनते आये है ? आखिर ऐसा क्यों ? प्रेम के बदले में , षड्यंत्र क्यों ? और कितने दिनों तक ? दयालु भाव से , " जिनको " , हमने शरण दी , वहीं हमारा " नामोनिशान " मिटाने के लिए , चौबीसों घंटे षड्यंत्र करते रहेंगे तो ? हम मौन और शांत क्यों और कैसे

जी हाँ,मैं ब्राह्मण हूं !

 जी हाँ,मैं ब्राह्मण हूं !! ✍️ २२५१ विनोदकुमार महाजन ------------------------------- जी हाँ ,मैं ब्राह्मण हूं ! और ब्राह्मण कौन होता है, यह मैं आज बता रहा हूं ! सभी का अखंड कल्याण चाहनेवाला और सभी का अखंड कल्याण ही करनेवाला ब्राह्मण होता है ! संपूर्ण ब्रम्हांड में व्याप्त ईश्वर को खोज निकालकर,ईश्वरी वरदान प्राप्त करके, सभी का कल्याण चाहने वाला ब्राह्मण होता है ! सभी सजीवों में एकसमान आत्मतत्व देखकर, सभी को ईश्वर मानकर, उसको पूजनेवाला,मैं ब्राह्मण हूं ! धधगता ईश्वरी तेज,मैं ब्राह्मण हूं ! ब्रम्ह को भी ढूंढकर,ब्रम्हज्ञानी बननेवाला मैं ब्राम्हण हूं ! अठरा पगड जनजातीयों से,सभी धर्मों से,सभी मथ - पथ - पंथों से निष्पाप, निष्कलंक प्रेम करनेवाला मैं ब्राह्मण हूं ! नफरत का भयंकर जहर हजम करके भी,सभी का कल्याण चाहनेवाला और सभी के कल्याण के लिए, ईश्वर से अहोरात्र प्रार्थना करनेवाला मैं ब्राम्हण हूं ! ब्राह्मण परशूराम का धधगता तेज हूं ,और फिर भी, क्षत्रिय राम और कृष्ण की जी - जान से भक्ति, प्रेम करनेवाला, मैं ब्राह्मण हूं ! सभी दुखितोंको अश्रु पोंछने वाला मैं ब्राम्हण हूं ! आरक्षण ना माँगकर ,खुद के

भुलभुलैया

 भूलभूलैय्या ! ✍️ २२५० विनोदकुमार महाजन ***************** दुनिया और दुनियादारी बडी विचित्र होती है ! बडी अजीब ! उपरी दिखावा, भूलभूलैय्या में फँसनेवाली ! कौन कैसे कपडे पहनता है ? कौन कितना अप - टू - डेट रहता है ? और कौन कितना पागल जैसा दिखता ? सबकुछ बाहरी आडंबर ! सब भूलभुलैया ! अब यही देखिए ना ! बंगला, गाडी, नौकर,चाकर का जितना बडा बागडौर रहेगा, दुनिया और दुनियावाले,उसके सामने सदैव झुकते रहेंगे ! धनवान आदमी और धन की करामत बडी विचित्र होती है ! धनवान व्यक्ती चाहे दुर्गुणी भी क्यों न हो,उसके इर्द गिर्द घुमनेवाले,उपरी दिखावा करनेवाले, नौटंकीबाज बहुत मिलेंगे ! उसकी हुजरेगिरी करनेवाले,  हाँ जी हाँ जी करनेवाले बहुत मिलेंगे ! मगर कोई गरीब है,पैसेवाला नही है,धनवान नही है , मगर गुणवान है, सद्गुणी है, तो ? साधारणतः उसे कोई भी नही पुछेगा ! अगर ऐसा व्यक्ती मुसिबतों में फँसकर,तडपतडपकर मर भी रहा है ? तो भी उसे कोई भी नही पुछेगा ! उल्टा मुसिबतों के समय में उससे ही सभी दूर भागेंगे ! और पीडा, तकलीफ भी देंगे ? विशेषता हमारे हिंदु भाई !? मगर गुणवान मगर धनविहीन व्यक्ती जब धनवान बनेगा तब ? दुनियादारी का मुखौ

अपेक्षित परिणाम मिलनेतक !

 अपेक्षित परिणाम ? मिलनेतक डटे रहेंगे !! ✍️ २२४९ विनोदकुमार महाजन 🕉🌹🕉🌹🕉🌹🕉🌹 अपेक्षित परिणाम ? कौनसे ? हिंदुराष्ट्र निर्माण के !! हमारे हौसले ही इतने शक्तिशाली और बुलंद होते है की,हम जीवन में कभी भी हार नहीं माननेवाले होते है !और प्रयत्नवादी हर भारतीय ( हिंदु ) प्रत्यक्ष नशीब को भी हरा सकते है ! हम रोनेवाले नहीं है, बल्कि अथक प्रयत्नवाद से जीतनेवाले ही है ! और अब हमारा अगला लक्ष है ,हमारे हर कार्यों में सफलता और अनेक उंचाईयों को प्राप्त करना ! और ? हिंदुराष्ट्र निर्माण यह हमारा अगला लक्ष है ! जो लक्ष हम जितना जल्दी हो सके प्राप्त करके ही रहेंगे ! एक शक्तिशाली तगडी रणनीति द्वारा, चौफेर अथक प्रयास ही हमें हमारी जीत की ओर ले जायेगा ! और संपूर्ण देश में अब ऐसा जीत का माहौल अब बन ही गया है ! देश का चप्पा चप्पा बोल रहा है, हिंदुराष्ट्र बनाना है ! देश के कोने कोने से अब एक ही आवाज है, हिंदुराष्ट्र बनाना है ! प्रतिकूल भाग्य को अनूकूल बनाने के लिए, हम प्रयत्नवाद के साथ साथ,प्रत्यक्ष ईश्वर को ही साक्ष रखकर, कठोर तपस्या द्वारा, प्रत्यक्ष ईश्वर को भी आमंत्रित करते है ! और जबतक अपेक्षित कार्य

बिनधास्त तो बोलना पडेगा !

 बिनधास्त बोलना पडेगा : - हिंदुराष्ट्र बनाना है !! ✍️ २२४८ विनोदकुमार महाजन ----------------------------------- हम हिंदु, सहिष्णु या अती सहिष्णु ? विशेषता धर्म कार्यों के लिए और धर्म जागृती के लिए ? हमें, रामराम बोलने में शर्म आती है ! माथे पर केशरी तीलक लगाने में शर्म आती है ! हिंदुत्व का प्रतीक तुलसी माला अथवा रूद्राक्ष माला गले में पहनने के लिए शर्म आती है ! घर पर भगवान का प्रतीक भगवा ध्वज लगाने में शर्म आती है ! और कहते है ? हम हिंदु है ! अरे जरा , " उनको तो देखो .." कट्टर धर्माभिमानी ! टोपी पहनने में शर्म नही ! जोरजोरसे नारे लगाने में शर्म नही ! सबकुछ बिनधास्त काम है , " उनका .." इसिलिए धर्म जागरूकता के लिए कट्टर बनो ! बिनधास्त बनों ! छाती ठोक के,सीना तान के बोलो.... सब मिलकर बोलो.... एक ही आवाज में बोलो... गली,गाँव, शहरों से बोलो... बुढा, बच्चा बोलो... कोने कोने से एक ही आवाज दो बिनधास्त नारा लगाओ, " हिंदुराष्ट्र बनाना है ! " " भगवे का राज लाना है ! " " हिंदवी स्वराज्य बनाना है ! " हर एक को, बिनधास्त तो होना पडेगा ! बिनधास्त तो बो

सकारात्मकता

 सकारात्मक जीवन !! ✍️ २२४७ ********************* जीवन में नकारात्मक सोचेंगे तो पूरा जीवन ही नकारात्मक और दुखी ही बन जायेगा ! अगर सकारात्मक सोचेंगे तो सारा जीवन भी सकारात्मक और आनंदी ही बन जायेगा !! सभी सजीवों में,सभी पशुपक्षीयों में ,और सभी में अगर ईश्वर देखेंगे तो खुद भी एक दिन  ईश्वर स्वरूप ही बन जायेंगे ! दूसरों में लगातार बुराईयाँ ही देखते रहेंगे तो ?? आपपर ही सबकुछ निर्भर है ! जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि !! सकारात्मक बनेंगे, आनंदी रहेंगे ! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

राधेकृष्ण

 सर्वोच्च प्रेम का प्रतीक : -  राधाकृष्ण !!! ✍️ २२४६ विनोदकुमार महाजन ******************* हमारे जीवन में हमेशा सर्वोच्च स्थान किसे होता है ? धन,वैभव, पैसा ? हरगिज नहीं ! हमारे जीवन में सर्वोच्च स्थान प्रेम का होता है ! संपूर्ण समर्पित प्रेम ! निष्पाप, निष्कलंक, निस्वार्थ रूप से संपूर्ण समर्पण ! ऐसा शुध्द, पवित्र प्रेम ही जीवन के लिए सबकुछ होता है ! जब ऐसा प्रेम करना जो जानता है,उसीके ही जीवन में सर्वोच्च आनंद की बहार आती है ! मगर वह प्रेम भी सच्चा ही चाहिए ! ढोंग,दिखावा, स्वार्थ भाव से किया गया प्रेम सच्चा प्रेम नहीं होता है ! इसिलिए अगर प्रेम करना ही है तो सच्चा प्रेम करो ! समर्पित प्रेम करो ! सबकुछ नौछावर करनेवाला प्रेम करो ! मगर क्या ऐसे भयंकर स्वार्थ के माहौल में , भयंकर घोर कलीयुग में ,सचमुच में ऐसा दिव्य प्रेम भी मिल सकेगा ? जो देवताओं के ह्रदय से उत्पन्न होता है ? यहां पर तो पग पग पर प्रेम के नाम पर छल,कपट,दिखावा,ढोंग बाहरी आडंबर ही दिखाई देता है ! क्या यह भी प्रेम हो सकता है ? भक्त - भगवंत, गुरू - शिष्य , माँ - बेटा यह प्रेम ऐसा ही होता है ! मित्रप्रेम भी ऐसा ही पवित्र, भव्यदिव

परेशान सत्यवादी ?

 कली का साम्राज्य और परेशान सत्यवादी !! ✍️ २२४५ विनोदकुमार महाजन ~~~~~~~~~~~~~ एक चौतरफा सुक्ष्म नजरों से चारों ओर देखेंगे और सत्य, सत्याचरणी और सत्यवादीयों की स्थिती देखेंगे तो क्या दिखाई देगा ? लगभग सभी सत्यवादी तथा सत्यप्रेमी परेशान है ! किसी न किसी मुसिबतों से जूंझ रहा है ! ऐसा क्यों ?? क्या आज के भयंकर, घोर कलियुग में,भयंकर उन्मादी चौतरफा कली के साम्राज्य ने,संपूर्ण पृथ्वी पर अधर्म का भयंकर अंधेरा फैलाया हुवा है ? यही धर्मग्लानी है ?? इसिलिए हर सत्यवादी परेशान है ? हर धर्म प्रेमी मुसिबतों से जूंझ रहा है ? अनेक मुसिबतें ! अक्राल विक्राल मुसिबतें ! अनेक समस्याएं,अनेक मुसिबतें, अनेक आर्थिक परेशानियां जैसे अनेक समस्याओं से ग्रस्त है ? और झूठ का बोलबाला है ? और सच का मुंह काला ? जितना असत्य, अधर्मी बनकर समाज में जियेंगे, उतनी ही उंचाईयों को,यश को हासिल करेंगे ? झूठी प्रतिष्ठा, मानसंन्मान प्राप्त करेंगे ? और सत्याचरण मतलब ? तेज धार की तलवार पर चलने जैसा है ? इतिहास में जाकर देखेंगे तो भी क्या दिखाई देगा ? क्रूर ,हिंसक आक्रमणकारी,भ्रष्टाचारी, अत्याचारी,देशद्रोही निरंतर आगे बढते रहे ? और

योगीराज जींदाबाद !

 योगीबाबा जींदाबाद ! योगीराज जींदाबाद !! ✍️ २२४४ विनोदकुमार महाजन ( अंतरराष्ट्रीय पत्रकार ) 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 शासक कैसा हो ? योगीबाबा जैसा ! शासन कैसा हो ? योगीराज जैसा ! एक निरपेक्ष संन्यासी ,नाथसांप्रदायी संन्यासी, योगीबाबा ! संपूर्ण देश को ही नही तो संपूर्ण विश्व को अपने आदर्श सिध्दांतों से ,अपनी हर आदर्श कृति द्वारा,यह बता रहे है की, संपूर्ण अराजकता और अराजकतावादी समाप्त करने है,तो तुरंत न्याय की प्रणाली अपनाकर, शांति और सौहार्द स्थापित करने का,एक अद्भुत, अद्वितीय शासनप्रणाली स्थापित करना अत्यावश्यक है ! संपूर्ण देश को और विश्व को भी ऐसी आदर्श शासनप्रणाली अपनाना अत्यावश्यक है ! इसीलिए संपूर्ण देश ही नहीं तो सारे विश्व के लिए, उत्तर प्रदेश के संन्माननीय मुख्यमंत्री ,योगी आदित्यनाथ जी एक आदर्श निर्माण कर रहे है ! इसी रास्ते से चलकर ही, विश्वशांति, वैश्विक क्रांति, विश्वकल्याण संभव है ! " कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे..." अथवा, " जो जिस प्रकार की भाषा समझता है,उसी भाषा में उत्तर दिया जायेगा ..." ऐसी जबरदस्त तेजस्वी बाणी और कृति द्वारा योगीबाबा, समाज में फैली हुई

अक्षय तृतीया

 अक्षय तृतीया,आप सभी के जीवन में अक्षय सुखों की बरसात करें !!  ✍️ २२४३ विनोदकुमार महाजन 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉 मुझपर निरंतर प्रेम करनेवाले, मेरे सभी प्यारे मित्रों को, आज के, अक्षयतृतीया की अनेक अनेक शुभकामनाएं ! आप सभी को निरंतर, आजीवन कभी भी नहीं समाप्त होने वाला,अक्षय ( अ - क्षय ) धन,संपदा, आरोग्य, ऐश्वर्य, यश,किर्ती,दिर्घायुष्य प्राप्त हो, ऐसी... मेरे,आप सभी के , दयालु, परमकृपालु, परमात्मा परमेश्वर के चरणकमलों पर,विनम्र प्रार्थना ! ईश्वर आप सभी की मनोकामनाएं, त्वरित पूर्ण करें ! आप सभी के जीवन में, सभी प्रकार के सुखों की बहार आये ! आप सभी का जीवन सुजलाम् सुफलाम् बनें ! किसी को भी कोई दुख ना रहें ! हिंदुराष्ट्र निर्माण, अखंड भारत और विश्वगुरू भारत बनाने के हमारे, हम सभी के प्रयासों को,ईश्वर त्वरित गति दें ! मार्कंडेय ऋषि ने, अपने कठोर तपस्या और साधना के बलपर, महामृत्युंजय मंत्र द्वारा, अपना नशीब भी बदला था ! ठीक इसी प्रकार से, हमें,हम सभी को हमारा नशीब भी बदलना है ! ईश्वरी कार्यों के लिए, ईश्वरी वरदान भी प्राप्त करना है ! मैंने भी,अनेक सालों की,कठोर तप:श्चर्या द्वारा और मेरे

कर्जदार नहीं देणगीदार बनना है

 कर्जदार नहीं,देणगीदार बनना है !! ✍️ २२४२ विनोदकुमार महाजन $$$$$$$$$$$$$$$ हमें कर्जा निकालकर जीवन की समस्याओं को सुलझाने में जादातर दिलचस्पी होती है ! परिस्थिति वश हमें ऐसा करना भी पडता है ! घर,गाडी लेना है, मगर ?  " लोन लेकर ! " और जीवन भर ? हप्ता ! मगर हमारे मन में शायद यह विचार नहीं आते होंगे की, हमें कर्जदार बनना नहीं है, बल्कि देणगीदार बनना है ! मतलब ? हम सभी को धनवान बनना है ! हमारी भारतभूमि का इतिहास गौरवशाली है ! स्वर्णिम भी है ! हम सदैव देना जानते थे ! लेना नहीं ! मगर क्रूर, हत्यारे, लुटेरे ,आक्रमणणकारी,मुगल, अंग्रेजों ने हमारी मानसिकता ही गुलामी की बनाई ! अनेक हाथों से हमें लूटा उन्होंने ! और परिणाम ? हमें देनेवाला हाथ बनाने के बजाए, माँगनेवाला बनाया ! इसिलिए आज हम को सबकुछ बिल्कुल फ्री चाहिए ! बिल्कुल फ्री ! जैसे ? फ्री बिजली, पाणी, राशन, नौकरी, इत्यादि ! इसिलिए हमारी मानसिकता भी ठीक ऐसी ही बन गई ! राजा बनने के बजाए, भिकारी बनकर , माँगते माँगते जीवन का गुजारा ! इसिलए मोर्चा, भूक हडताल भी होने लगे ! हमें ये चाहिए ! हमें वो चाहिए ! और ? आ ××× रक्षण ? कुछ समय तक तो ठ

२४ का रणकंदन !

 राष्ट्रप्रेमीयों,षड्यंत्रों से सावधान रहिए !!! ✍️ २२४१ विनोदकुमार महाजन ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ साथीयों, मैंने इससे पहले कुछ लेखों में बारबार यह लिखा था की, २०२४ तक राष्ट्रद्रोहीयों द्वारा अनेक षड्यंत्र किए जायेंगे ! और उसमें राष्ट्रप्रेमीयों को फँसाने की कोशीश की जायेगी ! मेरे लेख में मैंने एक वाक्य लिखा था, " हर शाखपर उल्लू बैठा है,हमें उल्लू बनाने के लिए ! " उत्तर प्रदेश की ताजा घटना इसका प्रमाण है ! इसके साथ मैंने यह भी लिखा था की, " हर कदम हमें फूंकफूंककर चलना है ! अखंड सावधान रहकर, शक्तिशाली, तगडी रणनीती बनाकर,सभी चक्रव्यूहों का भेदन करके,हैवानियत को हराना है ! " मैं मेरे लेख हमेशा सांकेतिक भाषाओं में ही इसीलिए लिखता हूं की,मेरे खिलाफ कोई षड्यंत्र ना करें !  " साँप भी मरें ,और लाठी भी ना टूटे ! " ऐसी तगडी रणनीति बनाकर ही हमें आगे बढना होगा ! हम सभी राष्ट्रप्रेमी बिल्कुल सौ प्रतिशत सुरक्षीत भी रहे , और  " राष्ट्रद्रोहियों का ,संपूर्ण बिमोड भी हो ! " ऐसी अभेद्य रणनीति बनानी पडेगी ! अगर हमें चौतरफा केवल जीत ही हासिल करनी है तो, " हर कदम हमें कृष

सपना साकार होगा !

 सपना साकार होगा !! ✍️ २२४० विनोदकुमार महाजन @@@@@@@@ सभी हिंदुत्ववादीयों की राष्ट्रीय तथा वैश्विक जीत का बिगुल बज चुका है ! " विश्व - विजेता - हिंदु - धर्म ! " का जमीनी तौर पर कार्य आरंभ हो चुका है ! अनेक धर्म योध्दाओं ने,आजतक हिंदुत्व के लिए,तन - मन - धन से संपूर्ण रूप से,समर्पित कार्य किया हुवा है ! उसी कार्य का प्रत्यक्ष फलस्वरूप मिलने का समय अब आ गया है ! हिंदुत्व की हुंकार, हिंदुत्व की राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय लहर,बहुत तेज गती से आरंभ हो रही है ! वैश्विक क्रांती की बुलंद आवाज आरंभ हो रही है ! मेरे जैसे लाखों,करोडो संपूर्ण समर्पित कार्यकर्ताओं ने हर क्षण,हर पल,हिंदुत्व की आन - बान - शान बढाने के लिए, सारा जीवन ही,समर्पित किया हुवा है ! परिणामों की फिकर किए बगैर,आर्थिक हानी - लाभ की चिंता किए बगैर,सुख - दुखों की पर्वा किए बगैर, हिंदुत्व के लिए, जिन्होने संपूर्ण जीवन ही समर्पित किया हुवा है,उन सभी..... " महामानवों का सपना...." " एक ही ध्यास...." " हिंदुराष्ट्र निर्माण , अखंड भारत , विश्वगुरू भारत...." देखने का सौभाग्य हमें प्राप्त हो रहा है

विधी का विधान

 भविष्य में, अनेक देशों का विलय हिंदुस्थान में होगा ! और यह देश फिरसे, सोने की चिडियावाला, " अखंड भारत बनेगा !! " यही विधी का विधान है ! इसे कोई नहीं टाल सकता है ! विनोदकुमार महाजन सोमवार  दि.१७ / ४ / २०२२

संपत्ति, समाधान और मन का बडप्पन !

 संपत्ति, समाधान और मन का बडप्पन !! ✍️ २२३९ विनोदकुमार महाजन 💰💰💰💰💰 संपत्ति ! समस्त मानवसमुह में संपत्ति का महत्व विशेष होता है ! संपत्ति और संपत्तियों से मिलनेवाले सुखसमाधान प्राप्त करने के लिए,लगभग सभी मनुष्य प्राणीयों में,सदैव होड सी लगी रहती है ! धनवान बनने का,संपत्ति कमाने का,सभी का सपना होता है ! और यही सपना पूरा करने के लिए, मनुष्य प्राणी हर समय,दिनराती प्रयत्नशील रहता ही है ! संपत्ति, धनलाभ, यह आखिर अपने अपने नशीब का भाग होता है ! कुछ गिनेचुने व्यक्ति, संपत्ति कमाने में ,यशस्वी भी होते है ! मगर संपत्ति, धनवैभव आने के बाद,अगला सफर होता है, मन का समाधान और मन के बडप्पन का ! इसिलिए संपत्ति तो कमाई,मगर मन का समाधान और मन का बडप्पन कितने प्रतिशत कमाया ? यह महत्वपूर्ण प्रश्न होता है ! दस करोड़ तो मिले,मगर दस करोड़ के सौ करोड़ कैसे बनेंगे, इसी विचारधारा से,मनुष्य प्राणी सदैव असामाधानी रहता है ! और मन का असामाधान ही सभी दुखों का कारण भी है ! ऐसी स्थिति में ,अल्पसमाधानी व्यक्ति भी बहुत मिलते है ! ईश्वर ने जो भी धन,वैभव दिया है, उसी में समाधान मानकर, बडे आनंद से जिनेवाले भी अनेक व्यक्ति

हे हनुमान

 हे मेरे हनुमान, कहाँ है तू ? ✍️ २२३८ विनोदकुमार महाजन 🕉🕉🕉🕉🕉🚩 बीर हनुमान ! वज्रांगबली ! रामदूत बलधामा ! कहाँ है तू ? कहाँ है तेरी शक्ति ? तू चिरंजीवी है ! इसीलिए तेरा वास्तव्य, हरपल,हरक्षण धरती पर अदृश्य रूप से रहता ही है ! तू वायुगमन करनेवाला भी है ! इसीलिए, एक पल में भी,स्वर्ग में भी पहुंच सकता है ! तेरा वर्णन , मैं अल्पमती, छोटासा मानवप्राणी कैसे कर सकता हूं ? फिर भी, मैं तो तेरा ही हूं ! और तू मेरा ! मेरे जैसे अनेक भक्तों का भी ! हम सभी भक्तों का तेरे प्रति,अलौकिक, दिव्य प्रेम, विश्वास, श्रद्धा ही तेरे हमारे बीच के,निरंंतर सहवास की साक्ष देती है ! फिर भी, मेरे प्रभो... अनेक अनुत्तरित प्रश्न मन को, निरंंतर सताते रहते है ! इस प्रश्नों का तू ,प्रत्यक्ष या दृष्टांत में,स्वप्नावस्था में,यथार्थ उत्तर भी देगा ही देगा,ऐसा मन में पूरा विश्वास है ! आजतक अनेक बार, तुने, तेरे अलौकिक, दिव्य शक्तियों का,साक्षात्कार मुझे दिखाया भी है ! और ऐसे साक्षात्कारों से मैं भी हैरान हूं ! सबकुछ अलौकिक ! तेरा अग्नीसमान प्रखर ,धधगता ईश्वरी तेज,रावण की लंका जलाने में भी सक्षम था ! फिर भी, आज के संपूर्ण प

मनोविज्ञान और चमत्कार

 मनोविज्ञान और निसर्ग के चमत्कार ! ✍️ २२३७ विनोदकुमार महाजन ********************* आध्यात्मिक व्यक्ति मनोविश्लेषण कर सकता है, मगर मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक विषयों में रूची दिखाने वाला ही होगा इसका कोई भरौसा नहीं होता है ! इसिलिए, यह दोनों विषय संपूर्णता अलग अलग होते है ! मनोविज्ञान यह एक अलग विषय है !  और चमत्कार ?  यह विषय संपूर्णतः अलग है ! मनोविज्ञान चमत्कारों को नहीं मानता है ! बल्कि, चमत्कारों को मनोविज्ञान , एक आभास के दृष्टिकोण से देखता है ! इसीलिए, मनोविज्ञान को अनेक प्रकार के मर्यादाओं में ही रहना पड़ता है ! जैसे ? ब्रम्हांड में घटित होनेवाली अनेक प्रकार की,आश्चर्यजनक तथा चमत्कारिक घटनाओं को और उसके सटीक विश्लेषण करने में मनोविज्ञान को अनेक प्रकार की मर्यादाओं में रहकर ही, विश्लेषण करना पडता है ! इसिलिए अनेक प्रकार के चमत्कार तथा चमत्कारिक घटनाओं का यथायोग्य विश्लेषण करने में मनोविज्ञान असमर्थ होता है ! अनेक प्रकार की आश्चर्यजनक, अनाकलनीय, अविश्वसनीय,अद्भुत घटानाएं हमेशा हमारे आसपास घटीत होती रहती है ! और हम उस घटनाओं को, अचंभित नजरों से देखते रहते है ! पिशाचों का वास्तव्य और उनक

गौमाता का आक्रंदन और श्राप

 गौमाता के आक्रंदन और श्रापों से,संपूर्ण मानवप्राणी दुखी है ! ✍️ २२३६ विनोदकुमार महाजन 🐂🐂🐂🐂🐂 गौमाता ! साक्षात कामधेनू ! एक पवित्र आत्मा ! परोपकारी ! अगर आपको दिव्य अनुभुतीयाँ प्राप्त है और दिव्य शक्तियों का वरदान प्राप्त है तो... गौमाता आपके साथ साक्षात स्त्री की मधूर भाषा में संवाद भी कर सकती है ! और आपको अखंड कल्याण का आशीर्वाद भी दे सकती है ! जी हाँ ! इसे ही दिव्यात्मानुभूती कहते है ! आप मानो या ना मानो, मेरा खुद का यह अनुभव है ! यह कोई प्रसिद्धि स्टंट अथवा भूलभुलैया नहीं है ! जब आपकी आत्मा की पवित्रता सर्वोच्च स्थान पर पहुंचती है तो...आपको निरंंतर दिव्यानुभूतीयाँ प्राप्त हो सकती है ! मन का पावित्र्य, सर्वाभूती भगवंत का दिव्य अनुभव और सभी के अखंड कल्याण की कामना, आपको दिव्यानुभूतीयों की प्राप्ति करा सकती है ! इसी तरह गौमाता, गंगामैया, महालक्ष्मी माता के साथ आप दिव्य भाषाओं में ,संवाद भी कर सकते है !  इसीलिए आज के लेख का यही महत्वपूर्ण विषय है ! आज संपूर्ण विश्व में, अनेक जगहों पर,गौमाता की सेवा करने के बजाए, गौमाताओं की बरबर्ता से,हत्याएं की जा रही है ! माता मानकर जिसकी अखंड से

नवरंगों की बरसात !

 नवरंगों की बरसात !! ✍️ २२३५ विनोदकुमार महाजन 🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈 ( मेरे हिंदुत्ववादी,आध्यात्मिक, सामाजिक, राजकीय, वैश्विक, विविध विषयों के,हजारो समाजजागृती के लेख पढने के लिए, विश्व का हर हिंदु, हर मानवताप्रेमी अपने मोबाईल में,मेरे लेखों की दोनों वेबसाइट, सुरक्षित करके रखिए ) *************** दुनिया के अनेक रंग, अनेक रूप ! ईश्वर ने भी कमाल की दुनिया बनाई है ! अनेक रंगी,अनेक ढंगी ! अजब गजब की दुनिया ! अजब गजब की दुनियादारी ! ईश्वर के भी अनेक रंग,अनेक रूप ! साकार भी,निराकार भी ! अनेक अवतार भी,अनेक आकार भी ! नवरंगो की दुनिया ! वैसे तो नौ अंक का महत्व भी विशेष रहता है ! नवरंग, नवरस,नवदुर्गा, नवनाथ, नवनाग,नवग्रह, नवरात्रि... इत्यादि ! भगवान श्रीराम का जन्म, नौमी का ! भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी का ! अष्टमी का जन्म होकर भी,श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में, अनेक रंगों की बरसात करके,अवतार कार्य पूर्ण किया ! और श्रीराम नौमी के होकर भी,शुध्द, सात्विक भाव से आजीवन कार्य करते रहे ! दोनों ही विष्णु का अवतार ! दोनों के जीवन का उद्देश्य, उन्मत्त, उन्मादी राक्षसों का संहार करके,सत्य की पुनर्स्थापना करना ! दोन

मेरा देश बदल रहा है

 मेरा देश बदल रहा है मोदिजी, योगीजी ने देश का माहौल ही बदल दिया है माँल में भी अब युवक, हनुमान चालिसा पढ रहे है रामभक्त, हनुमान भक्त, कृष्ण भक्त देशविदेशों में भी बढ रहे है रामराज्य आ रहा है, साथीयों रामराज्य आ रहा है रामराज्य की करो तैयारी आ रहे है भगवाधारी जय जय श्रीराम जय हनुमान 🙏🙏🙏 विनोदकुमार महाजन

राह का राही

 राह का राही,रास्ता देखो, भूल गया रे !! ✍️ २२३४ विनोदकुमार महाजन ********************* कौन राही ? कौनसा रास्ता ? हम धरती पर क्यों आये है ? कहाँ से आये है ? हम कौन है ? हमारा जीवन का रास्ता कौनसा है ? ईश्वर ने हमें यहाँ क्यों भेजा है ? हमें करना क्या है ? शायद,लगभग यही बात मनुष्य प्राणी भूल गया है ? आत्मा का दिव्यप्रकाश ! पशुपक्षीयों का तो ठीक है ! उनको आत्मा का ज्ञान ही नही होता है !  केवल कर्मभोग भोगने के लिए ही जन्म लेना ! इसिलिए, उन्हे कौन राही ? कौनसा रास्ता ? इससे कुछ लेनादेना ही नही होता है ! मगर मनुष्य प्राणी ? कब खुद को पहचानेगा ? खुद का आत्मप्रकाश कब जान जायेगा ? पशुओं की तरह का निरर्थक जीवन कब त्याग देगा ? दिव्य आत्मप्रकाश ही आत्मानंद की ओर ले जाता है ! और यही प्रकाश,आत्मानुभूती भी सिखाता है ! हम देह नही, बल्की आत्मा है ! और यह आत्मा निरंतर, चौबिसों घंटे,श्वासों द्वारा, ईश्वर से जूडा हुवा है ! करोडो के मनुष्य समुह में खुद की असली पहचान करनेवाले, सही रास्ते से चलनेवाले, असली राही कितने और कौन होंगे ? यह बात तो केवल ईश्वर को ही पता होगी ? और सबसे महत्वपूर्ण बात... मैं देह नही,

सुखी बनने का मंत्र

 सुखी बनने का मूलमंत्र ! मस्त रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे !! ✍️ २२३३ विनोदकुमार महाजन 🙏🙏🙏🙏🙏 हास्यमुख चेहरा, आनंदी चेहरा, प्रसन्न चेहरा, तेजस्वी चेहरा, सभी को निरंंतर प्रेरणा देता रहता है ! सभी को आनंदित करता रहता है, दूसरों के दुखदर्द में आधार बनकर रहता है ! और दुर्मूख चेहरा, दुखी चेहरा, कष्टदायक चेहरा, हमेशा दूसरों को भी,दुखी करता रहता है ! इसिलिए, जहाँ जायेंगे वहाँ पर, मस्त रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे ! हँसते खेलते मस्त जियेंगे ! खुद हँसते रहेंगे,दूसरों को भी हँसाते रहेंगे ! दूसरों के दुखदर्द में आधार बनकर, उसका भी चेहरा, मस्त,स्वस्थ, आनंदी बनायेंगे ! हर एक के चेहरे पर, हँसी खुशी देखेंगे ! खुशियों से नाचेंगे, झूमेंगे, गायेंगे ! खुद सुखी बनेंगे ! दूसरों को भी सुखी बनाएंगे ! ईश्वर का गुणगान करते करते, ईश्वर का सुंदर भजन गाते गाते, दूसरों के जीवन में भी, सुखों की, खुशियों की बहार लायेंगे ! पशुपक्षीयों से भी बातें करेंगे ! उनको भी प्रेम बाटेंगे ! प्रेम का सागर बनकर, दुनिया का भी दुखदर्द हरायेंगे ! स्त्री हो या पुरूष, बुढा हो या नौजवान ! बच्चे जैसा मन बनाकर, सच्चे प्रेम से दुनिया जीतेंगे ! प्रभु