आगे बढो ------------------------------------- मनुष्य जन्म का उद्देश्य क्या है ? खाना,पिना,मौज मस्ती करना, पैसा कमाना,ऐश करना, शादी करना,चार बच्चे पैदा करना, केवल इतना ही है ? हरगीज नही। किडे मकौडे भी जन्म लेते है, और मर जाते है। आत्मज्ञान, आत्मकल्याण,सजीवों का कल्याण, और नर का नारायण बनकर, सृष्टि का कल्याण करना, यही मनुष्य जन्म का उद्दीष्ट तथा अंतीम साध्य होता है। ध्येय और ध्येयपूर्ती। संकल्प और सिध्दी। उच्च ध्येयासक्ती और अंतीम ध्येयप्राप्ती। हरदिन, नितदिन, हरपल इसी दिव्य संकल्प की ओर बढाना चाहिए। आगे बढना चाहिए। मुझे पता है, अनेक रूकावटें आयेगी। अनेक कष्ट झेलने पडेंगे। अनेक अपमान होंगे। जानबूझकर अपमानित, हतोत्साहित, प्रताडित किया जायेगा। समाज, स्वकीय भी हँसेंगे, नितदिन नई नई बाधाएं डालेंगे। आपको येनकेन प्रकारेण समाप्त करने की कोशीश करनेवाले, हरपल,पगपग मिलेंगे। अनेक बार,बारबार अपयश का जहर भी हजम करना पडेगा।अपमान, निंदा भी सहनी पडेगी। नाराजी,उदासी,व्याकुलता, हतबलता आयेगी। बेचैनी आयेगी। चारों तरफ से मुसीबतों की आग भी लगेगी। दुनिया भी तरसायेगी,तडपायेगी। कोई सहारा नही मिलेगा। नारकीय जीवन