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Showing posts from March, 2022

शुध्द विचार

 *दुसऱ्यांशी चांगले वागूनही लोक आपल्याशी वाईट का वागतात?* *जाणून घ्या कारणं*... आपण चांगले तर जग चांगले, ही थोरामोठ्यांची शिकवण आपण अंमलात आणतो. परंतु बरेचदा अनुभव असा येतो, की कितीही चांगले वागा, पण लोक आपल्याशी वाईटच वागतात. असे का? हा प्रश्न आपल्याला पडतो आणि चांगुलपणावरून आपला विश्वास उडायला लागतो. त्यावर उत्तर दिले एका साधूमहाराजांनी! एका गावातला एक तरुण अतिशय साधा, भोळा आणि प्रेमळ होता. कोणी कसेही वागो, पण त्याने आपला चांगुलपणा कधीच सोडला नव्हता. परंतु एक वेळ अशी येते, जेव्हा संयमाचा बांध फुटतो आणि आपल्याला स्वत:च्या चांगुलपणाचाही राग येऊ लागतो. मन व्यवहारी होते, स्वार्थी होते, परंतु हा बदलही आपल्याला सहन होत नाही. कारण चांगले वागणे हा आपला स्थायी भाव असतो.  त्या तरुणाच्या बाबतीतही तेच झाले. तो अतिशय अस्वस्थ होता. त्याने गावातल्या एका साधूबाबांकडे जाऊन शंकेचे समाधान विचारले. साधू महाराजांनी त्याला आपल्या सदऱ्याच्या खिशातून एक अंगठी दिली आणि म्हणाले, `पुढचा आठवडाभर ही अंगठी तू तुझ्याजवळ ये आणि त्याची किंमत किती मिळू शकेल याचा शोध घे. फक्त काही केल्या ही अंगठी विकू नकोस!' प्रश्

प्रेम और नफरत

 प्रेम और नफरत --------------------------- प्रेम ईश्वर के ह्रदय से उत्पन्न होता है, इसीलिए प्रेम सदैव पवित्र और अमृतसमान होता है। तो नफरत, द्वेष राक्षसों के ह्रदय से उत्पन्न होता है और यह विषसमान होता है,और इसे हजम करना भयंकर कठीण होता है। मगर आज के भयंकर कलियुगी माहौल में,जहाँ इंन्सानों के अंदर जादा मात्रा में नफरत का ही जहर भरा पडा हुवा है,तो प्रेम का अमृत कहाँ मिलेगा ? हर जगह नफरत का जहर मिलेगा और प्रेम के लिए तरसना ही पडेगा। पवित्र, निस्वार्थ, ईश्वरी प्रेम ही सच्चा प्रेम होता है। जो निस्वार्थ भाव से सभी पर प्रेम करता है,खुद ईश्वर भी उसी पर प्रेम ही करता है। अनेक ठोकरें खाने के बाद भी सह्रदयी व्यक्ति सभीपर पवित्र प्रेम ही करता रहता है। मगर राक्षसों को प्रेम की भाषा नहीं समझती है।उनके लिए कठोर दंड की ही भाषा योग्य होती है। इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण की प्रेम की भाषा दुर्योधन को कैसे समझ में आयेगी ? आखिर भगवान श्रीकृष्ण को भी दुर्योधन को और ऐसे अनेक उन्मत्त राक्षसों को दंडित ही करना पडा था। पशुपक्षियों को भी प्रेम की भाषा समझ सकती है।मगर दुष्ट लोग हमेशा नफरत ही फैलाते है।दुष्ट लोग उपर से

हमारे पिता और चाचा

 हमारे " पिता " और... " चाचा.." -------------------------------- ( टीप : - भारतीय राजनिती से इसका कोई संबंध नही।अगर है तो.... एक योगायोग समझिए ) हमारे.... " पिता...." और, " चाचा....." बडे ही चालाक निकले। और हम भोलेभालों को उनकी चालाकी समझ में भी नही आई। क्या हुवा...??? हमारे " भाई " को अलग घर भी दे दिया... उन्हे हमारे घर में भी जगह दी। " उन्हे " हमसे जादा अधीकार भी दिए। हमारे अधिकारों को भी नजरअंदाज किया और कम भी किया... हमारे ही घर में हम  दोयम.... की तरह जीते रहे। अन्याय, अत्याचार सहते रहे। अंदर ही अंदर घुटन महसूस करते रहै... धिरे धिरे हमारी शक्ती घटाई गई हमारे भाईयों की शक्ती बढाई गई.... हर जगह भयंकर, भयानक मानसीक उत्पीडन द्वारा हमपर कुठाराघात होते रहे... और... भाईयों का मनोबल बढाते रहे... धिरे धिरे अत्याचार इतना बढा की हमें हमारे घर में ही रहना मुश्कील हुवा... जाएं तो कहां जाएं ? हमारे ही घर में हमें ही हमारे भाईयों द्वारा मार,काट की धमकीयाँ मिलने लगी। और कुछ लोग उल्टा हमें ही संकुचित, अत्याचारी कहने लगे। तौबा...तौबा... सा

धन ही जीवन है ?

 धन ही जीवन है ? ------------------------------- धन मिल गया तो जीवन धन्य हो गया...ऐसी साधारणतः सामाजिक धारणा होती है।अधिक धन मिला तो....भयंकर भाग्यवान ऐसी भी साधारणतः धारणा रहती है। मगर सचमुच में धन मिलना ही पूर्णत्व है ? यही जीवन का अंतिम उद्देश्य होता है ?या जीवन का अंतीम उद्दिष्ट कुछ और ही है ? ईश्वरी चिंतन और तपश्चर्या द्वारा नर का नारायण बनना ही मनुष्य देह का अंतीम उद्दिष्ट है।यही अंतिम साध्य है। मगर आज पैसा ही भगवान बन गया है।और धन के वास्ते इंन्सान असली ईश्वर को और इंन्सानियत को ही भूलता जा रहा है। धन जीवन का अंतीम साध्य नही है,मगर जीवनोपयोगी महत्वपूर्ण साधन जरूर है।और आज लगभग सभी मनुष्य प्राणीयों की दिनचर्या ही केवल और केवल धन कमाने में ही लगी हुई है।और धन के सिवाय दिनचर्या भी असंभव है। लगभग सभी का समय,सुबह से शाम तक का सारा समय केवल धन कमाने में ही जाता है। बढती उच्च जीवनशैली की वजह से तो धन जीवन का अविभाज्य हिस्सा बन गया है।इसिलए धर्म कार्य अथवा ईश्वरी चिंतन के लिए समय ही कहाँ मिलता है ? ऐसे बहाने भी होते है। आज पृथ्वी का हर मनुष्य प्राणी धन कमाने के पिछे ही दौड़ रहा है। ख्रिश

राक्षसों से प्रेम नहीं, बहिष्कार किया जाता है

 राक्षसों से प्रेम नही,बहिष्कार किया जाता है। -------------------------------- साथीयों, दुष्टों से,राक्षसों से कितना भी प्रेम करें,सहयोग करें....वह हमारा बुरा ही सोचेगा, बुरा ही करेगा। इसीलिए राक्षसों पर जो विश्वास, सहयोग करता है...समझो उसका सर्वनाश तय है। साँप को कितना भी दूध पिलाओ,आखिर वह जहर ही उगलेगा..अमृत नही...और मौका मिलते ही डसेगा ही। अतएव सावधान। चौबिसों घंटे सावधान। विशेषता आजादी के बाद भयंकर जहरीले राक्षसों को इस देश में आश्रय दिया...और यह राक्षस देशवासियों को ही सदैव जहरीले साँप जैसे डसते रहे।यहाँ बर्बादी करते रहे,बाँम्बस्फोट करते रहे..।और हमारे तबाही का सपना देखते रहे। ये घुसपैठिए चाहे रोंहिंग्या हो,बांग्लादेशी हो,पाकिस्तानी हो...हमारा खाकर, हमारे टैक्स के पैसों से जीकर,हमें ही नेस्तनाबूद करने का सपना देखते है...और बारबार ऐसा ही कुकर्म करते रहते है। ऐसे कुकर्मीयों को किसने पालापोसा ? मेरी बात सही है या नहीं ? या मैं गलत लिख रहा हूं ? दूसरी एक महत्वपूर्ण बात यह भी है की,सुबह से शाम तक हमें केवल और केवल परेशान करने के लिए, देश की शांति समाप्त करने के लिए, स्पीकर लगाकर... जान

स्वच्छता अभियान

 स्वच्छता अभियान और भारत --------------------------------- मोदिजी ने संपूर्ण देश में स्वच्छता अभियान चलाया, और गाँव,गली,शहर के हर रास्ते स्वच्छ हो गये। लोगों की हर जगहों पर गंदगी फैलाने की आदत बदल गई। सत्तर सलों की गंदगी साफ हो गई। पहले राज्यकर्ता क्या करते थे ? चारों तरफ गंदगी और गंदगी का माहौल था।हर गली,गांव,शहरों में कचरा निर्मूलन का कोई साधन ही नहीं था। जो मोदिजी ने बदल दिया। सत्तर सालों में गली,गांवों के साथ मन भी गंदे हो गये थे।जिसकी सफाई भी अब तेजी से बनाई जा रही है।और हर एक व्यक्ति को अंदर बाहर से साफ करने का भी काम बन रहा है। लोग जातिवाद का जहर भूलकर संगठित हो रहे है और सुसंस्कृत भी बनते जा रहे है।भ्रष्टाचार गंदगी भी धिरे धिरे साफ होती जा रही है। राशनिंग का गरीबों के नाम आनेवाला सडा हुवा अनाज भी भ्रष्टाचार में जा रहा था। मगर अब सबकुछ बदल रहा है। गरीबों का चौबिसों घंटे खून चुसनेवाले बडे बडे रक्तपिपासु मच्छर भी अब धिरे धिरे जेल जा रहे है। आजादी के बाद कितना भयंकर खून पिया इन मच्छरों ने। देशविदेश में हजारों एकड जमीन जायदाद और अरबों खरबों की संपत्तियां। मोदिराज यह मच्छर भयंकर परेश

बेचारा दिल

 दिल बेचारा.... ------------------------------- दिल.... ह्रदय.... हर सजीवों का प्राणवायु का स्थान.... इंन्सानों का ह्रदय सबसे जादा संवेदनशील.. उसमें भी दो प्रकार... एक कोमल ह्रदयी और पाषाण ह्रदयी। पाषाण ह्रदयी इंन्सानों का वर्णन क्या और कैसे करें ? एक समय पाषाण भी पिघल जायेगा मगर पाषाण ह्रदयी इंन्सान ? चाहे कुछ भी हो... नही पिघलेगा। क्रौर्य का जीता जागता नमूना। केवल पुरूष ही पाषाण ह्रदयी होते है ऐसा नही है।अनेक औरते भी भयंकर क्रूर तथा पाषाण ह्रदयी होती है। अब देखते है...कोमल ह्रदय वाले.. अर्थात दिलवाले व्यक्ति के बारे में। दिलखुलास,हास्यमुख,सभी पर सदैव पवित्र प्रेम करने वाले।सभी का भला सोचने वाले। मगर दुर्देव से दिलवाले अर्थात कोमल ह्रदय वाले लोग बहुत ही कम मिलेंगे।दिलवाले लोगों की एक खासियत होती है की..।ऐसे व्यक्ति बारबार धोके खाने के बाद भी.... सभी पर पवित्र, दिव्य,निष्पाप प्रेम ही करते रहते है। पाषाण ह्रदयी व्यक्तियों द्वारा बारबार प्रताड़ित, अपमानित होने पर भी कोमल ह्रदय वाले अर्थात दिलवाले व्यक्ति सदैव... दिलदार.... ही रहते है। बेचारा दिल... और बेचारे दिलवाले। दोस्ती करेंगे तो किसस

डुप्लीकेट नामधारी

 जाँच हो.... डुप्लीकेट हिंदु नाम धारण करके हिंदुओं फँसाने वालों की कानूनी जाँच हो... और गुनहगारों को कठोर दंड देने का कानूनी प्रावधान जरूरी है.... हिंदु संस्कृति, देवीदेवताओं का विडंबना करने का ऐसे.... डुप्लिकेट... नामधारी.... अंदर से.... हर तरफ से प्रयास करते है.... और गुप्त रूप का एजेंडा चलाकर हिंदु धर्म पर ही प्रहार करते है.... जैसे कजरू,ममता,नहरू,गांधी .......जैसे अनेक डुप्लीकेट नामों की तुरंत जाँच हो.... और मुजरिम दिखाई देने पर कठोर दंड करें... ताकि यह छद्मवेशी हमें फँसा ना सके.... हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

महालक्ष्मी प्रसन्न

 महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर का संध्यासमय का.. मनोहारी,सुंदर दृष्य https://globalhinduism.online/?p=2009 यह विष्णु पत्नी, कोल्हापुर निवासी, माता महालक्ष्मी परिसर, प्रांगण का संध्या समय का सुंदर,मनोहारी दृष्य है। जब भक्तों पर संकट आते है तो देवीदेवता भक्तों की हर मुसिबतों में रक्षण करते है। मेरी माता महालक्ष्मी ने भी मुझे  अनेक संकटों में आधार दिया है। माता मेरे साथ बाते भी करती है। माता का मैं तेजस्वी पूत्र हुं इसका अभिमान है। एक बार सपनों में आकर मेरी माता महालक्ष्मी मुझे बोली... " क्यों रोता है ? क्यों व्यर्थ की चिंता करता है ? क्यों परेशान होता है ? अब मैं तेरे घर में रहने को आई हुं । " और सचमुच में अनेक मुसिबतों में मुझे हर बार माता के चमत्कार दिखाई देते है। सद्गुरु कृपा से मेरा जीवन धन्य हो गया। अनेक देवीदेवता मेरे साथ प्यार से बाते करते है। आप भी यह लिंक खोलकर माता के मंदिर परिसर के दर्शन किजिए। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन 🙏🕉🚩💐

सदैव कुमार ही रहेंगे

 सदैव कुमार रहेंगे ------------------------------ कुमार, मतलब यौवन,तारुण्य, जोश,कुछ कर दिखाने की शक्ति। इस कुमारअवस्था में हिंमत से इंन्सान जीता है।और कुछ जबरदस्त कार्य कर दिखाता है। जैसे जैसे उमर बढती है... शरीर थकता जाता है।शरीर को और मन को सदैव चैतन्यदाई रखने के लिए, योगासन, प्राणायाम, माँर्नींग वाक,स्विमींग, साईकिलींग द्वारा तरोताजा रखा जाता है।और बढती उमर की तकलीफ न होकर.... व्यक्ति प्रसन्न रहता है। इसिलए साथीयों, अगर उमर बढ भी रही तो भी मन की अवस्था सतत कुमारअवस्था ही रहनी चाहिए। सदैव प्रसन्न चित,हास्य मुख,आनंदित ही रहना चाहिए। सभी पर पवित्र ईश्वरी प्रेम ही करना चाहिए।पशुपक्षी सहीत निसर्ग, पेड पौधोंपर भी प्रेम करना ही चाहिए। इसिलिए मन भी हमेशा प्रसन्नचित रहेगा और भूतदया, परोपकारी भावना भी दृढ रहेगी। और आप सदैव कुमार ही रहेंगे। मगर एक बात पक्की याद रखना साथियों, जहाँ हमारे सच्चाई, अच्छाई की कीमत ना हो उस स्थान पर कभी मत रहिए।हमेशा के लिए ऐसे स्थानों से दूर चले जाईये।अन्यथा. ऐसे माहौल में हमारे अंदर घुटन सा होता है।और इसका परिणाम स्वास्थ्य तथा हमारे मन पर भी होता है। और आपके चैतन्य

देश माँगे क्रांती

 देश माँगे क्रांति ----------------------------- जी हाँ साथीयों, देश में भयंकर तेज गती से बढती भयंकर हैवानियत रोकने के लिए... हर पल,पल पल हमारे लिए महत्वपूर्ण है.... यह हमारे अस्तीत्व का प्रश्न है। हैवानियत कैसे बढाई,किसने बढाई... लगभग पूरा देश सच्चाई जान गया है...और देश धिरे धिरे जाग भी रहा है।मगर लोगों में,समाज में जागृती की लहर भयंकर तेज गती से बढानी होगी।वह भी कानून के दायरे में रहकर ही कार्य सफल करना होगा। कुछ प्रश्नों के जवाब खुद को पुछीए और आत्मतेज जगाईये।ताकी क्रांती की लहर संपूर्ण देश में वायुगती से फैल सके। हैवानियत बढाने वालों की गती और संख्या आग की तरह चारों तरफ फैल रही है,और सत्य को...धर्म को जलाने की चारो तरफ सेकोशिश कर रही है। और हमारे, कुछ...लोग...गहरी नींद में है अथवा हैवानियत का साथ दे रहे है। इसिलिए, पचास प्रतिशत भी जागेंगे, आत्मतेज जागृत करेंगे तो... क्रांती की लहर ही नही... तूफान आयेगा... और अधर्म पर प्रहार होगा। उन्होंने इतने भयंकर, भयानक, भयावह जोर के झटके हमें दिए है की, हमारे समझ में भी नही आये। मगर हम भी अब ऐसे जोर के झटके धिरे से लगाएंगे की... हैवानियत पर ही

ईश्वर को भी

 भगवान राम और कृष्ण का दुख -------------------------------- यह मृत्यु लोक है।और यहाँ तो दुख ही जादा है,और सुख अत्यल्प।  यहाँ पर देवीदेवता भी अवतार धारण करते है तो भी उनको भी हमसे जादा अनेक दुख झेलने पडते है। जी हाँ। भगवान को भी दुख झेलने पडते है। विष्णु को भी भयंकर दुखों का सामना करा पडा था। विशेषता राम और कृष्ण अवतार में तो भयंकर दुख झेलना पडा था। विष्णु अवतारी परशुराम को तो सिध्दांतों के लिए जन्मदात्री माँ रेणुका ही शिरच्छेद करना पड़ा था। राजा राम को राजऐश्वर्य छोडकर बनवास का भयंकर दुखदर्द झेलना पडा था। फिर सिता का हरण। माता सिता को भूमी में एकरूप हो जाना। और राम का देहत्याग भी शरयु में। भगवान कृष्ण को जनम लेते ही माँ बाप से दूर भागना पडा।वसुदेव देवकी का कारावास। महाभारत के समय का भयंकर प्रसंग। अनेक मृतदेह। और यादव वंश का सर्वनाश। सोने की द्वारका का डुबो देना। और देहत्याग भी.... एक व्याध के बाण द्वारा। कितना संघर्ष मय जीवन। शंभू महादेव का हलाहल प्राशन करना। और हम ? छोटी छोटी बातों पर भयंकर दुखी हो जाते है।तरस जाते है।दुखी होते है। साथीयों, देवीदेवताओं की कथाएं इसिलिए ही हमें सुननी,सुन

तत्पर बनेंगे तो ही जीतेंगे

 मैंने हजारो लेख लिखकर सौ लोगों को जगाने की छोटीसी कोशिश की। आपने कितने लोगों को जगाया ??? हर एक व्यक्ति अगर सौ लोगों को जगाने की कोशीश करेगा तो यह.... हिंदुराष्ट्र त्वरित निर्माण के कार्य को.... वायुगती मिलेगी। मतदान को जाना नहीं और हिंदुराष्ट्र का सपना देखना यह कैसे संभव होगा...??? तत्पर बनेंगे तो ही जितेंगे। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

बिएनएन

 बिएनएन और सिएनएन के सभी पत्रकार साथीयों को,हमारे दर्शक तथा हितचिंतकों को हमारे अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल द्वारा होलीकोत्सव की और रंगों के तौहार की अनेक शुभकामनाएं तथा हार्दिक बधाइयां। आप सभी का जीवन अनेक रंगों की तरह अनेकानेक रंगों से भरा हो।और होलीकोत्सव में हम हमारे सारे दुर्गुणों का संपूर्ण त्याग करके अनेक सद्गूणों को धारण करने का संकल्प करते है। वसंतोत्सव की भी अनेक अनेक शुभकामनाएं। हमारे लोकप्रिय चैनल द्वारा सभी राष्ट्रप्रेमीयों को यह भी आवाहन किया जाता है की, सत्य घटना पर आधारित लोकप्रिय, अंतरराष्ट्रीय फिल्म... कश्मीर फाईल्स का भी थियटरों में जाकर यह फिल्म जरूर देखे।तथा सभी को फिल्म देखने के लिए प्रोत्साहित करें।अगर मुमकिन हुवा तो दस पंद्रह दोस्तों का फिल्म का टिकट निकालकर फिल्म निर्माता का मनोबल अवश्य बढायें।ताकी सत्य उजागर करनेवाली अनेक फिल्मों का निर्माण के लिए निर्माता को शक्ति मिले। जय हिंद वंदे मातरम्

गुरूत्व प्रखर होता है

 गुरूतत्व उपर से अग्नि समान प्रखर मगर फणस जैसा अंदर से मिठा होता है -------------------------------- जब सद्गुरु शिष्य की परीक्षा लेने के लिए कठोर शब्दों द्वारा प्रहार करते है तो गुस्सा नहीं करना चाहिए अथवा बूरा नहीं मानना चाहिए।अथवा नाराज होकर सद्गुरु से दूर भागना भी नहीं चाहिए। क्योंकि सद्गुरु जब कठोर शब्दों द्वारा अथवा आचरण द्वारा जब शिष्य पर प्रहार करते है  तो साफ है की सद्गुरु की परीक्षा में वह शिष्य पास हो जाए।कठोर शब्दों द्वारा अग्नि में जलकर वह शिष्य शुध्द हो सके।और प्रारब्ध गती के पापों से भी मुक्त हो सके। कोई दुष्ट लोग कहते है की,ऐसा करनेवाला सिध्द पुरूष कैसे बन सकता है ? अक्कलकोट स्वामी जी की भाषा कठोर थी।और बडे उंचे आवाज में स्वामीजी बाते करते थे,ऐसा कहते है। इसका उद्देश्य पवित्र ही होता था।और शिष्यों के कल्याण के लिए स्वामीजी ऐसी बाते करते थे। कभी कभी सद्गुरु शिष्यों के कर्म जलाने के लिए लाठी से भी प्रहार कर सकते है।सहनेवाला और अग्नि परीक्षा में पास होनेवाला शिष्य होगा तो जनम जनम के कल्याण ही होते है। गजानन महाराज शेगांव के जिन्होंने अपने एक शिष्य का कुष्ठ रोग उनकी थुक द्वा

आजादी के बाद दो व्यक्तियों ने...

 आजादी के बाद दो व्यक्तियों ने.. --------------------------------- साथीयों, आजादी कैसे मिली यह हम सभी को पता है।मगर आजादी के बाद कुछ व्यक्तियों ने देश को गुमराह करके सत्ता हासिल की।भयंकर, महाभयानक षड्यंत्र द्वारा बडे शातीर दिमाग से आसुरी सिध्दांतों को बढावा दिया।और उपर से भगवान भी बन बैठे। क्या भयानक दिमाग लगाया है ना साथीयों , देश को संस्कृति मुक्त समाज बनाने का ? तौबा तौबा।महाभयानक षड्यंत्र। और हम ? भोलेभाले बनकर, उनको देवता बनाकर, उनकी पूजा करते रहे।उनके पुतले खडे करते रहे। वह हमारे बरबादी का नियोजन करते रहे।और हम मुर्ख बनकर उनकी पूजा करते रहे। क्या यह हमारा दोष है ? या हमारे भोलेपन का ? यह हमारा दोष नहीं है।उनकी भयानक शतरंजी चाल का दोष है। और दुर्देव से लुटेरे, आक्रमणकारियों के नाम स्वाभिमान से गली शहरों को हम देते है।और  दो.... महाभयानक, शतरंज की चाल चलनेवालों के पुतले खडे करके,उनकी पूजा भी करते है। मगर जब सत्य ,हकीकत, असलियत, नकली मुखौटे समाज मन को समझ में आयेंगे तब... यही हमारा आदर्श समाज ऐसे नौटंकीबाजों के पुतले पर थुकेगा। समझ गये ना ईश्वर बन बैठे वह महान हस्तियां ? हाय तौबा...

ईमानदार, सच्चे और अच्छे लोग

 ईमानदारी, सच्चाई, अच्छाई  और.....परेशानियां ------------------------------------ दोस्तों, आदमी जीतना ईमानदार, सच्चा,अच्छा, प्रामाणिक उतनी मुसिबतें....? जादा। जी हाँ साथीयों, पिडा,दुखदर्द, आत्मक्लेश हमेशा अच्छे और सच्चे, ईमानदार लोगों के ही नशीब में जादा होते है। आखिर ऐसा क्यों ? क्योंकि सच्चा आदमी कभी भी सिध्दांतों से समझौता नहीं कर सकता।इसिलिए ऐसे लोगों को पिडा,दुखदर्द देनेवाले ही जादा मिलते है।और अक्सर इमानदार आदमी ही पिछे रह जाता है।क्योंकि बुरे,संधीसाधु लोग अच्छे, इमानदार व्यक्तियों को आगे जाने ही नहीं देते है।हमेशा अच्छे लोगों की टांग अडाना, उन्हें दुखदर्द, पिडा,आत्मक्लेश देना ही बुरे ,मतलबी लोगों का उद्देश्य होता है। साफ दिलवाले लोगों के प्रति नफरत करना, उनको हर प्रयास से बदनाम करना ,यातना देना ही कुछ दुष्ट लोगों का कार्य होता है। क्योंकि सच्चे,अच्छे, ईमानदार, प्रामाणिक लोगों की वजह से बुरे लोग हमेशा परेशान रहते है।सच्चे और ईमानदार लोगों की बढती लोकप्रियता उन्हें सही नहीं जाती।इसिलए दुष्ट लोग सच्चे और ईमानदार आदमीयों के खिलाफ हमेशा कुभांड रचते है।और साफ दिलवाले लोगों की लोकप्रिय

कश्मीर फाईल्स

 कश्मीर फाईल्स के लिए महत्वपूर्ण नोटस् १) हर एक भारतीयों को और संपूर्ण विश्व मानव को अत्याचार संबंधी जागरूक करने हेतु यह फिल्म देखनी अत्यावश्यक है। २) इस फिल्म को तुरंत टैक्स फ्री बनाना अत्यावश्यक। ३) कोई प्रखर राष्ट्र प्रेमी अमीर व्यक्ति संपूर्ण थिएटर बुक करके लोगों को फ्री में दिखाना जरूरी है।हर थिएटर के लिए ऐसा जरूरी है। ४) समय निकालकर हर एक देशवासी यह फिल्म जरूर देखे। ५) फिल्म का विरोध करनेवालों पर तुरंत कानूनी कारवाई होना जरूरी। ६) लगातार ऐसी अनेक आक्रमणकारियों के अत्याचार की फिल्में बनना अत्यावश्यक तथा समय की माँग। विनोदकुमार महाजन प्रखर राष्ट्रप्रेमी पत्रकार

लाखों की बात

 *🌹🙏🏻राधे राधे प्रभु जी🙏🏻🌹*        *अपने जीवन की गुप्त बातें, किसी विशेष विश्वासपात्र व्यक्ति को ही बताएं, सबको नहीं।*         *अपना सुख दुख बांटने के लिए व्यक्ति किसी न किसी को ढूँढता ही है, जो उसके मन की बात सुनकर उसके दुख को हल्का कर दे। जो उसकी समस्याओं का समाधान बता दे। परंतु प्रश्न यह है कि किसको अपने मन की बात बताई जाए! उत्तर है, किसी विश्वास पात्र को बताई जाए।*        *प्रायः सभी के जीवन में कुछ बातें ऐसी होती हैं, जो दूसरों को बताना हानिकारक हो सकता है। क्योंकि संसार में सभी लोग शुद्ध मन वाले नहीं हैं। बहुत से लोग दुष्ट एवं बहुत से लोग मूर्ख भी हैं।*  *ऐसे दुष्ट और मूर्ख लोग आपके जीवन की गुप्त बातों को दूसरों के सामने बताकर आप की बड़ी-बड़ी हानियां कर सकते हैं, अथवा आप को ब्लैकमेल कर के आप के जीवन में अशांति उत्पन्न कर सकते हैं। इसलिए सावधानी का प्रयोग करें। सबको अपनी बातें न बताएं।*       *जो जो व्यक्ति आप के संपर्क में आते हैं, लंबे समय तक उनका परीक्षण करें। परीक्षा के पश्चात् जब आपको उन में से किसी एक आध व्यक्ति पर पक्का विश्वास हो जाए, कि यह व्यक्ति बुद्धिमान, सरल, मे

अजब गजब

 अजब गजब...... ----------------------------- अट्टल गुनहगार, नामचीन गुनहगार, कारागृहों में बंद  होकर भी....  अंदर से  चुनाव लडते है... लाखों मतों से  आराम से जीत के आते है... कमाल है जनता की... नामचीन गुनहगारों को लाखों मतों से जीताकर लाते है.... सरपर लेकर नाचते है... अजब गजब के लोक अजब गजब का लोकतंत्र अजब गजब का कलियुग कारागृहों में बंदी बनकर रहते है.... और सुसंस्कृत समाज को जोर का झटका धिरे से लगाकर.... हाहाकार भी मचाते है और हाहाकारी समाज की शक्तियां भी बढाते है.... और सज्जन शक्तियों को त्राही माम् बनाते है... लोकतंत्र के नामपर चलनेवाला तमाशा कब बंद होगा ? कौन बंद करेगा ? हाहाकारी समाज को कौन नियंत्रित कर देगा ? सब अजब गजब... सब अजब गजब... ------------------------------ विनोदकुमार महाजन

जोर का झटका

 जोर का झटका... धिरेसे लगे  जबतक पापी पाकिस्तान का सर्वनाश नही होगा.... तबतक देश में छुपे हुए गद्दार पाकिस्तान प्रेमीयों का बंदोबस्त करना मुश्कील है.... क्योंकी, पाकिस्तान ही इनको शक्ती देता आया है युक्रेन की तरह रशिया और इस्त्रायल का साथ लेकर कर दो एक ही झटके में पाकिस्तान का काम तमाम... यही वक्त है... यही समय है... जोर का झटका धिरे से लगाने का भारत माता की जय विनोदकुमार महाजन

सुभाषचंद्र बोस

 कितना प्यारा था यह राष्ट्र गान हमारा सुभाषचंद्र बोस जी का यह प्यारा प्यारा संपूर्ण देश का है इसमें महिमामंडन सारे विश्व में पहुंचेगा हिंदुस्तान का परचम यह राष्ट्र गान सुनते ही जागता है रोम रोम हमारा आदर्श हिंदुस्तान का यह है उद्घोष निराला सुनो सुनो रे भाईयों और सुनो सुनो बहनों यह सुंदर राष्ट्र गान निराला... राष्ट्र गान सुनते ही एक प्रश्न मन में आता है... सचमुच में देश के प्रधानमंत्री अगर... सुभाष बाबू ही बनते तो ? कितनी बहार आती मेरे देश में ? सर्वश्रेष्ठ योग्यता होकर भी... आखिर... क्यों न बन सके ??? भारत के प्रधानमंत्री.... हमारे, हम सभी के, प्यारे प्यारे सुभाषचंद्र बोस ??? प्रश्न हमारे अंतरात्मा को पुछना है.... और जवाब ही अंतरात्मा से ही देना है.... सोचो,समझो,जानो,जागो.... भारत माता की जय वंदे मातरम् हरी बोल शब्दांकन : - विनोदकुमार महाजन

यही मौका है

 *यही मौका है....अब,*   *बाण चला दो !!!* --------------------------------- जागतिक राजनिती में रशिया युक्रेन को पछाड रहा है।युक्रेन को सारे विश्व से ना के बराबर सहयोग मिल रहा है। रशिया हमारे देश का हमेशा हितचिंतक रहा है।इसिलिए अब हमें भी रशिया का साथ देना ही होगा। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है की, वैश्विक स्तर पर मोदिजी का कार्य भी तेजी से बढ रहा है।और हमारे देश में भी विधानसभा चुनाव नतीजों ने यह साबित किया है की मोदी लहर कायम तो है ही।साथ ही लोगों में मोदिजी के प्रती विश्वास और भी बढ गया है।और मोदिजी की लोकप्रियता भी तेजिसे बढ रही है। अब, यही एक मौका है की.... राष्ट्रद्रोही शक्तियों पर बाण चलाकर उन्हे सदा के लिए नेस्तनाबूत करने का।फिर यह शक्तियाँ सर उपर ना उठा सके,ऐसे सक्षम कदम अब उठाने ही होंगे। रोहिंग्या,बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों को तुरुंत बाहर निकालना.... पाकव्याप्त कश्मीर, बलुचिस्तान और मानसरोवर पर एक शक्तिशाली प्रहार करके कब्जा जमाना.... और चाईना तथा पाकिस्तान का सरदर्द सदा के लिए मिटाना। अनेक सालों से हमारे भारतभूमी को.... हिंदुराष्ट्र घोषित करने की यथोचित माँग हो रही है.

म्हातारपण येक नये म्हणून चालण्याचा व्यायाम

 🍁 *वृद्धत्व पायापासून वरच्या दिशेने सुरू होते!* आयुषचे माजी महासंचालक डॉ.जी.डी.लवेकर यांनी पाठवले आहे. *पाय सक्रिय आणि मजबूत ठेवा !!* ▪️जसे वर्षे घालवतो तसे रोज म्हातारा होत असतो,पाय नेहमी सक्रिय आणि मजबूत असले पाहिजेत. जसजसे सतत म्हातारे होत असतो/वृद्ध होत असतो,तस तसे केस राखाडी होण्याची/ त्वचा निस्तेज/ चेहऱ्यावर सुरकुत्या पडण्याची भीती बाळगू नये. *दीर्घायुष्य* प्रदीर्घ तंदुरुस्त आयुष्याच्या लक्षणांपैकी लोक प्रिय यूएस मॅगझिन"प्रिव्हेन्शन" द्वारे सारांशित केले आहे,पायां चे मजबूत स्नायू *सर्वात महत्त्वाचे आणि आवश्यक* म्हणून शीर्षस्थानी सूचीबद्ध आहेत.कृपया दररोज चालत जा. ▪️जर फक्त २ आठवडे पाय हलवले नाही तर पायाची खरी ताकद १० वर्षांनी कमी होईल. *फक्त चाला* ▪️डेन्मार्कमधील कोपनहेगन विद्यापीठाच्या एका अभ्यासात असे आढळून आले आहे की वृद्ध,तरुण २ आठवड्यांच्या *निष्क्रियता* दरम्यान,पायां च्या स्नायूंची ताकद *एक तृतीयांश* कमकुवत होऊ शकते* जे २०-३० वर्षांच्या वृद्धत्वाच्या समतुल्य आहे !! *म्हणून फक्त चाला* ▪️पायाचे स्नायू कमकुवत झाल्यामुळे नंतर पुनर्वसन व व्यायाम केले तरीही ते बरे होण

ऐतिहासिक दिन

 १० मार्च २०२२ ऐतिहासिक दिन... आज से देश में और संपूर्ण विश्व में... राक्षसी शक्तियों का सर्वनाश होने का समय आरंभ हो चुका है... हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

जागो

 यह वीडियो देखिए मंदिर में आरती के समय में मशीन द्वारा वाद्यों को बजाया जा रहा है। आखिर क्यों ??? मेरे सनातनी हिंदु भाईयों, तुम्हारे पास मंदिर में जाने के लिए समय नही है।वाद्य बजाने में समय नही है।ईश्वरी चिंतन के लिए समय नही है।धर्म के लिए समय नही है। हम हिंदु धर्म के प्रति इतने उदास, हताश क्यों बनते जा रहे है ? कहाँ है हमारा धधगता ईश्वरी तेज ? वह ज्वाला नारसिंह जैसा धधगता अंगार ? कहाँ है हमारा अभिमान, स्वाभिमान ??? कहाँ है हमारा तेज ??? जागो साथियों जागो। धर्म रक्षा के लिए जागो। मंदिर जाकर भगवान की पूजा अर्चना करो। ईश्वरी चिंतन करो। अपना ईश्वरी तेज जगावो। माथे पर भगवान का प्रतीक भगवा तीलक लगावो। गले में गर्व से रूद्राक्ष की,तुलसी की माला पहनो। हर घर पर भगवा ध्वज गर्व से लगावो। हर दुकान, मकान पर स्वाभिमान से भगवा ध्वज लहरावो। हप्ते में एक बार हर गाँव,गली,शहर में धर्म जागृती अभियान चलावो। जय जय श्रीराम और जय श्रीकृष्ण का बुलंद नारा लगावो। जागो साथीयों जागो। धर्म रक्षा के लिए जागो। आसुरी सिध्दांतों की हैवानियत को रोकने के लिए जागो। गौमाता की रक्षा के लिए जागो। गंगा मैया जैसी नदीयों को स्

आत्माएं संपर्क कैसे करती है...???

 आत्मे संपर्क कैसे करते है? ------------------------------ कठोर तपश्चर्या के बाद आत्मा की अनुभूती मिलने लगती है।जागृत अतिंद्रिय शक्ती,आज्ञाचक्र जागृती द्वारा ब्रम्हज्ञान प्राप्ती से भी आत्मानुभूति मिल सकती है।इसीलिए साधक संवेदनशील तथा सदैव जागरूक होना जरूरी है। अपने भी इस पंचमहाभूतों के देहतत्व में भी खुद की आत्मा और इसी प्रकार से सभी सजीवों में भी आत्मतत्व की पहचान हो जाती है। सभी सजीवों में पंचमहाभूतों के देहतत्व का संचलन आत्मतत्व ही करती है।प्राण याने की आत्मा देह से अलग होती है तो,पंचमहाभूतों का देह मृत हो जाता है। सभी सजीवों में आत्मतत्व, पंचमहाभूतों का देह,जन्म-मृत्यु, आहार-निद्रा-भय-मैथून-पुर्नउत्पादन का तत्व एक ही होता है। इसी प्रकार से सभी देहतत्व का संबंध आत्मतत्व से और आत्मतत्व का संबंध परमात्म तत्व से निरंतर होता है।मगर प्रारब्ध गतीअनुसार जीव मोहमाया में फँसकर, अज्ञान बन जाता है।और खुद का चैतन्य मई,तेजस्वी, ईश्वरस्वरुप रुप भूल जाता है। तो देह त्यागने के बाद अदृष्य आत्माएं हमसे संपर्क कैसे करते है? देहत्याग के बाद आत्मा को खुद की असली पहचान होती है।और भूत-वर्तमान-भविष्य का स

जागो

 भारतीयों का गौरवशाली इतिहास हमें क्यों नही पढाया गया ??? साथीयों, हमारे भारतीयों का इतिहास एक जबरदस्त शक्तिशाली प्रेरणास्रोत है हमारे लिए।ऐसे किर्तिमान आदर्श हमारे देश में स्थापित हुए है।और हमें ही ऐसी सत्य घटनाओं से दूर रखा है। आखिर क्यों ? किसने किया ऐसा ? कौन है षड्यंत्र का असली सुत्रधार ? क्या तुम्हारे अंदर खून है ? और ऐसे अत्याचारों के खिलाफ तुम्हारा खून सचमुच में खौलता है ? अगर हाँ... तो हमारा साथ दिजिए। मैं, विनोदकुमार महाजन और मेरे परमस्नेही प.पू.लक्ष्मण बालयोगीजी और उनके हजारों सहयोगी, हम सबने मिलकर, वैश्विक क्रांति का, संपूर्ण परिवर्तन का, अगस्त क्रांति का, बिडा उठाया है। साथीयों, हमारे वैश्विक अभियान में आप सभी मानवता प्रेमीयों को,सभी ईश्वर प्रेमीयों को,सभी जात - पथ - पंथीयों को ,और सनातन प्रेमी सभी धर्मीयों को इस अभियान में जूडकर, तन - मन - धन से जुडकर, संपूर्ण समर्पित भाव से योगदान देना है। साथियों, यूग बदल रहा है,समय करवट बदल रहा है। ईश्वरी सिध्दांतों की अंतीम जीत तथा वैश्विक मानवीय समुह को और सभी सजीवों को सुख - चैन से जीने के लिए, उन सभी के निसर्ग दत्त अधिकारों को कायम

भारत का गौरवशाली ईतिहास

 दूसरे विश्व युद्ध के समय, पोलेंड पुरी तरह तबाह हो गया था.  सिर्फ औरतें और बच्चे बचे थे. बाकी सब वहां के पुरुष युद्ध में मारे गए थे.                 पोलेंड की स्त्रियों ने पोलेंड छोड़ दिया क्योंकि वहां उनकी इज्जत को खतरा था. तो बचे खुचे लोग और बाकी सब महिलाएं व बच्चे से भरा जहाज लेकर निकल गए, लेकिन किसी भी देश ने उनको शरण नहीं दी.                फिर यह जहाज भारत की तरफ आया. वहां गुजरात के जामनगर के तट पर जहाज़ रुका. तब वहां के राजा *जाम दिग्विजय सिंह जाडेजा* जी ने उनकी दिन हीन हालत देखकर उन्हें आश्रय दिया. न केवल आश्रय दिया, अपितु उनके बच्चों को _आर्मी_  की _ट्रेनिंग_  दी, उनको पढ़ाया, लिखाया, बाद मे उन्हें हथियार देकर पोलेंड भेजा जहां उन्होंने जामनगर से मिली _आर्मी_  की _ट्रेनिंग_  से देश को पुनः स्थापित किया.                 आज भी पोलेंड के लोग उन्हें अन्नदाता मानते हैं. उनके संविधान के अनुसार *जाम दिग्विजय सिंह* जी उनके लिए ईश्वर के समान हैं. इसीलिए उनको साक्षी मानकर आज भी वहां के नेता संसद में शपथ लेते हैं.                 यदि भारत में दिग्विजय सिंह जी का अपमान किया जाए तो यहां की कान