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Showing posts from April, 2022

मोबाईल

 मैं बिस्तर पर से उठा... अचानक छाती में दर्द होने लगा... मुझे... हार्ट की तकलीफ तो नहीं है. ..? ऐसे विचारों के साथ. ..मैं आगे वाले बैठक के कमरे में गया... मैंने नज़र की...कि मेरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था... मैने... पत्नी को देखकर कहा... काव्या थोडा छाती में रोज से आज ज़्यादा दुख रहा है... डाॅक्टर को बताकर आता हूं. .. हा, मगर संभलकर जाना...काम हो तो फोन करना  (मोबाइल में देखते देखते हि काव्या बोली... मैं...ऐकटिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पंहुचा... पसीना,मुझे बहुत आ रहा था... ऐकटिवा स्टार्ट नहीं हो रहा था... ऐसे वक्त्त... हमारे घर का काम करने वाला धुर्वजी(रामो) सायकल लेकर आया... सायकल को ताला मारते हि उसे मैने मेरे सामने खडा देखा... क्यों साब. ..ऐकटिवा चालू नहीं हो रहा है...मैंने कहा नहीं... आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती साब... इतना पसीना क्यों आया है ?  साब... स्कूटर को किक इस हालत में नहीं मारते.... मैं किक मारके चालू कर देता हूं... धुर्व ने एक ही किक मारकर ऐकटिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा..साब अकेले जा रहे हो ? मैंने कहा... हां  ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते... चलिए मेरे पीछे बैठ जाओ...

धन्य होते है कुछ लोग

 धन्य होते है ऐसे लोग --------------------------------- धन्य होते है ऐसे लोग जो खुद मुसिबतों में होकार भी दुसरों की सहायता करते है। खुद भूके रहकर भी दुसरों को खाना खिलाते है। खुद दुखी होकर भी दुसरों को सुखी देखने का प्रयास करते है। दुसरों के आँखों में आँसु देखकर खुद भी रोने लगते है। खुद अनाथ होकर भी दुसरों का सहारा बनते है। खुद गरीब होकर भी दुसरों की आर्थिक चिंता करते है। धन्य होते है ऐसे लोग। शायद इनको ही संत कहते है। मगर जालिम दुनिया वाले संतों को भी फँसाते है,रूलाते है। संतों को जीवनभर तडपाते है और उनकी मृत्यु पर मंदिर निर्माण करके,मंदिरों को सोने का कलश चढाते है। हर दिन हार ,फूल, पक्वान्न चढाते है। आरतीयाँ भी उतारते है। और खुद जीवन भर कोरा कागज ही रह जाते है। धन्य होते है ऐसे लोग जो जीवन भर पिडितों का आधार बनते है। और मरणोपरांत भी सभी का प्रेरणा स्त्रोत बन जाते है। हरी ओम् -------------------------------- विनोदकुमार महाजन

मुझे तेजस्वी सौ योध्ये चाहिए

 मुझे तेजस्वी सौ योध्ये चाहिए। -------------------------------- विश्व परिवर्तन के लिए अनेक महापुरूषोंने सदैव निरंतर प्रयास किया गया है। इतिहास साक्षी है। स्वामी विवेकानंद हमेशा कहते थे....मुझे तेजस्वी सौ युवक चाहिए।मैं दुनिया बदल दूंगा। सुभाषचंद्र बोस कहते थे....तूम मुझे खून दो।मैं तुम्हे आझादी दूंगा। अब हम सभी प्रखर राष्ट्राभिमानी तथा राष्ट्रप्रेमीयों को विश्वव्यापक रणनीती बनाने के लिए.... जबरदस्त स्फुर्तीले,जाँबाज,धधगती ज्वाला - लाव्हा - साक्षात आग जैसे तेजस्वी सौ योध्ये मिलेंगे.... तो हम दुनिया बदल देंगे। मरे हुए मन से जिने वाले भेडबकरीयों का यह काम नही है - और कार्य भी नही है। जिंदादिल व्यक्ती चाहिए। तो ? निश्चित रूप से हम जितेंगे भी और यश का परचम पूरे दुनिया में लहरायेंगे भी। है कोई तैयार ? कोयले से असली,तेजस्वी हिरे ढुंडने की रणनीती चल रही है। जो पत्थर होंगे वह एक घाव में ही परस्त होंगे। असली ही टिक पायेंगे। भट्टी में सोना जल रहा है।तप रहा है।शुध्द होकार ही बाहर आयेगा। और सौ की माला बनते ही.... वैश्विक क्रांती का बिगुल बजाया जायेगा। सचमुच में सौ हिरे मिलेंगे ? रत्न पारखी असली हिर

स्वाभिमान

 स्वाभिमान एक बडी चीज है !!! ------------------------------- स्वाभीमान और अहंकार इसमें बहुत फर्क है। स्वाभिमान से हर एक का आत्मसंम्मान बढता है और अहंकार से सर्वनाश होता है। इसिलिए स्वाभिमान होना जरूरी है मगर अहंकार होना घातक है। हर एक सजीवों को खुद का एक स्वाभिमान होता है।और स्वाभिमान पर अगर कोई आघात करता है तो हर प्राणी उसका विरोध करता है,अथवा आक्रमक होता है अथवा बदला भी ले सकता है। इसिलए किसी के स्वाभिमान को हानी पहुंचे ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए।क्योंकि हर एक को आत्मसंम्मान होता है।और जो दुसरों का आत्मसंम्मान बढाता है,उसका भी आत्मसंम्मान बढ जाता है। दुसरों को विनावजह दुखदर्द, पिडा,यातना देना भी उसके स्वाभिमान को ठेंस पहुंचाने जैसा अथवा उसके आत्मसंम्मान पर प्रहार करने जैसा ही होता है। दुसरों को संम्मान देकर भी अगर हमें कोई अपमानित करता है तो यह भी निंदनीय है। स्वाभिमान शून्य होना मतलब लाचार, हीन - दीन होना।और दुसरों को गुलामी का स्विकार करना। इसिलिए जो स्वाभिमानी व्यक्ति होते है,ऐसे व्यक्ति कोई दस करोड़ देने को तैयार होगा...मगर उसके स्वाभिमान को ठेंस पहुंचायेगा... तो भी ऐसे दस.करोड़ हो य

कार्य बढाने के लिए

 अगर तुम्हारे इर्द गिर्द खराब लोग ही रहेंगे तो तुम्हारा कार्य आगे  कभी नहीं बढेगा और अगर इर्द गिर्द तेजस्वी, स्वाभिमानी, प्रामाणिक लोग रहेंगे तो तुम्हारा कार्य वायुगती से बढेगा विनोदकुमार महाजन

एक पवित्र तथा शांत स्थान ,कन्हेरी मठ

 एक पवित्र एवं शांत क्षेत्र: - सिध्दगिरी एवं कन्हेरी मठ --------------------------------- कोल्हापूर के नजदीक लगभग पंधरा किलोमीटर की दूरी पर ,निसर्ग के सानिध्य में ,पवित्र वातावरण में बसा है ,महादेवजी का एक अत्यंत जागृत स्थान... सिध्दगिरी अर्थात कन्हेरी मठ। जो भी यहांपर आता है वहां के पवित्र वातावरण से आनंदीत हो उठता है। सचमुच में यहांपर अदृष्य काडसिध्देश्वर स्वामिजी ने धरती का स्वर्ग बनाया है।जी तोड और दिनरात मेहनत करके स्वामीजी ने अपने गुरू का सपना साकार किया है। मैं एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार हुं।और जब कुछ कारणों से वहां पर गया था ... तो वहां का वातावरण देखकर मेरा मन प्रसन्न चित हुवा और स्वामिजी के और उनके सभी सेवकों के प्रति आदर तथा निष्पाप प्रेम उत्पन्न हुवा और दो शब्द लिखने के लिए मुझे प्रेरणा मिली।जिसमें वहां के स्वर्गीय वातावरण का और आनंददायी वातावरण का सभी को अनुभव हो सके। सबसे पहले मैं वहां के संन्माननीय श्री विक्रम पाटिल जी का तथा डाँक्टर सचिन पाटिल जी का और वहां के संपूर्ण टीम का दिल से आभार व्यक्त करता हुं।जिन्होंने मुझे एक पवित्र तथा स्वर्गीय प्रेम दिया।और एक अनुशासन प्रिय स

नियती का खेल

 जब हमारे दोष न होकर दोष लगते है...तब...। -------------------------------- जींदगी बडी हसीन है दोस्तों।और उतनी ही बडी विचित्र भी। और उतनी ही बडी दुखदाई भी। वैसे तो मानवी जीवन में अनेक बार बडी विचित्र और अनपेक्षित घटनाओं का समाप्त नहीं होनेवाला सिलसिला पिछे लगता है।और मनुष्य जीव हैरान हो जाता है। और हुश्श...हुश्श... करके परेशानियों का सामना इच्छा न होकर भी सहना पडता है। इसिका नाम जीवन है।इसिका नाम जींदगी है।सुखदुखों का बडा विचित्र खेल चलता ही रहता है। अब देखो, कई बार ऐसे अनेक अनपेक्षित प्रसंग भी आते है की...पूछो मत।और ऐसी भयंकर स्थिति में धैर्य और मन की शांति अनपेक्षित प्रसंगों पर विजय दिलाती है। मगर कभी कभी होता ऐसा है की,प्रारब्ध के खेलों में हम विनावजह गहरी मुश्किलों में फँस जाते है।और वह मुश्किलें निरंतर हमारे पिछे भागते रहती है। कभी कभी एक निष्पाप, निष्कलंक जीव भी नियती के चक्कर में ऐसा फँस जाता है की, नितदिन, निरंतर उसे बदनामीयों का ही सामना करना पड़ता है। अगर कोई प्रारब्ध गती के अनुसार मुर्च्छित हुवा है,अथवा खुद की सुधबुध खो बैठा है...पागलों की तरह इधर उधर भटक रहा होता है... तो दुन

गांव कारी में भूमिपूजन संपन्न

 श्री विश्वनाथ आयुष अस्पताल तथा श्री विश्वनाथ योग - आध्यात्म केंद्र का गांव कारी में भूमीपूजन संपन्न ---------------------------------- ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए अब शहरों के साथ साथ ग्रामीण विकास भी अनिर्वार्य बन गया है।ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के हर निवासियों को हर प्रकार की सुविधा उत्पन्न हो और साथ ही रोजगार उपलब्धि भी हो सके... इसी उद्देश्य से .... गांव कारी  ( बार्शी ) जि : - उस्मानाबाद, महाराष्ट्र में...अंतरराष्ट्रीय संत एवं महान तपस्वी तथा योगी,श्रध्देय श्री लक्ष्मण बालयोगी और अंतरराष्ट्रीय पत्रकार श्री विनोदकुमार महाजन द्वारा,दिनांक २४/४/ २०२२ , श्री विश्वनाथ आयुष अस्पताल तथा श्री विश्वनाथ योग - आध्यात्म केंद्र निर्माण , अटलबिहारी कौशल विकास एवं उद्यमिता संस्थान निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया। कारी गांव तथा अडोस पडोस के अनेक ग्रामीणों को सभी प्रकार की हायटेक आरोग्य सुविधा तथा शिक्षापद्धति उपलब्ध हो,और साथ ही रोजगार उपलब्धि के साथ,आरोग्य संपन्न समाज का निर्माण हो, इसी उद्देश्य को सामने रखते हुए श्र बालयोगीजी तथा विनोदकुमार महाजन जी ने यह संकल्प किया है। साथ ही गांव में ही

विश्व बंधुत्व पुरस्कार

 *!!_ विश्व बंधुत्व अवार्ड 2022_!!                             हरि ॐ तत्सत। विश्व पुरोहित यजमान न्यास परिसंघ एवं विश्व बंधुत्व सेवा ट्रस्ट के द्वारा दिल्ली में11 सितंबर 2022 को विश्व बंधुत्व दिवस के सुअवसर पर 64 विभूतियों को विश्व बंधुत्व अवार्ड-2022 से सम्मानित किया जाएगा। जिसमें प्रमुख नाम प.पू.स्वामी रविशंकर महाराज, प.पू.स्वामी रामदेव महाराज, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि कुमार विश्वास,समाजसेवी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रकार विनोद कुमार महाजन, साध्वी शिवशक्ति मीना किन्नर, समाजसेवी योगी माथुर, सरकारी मान्यता प्राप्त पत्रकार जयराम राय, समाजसेवी मदनमोहन गुप्ता, प.पू. योगी राजूनाथ महाराज, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त समाजसेवी शैल्वेंद्र गुप्ता हैं।शेष विभूतियों के नाम यथाशीघ्र घोषित किए जायेंगे।अलख निरंजन।। पंडित लक्ष्मण बालयोगी प्रबंधकर्ता मुख्य प्रशासकीय न्यासी विश्व पुरोहित यजमान न्यास परिसंघ*

अटलजी

 *!!- भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री एवं विश्व पुरोहित यजमान न्यास परिसंघ के प्रेरणास्रोत व संस्थापक सदस्य युगपुरुष भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई जी की पूण्य तिथि पर 16 अगस्त 2022 को Bharat Ratna Atal Bihari King of  Oratory Award 2022 एवं श्रद्धांजलि सभा का संयोजन व आयोजन विश्व पुरोहित यजमान न्यास परिसंघ के तत्वावधान में चौक लखनऊ उत्तर प्रदेश भारत में किया जाएगा। #_उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु प्रायोजकों एवं सहयोगी सादर आमंत्रित हैं।_#  ज्ञात हो कि युगपुरुष भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई जी को अपनी कर्मस्थली चौक लखनऊ उत्तर प्रदेश भारत सेअंयन्न लगाव था और वे अपनी स्मृतियों में इसे अंतिम सांसों तक संजोए रखे। उपरोक्त अवार्ड के लिए सभी राज्यों से तीन तीन विभूतियों को चयन करने हेतु विश्व पुरोहित यजमान न्यास परिसंघ के प्रबंधकर्ता/ मुख्य प्रशासकीय न्यासी पंडित लक्ष्मण बालयोगी के सानिध्य में कार्यकारी अध्यक्ष श्रेद्धय हरिनारायण पाल, राष्ट्रीय समन्वयक श्रेद्वय शिवशंकर मिश्र, न्यासी प्रबंधक श्रेद्धय राकेश मिश्र, विश्व स्वधर्म संस्थान के न्यासी संस्थापक अध्यक्ष व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रक

गुरूकुल

 विश्व का सबसे बडा गुरूकुल आश्रम.... ------------------------------ प.पू.स्वामी लक्ष्मणजी बालयोगी द्वारा यह घोषणा की गई है की... विश्व पुरोहित यजमान न्यास परिसंघ के द्वारा 05 सितम्बर 2022 को पूणे में विश्व का सबसे बड़ा गुरुकुल आश्रम का शिलान्यास किया जाएगा और इसका लोकार्पण मार्च 2023 में होगा। इसमें एक साथ 10 लाख विद्यार्थी शिक्षा दीक्षा ग्रहण करेंगे। अलख निरंजन।। आज संपूर्ण देश को तथा संपूर्ण विश्व को आदर्श भारतीय शिक्षाप्रणाली की नितांत जरूरत है... जो सदीयों से गुरूकुल शिक्षा प्रणाली नाम से परिचित है। भगवान राम और कृष्ण जैसे आदर्श धर्म योध्दाओं के आदर्शों के निर्माण का कार्य... ऐसे ही आदर्श गुरूकुलों द्वारा होता आया है। मगर सनातन संस्कृति पर प्रहार करने के लिए परदेशी आक्रमणकारियों ने गुरूकुलों पर प्रहार किए,और संस्कृति भंजन का महाभयंकर पाप अधर्मीयों द्वारा किया गया। मगर संपूर्ण विश्व अब धिरे धिरे यह जानने लगा है की.... सबसे श्रेष्ठ और सामाजिक न्याय, एकता बनाकर समाज को सुसंस्कृत बनाने के लिए... केवल और केवल भारतीयों की गुरूकुल शिक्षा प्रणाली ही सर्वश्रेष्ठ है। अनेक जगहों पर और अनेक दे

मनोचिकित्सक विश्लेषण

 सामाजिक सौहार्द : - एक *मनोचिकित्सक* विश्लेषण ---------------------------------- ( सभी के लिए पढना अनिवार्य तथा अत्यावश्यक ) सभी राष्ट्रप्रेमीयों को,देशप्रेमियों को यह लेख पढना और गहन चिंतन,मनन, अध्ययन ,अध्यापन द्वारा इसपर अमल करना जरूरी है। राजनैतिक परिवर्तन के साथ सामाजिक परिवर्तन के अनेक मुद्दों पर इसपर मंथन किया गया है। ग्रामस्वच्छता,राजनैतिक स्वच्छता के साथ साथ सामाजिक स्वच्छता अभियान और मन की मैल उतारकर, सभी को ईश्वराधिष्टीत बनाना भी अब अनिवार्य बन गया है।अपेक्षा है प्रधानमंत्री जी से लेकर... सभी मुख्यमंत्रियों द्वारा इसपर सहयोग प्राप्त हो,ऐसी एक आशा है। लेख लंबा भी हो सकता है।आखिर तक पढने का कष्ट जरूर उठायेंगे, ऐसी आशा करता हुं। वैचारिक मतभेद अथवा तार्किक मतभेद भी हो सकते है।मगर आशा है की,समाज के सभी घटकों के उत्कर्ष का यह विषय होने के नाते... सामाजिक सौहार्द स्थापना हेतु सभी के संपूर्ण सहयोग की भी अपेक्षा करता हुं। यह एक उच्चस्तरीय मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक विषयों पर आधारित सर्वोपयोगी, संतुलित विश्लेषण करने का प्रयास है। शब्दों की क्लिष्टता टालकर, सभी के समझ में आयेगी, ऐसी आ

पूरानी बिमारी का इलाज

 राष्ट्रीय आपातकाल, देश में गृहयुद्ध की सौ प्रतिशत संभावना को ध्यान में रखते हुए और गृहयुद्ध को पाकिस्तान, चाईना का सपोर्ट की संभावना तथा संपूर्ण विश्व स्तर पर बढती भयंकर सामाजिक बिमारियों का हल शायद सरकार के पास होगा ही होगा ऐसा सौ प्रतिशत विश्वास है। यह समय शांत बैठने का नहीं बल्कि कुछ बडा कर दिखाने का है। यही योग्य समय है पूरानी बिमारी को जड से उखाड़ फेंकने का।और... शायद... ईश्वरी इच्छा से यह भयंकर वैश्विक बिमारी का सदा के लिए बंदोबस्त हो जायेगा, ऐसे संकेत भी मिल रहे है। बिमारी बढने की भयंकर संभावना नकारी नहीं जाती। अतएव सावधान होकर एकेक कदम उठाना पडेगा और केवल जीत कि ही रणनीति बनानी पडेगी। भविष्य में जरूर कुछ बडा होनेवाला है,ऐसी संभावना है। धीरज से और कानून के दायरे में रहकर ही काम होगा... और मिशन सफल भी रहेगा... ऐसा पूरा विश्वास है। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

मोरिशस

 मोरिशस की बेहतरीन सुंदरता और संस्कृति https://globalhinduism.online/?p=2121 यह है मोरिशस के समंदर किनारे का सुंदर दृष्य।मोरिशस के मेरे परम मित्र श्री.हेमंतजी पंड्या ने यह सुंदर वीडियो भेजा है। हमारी आदर्श हिंदु संस्कृति कैसे देशविदेशों में लोकप्रिय है,इसका यह एक सुंदर उदाहरण है। ऐसी सुंदरता देखने के लिए मुझे हमेशा फोनपर हेमंतजी आमंत्रित करते है। अनेक देशों में मेरे अनेक मित्र हमारे संस्कृति को देशविदेशों में गर्व के साथ बढावा दे रहे है। उसी आनंद में सम्मीलित होने के लिए, और संस्कृति संवर्धन के लिए, हमें भी हर देश में जाकर वहाँ के महात्माओं का आत्मविश्वास बढाना चाहिए।ताकि हमारी आदर्श सनातन संस्कृति विश्व के कोने कोने में तुरंत पहुंच सके। हेमंतजी के अनेक देशों के महात्माओं से घनिष्ठ संबंध रहते है।और वैश्विक कार्य के लिए हेमंतजी का बडा ही सहयोग हमें प्राप्त होगा ऐसा विश्वास है। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

इंच इंच भूमि प्रभु की है

 सारा हिसाब पूरा होगा... क्योंकी ....इंच इंच भूमी मेरे प्रभू की है.....। -------------------------------- सारा हिसाब पूरा होगा। जी हाँ दोस्तों, नियती,निसर्ग और खुद ईश्वर सारा हिसाब पूरा करते ही है। बस्स...उसे योग्य समय का इंतजार रहता है। समय का इंतजार। पापों के सौ घडे पूरे होनेतक स्वयं भगवान श्रीकृष्ण भी शिशूपाल वध के लिए समय का इंतजार करते है। खुद के माँ बाप,वसुदेव देवकी दुष्ट कंस के कारागृह में बंद होकर भी ...कंस का वध तुरंत भगवान नही कर सकते। और रावण के अशोकवन में नजरकैद में आदीमाया सिता होनेपर भी राम भी तुरुंग रावणवध करके सिता को नही छूडा सकते। समय का इंतजार। यही तो प्रभू की लिला है। वह प्रभू परमात्मा जीतना दयालू है,उतना कठोर भी है। भक्तों के लिए दयालू और क्रूर राक्षसों के लिए कठोर। इसिलिए तो वह भगवान है। अब,आज भी संपूर्ण पृथ्वी पर नजर डालते है तो.....? क्या दिखता है ? मेरे प्रभु परमात्मा की स्वर्ग जैसी सुंदर धरती पर,अनेक जगहों पर हैवानों ने कब्जा किया है।अनेक जगहों पर हैवानियत का हाहाकार मचा हुआ है। और प्रभु शांत होकर यह दृष्य देख रहे है।भयंकर संतापजनक तथा क्लेशदायक दृष्य। सृष्टि

कितना बदल गया

 कितना बदल गया इंन्सान ? ----------------------------- चांद ना बदला,सूरज ना बदला बदल गया इंन्सान कितना बदल गया इंन्सान। कितना बदल गया इंन्सान। कुछ लोग मंदिर में जाते है। भगवान को प्रार्थना करते है। उसके सामने हाथ जोडते। सुख के लिए प्रार्थना करते है। धन की कामना करते है। और अगर अकस्मात भगवान खुद रूप बदल कर सामने आता है....तो....? उसको भी फँसाते है। कैसे ? एक दलाल का,कमीशन एजंट का उदाहरण लेते है। भगवान के सामने वह दलाल मंदिर में जाकर प्रार्थना करेगा। और अगर बाहर जाने के बाद अगर वही भगवान रूप बदल कर उसके सामने खडा होगा.... और कुछ व्यावहारिक बातें करेगा...तो.... वह अंधा इंन्सान.... सामने खडे होनेवाले भगवान से भी दलाली की ही भाषा बोलेगा और कमीशन की माँग प्रत्यक्ष भगवान को भी करेगा। कितना बदल गया इंन्सान ? चांद ना बदला,सूरज ना बदला बदल गया इंन्सान। कितना अंधा बन गया इंन्सान ? कितना बदल गया इंन्सान। इससे तो साँप बिच्छू भी बेहतर होते है। विनावजह के और ईश्वरी इच्छा के विरूद्ध वह तो अपना जहर भी नही उगलते है। इंन्सानों से दूर भागते है। और अगर मुसिबत दिखाई देती है तभी जहर उगलते है। इसीलिए मराठी सं

हिंदुत्व की शान

 हिंदुत्व की शान हिंदुत्व की आन - बान - शान भगवा ध्वज और भगवा तीलक हिंदु बेटीयों को आवाहन बहुत सी बेटीयां फैशन के नाम पर माथे पर कुंकुम तीलक नही लगाती है सभी बेटीयां बडे शान से माथेपर भगवा तीलक लगाएगी तो हिंदुत्व की आवाज बुलंद करने में नारीशक्ति का सहयोग भी मिलेगा विनोदकुमार महाजन

हम हिंदु है

 हत्या करेंगे, मगर धर्म बढायेंगे -------------------------------- हत्या करेंगे... मगर धर्म बढायेंगे... ऐसा हम कभी भी नही कहते और नाही हम कभी ऐसा करते है। क्योंकि हम हिंदु है। रूपयों की थैलियां बाटेंगे... मगर धर्म बढायेंगे... ऐसा भी हम कभी ना करते है,और नाही ऐसा करते है... क्योंकि हम हिंदु है। दुसरों के धर्म स्थलों पर, प्रार्थना स्थलों पल आक्रमण करना, लूटमार करना... हमारे खून में ही नहीं है... क्योंकि हम हिंदु है। बहुत सिदेसादे,भोलेभाले, सभी पर आत्मा से प्रेम करनेवाले, सभी का सहयोग करनेवाले, सभी की झोलीयाँ भरभरकर देनेवाले.... हम हिंदु है। हम सभी के प्रार्थना स्थलों में जाकर, विश्व कल्याण की,संपूर्ण मानवजाती के कल्याण की, ईश्वर से सदैव प्रार्थना करते है। और सदीयों से हम ऐसा ही करते आये है। क्योंकि हम हिंदु है। मगर... धोका हुवा, विश्वासघात हुवा.... हमारे भोलेपन का फायदा उठाकर, हमारे प्रेम का फायदा उठाकर, हमारे सिदेसादे पन का फायदा उठाकर... कुछ बेईमान, गद्दारों ने... हमें ही समाप्त करने की शातिर दिमाग से भयंकर अनेक योजनाएं बनाई।हमें, हमारे संस्कृति को,हमारे देवीदेवताओं को,हमारे सत्य को ,हम

वह बडा कठोर है

 " *वह "* बडा कठोर है,पिछा ही नही छोडता है...मगर कौन ? --------------------------------- चाहे अमरीका में जाएं, दिल्ली जाएं अथवा और कही भी जाएं... *वह...* पिछा ही नही छोडता है।हमेशा साथ रहता है।और भयंकर दुखदर्द भी देता है। कौन ? नाम है उसका... " प्रारब्ध, संचित, कर्म,नशीब... " जी हाँ... हमारे सुखदुखों का सारा खेल तो हमारा पिछले जनम का प्रारब्ध ही है।प्रारब्ध गती के फेरों की वजह से... आदमी चाहे कुछ भी करें...दुखों से मुक्ति ही नही मिलती है। हर एक का संचित कर्म अलग अलग होता हैं।इसिलिए हर एक का सुखदुख भी अलग अलग होता है। हर एक मनुष्य प्राणी को कोई न कोई दुख तो जरूर होता ही है। कौन सुखी है दुनिया में ? जरा बता तो देना। और बहुत कोशिश करता है इंन्सान दुखमुक्त होने का। मगर यह कर्म नाम की चीज ही बडी भयंकर होती है।कर्म हमें नही छोडता है।दुखमुक्त बनने का हर प्रयास व्यर्थ जाता है। कर्म दुखमुक्त नही होने देता है।और निरंतर पिछा करता रहता है। कर्म से छुटाकारा पाने का एक ही आसान रास्ता है... ईश्वरी चिंतन, अथवा गुरूमंत्र का अखंड जाप। प्रत्यक्ष भगवान श्रीकृष्ण अभिमन्यू के साथ देहरूप

रामनवमी की शुभकामनाएं

 रामनवमी की शुभकामनाएं राम जैसा तेजस्वी तथा पराक्रमी बनकर आसुरीक संपत्ति का संपूर्ण नाश करने का आज रामनवमी के दिन संकल्प करते है। आज की संपूर्ण देश की एक ही मांग..... मौलवियों की तनख्वाह तुरंत बंद करो... अथवा ... देश के सभी पंडीतों की तनख्वाह विनाविलंब आरंभ करो जनता के टैक्स का पैसा  रामराज्य निर्माण के लिए ही केवल होना अनिवार्य है... विनोदकुमार महाजन

ध्यान और शस्त्र

 *मित्रों ! इस पोस्ट को "ध्यान" से एक बार अवश्य पढ़ें* *"ध्यान" में अगर इतनी शक्ति होती तो महर्षि दयानंद जी न मारे जाते, स्वामी श्रद्धानंद जी गोली ना खाते और पं. लेखराम जी छुरा न खाते।* *आचार्य रजनीश जी* से उनके एक अनुयायी ने प्रश्न किया। प्रश्न - *कृपया बतायें जेहादियों द्वारा जब मकान और संपत्ति जलाई जा रही हों , हत्याएं की जा रही हों,तब हमें क्या करना चाहिए बशीर? हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का प्रचार करना चाहिए या सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाना चाहिए , कृपया मार्गदर्शन करें।* उत्तर - *तुम्हारा प्रश्न ही तुम्हारी मूर्खता को बता रहा है,भारत के इतिहास से तुमने कुछ सीखा हो ऐसा मुझे मालूम नहीं पड़ता। महमूद गजनबी ने जब सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया, तो सोमनाथ उस समय का भारत का सबसे बड़ा और धनी मंदिर था।  उस मंदिर में पूजा करने वाले 1200 हिन्दू पुजारियों का ख़याल था कि हम तो रातदिन "ध्यान" ,भक्ति ,पूजापाठ, में लगे रहते हैं।  इसलिए भगवान हमारी रक्षा करेगा। उन्होंने रक्षा का कोई इंतज़ाम नहीं किया, उल्टे जो क्षत्रिय अपनी रक्षा कर सकते थे, उन्हें भी मना कर दिया।* *परिणाम

मेरी वेबसाइट

 मेरी ग्लोबल हिंदुईजम् ... यह वेबसाइट संपूर्ण विश्व में तेजीसे लोकप्रिय होती जा रही है। मेरे कट्टर हिंदुत्ववादी लेख लोगों में लोकप्रियता के शिखर काबिज कर रहे है। मगर मेरी बढती लोकप्रियता अनेक देशों के कुछ लोगों को पसंद नहीं आ रही है। इसीलिए मेरी वेबसाइट पर अनेक देशों से,विशेषता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया से, लगभग दस हजार लोगों द्वारा सायबर एटेक किया है।और मेरी वेबसाइट में लगभग पचास हजार से भी जादा व्हायरस छोडे है। इसीलिए मेरी लोकप्रिय वेबसाइट अभी बंद है।जल्दी से जल्दी मेरी वेबसाइट आरंभ करनी की लगातार कोशिश जारी है। मुझ पर और मेरे अनेक लेखों पर प्रेम करनेवाले सभी महात्माओं की इस वजह से असुविधा उत्पन्न हो रही है।इसीलिए मैं ह्रदय से दिलगिरी व्यक्त करता हुं। वेबसाइट शुरू होते ही,फिरसे मेरे कट्टर हिंदुत्ववादी लेखों का सिलसिला जारी रहेगा। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

पैरों को तेलमालीश

 *अपने पैरों के तलवों में तेल लगाएं*  1।  एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान नहीं। एक बार उन्होंने कहना शुरू किया कि उन्हें कलकत्ता में रहने पर एक बूढ़े व्यक्ति ने ,जो कि रेलवे लाइन पर पत्थर बिछाने का काम करता था,सलाह दी कि सोते समय अपने पैरों के तलवों पर तेल लगाये। यह मेरे उपचार और फिटनेस का एकमात्र स्रोत है।  2।  एक छात्रा ने कहा कि मेरी मां ने उसी तरह तेल लगाने पर जोर दिया। फिर उसने कहा कि एक बच्चे के रूप में, उसकी दृष्टि कमजोर हो गई थी। जब उसने इस प्रक्रिया को जारी रखा, तो मेरी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह से स्वस्थ और स्वस्थ हो गई।  3।  एक सज्जन जो एक व्यापारी हैं, ने लिखा है कि मैं अवकाश के लिए चित्राल गया था। मैं वहाँ एक होटल में सोया था। मैं सो नहीं सका। मैं बाहर घूमने लगा। रात में बाहर बैठे पुराने चौकीदार ने मुझसे पूछना शुरू किया, "क्या बात है?"  मैंने कहा नींद नहीं आ रही है!  वह मुस्कुराया और कहा, "क्या आपके पास कोई तेल है?" मैंने कहा, नहीं, वह गया और

नंगा आदमी और दुनियादारी

 नंगा आदमी और दुनियादारी ----------------------------------- प्रारब्ध और प्रारब्ध का फेरा,नशीब का खेला बडा अजीब होता है। यह नशीब नाम की जीच ही बडी विचित्र होती है। एक पल में भी राजा को भिकारी तथा भिकारी को भी राजा बनाती  है। प्रारब्ध गती के अनुसार एक व्यक्ति सबकुछ खो बैठा।खुद की सुधबुध भी वह बेचारा खो बैठा। और नशीब के मारे दर दर की ठोकरें खाता रहा।और भयंकर विपदाओं में फँसकर बिल्कुल निर्वस्त्र होकर...नंगा होकर घुमाने लगा। दुनियादारी भी बडी अजब और विचित्र होती है दोस्तों। किसी की रक्षा भी जान हथेली पर लेकर भी की...तो भी ऐन वक्त आनेपर बडे बडे भी धोका देते है और बडे बडे भी धोका खाते है। जीसके लिए जान हथेली पर ली थी वही जान लेने के लिए तुला होता है....ऐसे अनेक उदाहरण देखने को मिलेंगे। दुनियादारी बडी अजीब होती है।बडे बडे हस्तियों को भी ऐसी भयंकर दुनियादारी के कारण धोके खाने पडे है। प्रारब्ध गती के अनुसार कोई नंगा साधु बनकर समाज में रह रहा है...तो...यह दुनिया... यह दुनियावाले उस साधु को भी स्वस्थ नहीं बैठने देगी। उसी बेचारे को हँसेगी, उसी को तत्वज्ञान के डोस पिलाएगी,अगर वह बेचारा मौन होकर भी

नये वर्षारंभ का संकल्प

 नये वर्षारंभ में ....🚩🕉 " अखंड हिंदुराष्ट्र " निर्माण का संकल्प करते है। -------------------------------- विक्रमादित्य राजा ने अखंड भारत का निर्माण किया था।इसिलए हम नववर्षारंभ भी विक्रमादित्य राजा के नाम से ही...हम सभी भारतीय.... " विक्रम संवत " चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से मनाते है। हम सभी भारतीयों के लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है। भयंकर प्रतिकूल परिस्थितियों पर विजय हासिल करके राजा विक्रमादित्य ने ... " संस्कृति संपन्न अखंड भारतराष्ट्र तथा हिंदुराष्ट्र " का निर्माण किया था। आज चैत्र प्रतिपदा, नववर्षारंभ को हम फिरसे यह संकल्प करते है की... " सभी विपदा, आपदाओं पर विजय प्राप्त करके... एक संस्कृति संपन्न हिंदुराष्ट्र तथा एक शक्तिशाली अखंड भारत का निर्माण ... " हम करके ही रहेंगे। " राजा विक्रमादित्य की तरह नया युग तथा नवराष्ट्र निर्माण का कार्य प्रत्यक्ष लाने के लिए आज हम वचनबद्ध तथा कटिबद्ध होते है। " संकल्प में बहुत शक्ति होती है।और संकल्प ही हमें सिध्दीयों तक पहुंचा देता है। सोने की चिडिय़ा वाला हिंदुराष्ट्र निर्माण करने के लिए... जहाँ कोई