नियती और नशीब।
नियती और नशीब $$$$$$$$$$$$$ जींदगी भी बडी अजीब होती है दोस्तोंं। कभी किसी को हँसाती है तो कभी किसी को रूलाती है। प्रारब्ध, नशीब का खेल भी बडा न्यारा होता है यारों। बडों बडों को भी यह खेल कई बार रूलाता है। समय भी ऐसा बलवान खिलाडी है की, बडे बडे खिलाडियों के साथ भी ऐसा खेल खेलता है की पुछो मत। जिसको जो चाहिये वह हरगीज मिलता नही है। और जो नही चाहिये वही नशीब में आ जाता है। और प्रारब्ध का भोग समझकर हम विपरीत परिस्थितीयों का, मुसिबतों का सामना करते रहते है । यही तो नियती है। यही तो नशीब है। यही तो प्रारब्ध है। बडी विचित्र होती है यह जींदगी, बडी अजीबोगरीब है यह कहानी। शनी,राहु,केतू भी ऐसे बलवान होते है की, एक दिन में पूरा जीवन पलट देते है। एक पल में बडे बडे हस्तियों को भी जमीन के निचे दफना देते है। और काश...हाय रे दुर्देव... ना सुननेवाला कोई मिलता है। और नाही रोने के लिए कोई कंधा मिलता है। और ऐसे मुसिबतों के दौर में आदमी भटक जाता है जिसपर भी... दिव्य प्रेम किया... ईश्वरीय पवित्र प्रेम किया... उससे भी सदा के लिए दूर चला जाता है, दूर चला जाता है। और उपर से, मजाक का विषय बनाकर उसे समाज द्वारा