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Showing posts from August, 2020

नियती और नशीब।

 नियती और नशीब $$$$$$$$$$$$$ जींदगी भी बडी अजीब होती है दोस्तोंं। कभी किसी को हँसाती है तो कभी किसी को रूलाती है। प्रारब्ध, नशीब का खेल भी बडा न्यारा होता है यारों। बडों बडों को भी यह खेल कई बार रूलाता है। समय भी ऐसा बलवान खिलाडी है की, बडे बडे खिलाडियों के साथ भी ऐसा खेल खेलता है की पुछो मत। जिसको जो चाहिये वह हरगीज मिलता नही है। और जो नही चाहिये वही नशीब में आ जाता है। और प्रारब्ध का भोग समझकर हम विपरीत परिस्थितीयों का, मुसिबतों का सामना करते रहते है । यही तो नियती है। यही तो नशीब है। यही तो प्रारब्ध है। बडी विचित्र होती है यह जींदगी, बडी अजीबोगरीब है यह कहानी। शनी,राहु,केतू भी ऐसे बलवान होते है की, एक दिन में पूरा जीवन पलट देते है। एक पल में बडे बडे हस्तियों को भी जमीन के निचे दफना देते है। और काश...हाय रे दुर्देव... ना सुननेवाला कोई मिलता है। और नाही रोने के लिए कोई कंधा मिलता है। और ऐसे मुसिबतों के दौर में आदमी भटक जाता है जिसपर भी... दिव्य प्रेम किया... ईश्वरीय पवित्र प्रेम किया... उससे भी सदा के लिए दूर चला जाता है, दूर चला जाता है। और उपर से, मजाक का विषय बनाकर उसे समाज द्वारा

राष्ट्रहित

 राष्ट्रहित सर्वोपरी। --------------------------------------- राष्ट्र हित के लिए क्या करना चाहिए ? कौनसा राष्ट्र अपेक्षित है ? अखंड हिंदुराष्ट्र। इसके लिए क्या करना चाहिए ? पत्रकारिता, आध्यात्म, धर्म, राजनीति, विज्ञान सभी को साथ लेकर, संस्कृति संपन्न, शक्तिसंपन्न, आर्थिक संपन्न, मानवतावादी, ईश्वरी सिध्दातों पर चलनेवाला, एक आदर्श हिंदु राष्ट्र। अखंड हिंदुराष्ट्र। अनेक क्रांतिकारियों ने इसी महान उद्दीष्टों को सामने रखकर, खुद के जान की भी पर्वा किए बगैर, बहुत प्रशंसनीय कार्य किया। जो कार्य अब हम सभी को मिलकर, आगे बढाना है। इसका विस्तृत विवेचन, अगले लेख में। हरी ओम्

विश्व विजेता हिंदु धर्म

 विश्व विजेता हिंदु धर्म…..! ! ! ! !   https://vishvvijetahindudharm.com/?p=393 मेरे, विश्व विजेता हिंदु धर्म इस लेख को, अभी तक देशविदेशों से तकरीबन छब्बीस लाख से जादा लोगों ने पढा है।जो गुगल में एक रिकार्ड है। हमारे न्यूजचैनल की टोल फ्री फोन नंबर पर भी देश विदेशों से हर दिन लेख के लोकप्रियता के बारे में हजारों फोन आते है। आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, जैसे अनेक देशों से लोग हमसे फोन करके मिलने की अपेक्षा करते है।मगर  संगठन का रजिस्ट्रेशन कुछ कारणों की वजह से ना होने के कारण हम हिंदुत्वप्रेमीयों से नही मिल सकते है। देशविदेशों से अनेक हिंदुत्वप्रेमी हमें जो चाहिए वह सहयोग करने के लिए तैयार है। विशेषत: मेरे अनेक लेख मोदीजी, योगीजी, निर्मला सितारामन् और अनेक मंत्री ,मुख्यमंत्री तथा अनेक  सांसद भी पढते है। प्रत्यक्ष मोदीजी ने मेरे साथ व्हाटसएप पर चैटिंग भी की है यह मेरा सौभाग्य है।मोदीजी के भतीजे हेमेंद्र मोदी भी मेरा लेख पढकर मुझसे मित्रता के लिए हाथ बढाते है यह भी मेरा सौभाग्य है। इसी माध्यम से सुदर्शन चैनल के सुरेश चव्हाण के,रामदेव बाबा का भी सहयोग मिलता है यह भी एक सौभाग्य का विषय

फूलों से प्यार...

 सुप्रभात मित्रों। रामराम। कितने सुंदर फूल है ये ? कितने नाजूक भी। मेरा,तुम्हारा, हम सभी का, ह्रदय भी सचमुच में इतना ही सुंदर बनाया है भगवान ने। नाजूक, कोमल,भावस्पर्शी। इसिलिए हम सभी इंन्सान सभी पर सदैव पवित्र और निस्वार्थ प्रेम करते रहते है। एक दुसरे की सहायता करते है। सुखदुख आपस में बाँट लेते है। दुसरों के दुखों में सहभागिता लेकर,उसको आधार देना हमें सचमुच में कितना आनंदित करता है ना ? निष्पाप आनंद, अपरिमीत आनंद। इसी आनंद की तरंगे तो हमें ऐसे कोमल,नाजूक फूलों की याद दिलाते है। और दुसरों का दुख देखकर अगर हमारे आँखों में आँसु बहने लगते है तो ? यह आँसु नही होते है दोस्तों। यह तो अमृतधाराएं जैसे अनमोल होते है। दुसरों को दुखों में आधार देना यही तो मानवता है। यही तो हमारे संस्कार, संस्कृति महान है। इसीलिए तो हम सहिष्णु है। मगर अगर इतना प्रेम करनेपर भी हमारे ह्रदय को कोई दुखदर्द, पिडा,यातना,खरोंच देता है तो...??? हमारा दिल भी तडप उठता है ना ? और फूलों जैसा पवित्र, कोमल ह्रदय भी पत्थर बन जाता है। और आदमी ऐसे बारबार के अनुभवों से पत्थरदिल बन जाता है। अगर कोई कोमल ह्लदयी पत्थरदिल वाला बनता है त

चक्रव्यूह भेदन

 ---   चक्रव्यूह भेदन   --- ------------------------------- भगवान ने हमें जन्म तो दिया है।जन्म मृत्यु तो भगवान के हाथ में है।चाहे मनुष्य हो या अन्य सजीव। मनुष्य जन्म मिलने पर हमें इच्छा आकांक्षाएं होती है। जैसे की,किसी को ऐश्वर्य कमाना है,तो कोई धन के लिए दिन रात दौड रहा है।किसिको नाम,इज्जत कमानी है तो किसिको यश चाहिए।तो अनेकों को इज्जत-प्रतिष्ठा चाहिए। किसिको संकटों से तुरंत छुटकारा, तो किसिको बिमारियों से मुक्ति चाहिए।तो किसिको नौकरी-धंदा-काम चाहिए। अनेक समस्या और समस्याओं से समाधान चाहिए। वह भी तुरंत। मगर प्रारब्ध, नशीब, संचित कर्म यह बात हमें छुटकारा नही देती।और अपेक्षित यश नही मिलता,हाथ में नही लगता।और हम नाराज हो जाते है। लगातार कोशिश करनेपर भी यश कोसों दूर रहता है तो आदमी हताश-निराश होकर नशीब को कोसता है और दुखों से तडपता रहता है। यह हकीकत है-मेरी आपकी, हम सभीकी। और अगर किसिका सपना बडा होता है...और सपना पूरा करने में अनेक रूकावटें आती है तो वह जीव थक हारकर, काफी हताश उदास हो जाता है। इंन्सान जब मुसिबतों के घोर चक्रव्यूह में पूरा फँस जाता है...और बाहर निकलने के लिए, दुखों से छुटक

चाईना और पाकिस्तान का खात्मा

 पाकिस्तान और चाईना का, खात्मा कब ??? --------------------------------------- मैंने मेरे अनेक लेखों में बारबार भविष्य में होनेवाली अनेक अद्भुत घटनाओं का जिक्र किया है। समय करवट बदल रहा है।और विश्वपटल पर आसुरीक शक्तियों के नाश का समय नजदीक आया है, यह भी मैंने मेरे लेखों में अनेक बार लिखा है। इसके साथ ही, हिंदुराष्ट्र और हिंदुमय विश्व का भी उल्लेख किया है। चार साल से पहले ही मैंने लिखा था की, दो विरूद्ध शक्तियों का ध्रुवीकरण विश्व पटल पर आरंभ हो रहा है।कोरोना महामारी और इसे फैलानेवाले देश के विरूद्ध सारा विश्व एक हो रहा है, यह आज आप सभी को दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही 2019 का लोकसभा चुनाव भी मोदिजी भारी बहुमतों से जितेंगे, यह भी मैंने, चुनाव के छ : महिने पहले, मेरे चुनावी विश्लेषण लेख में लिखा था। जो सही साबीत हो गया। अब एक नजर, चाईना और पाकिस्तान के भविष्य में होनेवाले घटनाओं पर। संपूर्ण विश्व का सदा के लिए, सरदर्द चाईना और उसके सहयोगी देश है। और इसके साथ ही, संपूर्ण हिंदुस्थान का सदा के लिए सरदर्द, केवल पाकिस्तान ही है। जबतक चाईना क्षतीग्रस्त नही होगा, तबतक संपूर्ण विश्व को शांती की अप

शक्तिशाली योजना चाहिये।

 शक्तीशाली योजना चाहिए। ------------------------------- अपनी मंजील तक पहुंचने के लिए,उत्तुंग ध्येयपुर्ती के लिए, दृढ निश्चय और अथक प्रयत्नवाद तो चाहिए ही मगर इसके साथ भी मंजील तक पहुंचा देनेवाली सशक्त योजना भी तैयार होनी जरूरी होती है। जैसे की राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाना और उसमें कामयाबी हासिल करना हो, या फिर कोई उद्योग व्यावसाय बनाना हो, या फिर देश जब मुसीबत की घडी से गुजर रहा होता है तब... बिल्कुल ठंडे दिमाग से,शांती से क्रांति के मार्ग पर चलकर, धिरे धिरे योजना के तहत मंजिल तक पहुंचने के सदैव प्रयासों की शिकस्त करना। क्या आज भी देश को और संपूर्ण विश्व को शांती से क्रांति की जरूरत आ गई है? अहिंसा के मार्ग से,शक्तिशाली मार्ग से ... "विश्वपरीवर्तन", करना मुमकिन हो जायेगा? कंधे से कंधा मिलाकर, कदम कदम आगे बढेंगे तो...? सभी असंभव भी संभव होगा। हरी ओम। ------------------------------- --  विनोदकुमार महाजन।

विश्व हिंदु संगठन के लिए

 विश्व के कोने कोने में बसे हुए मेरे प्यारे सभी हिंदु भाईयों, सत्यप्रेमीयों तथा सत्य सनातन प्रेमी सभी धर्मीय भाईयों, यह लेख पूरा पढीये। पढकर सुन्न मत हो जाईये। बल्की सत्य की रक्षा के लिए संगठीत हो जाईये,शक्तिशाली हो जाईये। ईश्वरी सिध्दातों को बचाकर,बढाने के लिए हमने, विश्व विजेता हिंदु धर्म परीवार का निर्माण किया है। जो विश्व के कोने कोने में फैले हुए,सनातन प्रेमीयों को,सत्य प्रेमीयों को,मानवता प्रेमीयों को, तुरंत सहायता प्रदान कर सकें। हमारा प्रयास है की, जल्दी से जल्दी इसके रजीस्ट्रेशन की कानूनी कार्रवाई पूरी हो सके। तब तक हमारे विश्व विजेता हिंदु धर्म के वेबसाईट के सभी लेख पढीये और आगे भेजिए।सदस्यता प्राप्त करने के लिए हम तुरंत निती बना रहे है।जिसमें विश्व में फैले हुए हर सदस्यों को जरूरत अनुसार तुरंत सहायता प्रदान कि जा सके। इसके लिए, " फास्ट एक्शन फोर्स ", बनाने की निती हम तैयार कर रहे है। हरी ओम् अब निचली जानकारी विस्तृत पढीये, ताकी... संगठीत और शक्तिशाली बनने की हमें क्यों अती आवश्यकता है,इसका अनूमान आप सभी को होगा। पूरा पढीये...👇👇👇 युगांडा मे हिंदूओं का दर्द और कां

नागदेवता का आशीर्वाद

 https://youtu.be/cv6K8h5A09I कितनी बडी नागदेवता है यह ? प्रत्यक्ष महादेवजी के सर पर जींदा नागदेवता हम सभी को अद्भुत दर्शन दे रही है। या फिर... भगवान भोलेनाथ तथा भगवान विष्णु की कृपा से बना विश्व विजेता हिंदु धर्म परिवार और बिएनएन और सिएनएन न्यूजचैनल को आशिर्वाद दे रही है ? आप सभी यह दृष्य देखकर हैरान रह जायेंगे। बम बम भोले। हर हर महादेव। जय सियाराम। हरी ओम् । 🕉🕉🕉🚩🚩🚩🚩 विनोदकुमार महाजन।

सनातन धर्म

 https://youtu.be/S3rGvmJ8pfs विश्व विजेता हिंदु धर्म बनाने के लिए, सत्य सनातन को विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिए, हम जागतीक, लोकप्रिय  विश्व विजेता हिंदु धर्म की वेबसाईट आरंभ कर रहे है।जो दिन बदिन जागतिक स्तर पर जबरदस्त लोकप्रिय बनती जा रही है। इसी विडिओ में ईश्वर निर्मीत संस्कृती के वैदिक मंत्रों का उच्चरण किया है। विश्व शांती के लिए अब ऐसे मंत्रोच्चारण तथा हवन की हर जगह में जरूरत है। बच्चों द्वारा वैदिक मंत्रों के दिव्य मंत्र मन, शरीर और आत्मा के बीच परिपूर्ण तालमेल को उजागर करते हैं। जब धर्म की जड़ें इस गहराई से घिरी हैं, तो विश्वास अटल है ..! 🙏 हस्त मुद्राएँ विभिन्न उच्चारण और उनके मंत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अलग-अलग हाथ के इशारों के साथ प्रत्येक 25 मुद्राओं की एक पूरी प्रणाली है। ये मौखिक रूप से शारीरिक ऊर्जा प्रवाह को सुचारू रूप से काम करने का काम करते हैं। जय सनातन 🚩🚩🚩 हरी ओम् विनोदकुमार महाजन।

सोने की चिडयाँवाला अखंड हिंदु राष्ट्र।

 सोने की चिडियाँ वाला, अखंड हिंदुराष्ट्र ! ! ! -------------------------------------- देश सोने की चिडियाँ वाला था, यह एक अखंड हिंदुराष्ट्र था। हर घर से यहाँ सोने का धुंवां भी निकलता था। मेरा अखंड भारत था। देवीदेवताओं को पूजनेवाला था, चारों तरफ मंदिरों में घंटीयों की, मंगल आरतीयों की, सुमंगल आवाजें उठती थी। घर घर में सुसंस्कारों का धन था। हर घर पर बडे अभिमान से, भगवान का भगवा लहरता था। सोने की चिडियाँ वाला मेरा देश था, यह मेरा देश अखंड हिंदुराष्ट्र था। ना कोई यहाँ भूका था, ना ही यहाँ कोई गरीब था। ना जातीपाती का यहाँ, लडाई झगडा था। कोई लुहार,कोई सुतार , ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, दलीत , सभी का एक विचार था, सभी का एकमत था। आपस में एक दुसरे के प्रती, अत्यंत विश्वास,प्रेम,भाईचाराथा। मेरा देश सचमुच में महान था। सोने की चिडियाँ वाला मेरा यह देश अखंड हिंदुराष्ट्र था। फिर स्वार्थी, आक्रमणकारी, चोर,लुटेरों का हैदोस हुवा। मेरा देश खंड खंड हो गया, दारिद्र्य, जातीयवाद का यहाँ भयंकर विस्फोट हुवा। आपस में ही लड लडकर, समाप्ती की ओर बढने का, यहाँ भयानक खेल खेला गया। मेरा देश बरबाद हुवा। मेरा देश बदनाम

अखंड हिंदुस्थान

 #अखंड_भारत🚩 का कितना था क्षेत्रफल कैसे हुआ भारत खंड-खंड, 24 वे देश जो कभी भारत का अंग था। ----------------------------------------------------------------- अखंड भारत- आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की पिछले 2500 सालों में भारतवर्ष (हिंदुस्तान) पर जो अटैक हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। 1857 से 1947 तक हिंदुस्तान के कई टुकड़े हुए और इस तरह बन गए सात नए देश। 1947 में बना पाकिस्तान भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में एक तरह से 24वां विभाजन था। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास सभी जानते हैं। पर बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। अखंड भारत (आर्यावर्त) की सीमा में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश, बर्मा, इंडोनेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया, जावा, सुमात्रा, मालदीव और अन्य कई छोटे-बड़े क्षेत्र हुआ करते थे। हालांकि सभी क्षेत्र के राजा अलग अलग होते थे लेकिन कहलाते थे सभी भारतीय जनपद। आज इस संपूर्ण क्षेत्र को अखंड भारत

कृष्ण निती

 शांति अगर प्रेम से आती है तो प्रेम का स्वागत है और अगर युद्ध से आती है तो युद्ध का स्वागत है : भगवान श्रीकृष्ण 🚩 सभी मित्रों को *शुभ प्रभात* जय श्री कृष्णा🙏 विश्व विजेता हिंदु धर्म की ओर बढने के लिए कृष्ण निती को अपनायेंगे। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

दत्त महिमा

 *श्री दत्तात्रय दैवत...उपासना  का व कशी करावी ?* १. दत्त या देवतेकडून जिवाला अधिक प्रमाणात सात्त्विक शक्ती मिळत असल्याने त्याच्या आधारे जीव वाईट शक्तींशी लढू शकतो. २. दत्ताच्या नामजपामुळे जिवाला शिवाचीही शक्ती मिळते. ३. दररोज किमान १५ ते २० मिनिटे एकाग्र चित्ताने दत्ताचा नामजप केल्यास वाईट शक्तींचा त्रास अल्प होतो. ४. पूर्वजांना गती मिळते आणि त्यामुळे घरातील वातावरण आनंदी रहाण्यास साहाय्य होते.  लिंगदेहाला गती देण्याच्या संदर्भात दत्ताच्या नामजपाचे होणारे फायदे* १. पूर्वजांना गती देणारी देवता दत्त आहे. दत्ताचा नामजप केल्याने नामजपातून प्रक्षेपित होणार्या आघातजन्य तेजोमय लहरींमुळे लिंगदेहाभोवती असलेल्या वासनात्मक लहरींची कार्य करण्याची तीव्रता अल्प होऊन त्यातील रज-तम नष्ट होऊ लागल्याने लिंगदेहाचे जडत्व अल्प होऊन त्याला पुढे जाण्यास ऊर्जात्मक बळ मिळते. २. लिंगदेह आणि त्याच्या प्रत्यक्ष देहाभोवती संरक्षककवच निर्माण होते. यामुळे त्याचे वाईट शक्तींच्या आक्रमणांपासून रक्षण होते. ३. पृथ्वीवरील वासनात्मक आसक्तीही अल्प होण्यास साहाय्य झाल्याने त्याला अल्प वेळात पृथ्वीमंडल भेदून पुढे जाता येणे

सनातन संस्कृति

 विश्व में सबसे महान और पूरातन हमारी महान संस्कृति है। इसिलए यहाँ हर कृती को शास्त्रों से जोडा है। इसीलिए तो यह, विश्व विजेता हिंदु धर्म है। आगे पढीये। कर्णभेद ( कान छिदवाने )  संस्कार के वैज्ञानिक लाभ हम सभी जानते है की सनातन धर्म के प्रत्येक नियम वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनो लाभ एक साथ ही देते है । इसी लिए आज हम जानेंगे कर्णभेद संस्कार के नियम ओर लाभ के बारे में — हमारा पौराणिक ग्रँथ सुश्रुत कहता है की रोग आदि से रक्षा के लिए बालको का कान छेदन अवश्य करना चाहिए । (रक्षाभूषणनिमित्तं बालस्य कर्णो विध्येत शरीरस्थान ।। १६ /९/) सुश्रुत का आगे कहना है कि – अंडकोष वृद्धि तथा अंत्र वृद्धि के निरोध के लिए कर्णभेद संस्कार यानि कान छिदवाना बहुत लाभदायक है । वेद में कहा गया है :--  नैनं रक्षांसि पिशाचाः सहन्ते । योविभर्ति दाक्षायणं हिरण्यं ।। अर्थात जो अपने कानों में सौना धारण करता है, उसके तेज को राक्षस भी नही हर सकते ।। भगवान राम का भी कर्णभेद संस्कार हुआ था, जैसा कि रामचरित मानस में वर्णन आता है – कर्णभेद उपवीत विवाहा ।  संग संग भये उछावा ।। कर्णभेद संस्कार करवाने का समय ब्रहस्पति के अनुसार कर

प्रारब्ध और भाग्य की कहानी।

 प्रारब्ध और भाग्य की बडी अद्भुत कहानी,जरूर पढना मेरे प्यारे सभी दोस्तों। दिल खुश हो जायेगा। एक सेठ जी थे  - 🍆🍀🌺🍆🌺 जिनके पास काफी दौलत थी. 🍆🍀🌺🍆🍀🌺 सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी.  परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया.  🍆🍀🌺🍆🍀🌺 जिससे सब धन समाप्त हो गया.  🍆🍀🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺 बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो, 🌺🍀🍆🍀🌺 मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?  🍆🍀🌺🍆🍀🌺 सेठ जी कहते कि 🍆🍀🌺 "जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे..."  🍆🍀🌺🍆🍀🌺🍆🍀🌺 एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि, तभी उनका दामाद घर आ गया. 🌺🍀🍆🌺🍀 सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये...  🍀🍆🌺🍆🌺🍆🍀🌺 यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू, जिनमे अर्श

अखंड हिंदुस्तान बनायेंगे।

 बहुत दुख होता है आज मुझे। बहुत दुख होता है , आज मुझे देखकर यह नजारा मेरे अखंडित भारत को , खंड खंड कर दिया , सैतानों ने । ईश्वर की पावन भूमी पर , अत्याचार किया , हैवानों ने । जहाँ मंदिरों में , मंगल आरतीयाँ गुंजती थी , वह भूमी विरान बनाई , राक्षसों ने । घर घर में शुभं करोती कल्याणम् की नितदिन,हर संध्यासमय में प्रार्थना होती थी , उस पावन भूमी पर , मांस - मुर्गा - शराब की पार्टीयां हो जाती है । यह सारा भयंकर, भयानक नजारा देखकर दिल में कसक सी होती है । आग लगा दूं हर हैवानों को ऐसी लहर सी अंदर दौडती है। निरांजन जलाकर मंगल कामना हम करते थे। आयुष्य मान भव का आशिर्वाद भी हमारे बुजुर्ग बडे प्यार से देते थे । मन मन में ममता ,प्यार का वात्सल्य का बहुत सुंदर नजारा था। एक समय था जब मेरा अखंड हिंदुराष्ट्र था। सभी जातीपाती बडे प्यार से इस धरती पर हर्षोल्लास से रहती थी । सुखदुःख बडे प्यार से आपस में बाँट लेती थी । अब घर घर में कलह का माहौल बनता जा रहा है। हर इंन्सान पैसों कै लालच में आकर अपना क्रौर्य बढा रहा है। रिश्तेनाते टूट रहे है  राक्षसप्रेमी बढ रहे है। घर घर में पैसों के लिए झगडा बढता जा रहा है

अखंड हिंदुराष्ट्र।

 अखंड हिंदुराष्ट्र। खंड खंड कर दिया सैतानों ने, मेरे अखंड हिंदुस्थान को। जंबुद्वीप को तोड दिया, अनेक आक्रमणकारीयों ने। सत्ता, संपत्ती के लालच में आकर, घात किया अनेक गद्दार जयचंदो ने। आपसी कलह के कारण से , वर्षों पहले परतंत्र हुआ था, मेरा हिंदोस्ताँ। पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस, को अपना देश स्वतंत्र हुआ। उन वीरों को हम नमन करें, जिनने अपना बलिदान दिया। निज प्राणों की परवाह न कर, भारत को नया नाम दिया। उन माताओं को याद करें, जिनने अपने प्रिय लाल दिए। मस्तक माँ का ऊंचा करने, को उनने बड़े कमाल किए। ‍ सावरकर, सुभाष, तात्या टोपे, आजाद, भगत सिंह दीवाने। सर पर कफन बांधकर चलते थे, आजादी के यह परवाने। देश आजाद कराने को जब, पहना केसरिया बाना। तिलक लगा बहनें बोली, भैया, विजयी होकर आना। माताएं बोल रही बेटा, बनकर सिंह, कूदना तुम रण में। साहस व शौर्य-पराक्रम से, मार भगाना आक्रमणकारी, लुटेरों को क्षणभर में। दुश्मन को धूल चटा करके, वीरों ने ध्वज फहराया था। जांबाजी से पा विजयश्री, भारत आजाद कराया था। स्वर्णिम इतिहास लिए आया, यह गौरवशाली दिवस आज। श्रद्धा से नमन कर रहा है, भारत का यह सारा समाज। जय हिन्द हमा

भगवान श्रीकृष्ण आणी कोल्हापुर

 भगवान श्रीकृष्ण आणि कोल्हापूर  आपल्या सगळ्यांनाच प्रश्न पडला असेल की मथुरे जन्मलेला द्वारकेचा राणा भगवान श्रीकृष्ण कोल्हापुरात आला कधी आणि त्यांचा आणि कोल्हापूरचा संबंध काय? तर या विषयी हरिवंशपुराण आणि करवीर महात्म्य या दोन ग्रंथांत फार सुंदर उल्लेख मिळतात करवीर महात्म्य उल्लेखाप्रमाणे भगवान श्रीकृष्ण दोन वेळेला कोल्हापुरात आले एकदा बलरामा सोबत कालयवन वधासाठी आणि दुसऱ्या वेळी आपल्या सोळा सहस्त्र स्त्रियांच्या मानसिक पापाच्या परिवारासाठी. हरिवंशात मात्र भगवान एकदाच कोल्हापुरात आले तेही कालयवन राक्षसाच्या वधावेळेला असा उल्लेख आहे .कालयवन अर्थात जरासंधाने बोलावलेला दुष्ट सेनापती. कंसाचा सासरा असलेल्या जरासंधाने श्रीकृष्णाचा सूड घेण्याच्या उद्देशाने सतरा वेळेला मथुरेवर आक्रमण केले सतरा वेळा तो पराजित ही झाला पण मथुरेचे अतोनात नुकसान झाले अठराव्या वेळी मात्र त्याने कालयवन नावाच्या दुष्ट दैत्याला पाचारण केले हा दैत्य गांधार देशाच्या पलीकडून आला असा उल्लेख आहे अशा कालयवनाला रणांमध्ये लढण्याचा दांडगा अनुभव होता त्यामुळे सर्व मथुरावासी यांनी भगवंतांना सांगितले की कालयवनाचे वैर हे तुमच्याशी आहे

हिंदु धर्म

 *हिंदु शब्द का सही अर्थ जानिये, और हिंदु होनेपर गर्व किजिए। ईश्वर निर्मीत, अनादि - अनंत संस्कृति से खुद को जोडिए।* 🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 ।। सत्य की जय हो ।। ।। सत्य सनातन की जय हो ।। ⛳🕉⛳🕉⛳🕉⛳🕉⛳🕉⛳🌹👏 **हिन्दू" अर्थात हिन्दू एक संस्कृत शब्द करोड़ो वर्ष प्राचीन है!पूरा पढ़े मित्रों💐👏* *अब संस्कृत के इस शब्द को सन्धि विछेदन करें !* *हीन+दू = हीन भावना + से दूर* *अर्थात जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे मुक्त रहे वो हिन्दू है !* *बार-बार हमेशा झुठ बताया जाता है कि हिन्दू शब्द मुगलों ने हमे दिया, जो "सिंधु" से "हिन्दू" हुआ, किन्तु आज मैं तथ्य-प्रमाण के साथ सिद्ध कर दूंगा कि हिन्दू शब्द वेद से उतपत्तीत है !* 🕉🕉🕉🕉🕉 *आज जानिए, कहाँ से आया हिन्दू शब्द, और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति!* *भारत में बहुत से लोग हिन्दू हैं, एवं वे हिन्दू धर्म का पालन करते हैं। अधिकतर लोग "सनातन धर्म" को हिन्दू धर्म मानते हैं। वहीं कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है, औऱ यह एक फारसी शब्द है। पर ऐसा कुछ नहीं है! हमारे "वेदो&q

कृष्ण नाम

 *कृष्ण*,,, नावातील एकही अक्षर सरळ नसणारा हा देव,,, प्रत्येक शब्द हा जोडाक्षर,,, जितकं नांव कठीण तितका समजायला कठीण,, पण एकदा समजला की जीवनाचा अर्थ समजलाच म्हणून समजा,, जीवन म्हणजे काय हे समजून घ्यायचं असेल तर कृष्ण समजून घ्यावा,, दशावतारी भगवंताचा आठवा अवतार म्हणजे कृष्ण,, सातवा अवतार प्रभू राम,, *राम* ही अक्षरे सुद्धा सरळ अन त्याचं वागणं ही सरळ,,मर्यादेत,, म्हणून *मर्यादा पुरुषोत्तम*,,, रामाने आपल्या जीवनात कधीच कोणतीच मर्यादा ओलांडली नाही,, तरीही काही जणांनी त्याच्यात दोष शोधले,त्याच्यावर टीका केली,,, मग पुढच्या अवतारात प्रभू ने सर्व मर्यादा ओलांडल्या,, करा काय करायचं ते,,,😃😃😃 जीवनात आचरण रामसारखं असावं अन समजून कृष्ण घ्यावा,, कृष्ण आचरणात आणायच्या भानगडीत पडू नये,, कृष्ण म्हणजे *श्रीमदभगवद्गीता*,,, जीवनाचं सार,,, प्रभू रामाने जसा भर दुपारी मध्यानी अवतार घेतला तसा कृष्णाने पार मध्यरात्री अवतार घेतला,, जन्म झाल्याबरोबर त्याला ते ठिकाण सोडून गोकुळात जावं लागलं,, गोकुळात कृष्ण फक्त वयाच्या आठव्या वर्षापर्यंत राहिला,,, म्हणजे राधा राणी फक्त तोवर कृष्णासोबत होती, कृष्ण 8 वर्षाचा होऊ प

अवतार कार्य

 विठ्ठल ( पंत ) रूक्मिणी : - ज्ञानेश्वर महाराजांचे आईवडील. मुलांची नावे : - सोपान निवृत्ती ज्ञानदेव मुक्ताबाई. सोपान चढूनी, निवृत्त जाहलो, ब्रम्ह ज्ञान मिळवुनी मुक्त जाहलो. आध्यात्माचा सोपान चढला, मग मोह,मायेतुन निवृत्त झाले. तदनंतर, ब्रम्हज्ञानाची प्राप्ति झाली. आणी सरते शेवटी मुक्त ही झाले, याची देही याची डोळा, मुक्तीही मिळाली. धन्य तो देह, अती भाग्यवंत.... नाम तयांचे विठ्ठल रूक्मिणी. चार अपत्ये मिळाली, ईश्वर स्वरूप. सोपान, निवृत्ति, ज्ञानदेव, मुक्ताबाई. डोहामध्ये उडी मारूनही मुक्त जाहले जीव. पुण्यवंत जाहले ईश्वर स्वरूप तयावेळी. आळंदी जाहली बहु लोकप्रिय, सज्जनांचा येतो तीथे, महापूर. चौ-यांशी सिध्द,  प्रत्यक्ष महादेव, सिध्देश्वर बनूनी, राहतो तेथे. सुवर्ण पिंपळ, वसे तीथे, ज्याशी सव्वा लक्ष प्रदक्षिणा घातली ज्ञानेश्वर माऊली, रूक्मिणी ने. अशा सिध्दक्षेत्री, एक तप पूर्ण, कठोर तपश्चर्या करून, मिही झालो, सिध्द एक. प्रत्यक्ष ज्ञानदेवे, फल ते दिधले, पसायदानामधले " विश्व - स्वधर्म - सुर्ये - पाहो " , हे वचन पूर्ण करण्या, दिधली अनुमती, ज्ञानदेवे मजला. सुरू झाले कार्य, " विश्व विज

ईश्वरी कार्य

 विठ्ठल ( पंत ) रूक्मिणी : - ज्ञानेश्वर महाराजांचे आईवडील. मुलांची नावे : - सोपान निवृत्ती ज्ञानदेव मुक्ताबाई. सोपान चढूनी, निवृत्त जाहलो, ब्रम्ह ज्ञान मिळवुनी मुक्त जाहलो. आध्यात्माचा सोपान चढला, मग मोह,मायेतुन निवृत्त झाले. तदनंतर, ब्रम्हज्ञानाची प्राप्ति झाली. आणी सरते शेवटी मुक्त ही झाले, याची देही याची डोळा, मुक्तीही मिळाली. धन्य तो देह, अती भाग्यवंत.... नाम तयांचे विठ्ठल रूक्मिणी. चार अपत्ये मिळाली, ईश्वर स्वरूप. सोपान, निवृत्ति, ज्ञानदेव, मुक्ताबाई. डोहामध्ये उडी मारूनही मुक्त जाहले जीव. पुण्यवंत जाहले ईश्वर स्वरूप तयावेळी. आळंदी जाहली बहु लोकप्रिय, सज्जनांचा येतो तीथे, महापूर. चौ-यांशी सिध्द,  प्रत्यक्ष महादेव, सिध्देश्वर बनूनी, राहतो तेथे. सुवर्ण पिंपळ, वसे तीथे, ज्याशी सव्वा लक्ष प्रदक्षिणा घातली ज्ञानेश्वर माऊली, रूक्मिणी ने. अशा सिध्दक्षेत्री, एक तप पूर्ण, कठोर तपश्चर्या करून, मिही झालो, सिध्द एक. प्रत्यक्ष ज्ञानदेवे, फल ते दिधले, पसायदानामधले " विश्व - स्वधर्म - सुर्ये - पाहो " , हे वचन पूर्ण करण्या, दिधली अनुमती, ज्ञानदेवे मजला. सुरू झाले कार्य, " विश्व विज

निवेदन और आवाहन

 आवाहन एवं निवेदन -------------------------------------- विश्व विजेता हिंदु धर्म के जागतिक संगठन का कार्य हम जल्दी से आरंभ करने जा रहे है। इस कार्य में बढचढकर सहभाग लेने के लिए आप सभी को सहर्ष आमंत्रीत करते है। संगठन के लिए,अगर कोई व्यक्ती या समुह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अगर सहयोग करना चाहते या फिर, संगठन के जागतीक पद प्राप्त करके,कार्य को बढावा देने के लिए उत्सुक है, अथवा तन - मन - धन से संगठन के लिए,सप्रेम भाव से सहयोग करना चाहता है, तो, कृपया हमें निचले व्हाटसएप नंबरों पर संपर्क करना। हो सके तो व्हाटसएप पर ही जानकारी देना अथवा संपूर्ण परिचय देना। क्योंकि विश्व के अनेक देशों से हरदिन हजारो फोन,हमारी फ्री हेल्पलाइन पर आते है। मगर व्यक्तिगत तौर पर,काम की वजह से हर फोन उठाना शायद संभव नही हो सकता है। इसिलए कृपया व्हाटसएप पर संपर्क करके,सबसे पहले आपका विस्तृत परिचय दें।और जागतीक संगठन के लिए किस प्रकार का सहयोग कर सकते है,इसके बारें में भी जानकारी दें। आपका रजीष्टर मोबाइल नंबर भी लिखना ना भुले,जो नंबर संभाषण के लिए तथा व्हाट्सएप पर मेसेज देने के लिए उपयुक्त हो। जादा से जादा संख्या

अब हमें केवल जीतना ही है।

 अब हमें, केवल लेख लिखने या पढने नही है। ------–----------------------------- जी हाँ,मेरे प्यारे भाईयों। अब हम सभी को, केवल लेख लिखने या पढने नही है। अब हमें संपूर्ण विश्व पटल पर जबरदस्त शक्तीसे ,स्फुर्तीले बनकर ,तेजीसे कार्य आरंभ करना है। आजतक मैंने बहुत कुछ लिखा,और आपने भी बहुत कुछ पढा भी। मगर अब समय आया है प्रत्यक्ष कृती का। अब एक सत्यवादीयों का, शक्तीशाली जागतीक संगठन बनाकर, कार्यरत होते है। कार्य आरंभ करते है। आजतक हमने ,हिंदुत्ववादियों ने,सत्यवादीयों ने,सत्य सनातन वादीयों ने,मानवतावादीयों ने,ईश्वर प्रेमीयों ने,अनेक हिंदुत्वप्रेमी - हिंदुत्ववादी संगठनों ने, अनेक कठिन तथा कठोर प्रसंगों का सामना करते करते,सुख - दुखों की,धन - वैभव की,सत्ता - संपत्ति की अभिलाषा, मान - अपमान की अपेक्षा किये बगैर,एक एक दिन निकाला है। किसीने अनेक संकटों का,अनेक आर्थिक समस्याओं का,अनेक बिमारियों का,अनेक जटिल समस्याओं का,अनेक मुसीबतों का,अनेक रूकावटों का,डटकर मुकाबला किया है,सामना किया है।निरपेक्ष वृत्ति से,स्वार्थ विहिन बनकर, हमारे मकसदों में,उद्दीष्टों में यशस्वीता प्राप्त करने के लिए, एक दिव्य मंजिल साम

चाणक्य निती।

 चाणक्य की तरह, विश्व विजता हिंदु धर्म, परिवार में परखकर ही हर एक को जोडा जाता है। 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 *एक बार चाणक्य का एक परिचित उनसे मिलने आया और बोला - क्या तुम जानते हो कि  "मैंने तुम्हारे मित्र के बारे में क्या सुना है?"* *चाणक्य ने उसे टोकते हुए कहा - "एक मिनट रुको।"*  *इसके पहले कि तुम मुझे मेरे मित्र के बारे में कुछ बताओ, उसके पहले मैं*  *तीन छन्नी परीक्षण* करना चाहता हूं। मित्र ने कहा *"तीन छन्नी परीक्षण?"* चाणक्य ने कहा - *"जी हां मैं इसे तीन छन्नी परीक्षण इसलिए कहता हूं क्योंकि जो भी बात आप मुझसे कहेंगे, उसे तीन छन्नी से गुजारने के बाद ही कहें।"* *"पहली छन्नी है "सत्य "।*  *क्या आप यह विश्वासपूर्वक कह सकते हैं कि जो बात आप मुझसे कहने जा रहे हैं, वह पूर्ण सत्य है?"* "व्यक्ति ने उत्तर दिया - *"जी नहीं,* *दरअसल वह बात मैंने अभी-अभी सुनी है।"* चाणक्य बोले - *"तो तुम्हें इस बारे में ठीक से कुछ नहीं पता है। "* "आओ अब *दूसरी छन्नी लगाकर देखते हैं।* *दूसरी छन्नी है "भलाई "।* *क्या तुम मुझ

राममंदिर निर्माण।

 ।। राम मन्दिर निर्माण के लिए सभी का योग दान ।। $$$$$$$$$$$$$$$$$$$ सदीयों की प्रतिक्षा खतम होकर, राम मन्दिर निर्माण का कार्य  आरंभ  हो गया है। और बहुत ही कम समय मे मन्दिर का निर्माण  तेजी से बढता जा रहा है । राम जी के मन्दिर निर्माण के लिए अनेकों ने अपने जान की आहुति भी दी है । इसिलिए अयोध्या मे राम मन्दिर का बनना बहुत ही सौभाग्य  की बात है।ऐसे समय में  अगर हम मन्दिर निर्माण मे थोडा - सा भी योगदान  कर सके तो अपने आप को बहुत ही सौभाग्यशाली होंगे। इसका एक उदाहरण देते है। यह बात उस समय की  है जब राम जी सीता माता को लंका से वापस लाने के लिये राम सेतू का निर्माण कर रहे थे। राम जी की सेना के सभी योध्दा छोटी-बडी चट्टानों को उठा कर महासागार मे फेक रहे थे ,उसी समय राम जी की नजर एक गिलहरी पर पडी और राम जी ने देखा की गिलहरी रेत को अपने शरीर के ऊपर  भरता और महासागर मे जाकर पानी मे रेत को छोड के आता। फिर  राम जी ने गिलहरी को अपने हाथो मे उठा लिया। और पूछने लगे की, " तुम क्या कर रहे हो ?" तभी  गिलहरी ने राम जी को प्रणाम किया  और कहा,  " प्रभू सभी अपने-अपने साहस के अनुरूप सेतू निर्माण

हुवा राममंदिर का निर्माण।

 विश्व के संपूर्ण राम भक्तों का,हिंदुप्रेमी संगठनों का, महात्माओं का, सपना हुवा साकार...., राम मंदिर का हुवा निर्माण। $$$$$$$$$$$$$$$$$ सदीयों पूराना,राममंदिर निर्माण का सपना आज पुरा हो रहा है। खुशियों  की लहर संम्पूर्ण देश में,विश्व में,सत्यवादीयों में,सनातन प्रेमीयों में  फैल रही है।  समस्त भारतीयों के ,संपूर्ण विश्व में फैले हुए,सत्य सनातनी हिंदुओं के समस्त संगठनो के लिए,यह अत्यंत हर्षदायक विषय है।जल्लोष का,आनंद का महनीय क्षण है। देश आज स्वर्णिम इतिहास रच रहा है। आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो गया है। इसी आलोक में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर श्री राम के भव्य-दिव्य मंदिर के लिए  भूमि पूजन हुआ है।  साथियों , इस मंदिर के साथ  इतिहास नहीं रचा जा रहा है, बल्कि इतिहास दोहराया भी जा रहा है। हम जानते हैं जैसे पत्थरों पर लिखकर रामसेतू बनाया गया वैसे ही हर घर से इसके जल और मिट्टी इसके निर्माण की ताकत बनेगी। भारत की आस्था और सामूहिकता पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय है। ऐसे पावन पर्व पर ,  विश्व के सम्पूर्ण हि

मैं आग में अकेला लडता था।

जब मैं आग में जलता था। ------------------------------------- जब मैं आग में जलता था, तो दुनिया मुझको हँसती थी। दूर से मजा लेती थी। नजदीक आकर आग में घी डालती थी। मुझे तडप तडप कर मरता देखकर खूब हँसती थी। और मजा भी लेती थी। ना संगी था,ना साथी था। जीसको भी ह्रदय निकाल के दिया,  खुद जहर हजम करके,उनको अमृत दिया, वह खुद की रिश्ते नातों की दुनिया भी मुझको खूब तडपाती थी। हरदिन मुझको खून के आँसू रूलाती थी। जब मैं आग में जलता था, तो दुनिया मुझको नितदिन, हरपल तडपाती थी। सिध्दातों के लिए मर मिटने की मेरी भी दृढ इच्छाशक्ति थी। किसी भी हालात में  सैतानों के सामने झुकने की मेरी ना इच्छा थी। मृत्यु को गले लगाउंगा, मगर बुरा कदम ना उठाउंगा, सैतानों के शरण में नही जाऊंगा, यह मेरी मनीषा थी। अजब की दुनिया दारी थी। सत्व की भयंकर, भयावह, भयानक अग्नि परीक्षा थी। नितदिन भयंकर अग्नि में जलने की यह नशीब की भयंकर, परीक्षा थी। भयंकर घोर अग्नि परीक्षा थी। भयंकर घोर सत्व परीक्षा थी। चालीस सालों तक अग्नि में जलता था। भयंकर आग की लपोटों से घिरा हुवा था। दारीद्र,अकेला पन,अनाथपन, निराधार, निराश्रित का,अनेक बिमारियों का, अ

इस्काँन और विश्व कार्य।

इस्काँन और हिंदु धर्म। ------------------------------------ विश्व विजेता हिंदु धर्म का लेख पढकर, हमें इंडोनेशिया से, इस्काँन की तरफ से फोन आया था। संपूर्ण विश्व में सनातन संस्कृती का कार्य बढाने के लिए हम सहायता करेंगे, ऐसा वह महात्मा फोनपर, हमारे डायरेक्ट श्री.अजयकुमार पांडेय जी से कह रहा था। हमें संपूर्ण विश्व के सभी सत्यप्रेमीयों से यही उम्मीद है। हमारा सहयोग बढाओ। अब, इस्काँन के बारें में । यह एक कृष्ण भक्तों का जबरदस्त शक्तिशाली, सनातन प्रेमी आध्यात्मिक संगठन है। देशविदेशों में,सभी जाती,धर्म, मत,पंथों के लोग इस संगठन से जुडकर, कृष्ण भक्ति की निरंतर तथा अविरत साधना कर रहे है। अनेक देशों में बडे बडे कृष्ण मंदिर निर्माण द्वारा, कृष्ण भक्ति तथा सनातन धर्म, विश्व के कोने कोने में पहुंचा रहे है। यह विषय संपूर्ण भारतवासियों के लिए बडे गर्व का विषय है। मेरे लेखों के बारे में संन्माननीय श्री.अजयकुमार पांडेय जी,मुझे हमेशा गौरवान्वित करते रहते है।और पांडेय जी को, लेखों के बारें में प्रोत्साहन देनेवाला कोई फोन आता है तो,बडे हर्षोल्लास से मुझे अवगत भी करते है,और मेरा ईश्वरी आनंद भी निरंतर बढात

हमारा परिवार, विश्व विजेता हिंदु धर्म परिवार।

हमारा परिवार, विश्व व्यापक परिवार। --------------------------------–----- हमारा अपना परिवार : -  विश्व विजता हिंदु धर्म परिवार। हमारा विश्व व्यापक परिवार : -  विश्व विजता हिंदु धर्म परिवार। ईश्वरी सिध्दातों पर,पशुपक्षीयों पर,पेड जंगलों पर,मानवता पर,और सभी पर, पवित्र, सच्चा,निष्पाप प्रेम ही करनेवाला परिवार : - विश्व विजता हिंदु धर्म परिवार। सभी सत्य प्रेमी, सभी मानवताप्रेमी, पशुपक्षी प्रेमी, निसर्ग प्रेमी, विश्व प्रेमी, सभी आध्यात्मिक संगठन, सभी मानवादी संगठन, सभी सनातन संस्कृति प्रेमी संगठनों को, हम.... विश्व विजता हिंदु धर्म परिवार की, तरफ से, नम्र निवेदन तथा नम्र निवेदन करते है की, अभी संपूर्ण विश्व पर,संपूर्ण मानवता पर,संपूर्ण पशुपक्षीयों पर, मंडराने वाले अनेक ज्ञात - अज्ञात संकटों का मुकाबला करके, सभी की रक्षा, सभी का आत्मोध्दार, सभी को आत्मज्ञान, जैसे वैश्विक प्रभावी कार्यों द्वारा, हल निकालने की कोशिश की जा रही है। हर इंन्सान को,उसका जीवन का मकसद, उसका आत्मोध्दार तथा  नर का नारायण और नारी की नारायणी बनाने का दृढ संकल्प लेकर हम आगे बढ रहे है। वसुधैव कुटुम्बकम का  सही अर्थ हर एक को

विश्व विजता हिंदु धर्म

विश्व विजेता हिंदु धर्म परिवार की बढती लोकप्रियता...। -------------------------------------- विश्व विजेता हिंदु धर्म  परिवार की लोकप्रियता दिनबदिन, संपूर्ण विश्व में ,विश्व के संपूर्ण देशों में,जबरदस्त तरीकों से बढ रही है। अनेक हिंदुत्वप्रेमी, हिंदुत्ववादी, मानवताप्रेमी, ईश्वर प्रेमी, गौमाता प्रेमी,माता भारती तथा माता धरती प्रेमी व्यक्ति, समुह, संगठन हमारे, विश्व विजेता हिंदु धर्म परीवार से, आत्मीयता से जुडता जा रहा है। मानवता की जीत,सृष्टि का कल्याण, पशुपक्षीयों - पेड जंगलों की रक्षा,कुदरत की रक्षा, संपूर्ण विश्व के मानवजाती का कल्याण यह हमारी संकल्पना सभी को दिल से,ह्रदय से,मन से,आत्मा से पसंद आ रही है। हमारा सभी के प्रती दिव्य प्रेम, भाईचारा सभी को स्विकार्य तथा अभिनंदनीय लग रहा है। विश्व के कोने कोने में ईश्वरी सिध्दातों को,सत्य को पहुंचाने का हमारा प्रयास सभी को प्रेरित कर रहा है। और हमें बढचढकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। अनेक संगठनों के साथ ,विश्व ब्राह्मण संगठन, अखिल भारतीय ब्राह्मण संगठन,बजरंग दल,हिंदु शक्ति सेवा संगठन, विश्व हिंदु परिषद जैसे संगठनों के अनेक पदाधिकारी हमसे संप

भगवान को मैंने क्या मांगा ?

आप जैसे दोस्त मिले, तो और क्या चाहिए ? भगवान को मैंने पाणी मांगा, तो भगवान ने मुझे मीठे पाणी का समंदर ही दे दिया। भगवान को मैंने फूल मांगा तो भगवान ने मुझे पूरा बगीचा ही दे दिया। भगवान को मैंने घर मांगा तो भगवान ने मुझे राजमहल ही दे दिया। भगवान को मैंने देव मांगा तो भगवान ने मुझे आप जैसे प्यारे प्यारे भगवान जैसे दिव्य प्रेम करनेवाले अनेक दोस्त दे डालें। मेरे प्यारे दोस्तों, मेरी याद  नही आयेगी तो भी चलेगा, मगर मेरे जैसे प्यारे दोस्त को कभी भी मत भूलना। मेरे सभी प्यारे दोस्तों के  जीवन में सुखों की बहार आये यही मेरी मेरे प्रभु से प्रार्थना। हरी ओम् । विनोदकुमार महाजन।

राममंदिर निर्माण की शुभकामनाएं।

राम मंदिर निर्माण के लिए, विश्व विजेता हिंदु धर्म परिवार की ओर से मंगल शुभकामनाएं। ------------------------------------ समस्त भारतीयों के लिए,संपूर्ण विश्व में फैले हुए,सत्य सनातनी हिंदुओं के लिए, यह अत्याधिक हर्ष का तथा जल्लोष का और बडे आनंद का यह विषय है। अनेक सालों के बाद,अनेक आक्रमणकारीयों का पाप का कलंक अब मिट गया है। राममंदिर से रामरज्य निर्माण का,और हिंदुराष्ट्र निर्माण का शुभ समय अब आरंभ हो रहा है। संयोग वश , मेरे छोटे बंधु समान,बिएनएन और सिएनएन के डायरेक्टर,आदरणीय. श्री.अजयकुमार पांडेय जी के साथ, राम मंदिर का फैसला आने से पहले,फोनपर मेरी बात हो रही थी। तब उन्होंने ही मुझे बताया था, की राममंदिर का कोर्ट का फैसला, राममंदिर के पक्ष में ही आयेगा,और राममंदिर निर्माण कार्य भी जल्दी आरंभ हो जायेगा। क्योंकी रामजी अब खुद धरती पर अवतीर्ण हो गये है। पांडेय जी का यह शब्द तंतोतंत सही निकला।और दुसरे ही दिन कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में ही आ गया। और अब राममंदिर निर्माण कार्य भी तेजी से आरंभ हो रहा है। ईश्वर की अद्भुत लिला !!! संपूर्ण भारतवासियों का और विश्व में फैले हिंदुओं का,और सभी