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Showing posts from September, 2020

खुशियों की झोलियाँ भर देंगे हम

 नई उमंग,नई आशा, नया किरण,नया जीवन, लेकर आये है हम आपकी खुशियों की, झोलियाँ भरभर के देंगे हम हँसते रहो, मुस्कुराते रहो आपका दिन खुशियों से भरा रहे हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

मोदिजी का साथ देश का विकास

 मेरे प्यारे देशप्रमीयों, देशहित के लिए मोदिजी का साथ दो। बेईमान, गद्दार, राष्ट्रद्रोहीयों का जमकर, संगठीत बनकर बहिष्कार करो। इसी थाली में खाकर इसी  थाली में छेद करनेवाले नमकहराम पाकिस्तान प्रेमियों का संपूर्ण रूप से बहिष्कार करो। रोंहिंग्या,पाकिस्तान तथा बांग्ला घुसपैठियों को देश के बाहर निकालने के मोदिजी के मुहिम में संम्मिलीत हो। कितने दिनों तक हमारे टैक्स के पैसों से हम गुनहगारों को पालते रहेंगे ? हिंदुओं पर अत्याचार करनेवाले कानून शीघ्र अती शीघ्र हटा दो। गद्दारों से,टुकडा गैंग से देश बचावो, राष्ट्र बचावो, संस्कृती बचावो। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

गृह....दुर्दशा

 *नींव ही कमजोर पड़ रही है गृहस्थी की ।* आज हर दिन किसी न किसी का घर खराब हो रहा है । इसके कारण और जड़ पर कोई नहीं जा रहा । 1, माँ बाप की अनावश्यक दखलंदाज़ी । 2, संस्कार विहिन शिक्षा  3, आपसी तालमेल का अभाव  4, ज़ुबान  5, सहनशक्ति की कमी 6, आधुनिकता का आडम्बर  7, समाज का भय न होना 8, घमंड झुठे ज्ञान का  9, अपनों से अधिक गैरों की राय 10, परिवार से कटना । मेरे ख्याल से बस यही 10 कारण हैं शायद ? पहले भी तो परिवार होता था, और वो भी बड़ा । लेकिन वर्षों आपस में निभती थी । भय भी था प्रेम भी था और रिश्तों की मर्यादित जवाबदेही भी । पहले माँ बाप ये कहते थे कि मेरी बेटी गृह कार्य मे दक्ष है,  और अब मेरी बेटी नाज़ो से पली है आज तक हमने तिनका भी नहीं उठवाया । तो फिर करेगी क्या शादी के बाद ? शिक्षा के घमँड में आदर सिखाना और परिवार चलाने के सँस्कार नहीं देते । माँएं खुद की रसोई से ज्यादा बेटी के घर में क्या बना इसपर ध्यान देती हैं । भले ही खुद के घर में रसोई में सब्जी जल रही हो । ऐसे मे वो दो घर खराब करती है । मोबाईल तो है ही रात दिन बात करने के लिए । परिवार के लिये किसी के पास समय नहीं । या तो TV या

कावळा आणी धर्म

 *✍🏽काकं स्पर्श.*( आपल्या वैदिक संस्कृतीला समजून घेण्यासाठी ही Post नक्की वाचा ! ) 🙏 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *रस्त्यावरचा उकिरडा फुंकणारा,काळ्या रंगाचा विचित्र कर्णकर्कश ओरडणारा "कावळा" त्याला श्राद्ध, कार्याला पिंडाला शिवण्याचा अधिकार कुणी दिला?? त्याने पिंडाला शिवले की ते पितरांना कसे पोचते?? याबाबतीत अनेक कुचेष्टा आणि सनातन वैदिक धर्माला नावे ठेवली जातात??* *याचे उत्तर----* #सनातन वैदिक संस्कृती सर्वसमावेशक आहे.या संस्कृतीने प्रत्येक सजीव-निर्जीव घटकाची उपयोगिता लक्षात घेऊन तशी व्यवस्था काही हजार वर्षांपूर्वी लावली आहे.ती व्यवस्था निर्सगाला मान्य आहे.परंतु सगळं माहित आहे असं वाटणाऱ्या माणसाला अनेक गोष्टींचे अजूनही अज्ञान असल्याने त्याच्याकडून याबाबतीत उगाच शंका उत्पन्न केल्या जात असतात. *कावळ्याच्या बाबतीत अध्यात्मिक कथा-* कावळा पूर्वी देव लोकीचा गंधर्व होता.अतिशय सुंदर दिसणारा आणि सुमधुर गायन करणारा गंधर्व होता.त्याने एकदा त्याच्या मनात आलेल्या पापवासनेमुळे चंद्र पत्नीस स्पर्श केला.यावेळी क्रोधीत होऊन चंद्र देवतेने त्याला शाप दिला *"हे गंधर्वा तू अतिशय कुरूप काळा दिसशील

धर्म कार्य

 जिसके आँसु पोंछे वही रूलाते है मुसिबतों की घडी में स्वकीय ही पिडाएं देते है जिनसे सहायता की अपेक्षा की वही गला घोंट देते है धर्म कार्य में स्वधर्मीय ही अनेक विघ्न, बाधाएं डालते है कलियुग के भयंकर  माहौल में विश्वासघात का जहर भी बारबार हजम करना ही पडता है फिर भी महापूरूष अपने दिव्य कार्यों में जरूर कामयाब ही होते है हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

कितना बदल गया इंन्सान ?

 मेरे सद्गुरू ने देहत्याग करके पूरे सत्ताईस साल हो गये मगर उनकी याद में हरदिन मेरे आँखों से आँसु बहते है इतना दिव्यप्रेम उनके अंदर था साक्षात स्वर्ग देहत्यागने के बाद भी उन्होने मुझे गायत्री मंत्र दिया मगर आज दुर्देव से घर का कोई सदस्य स्वर्गवासी होता है तो दुसरे ही दिन में अनेक घरों में हँसी मजाक और  ठहाके की आवाजे गुंजने लगती है सचमूच में इंन्सान इतना संवेदनशून्य बन गया ❓ इतना ह्रदयशून्य बन गया ? ऐसा क्यों हुवा ? विनोदकुमार महाजन

देश बचावो

 नोटबंदी का विरोध राम मंदिर का विरोध धारा 370 का विरोध तीन तलाक का विरोध किसान कानून का विरोध देशप्रमीयों का विरोध महापूरूषों का विरोध देवीदेवताओं का विरोध अरे, तुम हिंदुस्थान में रहते हो या पाकिस्तान में ? राष्ट्रद्रोहीयों को हटावो देश बचावो गद्दारों को पाकिस्तान भगावो संस्कृती बचावो विनोदकुमार महाजन

बहिष्कार

 राम मंदिर निर्माण में सपोर्ट न करनेवाले, सुशांत केस में मौन, धारण करनेवाले, पाकिस्तान प्रेमी , फिल्मी कलाकारों की, पैसों से झोलियाँ, मत भरो,मत भरो। सावधान हो जावो। संपूर्ण बहिष्कार, संपूर्ण बहिष्कार। विनोदकुमार महाजन

देश की सच्चाई

 देश की सच्चाई जिस देश में , 10 करोड़ घुसपैठिया , हमारे संसाधनों , और रोजगार पे , कब्जा जमाकर बैठै , हों .., उस देश को ईश्वर ही, चला रहा है ना कि , GDP !! विनोदकुमार महाजन

ऐसा क्यों हुवा ?

 मेरे सद्गुरू ने देहत्याग करके पूरे सत्ताईस साल हो गये मगर उनकी याद में हरदिन मेरे आँखों से आँसु बहते है इतना दिव्यप्रेम उनके अंदर था साक्षात स्वर्ग देहत्यागने के बाद भी उन्होने मुझे गायत्री मंत्र दिया मगर आज दुर्देव से घर का कोई सदस्य स्वर्गवासी होता है तो दुसरे ही दिन में अनेक घरों में हँसी मजाक और  ठहाके की आवाजे गुंजने लगती है सचमूच में इंन्सान इतना संवेदनशून्य बन गया ❓ इतना ह्रदयशून्य बन गया ? ऐसा क्यों हुवा ? विनोदकुमार महाजन

विश्व स्वधर्म संस्थान

 हमारे, विश्व स्वधर्म संस्थान का प्रमुख उद्दीष्ट है.... विश्व स्वधर्म सुर्ये पाहो अर्थात, जहाँ सुर्य की किरण पहुंचेगी वहाँ स्वधर्म अर्थात ईश्वरी धर्म, मानवता धर्म, सत्य धर्म, सत्य सनातन धर्म, कुदरत का का कानून हो। असुरी सिध्दातों का नाश हो। इसी उद्दीष्ट से प्रेरीत होकर मैंने, पांडुरंग जी के पंढरपूर में 12 साल तथा संत ज्ञानेश्वर जी की नगरी में 12 साल खडतर तप:श्चर्या की है। इसके कार्यसफलता के लिए, खुद ज्ञानेश्वर जी सहीत, मेरे सद्गुरू, गुरू दत्तात्रेय, माता महालक्ष्मी, मेरी कुलदेवता कालभैरवनाथ,मेरी ग्रामदेवता खंडोबा, हनुमानजी,ज्वाला नारसिंव्ह, शेगाव के गजानन बाबा,सज्जनगड के संत रामदास स्वामीजी के शिष्य कल्याण स्वामीजी, और अनेक देवीदेवताओं के, सिध्दपुरूषों के, आशिर्वाद, वरदहस्त प्राप्त हो चुके है। और यह दिव्य संकल्प पूर्ती के लिए हमारा संगठन बन गया है।और तेजीसे हम इसके लिए आगे बढ रह है। इसकी कार्यसफलता के लिए, खुद ईश्वर हमें पग पग पर सहायता कर रहा है,इसकी दिव्य अनुभूती मुझे हो रही है। अब इसके लिए हमें, संपूर्ण विश्व में तथा विश्व के कोने कोने में  गुरूकुल का निर्माण, गौशाला का निर्माण, सना

लढता जा

 आगे बढो ------------------------------------- मनुष्य जन्म का उद्देश्य क्या है ? खाना,पिना,मौज मस्ती करना, पैसा कमाना,ऐश करना, शादी करना,चार बच्चे पैदा करना, केवल इतना ही है ? हरगीज नही। किडे मकौडे भी जन्म लेते है, और मर जाते है। आत्मज्ञान, आत्मकल्याण,सजीवों का कल्याण, और नर का नारायण बनकर, सृष्टि का कल्याण करना, यही मनुष्य जन्म का उद्दीष्ट तथा अंतीम साध्य होता है। ध्येय और ध्येयपूर्ती। संकल्प और सिध्दी। उच्च ध्येयासक्ती और अंतीम ध्येयप्राप्ती। हरदिन, नितदिन, हरपल इसी दिव्य संकल्प की ओर बढाना चाहिए। आगे बढना चाहिए। मुझे पता है, अनेक रूकावटें आयेगी। अनेक कष्ट झेलने पडेंगे। अनेक अपमान होंगे। जानबूझकर अपमानित, हतोत्साहित, प्रताडित किया जायेगा। समाज, स्वकीय भी हँसेंगे, नितदिन नई नई बाधाएं डालेंगे। आपको येनकेन प्रकारेण समाप्त करने की कोशीश करनेवाले, हरपल,पगपग मिलेंगे। अनेक बार,बारबार अपयश का जहर भी हजम करना पडेगा।अपमान, निंदा भी सहनी पडेगी। नाराजी,उदासी,व्याकुलता, हतबलता आयेगी। बेचैनी आयेगी। चारों तरफ से मुसीबतों की आग भी लगेगी। दुनिया भी तरसायेगी,तडपायेगी। कोई सहारा नही मिलेगा। नारकीय जीवन

कितने दिनों तक

 कितने दिनों तक??? ------------------------------- रोहिंग्या, बांग्लादेशी तथा पाकिस्तानी घुसपैठियों को हम कितनें दिनों तक और क्यों पालते पोसते रहेंगे? हमारा अनाज, हमारा टैक्स का पैसा हम देशवासी क्यों उनको दे देंगे,जब हमारे देश में हमारा ही जीना मुश्किल हो रहा है तो...ऐसी विनाशकारी ताकतों को,राष्ट्र द्रोही ताकतों को हम क्यों पालपोसकर बडा कर रहे है? जो ताकतें निरंतर हमें ही बर्बाद करनेपर सदैव तूले हुए है? हिंदुस्थान में रहकर,पाकिस्तान जिंदाबाद के नारें लगाने वालों की,खुलेआम गाय काटनेवालों का हम कदापी साथ नही देंगे। रोहिंग्या, बांग्ला तथा पाकिस्तानी घुसपैठियों को तुरंत बाहर निकालने का सख्त कानून तुरंत बनाने की अती आवश्यकता है। हमारे देश के अर्थकारण पर पडनेवाला भार,अब हमें जल्दी खतम करना ही होगा। हमारे देश में रहकर, हमारा ही खाकर, हमें नेस्तनाबूद करने का सपना देखने वालोँ का साथ हम क्यों दे रहे है? और.. हमारे ही देश में, जैसे की,कश्मीर, केरला,पश्चिम बंगाल जैसे प्रदेशों से हम भागने पर मजबूर क्यों हो रहे है?हमारे ही देश में हमारे ही भाई निराधार-निराश्रित बनकर, दर दर की ठोंकरें क्यों खा रहे है

पिता

 कथा एक " पिता "  की....!!! ------------------------------------ पिता......!!! कितना पवित्र शब्द है ना भाईयों ? एक पवित्र रिश्ता। सभी के लिए। मेरे लिए भी,आपके लिए भी। मगर आज एक भयंकर कथा सुनाता हुं। पिता की। मतितार्थ, गर्भीतार्थ समझने की कोशीश करना। शब्दों की गहराई समझना। क्योंकी, इस देश में होता क्या आया है की, अगर कोई सत्य के लिए जीता है,सत्य के लिए आवाज उठाता है... तो....??? चारों तरफ से उसे दबाया जाता है। जीवनभर के लिए, ऐसे सत्य प्रेमीयों को ऐसा लटकाया जाता है की, समाज में वह बदनाम भी हो, जीवनभर वह पछताता भ रहे, रोता भी रहे, और उसका संपूर्ण जीवन ही उध्द्वस्त हो। सही है ना ? आजादी के बाद ऐसा ही होता आया है ना ? आपने देखा है। अनेक महापुरूषों के साथ क्या हुवा है। ठीक ऐसा ही हुवा है ना ? मतलब षडयंत्र....!!! और मैं, कानूनी दांवपेंच में न फंसकर, साँप भी मरे,लाठी ना टुटे, इस हिसाब से हमेशा लिखता हुं। आज भी लिख रहा हुं। जैसे, " आधुनिक शुक्राचार्य " , शब्दों का प्रयोग किस मुसिबत में डालेगा ? एक प्रतिशत भी नही। अब देखते है.... " पिता .....", शब्द। ठगगिरी,भुलभुलै

शेतकरी राजा

 शिकुन सवरून व्हा मोठे, आयुष्यात राहु नका हो छोटे. बालपण गेल हसत खेळत, खुप खुप मज्जा होती शाळेत. शाळेत जावून काय शिकलो ? फक्त नोकरीच करण्याच आम्ही ठरवलं. शेती दिली सोडुन, खेडीही सुटली अन् नोकरीसाठी आलो, शहरात पळून. मुलिंना तर नोकरीवालाच, नवरा हवा. शेतकरी नवरा नको गं बया. अशी जणू जगरहाटीच बनली. शेतक-याची पोरं बदनाम झाली. अस कस गं बया कलीयुग आलं ? उत्तम शेती, मध्यम व्यापार, कनीष्ठ नोकरीचं, गणीत कस समदच, उलट झालं. शेतकरी राजा झाला , अती हैराण. कोण हाय आता त्याला, तारणहार ? विचार करा गड्यांनो, विचार करा. जगाचा पोशिंदा, जगाचा अन्नदाता, असा कसा हो, परेशान झाला ? सरकारनं बी त्याला, दुर्लक्षित केला. नका असं करू बाबाहो, नका अस करू. टाहो फोडून, सांगतोय मी आज, शेतकरी राजा. जर जगला शेतकरी, तरच दुनिया तरल. समदी मिळून आता, शेतक-याला तारा. तरच चालल समदा, जगाचा पसारा. कवी : - विनोदकुमार महाजन.

काली विद्या और मंत्र रहस्य

 काली विद्या और मंत्ररहस्य...!!! --------------------------------------- मंत्रों में भयंकर और जबरदस्त शक्ती होती है।यह सब हम सभी को पता है।इसी विषय पर विस्तृत अभ्यास, विश्लेषण ,विवेचन तथा लेखन भी हुवा है। अनेक अद्भुत रहस्यों के लिए संपूर्ण विश्व के मानवसमुह में बडी दिलचस्पी होती है। और ऐसे अनेक अद्भुत, आश्चर्यजनक, अदृष्य, अकल्पनीय विषयों पर हिंदु धर्म के अनेक ग्रंथों में सटीक विश्लेषण भी किया है। मगर विज्ञान इसे केवल भ्रम अथवा काल्पनिक कथा मानता है।इसिलिए जो दिखाई देता है वही विज्ञान स्विकार करता है।अदृष्य शक्तियों के लिए विज्ञान में उत्तर नही है। जैसे की, सचमुच में आत्मा होती है क्या ? जन्म - मृत्यु क्या है ? मृत्यु के बाद क्या है ? आत्मा कैसे दिखती है अथवा कैसी होती है ? और ऐसे अनेक जटिल तथा अद्भुत विषयों का वर्णन हमारे धर्म ग्रंथों में है। इसीलिए हमारे सनातन संस्कृति को बडी महानता दी जाती है। इसिलए संपूर्ण मानवसमुह के कल्याण के लिए और सृष्टि के कल्याण के लिए यही एकमात्र धर्म ऐसा है की,जीसमें पूर्णत्व है। अब देखते है, काली विद्या और मंत्र शक्ति के बारे में। काली विद्या प्राप्त करने क

धर्म ग्रंथों का सार

 राक्षसों का सर्वनाश....। -------------------------------------- हम धर्म ग्रंथ क्यों पढते है ? इसका पारायण क्यों करते है ? धर्म ग्रंथ हमें क्या सिखाते है ? शुध्द भाव से,शुध्द मन से ईश्वर की शरण में जाकर,सत्य का,ईश्वरी सिध्दातों का,मानवता का,सद्गुणों का स्विकार करना।पशुपक्षियों सहीत सभी पर सच्चा प्रेम करना।निसर्ग नियमोँ का पालन करते करते धरती का और सृष्टि का कल्याण करना.... यही धर्मग्रंथों की सीख होती है। इसके साथ ही दुर्गुणों का त्याग करके,हैवानियत का,अमानवीयता का,राक्षसी सिध्दातों का,हाहाकारी - उन्मादी दुर्गुणों का त्याग करके, सभी का कल्याण चाहना और सभी का कल्याण करना, यही धर्मग्रंथों की सिख होती है। इसी आदर्शों को सामने रखकर, भगवान ने भी विविध उद्दीष्टों को सामने रखकर,धरतीपर अनेक अवतार धारण किये है। ताकी, अच्छाई की जीत हो और बुराई का अंत हो। ईश्वर जब भी मनुष्य देह में अवतरित होते है और ईश्वरी शक्ती की वृध्दि और राक्षसी शक्तीयों का नाश यही उनका उद्दीष्ट होता है। अनेक बार भगवान ने हाथ में शस्त्र लेकर,उन्मत्त, उन्मादी, हाहाकारी ,दुष्ट शक्तियों का नाश ही किया है। राक्षसी सिध्दातों का नाश

राष्ट्र हित सर्वोपरी।

 राष्ट्रहित सर्वोपरी....। -------------------------------------- जी हाँ भाईयों, राष्ट्रहित सर्वोपरी। फिर से एकबार दोहराता हुं, राष्ट्रहित सर्वोपरी। कितने प्रतिशत भारतीय इस विषय पर सोचते है ❓ अत्यंत महत्वपूर्ण विषय। राष्ट्र के लिए। राष्ट्र निर्माण के लिए। राष्ट्र नवनिर्माण के लिए। राष्ट्रप्रेम यह विषय भी कुछ लोगों के लिए,निंदा का विषय बन गया है। इसिलिए कुछ, नमाकहराम,गद्दार, बेईमान, राष्ट्रविघातक, जहरिले साँप, इस देश में रहकर, इस देश का नमक खाकर, हमारे टैक्स के पैसों से पलकर, उल्टा हमें ही ज्ञान देते है, " भारत तेरे तुकडे होंगे..।।।।" वा रे वा नमकहरामों, बेईमानों, गद्दारों, आस्तिन के साँपों। और हम ऐसे बेइमान,गद्दारों को तुरंत कानूनी सख्त सजा देने के बगैर, दूर से खडे होकर मजा देखते है। तमाशा देखते है। हमारे अंदर का, बेईमानों के खिलाफ खून खौलता नही है। यही है हमारा देशप्रेम ? यही है हमारा राष्ट्रप्रेम? सोचो, राजे शिवछत्रपती के समय में अगर कोई बेईमान, गद्दार, भारत तेरे तुकडे होंगे... जैसी गंदी,राष्ट्रद्रोही घोषणा देता... तो राजे शिवछत्रपती क्या उसको माफ करते ? हरगीज नही। तुरंत उसक

पत्थरदिल हिंदु

 पत्थरदिल हिंदु ! ! ! -------------------------------------- भाईयों, आज के लेख में एक जबरदस्त वास्तव लिख रहा हुं। हो सके तो पूरा पढना,हो सके तो चिंतन - मनन करना। आज का विषय है : - पत्थरदिल हिंदु ! विषय पढकर चौंकिये मत। क्योंकी विषय की गहराई वास्तव है। सोचो, हिंदुओं का विरोध करनेवाला, जादा मात्रा में हिंदु। सावरकरकरजी के सिध्दातों को विरोध करनेवाला, जादा मात्रा में हिंदु। आजादी से पहले  और आजादी के बाद भी। सावरकरजी के उच्च विचारों को उपेक्षित रखनेवाला भी, जादा मात्रा में हिंदु। जादा मात्रा में हिंदु। राजे शिवाजी के, हिंदवी स्वराज्य में बाधा उत्पन्न करनेवाला, जादा मात्रा में हिंदु। और सोचो, राष्ट्र को खंडित करनेवाले, लाठीबाबा ( ❓ ) के पुतले खडे करके,उनकी पूजा करनेवाला भी , जादा मात्रा में हिंदु । समझे कुछ ? या अभी भी अनाडी ही है ? अब विस्तार से। देश तो है अनेक देवीदेवताओं का,महापुरूषों का,अवतारी पुरूषों का,ऋषीमुनियों का। अनेक अद्भुत धर्म ग्रंथों का,शास्त्रों का। फिर भी इतनी भयंकर धर्म ग्लानी क्यों ? अनेक मतभेद - मनभेद - मत - मतांतर में बंटे हुए हम हिंदु। जातीपाती में बंटे हुए और सदैव आपस