स्वर्ग।!!!!!!!🕉 ----------------------------- जहाँ पावित्र्य होता है,मांगल्य होता है,श्रेष्ठत्व होता है,भव्यत्व-दिव्यत्व होता है,जहाँ दिव्य प्रेम होता है,जहाँ ऐश्वर्य होता है,जहाँ हमेशा शुभ ही होता है ,जहाँ अमृत होता है,और जहाँ शुध्द आत्माओं का विचरण होता है,जहाँ जन्म-मृत्यु का भय नही होता है,जहाँ देवत्व होता है,जहाँ सच्चाई-अच्छाई, नेकी ही सदा के लिए श्रेष्ठ होती है-वही स्वर्ग होता है। कुछ ज्ञानेश्वर, तुकाराम, रामदास स्वामी, शंकराचार्य, अक्कलकोट स्वामी, गजानन बाबा जैसे पवित्र आत्मे जब स्वर्ग से सिधे पृथ्वी पर अवतीर्ण होते है,पंचमहाभूतों का देह धारण कर लेते है,विश्वोध्दार,समाजोध्दार,मानवता की जीत,ईश्वरी कानून की पुनर्स्थापना करने को,पृथ्वी का स्वर्ग बनाने के लिए अवतरित होते है..... तब...... यहाँ का स्वार्थ, मोह,अहंकार, अधर्म का अंधियारा, पैसों का बाजार, मेरा तेरा जैसा कनिष्ठ नारकीय जीवन देखकर बहुत दुखी होते है।पछताते है।साक्षात अमृतसागर में नहाने वाले ईश्वरी आत्मे जब मनुष्यों के अंदर की गंदगी की वजह से जब परेशान होते है-परोपकारी जीवन की बजाए यहाँ का अत्यंत भयंकर और भयानक स्वार्थी इंन्