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Showing posts from January, 2022

जागो हिंदुस्थानीयों

 कितने साधुसंत,महापुरुष, क्रांतिकारियों ने देश और धर्म के लिए आहुतियां दी... कितने जेलों में बंद रहकर समाप्त हो गये ??? याद करों,यार करों,याद करों... और इसीलिए अब हम सभी भारतवासी देश और धर्म के लिए ही जीने की ठान लेते है... हमारे निजी कामों में व्यस्त होने के कारण धर्म जागरण के लिए अगर... हम समय भी नहीं दे सकते है... तो... इस अभियान को नितदिन, अनेक मार्गों से आगे बढाने की कोशिश में लगे हुए है... उनके पिछे अपनी सारी शक्ति तो खडी कर दो... कम से कम... गलत लोगों के संगत में आकर, येनकेन प्रकारेण ऐसे जाँबाज धर्म योध्दायें को हतोत्साहित तो मत करो... उनके रास्तों में बाधाएं, रूकावटें तो मत डालो... याद रखना, ऐसे अनेक धर्म योध्दा खुद के लिए नहीं बल्कि... देश और धर्म के लिए ही जीते है आपकी और आपकी भावी पीढ़ी की रक्षा के लिए ही ऐसे योध्दा परिणामों की चिंता किए बगैर जी रहे है... जागो हिंदुस्थानीयों !!! देश,धर्म की रक्षा के लिए जागो ! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

मोदी

 ईश्वरी इच्छा से वह धरती पर आया है !!! वह सब ठीक करेगा ! बस्स्... उसे आपके एक वोट की जरूरत है ! नाम है.... " मोदी !!! " विनोदकुमार महाजन

भूतपिशाच कैसे होते है ?

 भूत पिशाच कैसे होते है... और कहाँ रहते है ? -------------------------------- यह एक अत्यंत गूढ विषय है।तथा इस विषय पर जनमानस में हमेशा औत्सुक्य भी रहता है।और अदृष्य योनियों में से एक है।चौ-यांशी लक्ष योनियों में से एक पिशाच योनी भी होती है।और इसके वर्णन अनेक ग्रंथों में भी मिलते है। इस विषय पर देशविदेशों में अनेक संशोधकों ने प्रयोग किए है और सप्रमाण सिध्द भी किया है। वैसे तो आजकल सही मायने में भूत पिशाच, साँप बिच्छू, कुत्ते गधे,जहरीले जीवजंतु इनका प्रमाण वास्तव में कम  दिखाई देता है।और मनुष्य प्राणियों के अंदर ही अनेक भूतपिशाच,राक्षस महाराक्षस सहित अनेक जहरीले जीवजंतुओं का वास्तव्य जादा मात्रा में दिखाई देता है। और यह बात सभी को स्विकारनी भी होगी। खैर.... अब मूल विषय पर आते है। पिशाच !!! पिशाच केवल मनुष्यों प्राणीयों के ही होते है ? या दुसरे प्रणीयों के भी होते है ? केवल और केवल मनुष्य प्रणीयों के।क्योंकि दुसरे योनियों में इच्छा, आकांक्षाएं, वासनाएं मनुष्य प्रणीयों की तरह नही होती है।और मृत्यु के बाद ईश्वरी चक्र के अनुसार दूसरे प्राणी दूसरा देह धारण कर लेते है। और मनुष्यों में इच्छा, आ

सद्गुरु चरण

 *दुखों से मुक्ति के लिए*   *सद्गुरु चरण चाहिए !!!*  प्रारब्ध गती के अनुसार सभी जीव अपना जीवन जी रहे है ! हर मनुष्य प्राणी भी प्रारब्ध गती के अनुसार अनेक बार बुरी तरह से दुखों के चक्रव्युह में फँस ही जाता है... और इस भयंकर दुखदायी चक्रव्यूह से बाहर निकलने के लिए दिनरात कोशिश तो करता ही रहता है ! यह चक्रव्युह बडा ही क्लेशदायी तथा दुखदायी होता है ! मन की अनंत पिडा ! और यह मन कि पिडा भी बताएं तो किसे बताएं...? इस भयंकर चक्रव्युह से बाहर निकलकर एक आनंददायक जीवन जीने के लिए... बस्स्....एक ही रास्ता बचता है ! सद्गुरु के चरणों में संपूर्ण समर्पण भाव....!!! इस जनम के ही नहीं तो... अनेक जनम के हितचिंतक, शुभचिंतक, कल्याणकारी केवल और केवल सद्गुरु ही होते है ! सद्गुरु चरणों में ही सभी सुखों का भंडार है...! सद्गुरु चरणों में ही ईश्वर प्राप्ति का आनंद है...! सद्गुरु चरणों में ही मोक्ष भी है...! सद्गुरु चरणों में ही साक्षात स्वर्ग भी है...! क्या आप भी सद्गुरु चरणों पर...  सबकुछ समर्पित करके एक सर्वोत्तम आनंदी जीवन जीने के लिए तैयार है....? और इसीसे ही आप दुखों के चक्रव्युह से बाहर निकल भी सकते है ! न

हम क्यों दौड रहे है !

 यह जींदगी का सफर है यारों ! बस्स्...दौडते रहना है ! मुश्कीलें भी आयेगी और चली जायेगी ! मगर मंजिल की ओर,हर दिन हर पल दौडते रहना है ! बिना थके,बिना हारे,बिना सहारे ! इस घोडे की तरह !!! मगर सचमुच में हम दौड ही क्यों रहे है ??? या नियती हमें दौडा रही है ??? किसी को धन चाहिए,तो किसी को यश... किसी को मान संन्मान,तो किसी को सामाजिक परिवर्तन... किसीको योगसिध्दी चाहिए, तो किसीको मोक्ष... मगर हमें क्या चाहिए ??? हम क्यों दौड रहे है.??? और इस भयंकर भागदौड में हमें क्या मिल रहा है,क्या मिल गया है...??? यही अनुत्तरित प्रश्नों का विचार किए बगैर हमें भी दौडना है !!! मगर हमारा दौडना भी निजी हित अथवा निजी स्वार्थ के लिए नही है साथीयों...!!! हमारा दौडना तो समाजहित, देशहित, विश्वहित तथा धर्म के लिए है.... चलो...यह घोडे की दौड का विडिओ भी आनंद से देखते है ! आखिर हरपल हमें ईश्वर भी कुछ न कुछ सिखाता ही जरूर है !!! इस घोड़े को देख लिजीए, इसकी जिंदगी में मजे से दौड़ते दौड़ते संकट का समय आ गया, दो चलती ट्रेनों के बीच यह फंस गया और आसपास की दुनिया सिर्फ चिल्लाती रही, कुछ न कर सकी, घोड़ा अगर उनके शोर शराबे से विचलि

लाखों की बात

 लाखों की बात... जहाँ अपने शब्दों की किमत नही है उस घर में कभी भी मत जाईये ! जिस घर में हमपर विश्वास नहीं है उस घर में कभी भी मत रहिए ! केवल धन के लिए रिश्ता जोडने वाले दोस्तों से दोस्ती कभी भी मत किजिए ! विनोदकुमार महाजन

अगस्त क्रांति

 *लक्ष्मण बालयोगीजी द्वारा अगस्त क्रांति का नारा* ---------------------------------- कुछ व्यक्तीयों का,महात्माओं का जन्म ही केवल ईश्वरी इच्छा से संपूर्ण सामाजिक क्रांति के लिए ही होता है ! और यह सामाजिक क्रांति का ध्यास ही उनके कार्यों को सफल बनाता है ! प.पू.लक्ष्मण बालयोगीजी ने भी यह संपूर्ण वैश्विक सामाजिक क्रांति का बीडा उठाया है,और आजतक अनेक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय कार्यों को गती प्रदान की है ! हिंदु महापंचायतन द्वारा भी अगस्त क्रांति का नारा देकर इसको अनेक मार्गों से कार्यान्वित किया गया है ! इस क्रांति का और एक महत्वपूर्ण निर्णय यह हो गया है की, सुभाषचंद्र बोस जी की १२५ वी जयंती ( २३ जनवरी ) पर भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है ! इस निर्णय के अंतर्गत  ३२ लाख प्रखर राष्ट्रवादी योध्दा साधुओं का गठन इस योजना के द्वारा किया गया है ! देश की मुसीबतों की घडी में यह ३२ लाख वीर योध्दा अपने संपूर्ण समर्पण भाव से राष्ट्रीय कार्य में महत्वपूर्ण योगदान देंगे ! विशेषता अराजकता सदृश भयंकर मुसीबतों के दौर में यह योध्दायें विशेष कार्य को गती देने में सक्षम रहेंगे ! बढती राष्ट

विश्व स्वधर्म संस्थान

 नवयुग निर्माण की बुलंद आवाज !!! संपूर्ण विश्व पर,अधर्म का अंधीयारा छा गया है... विधर्मी और कुधर्मी... अवलंबीयों को अनेक स्व - धर्मी भी पूरक तथा पोषक बनते जा रहे है... और इसी को ध्यान में रखकर हम... अधर्म का अंधेरा मिटाने के लिए, " विश्व - स्वधर्म - सुर्ये - देखे ! " का हमारा नारा बुलंद करने के लिए, जमीनी तौर पर कार्य आरंभ करने के लिए, स्वधर्मीयों को नई दिशा,नया उजाला,नई चेतना देने के लिए, अधर्मी, विधर्मी, कुधर्मीयों को नवचैतन्य देकर,उनका जीवन का अंधीयारा समाप्त करके,नया उजाला और नवसंजीवनी देकर, सभी को दिव्य प्रकाश की ओर ले जाने के लिए... समस्त मानव समुदाय को विश्व मानवता अभियान को जोडने के लिए... वैश्विक मानवता की जीत के लिए, संपूर्ण मानवजाती को एक ही धागे से जोडकर... सभी को सत्य की ओर सत्य सनातन की ओर मानवता की ओर ईश्वरी सिध्दांतों की ओर कुदरत के कानून की ओर अपने मूल स्वरूप की ओर ले जाने के लिए.... सभी प्राणियों के,सजीवों के कल्याण के लिए.... आ रहा है... वैश्विक मानवता वादी संगठन... " विश्व - स्वधर्म - संस्थान ! " चलो हम सभी के कल्याणकारी, मानवता वादी,ईश्वरी सिध्द

सिध्दीयाँ चाहिए तो दुखदर्द झेलना पड़ेगा

 🚩𝕝𝕝 *ॐ* 𝕝𝕝🚩 अनेक महापुरूषोंने,सिध्दपुरूषों ने,अवतारी महापुरुषों ने,समाजसुधारकों ने,संतों ने,महात्माओं ने.... अपने जीवनकाल में और विशेषता शुरूआती दौर में अनेक भयंकर मुसीबतों का,आपत्तियों का,दुख का,दर्द का,सामाजिक उत्पीड़न का,आर्थिक परेशानियों का निरंतर, नितदिन, हरपल सामना किया है।उन्होंने अनेक हलाहल बारबार हजम किए है। स्वकीय, समाज ने भी उनको भयंकर पिडा,नरकयातनाएं भी दी है।ईश्वर ने भी उनकी अनेक बार भयंकर कठोर अग्नि परीक्षाएं तथा सत्व परीक्षाएं ली है।अनेक महापुरुषों को अनेक बार खून के आँसू रोने पडे है अथवा समाज ने भी उनको अनेक बार खून के आँसू दिये है.... इतना भयंकर होने के बाद भी इन महापुरुषों ने अपना सिद्धांतों का रास्ता नहीं छोडा है।अथवा ध्येयवाद का त्याग करके ऐसे महापुरुष कतई भागे नहीं है।अग्नि में तपकर ही.... सारे के सारे.... सिद्धपुरुष, सिध्दयोगी, महापुरुष, अवतारी पुरूष, महात्माएं.... बन गये है.... इसीलिए साथीयों, अगर इतिहास निर्माण करना है... नवसृजन की अपेक्षा है.... समाज परिवर्तन, राष्ट्रोध्दार, विश्वोध्दार की अपेक्षा है.... तो.... तपना ही पडेगा, बारबार तपना पडेगा.... तभी जाक

हमारा धन

 संपूर्ण देश में संपूर्ण परिवर्तन का नारा, संपूर्ण देश में अगस्त क्रांति का नारा, संपूर्ण देश में जनजागृती अभियान का नारा, हर शहर,गली गांव, मुहल्ले से जनजागृती का नारा, संपूर्ण देश में जनआंदोलन का नारा, बहुसंख्यक समाज की एक ही आवाज, हमें न्याय चाहिए... और हम व्यापक जनआंदोलन द्वारा हमारा न्यायिक अधिकार हासिल करके ही रहेंगे... प्रमुख माँग : - हमारे मठ,मंदिरों का धन,हमारे परिश्रम का धन और हमारे टैक्स का धन.... हमारे ही काम में आना चाहिए.. ना की राष्ट्रद्रोही शक्तियों के विकास के लिए... ना की पाकिस्तान प्रेमियों के विकास के लिए... ना की देश के टुकड़े करने का सपना देखने वालों के लिए... कानून ऐसा बनायेंगे, जो देशहित के लिए हो... जो देशद्रोहियों के जेब में जानेवाला धन रोककर... केवल और केवल, हमारे ही विकास के लिए, उपयोग में आ सकें... बम - बारूद वालों के हाथों में,उनके जेबों में हमारा धन हम कतई नहीं जाने देंगे... यह आवाज अकेले की नहीं है.. लाखों करोड़ों भारतीयों की यह आवाज है... हमारा धन हमारे ही विकास के लिए... जो सरकार हमारे बहुमतों का आदर करेगी, हम पूरी ताकत, शक्ति उसी सरकार के पिछे खडी करेंगे

फ्री का लालच

 *फ्री का लालीपाप !!!*  🍭🍭🍭🍭🍭 फ्री की बिजली फ्री का पाणी फ्री का बसटिकट फ्री का रेलटिकट फ्री का लैपटोप फ्री की साईकिल के लिए खुद को बेचो मत,खुद की आत्मा बेचो मत...!!! फ्री के लालच में आकर स्वाभिमान शून्य जीनेवाले हम लाचार नही है !!! बल्कि हम तो यहाँ के राजा है !!! मतदार राजा ! और राजा कभी भी फ्री का लेनेवाला भिखारी नही होता है ! बल्कि राजा,राजा होता है !!! सभी पर परोपकार करनेवाला !!! इसिलए याद रखना होगा मेरे साथियों, अब हम कभी भी फ्री के लालच में आकर खुद की आत्मा नही बेचेंगे ! फ्री का लालच देकर सत्ताशीन होनेवाले भविष्य में हमारा ही खून चूंस सकते है ! अतएव... मतदार राजा... सावधान, अखंड सावधान !!! फ्री के चंगुल में मत फँसना !!!  *सरकार को अनुरोध : -*  फ्री का लालच देकर मतदार राजा को फँसाने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाना अत्यावश्यक तथा समय की यथोचित माँग है !!! तभी लोकतंत्र बचेगा ! हरी ओम्  *विनोदकुमार महाजन*

नैस्त्रोदमस की भविष्यवाणी

 ठंडे दिमाग का, ईश्वरीय  सिध्दांतों पर चलनेवाला, मगर क्रूर ह्रदय का... आध्यात्मिक युगपुरुष, दुनिया बदल देगा, पापीयों का सर्वनाश कर देगा ,और सदा के लिए, सत्य की जीत करेगा !!! ( क्या यह समय नजदिक  आया है ??? ) 【 नैस्त्रोदमस की भविष्यवाणी 】 संकलन : - विनोदकुमार महाजन

कुछ लोग याद रहते है...

 *जिंदगी में मिलते है कुछ लोग !* *  *कुछ याद रहते है,कुछ भूल जाते* *है !!!*   *बहुत से लोग सदा के लिए बहुत* *दूर,बहुत दूर चले जाते* *है !*   *और कुछ लोग जीवन भर के* *लिए याद रहते है !*   *तो बहुत कम लोग सदा के लिए* *हमारे ह्रदय में आदर का* *स्थान बना बैठते है !*   *और एक महत्वपूर्ण बात....*  *जिंदगी में कुछ लोग रिश्तेदार तो नहीं होते, पर खास जरूर होते हैं .._* *_अब इन्हें दोस्त कह लें, या फिर किस्मत का तोहफ़ा ..!!*♥️♥️  *हरी ओम्*  💐💐💐💐💐  *विनोदकुमार महाजन*

सपने हमारे

 *✍.....* सपने तुम्हारे हैं तो पूरा भी तुम ही करोगे ना ही हालात तुम्हारे हिसाब से होंगे और ना ही लोग       💐 💐 विनोदकुमार महाजन

कलियुग में दुष्टों के कंठों में जहर होता है

 कलियुग में दुष्टों के कंठ में जहर होता है !!! -------------------------------------- अच्छे लोग दुष्ट लोगों से हमेशा दूरी बनाए रखते है ! क्योंकि जहरीला साँप केवल एक बार ही डस सकता है ! मगर दुष्ट और दुर्जन लोग,विनावजह हमेशा दूसरों को भलाबुरा कहते रहते है ! इसीमें ही दुष्टों को पैशाचिक आनंद मिलता रहता है ! इनका विरोध करनेपर तो ऐसे दुरात्माओं को और जादा आनंद आता है ! इसीलिए संत,सत्पुरुष और अच्छे लोग दुष्ट, दुरात्माओं से हमेशा दूर रहना ही पसंद करते है ! क्योंकि कलियुग में तो दुष्टों के कंठों में ही भयंकर जालीम जहर भरा होता है ! और असली जहर से भी यह जहर भयंकर पिडादायक होता है ! हरी ओम् ------------------------------- विनोदकुमार महाजन

संगत

 *संगत बडी चिज है !!!*  *हँसते हुए लोगो की संगत*,  *साफ दिलवाले, और* *हर्षोल्लासित लोगों की संगत,*  *अत्तर की दूकान जैसी होती है*!! *कुछ न खरीदो तो भी, इनके संगत में मन तो*  *प्रसन्न रहता ही है*!!  *हरी ओम्*     *🙏🌸🕉🚩🕉🌸🙏*    *🙏🙏 हरे राम! हरे राम राम राम हरे हरे 🙏हरे कृष्ण हरे कृष्ण ,कृष्ण कृष्ण हरे हरे 🙏🙏* 🕉🕉🕉💐💐💐  *विनोदकुमार महाजन*

हिंदुराष्ट्र निर्माण

 बहुत कम समय में हमें हिंदुराष्ट्र का निर्माण करना है और अखंड हिंदुराष्ट्र बनाना है तो चलो,अभी से कार्य आरंभ करते है ! विनोदकुमार महाजन

हे मेरे.कृष्णा

 हे मेरे कृष्णा... मोहन प्यारे ! हे मेरे कृष्णा, मुझे प्रेम से आलिंगन देने के लिए, मेरे सरपर हाथ रखने  के लिए, मेरे सरसे हाथ फेरने के लिए, विश्व कार्य और धर्म कार्य का रास्ता दिखाने के लिए, और आसान करने के लिए, अब मुर्ती से बाहर आकर मुझे दर्शन देना प्रभु! बहुत तप रहा हुं बहुत तप भी किया! बस्स् अब तेरा ही इंतजार है मोहन प्यारे ! अब देर ना करना, जल्दी आना ! मेरे कृष्णा, मुर्ती से बाहर आना! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

साकार निराकार ब्रम्ह

 संपूर्ण निराकार ब्रह्म था वही ठीक था! सबकुछ शांत,स्थिर, स्तब्ध !!! मगर प्रभु, तुने यह साकार ब्रम्ह आखिर निर्माण ही क्यों किया ? सजीव सृष्टि, उसमें चौ-यांशी लक्ष योनी! बडे बडे महाकाय प्राणीयों से लेकर,सुक्ष्म अतीसुक्ष्म जीवजंतु! जहरीले साँप,बिच्छू, हिंस्त्र बाघ,सिंह ! साँप नेवले का बैर ! और उसिमें महाभयंकर दिमाग का.... मनुष्य प्राणी !!! और उसीमें फिर सुर - असुर वृत्ति ! दो विरूद्ध सिध्दांत ! दो विरूद्ध शक्तियों का घनघोर संघर्ष ! सृष्टि निर्मीती से लेकर, सृष्टि के अंत तक चलने वाला, यह भयंकर संघर्ष ! एक घनघोर धर्म युद्ध रामायण !!! एक घनघोर धर्म युद्ध महाभारत !!! और अब... एक और घनघोर धर्म युद्ध होगा कलंकायन !!! दो विरूद्ध शक्तियों का संघर्ष !!! पहला विश्व युद्ध ! दूसरा विश्व युध्द ! और शायद भविष्य में, तीसरा विश्व युध्द ! दो विरूद्ध शक्तियों का संघर्ष ! हे मेरे प्रभो, आखिर तुने यह खेल ही, क्यों रचाया ? एक सुर्य ! मगर किरण अनेक ! एक ब्रम्ह ! मगर रूप अनेक ! साकार भी ! निराकार भी ! हे प्रभो, अतर्क्य तेरी लीला ! अतर्क्य तेरे रूप ! साँप में भी तु और नेवले में भी तु ! देह अलग,मगर दोनों में आत्म

रामराज्य की करो तैयारी

 हर हिंदुत्ववादी संगठनों को आवाहन... हर घर में जाकर रामजी का फोटो लगाओ... हर घर,दुकान, आँफिस पर भगवान का भगवा ध्वज लहराओ 🚩🚩🚩 हिंदुत्व की है शान भगवा ध्वज 🚩है हमारी जान रामराज्य की करो तैयारी आ रहे है भगवाधारी🚩 जय जय श्रीराम का नारा लगायेंगे हर शहर, गांव, गली को जगाएंगे हिंदु राष्ट्र का निर्माण करके रहेंगे समय बदल रहा है युग बदल रहा है रामराज्य आ रहा है विनोदकुमार महाजन

झूठे टिवी चैनलों के खिलाफ

 अगर कोई टीवी न्यूज चैनल हिंदुओं के साथ पक्षपात  कर रहा है, देवीदेवताओं को,धर्म,  संस्कृति को बदनाम  कर रहा है, पक्षपाती अथवा एकतरफा खबरें चला रहा है, झूठ फैला रहा है, अथवा नेरेटीव बढाने में सहयोग कर रहा है, तो प्रखर राष्ट्रवादी साथीयों, ऐसे झूठे टिवी न्यूजचैनलों  के खिलाफ देश के हर कोने से एफ.आय.आर.दर्ज करो... और परिणाम देखो... कोई भी माई का लाल, हिंदुत्व के खिलाफ  बोलेगा नही.. चलो शुरुआत करते है,  आज से...अभी से... हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

लक्ष्मण बालयोगीजी

 प्रारब्ध गती के अनुसार, शनी प्रकोप का समय चल रहा है। राजा विक्रमादित्य जैसी भयंकर दुर्दशा हो गई है। हातपैर भी कट गये है ऐसी भयंकर स्थिति है। स्वकीय भी दूर चले गये है।सामाजिक उत्पीड़न भी हो रहा है। और ऐसी भयंकर स्थिति में आप मेरे घर में ( जो घर भी मेरा नही है...पत्नी का है ) आ रहे है। अगर मेरे द्वारा सेवा की गलती से कोई कमी रह गई तो बूरा मत मानना प्रभुजी। 🙏

सोशल मिडिया के साथीयों

 उठो सोशल मीडिया के मेरे हिंदू शेरो और तब  तक आराम मत करना जब तक...   यूपी सहित पाँचों राज्यो में भगवा न लहरा जाए और एक कदम हिंदुराष्ट्र की ओर बढ़े..🚩🙏💪🔥 🚩🙏जय श्रीराम 🙏🚩

ध्येयसिद्धि

 "महान कार्य के लिए लंबे समय तक महान और निरंतर, अथक प्रयास की आवश्यकता होती है।   हजार बार ठोकरें खाने के बाद भी सर्वोच्च सिध्दांत तथा ध्येयवाद न छोडकर मंजिल की ओर निरंतर, नितदिन, हरपल बढते ही रहना चाहिए। " हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

थोडा खुद के लिए भी जीते है...

 अब थोडा खुद के लिए भी जीते है..... ------------------------------------- सिध्दांत वादी साथीयों, हम तो कभी खुद के लिए जीते ही नही थे। परिवार के लिए जीना,समाज के लिए जीना,खुद का अस्तित्व भुलकर दुसरों के आँसू पोंछना। दूसरों के दुखदर्द में खुद का अस्तित्व भुलकर दौड जाना। खुद भूका रहकर भी भूके को खाना खिलाना। बस्स् करो यार अब यह सभी दुसरों के लिए जीना। क्योंकी सच में देखेंगे तो इसकी कीमत ही शून्य है। झीरो... इसिलिए साथीयों, अब थोडा खुद का भी सोचते है।खुद के सुखदुःख के बारें में भी सोचते है। अब थोडा खुद के लिए भी जीते है। तुम्हारे लिए रोनेवाला,सुखदुःख बांटनेवाला, मिले ना मिले। मगर अब,थोडा खुद के लिए भी जीना सिख लो। थोडासा जींदगी का मजा भी लेना सिख लो। अनेक क्रांतिकारी खुद के लिए न जीकर समाज के लिए ही जीये। क्या समाज ने और देश ने उनकी कीमत की ? तुम्हारे सच्चाई की भी क्या कीमत होगी इस मोहमयी, मायावी दुनिया में साथीयों ? रंगबदलती दुनिया में तुम्हारे सुखदुखों में रोने वाला कोई मिले ना मिले। चलेगा। मगर अब थोडा समय निकाल कर खुद के लिए भी जीना सिखो साथीयों। मस्त कलंदर बनकर... एक आनंदी, खुशहाल जीवन

मतदान

 हर राष्ट्र प्रेमी मतदाताओं को हर घर में जाकर मतदान के लिए बाध्य करो।कहीं ऐसा ना हो की,मतदान के लिए कोरोना के डर से राष्ट्र प्रेमी मतदान के लिए बाहर न निकले और झुंडवाले हर सदस्य बाहर निकले.... तो....??? हर मतदाताओं पर ध्यान रखना होगा।तभी अपेक्षित परिणाम आयेंगे। विनोदकुमार महाजन

सोशल मीडिया और समाज जागृती अभियान

 *सोशल मिडिया ने मुझे बहुत कुछ दिया...*  हमारे देश में अनेक हिंदुवादी संगठन बन रहे है,जिन्हे एक करना समय की जरूरत है। और सोशल मिडिया यह कार्य जरूर पूरा कर सखता है। क्योंकी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक्स मिडिया को कुछ अपवादात्मक माध्यम छोडकर हिंदुत्व के प्रती उदासीन है,अथवा हिंदूविरोधी है। मगर सोशल मीडिया धर्म जागृती कार्य जबरदस्त तरीकों से कर रहा है। आज बहुसंख्या में हिंदु समाज के अनेक व्यक्ति भयंकर दुखदर्द झेलकर भी सोशल मिडिया द्वारा धर्म जागृती अभियान तेजीसे चला रहे है। कोई रामजी की तरह चौदा सालों का बनवास भुगत रहा है, और रावण वध और रामराज्य के लिए समय का इंतजार कर रहा है। तो कोई भयंकर आर्थिक अथवा अन्य मुसीबतों में भयंकर लटका हुवा है। हिंदुस्तान के अनेक नौजवान देश के लिए सर्वस्व गंवाने को तैयार है। मगर उनको मौका नही मिल रहा है,अथवा प्रारब्ध गती के अनुसार भयंकर दुख,दर्द झेल रहे है। फिर भी राष्ट्र प्रेम के लिए सबकुछ समर्पण करने के लिए, समय का इंतजार कर रहे है। जरूरत है उनतक पहुंचकर उन्हे सक्रिय करने की अथवा आधार देने की। और यह कार्य सोशल मीडिया से ही हो सकेगा। सोशल मिडिया अब एक जबरदस्तक्तिशा

अब अन्याय नही सहेंगे

 *हम हिंदुधर्म प्रेमी...* 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 हम, हिंदुधर्म प्रेमी... ईश्वर प्रेमी,कुदरत प्रेमी,पशुपक्षी प्रेमी और मानवता प्रेमी भी होते है ! मानवता हमारे अंदर कूटकूटकर भरी होती है !  इसिलिए हम सभी धर्मीयों पर,सभी मत - पथ - पंथीयों पर भी सदैव निष्पाप प्रेम करते आये है !  इसिलिए तो हमारे देश में हिंदु बहुसंख्यक होकर भी सभी से प्रेम करते है ! नफरत हमारे खून में ही नही है ! मगर... भाईयों,साथीयों, इतना होने के बावजूद भी, हम सभी पर प्रेम करने के बावजूद भी, अगर... कोई हमारे धर्म को,संस्कृती को,हमारे देवीदेवताओं को बदनाम करें... तो यह भयंकर पाप हम क्यों और कैसे बर्दास्त कर सकते है ? उत्तर मेरे सभी हिंदु भाईयों को और...  सभी धर्मीय भाईयों भी को देना ही है ! अगर हम ... सभी पर सच्चा प्रेम करनेपर भी, निष्पाप हिंदुओं को बदनाम करने का षडयंत्र कोई कर रहा है... तो यह बात हम कभी भी स्विकार नही करेंगे ! हमें एकतरफा भाईचारा मंजूर नही है ! और नाही भाईचारे की नौटंकी हमें मंजूर है ! खुलेआम हम इसका विरोध करेंगे ! जागो हिंदुस्थानीयों !  जागो देशप्रेमीयों ! हरी ओम् 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩  *विनोदकुमार महाजन*

आग्नेयास्त्र

 आग्नेयास्त्र की जरूरत ----------------------------- पाप का भयंकर आतंक, पृथ्वी पर पाप का अती भार, वह भी ईश्वर निर्मित चौ-यांशी लक्ष योनियों में से सिर्फ और सिर्फ मनुष्यों द्वारा, मनुष्यों के राक्षसी गुणों द्वारा, अती भयंकर स्वार्थ द्वारा, संपूर्ण पृथ्वी पर हाहाकार फैला हुवा है,अधर्म फैला हुवा है। और जबतक संपूर्ण पृथ्वी से पापों का नाश नही होता,तब तक धर्म की जीत,सत्य की जीत नही हो सकती। उन्मत्त कली का उन्माद, वायुगती से विश्व के कोने कोने में फैल रहा है। और इसिलए पृथ्वी को आज, ना ब्रम्हास्त्र  की जरूरत है,ना ही पाशुपत अस्त्र की। अब केवल आग्नेयास्त्र ही काम आयेगा। तभी भयंकर उन्मादी पाप का आतंक संपूर्ण पृथ्वी से समाप्त हो जायेगा ? समय, ईश्वरीइच्छा भविष्य के लिए, क्या योजनाएं बना रहा है,ईश्वर ही जाने। हरी ओम। --------------------------- --  विनोदकुमार महाजन।

भगवान की लीला

 दुर्योधन... ------------------------------ दुर्योधन, रावण,कंस, हिरण्यकशिपु, जरासंध, जैसे न जाने कितने अनेक दुष्ट, दुरात्मे,पाप का आतंक फैलानेवाले, आजतक धरती पर आ गये। ईश्वर को ही ललकारते  रहे, भगवान भी इन्हीं पापात्माओं के पाप के घडे भरने का, मौन-शांत-निश्चल होकर, हँसते हुए, इंतजार करते रहे। और योग्य समय आते ही,अनेक पापीयों का धरती से सफाया करते गए। यही तो सच्चाई है। अब भी... वर्तमान में... भगवान कब आयेंगे उन्मादी,उन्मत्त, और पापीयों के  पाप का सफाया करके फिरसे स्वर्ग को कब लौट जायेंगे, इसका कोई अंदाजा नही लगा सकते। प्रभु की लिला अपरंपार, अगाध, अतर्क्य। ।।श्रीकृष्ण:शरणंमम्।। हरी ओम। ---------------------------------  विनोदकुमार महाजन।

जीवन की सोच

 *ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी!* एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया।  वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।।   किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।   सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया.. अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।   जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ह

जीवन की सच्चाई

 💦   *शुभ प्रभात मित्रों .*   💦 *.   परमात्मा को धन्यवाद दो.*                   🙏🏻 *🌹꧁!! जीवन का सत्य !!꧂🌹​*   💥💥💥 *मृत्यु* 💥💥💥  🗣️ *जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके द्वारा* *इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते है।* *पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते?* *बल्कि उन चीजों को तो ढूंढते है, मरे हुए के हाथ, पैर, गले से खोज-खोजकर, खींच-खींचकर निकालकर चुपके से जेब मे डाल लेते है, वसीयत की तो मरने वाले से ज्यादा चिंता करते है।* *इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था।* *इसलिए पुण्य परोपकार ओर नाम की कमाई करो।* *इसे कोई ले नही सकता, चुरा नही सकता। ये कमाई तो ऐसी है, जो जाने वाले के साथ ही जाती है।..*⤵️ *हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केस जले ज्यूँ घास।* *कंचन जैसी काया जल  गई, कोई न आयो पास।* *जगत में कैसा नाता रे।*          ๑;ु         ,(-_-),   '\'''''.\'='-.   *जय श्री कृष्णा*      \/..\\,'     

एडजेस्टमेंट

 जीवन में , " *एडजेस्टमेंट " ,*  बहुत जरूरी होती है। ------------------------------------- साथीयों, पाश्चात्य संस्कृती में पती पत्नी में घटस्फोट का प्रमाण जादा दिखाई देता है।थोडे थोडे झगडे पर पतीपत्नी अलग होते है,और दोनों भी दूसरी शादीयाँ भी करते है।और इसीमें उनको कुछ विशेष नही लगता है। मगर हमारे हिंदु धर्म में ऐसा नही होता है।पतीपत्नी जीवन भर एक दुसरे का साथ निभाते है।चाहे आपस में कितना भी झगडा हो,तो भी एक दुसरे का साथ नही छोडते है।और नाही, दूसरी पत्नी अथवा दूसरे पती का विचार करते है। यह हमारे उच्च संस्कार, संस्कृती का एक अद्भुत फल है।हमारी संस्कृती हमें हमेशा , " *एडजेस्टमेंट "*  सिखाती है, भाईचारा,प्रेम,ईश्वरी सिध्दांत, कुदरत का कानून, भूतदया, परोपकार ,मानवता सिखाती है। पहले जब अ - विभक्त परिवार थे,और घर में सुख,शांती, आनंद का स्वर्गीय माहौल था।इसकी वजह भी यही थी की,हमारी आदर्श संस्कृती हमें हमेशा के लिए, एडजेस्टमेंट ही सिखाती है। कौटुंबिक कलह,तानतनाव,आर्थिक मुसिबतें, अनेक बिमारीयाँ अथवा अनेक मुसिबतें आनेपर भी परिवार के हर सदस्य का मनोबल उंचा रहता था।और घर के हर

लौकिक अलौकिक

 अलौकिक जीवन अलग होता है और लौकिक जीवन अलग होता है। यहाँ पृथ्वी पर ,मृत्यु लोक में तो सभी लौकिक और भौतिक के मायाजाल में ही फँसें हुएं है। जो एक भ्रम है। मेरा - तेरा,नफरत, स्वैराचार का यह भयंकर माहौल है। अंतिम सत्य तो आत्मसाक्षात्कार है।और ईश्वर स्वरूप हो जाना है। यही अलौकिक है। और यही सत्य है। और सत्य सनातन धर्म यही अंतिम सत्य सिखाता भी है और उसी दिशा में ले जाता है। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

जब भगवान श्रीकृष्ण के आत्मा से हम एकरूप हो जाते है

 जब भगवान श्रीकृष्ण से हम आत्मा से एकरूप हो जाते है.... इसी विषय में एक प्रश्न, ईश्वरी अवतार कार्य समाप्त होने के बाद,जब अवतारी पुरूष देहत्याग करते है...तो फिरसे वही देह धारण कर सकते है ?  ऐसी मृत्यु निमीत्यमात्र होती है। मतलब वही अवतार अगर जरूरत पडेगी तो फिरसे पंचमहाभुतों का देह धारण कर सकते है।अनेक सिध्दपुरूष भी देहत्यागने के बाद फिरसे वही देह धारण करके दर्शन दे सकते है। सज्जनगड के रामदास स्वामी अथवा शेगांव के गजानन महाराज जी ने देहत्यागने के बाद भी कुछ भक्तों को फिरसे देह धारण करके दर्शन दिए है। मुझे दोनों अवतारी पुरूषों की आत्मानुभूति हुई है।और दोनों महापुरुषों ने मेरे सरपर वरदहस्त रखे है। मेरा खुद का भी एक अद्भुत अनुभव दे रहा हुं।मेरे बचपन में मेरी माँ का देहावसान हो गया।माँ सामने न दिखने की वजह से उसकी याद में मैंने खाना पिना सब कुछ छोड दिया था।दिनरात उसकी याद में मैं केवल रोता ही रहता था। मुझे ऐसी भयंकर हालत में देखकर मेरे दादाजी,मेरे आण्णा बहुत परेशान हो गये।उन्होने मुझे मेरे माँ के पिताजी के घर में,तांदुलवाडी ले गए।मगर फिर भी मैं खानापिना छोडकर,माँ की याद में रोता ही रहता था।म

पक्षी रहस्य

 दस पवित्र पक्षी और उनका रहस्य!!!!!!!!   ********************* आइये जाने उन दस दिव्य और पवित्र पक्षीयों के बारे मैं जिनका हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व माना गया है... हंस:- जब कोई व्यक्ति सिद्ध हो जाता है तो उसे कहते हैं कि इसने हंस पद प्राप्त कर लिया और जब कोई समाधिस्थ हो जाता है, तो कहते हैं कि वह परमहंस हो गया। परमहंस सबसे बड़ा पद माना गया है। हंस पक्षी प्यार और पवित्रता का प्रतीक है। यह बहुत ही विवेकी पक्षी माना गया है। आध्यात्मिक दृष्टि मनुष्य के नि:श्वास में 'हं' और श्वास में 'स' ध्वनि सुनाई पड़ती है। मनुष्य का जीवन क्रम ही 'हंस' है क्योंकि उसमें ज्ञान का अर्जन संभव है। अत: हंस 'ज्ञान' विवेक, कला की देवी सरस्वती का वाहन है। यह पक्षी अपना ज्यादातर समय मानसरोवर में रहकर ही बिताते हैं या फिर किसी एकांत झील और समुद्र के किनारे। हंस दांप‍त्य जीवन के लिए आदर्श है। यह जीवन भर एक ही साथी के साथ रहते हैं। यदि दोनों में से किसी भी एक साथी की मौत हो जाए तो दूसरा अपना पूरा जीवन अकेले ही गुजार या गुजार देती है। जंगल के कानून की तरह इनमें मादा पक्षियों के लिए लड़

सूर्य उपासना

 *सूर्य देव को अर्घ्य वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय लाभ* सूर्य को जल देना पुरानी परम्परा है, परन्तु किसी ने यह जानने का प्रयास किया की क्यूँ दिया जाता है सूर्य को जल? और क्या प्रभाव होता है इससे मानव शरीर पर? पूरी जानकारी के लिए कृपया अंत तक पढ़े, थोडा समय लग सकता है, परन्तु जानकारी महत्वपूर्ण है। सूर्य देव अलग अलग रंग अलग अलग आवर्तियाँ उत्पन्न करते हैं, अंत में इसका उल्लेख करूँगा, मानव शरीर रासायनिक तत्वों का बना है,  रंग एक रासायनिक मिश्रण है। जिस अंग में जिस प्रकार के रंग की अधिकता होती है शरीर का रंग उसी तरह का होता है, जैसे त्वचा का रंग गेहुंआ, केश का रंग काला और नेत्रों के गोलक का रंग सफेद होता है। शरीर में रंग विशेष के घटने-बढने से रोग के लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे खून की कमी होना शरीर में लाल रंग की कमी का लक्षण है। सूर्य स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का भण्डार है| मनुष्य सूर्य के जितने अधिक सम्पर्क में रहेगा उतना ही अधिक स्वस्थ रहेगा। जो लोग अपने घर को चारों तरफ से खिडकियों से बन्द करके रखते हैं और सूर्य के प्रकाश को घर में घुसने नहीं देते वे लोग सदा रोगी बने रहते हैं। जहां सूर्य की किरणे

जागो हिंदुस्थानीयों

 गांधी को कुछ कहने वालों की तुरंत गिरफ्तारी ? तो..राम को कोर्ट में शपथपत्र पर काल्पनिक कहनेवालों की गिरफ्तारी कब ? हिंदु देवीदेवताओं की खुलेआम बदनामी करनेवालों की गिरफ्तारी कब ? विनोदकुमार महाजन

सबका साथ सबका विकास

 मोदिजी, सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास...बिल्कुल असंभव है ! ------------------------------------- मोदिजी, आप जब मेरा यह लेख पढेंगे, तो आपको भी मेरे शब्दों पर ,मैं जो लिख रहा हुं इसपर विश्वास करेंगे ही ! मैं फिरसे मेरे वाक्य दोहरा रहा हुं, मोदिजी, सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास संपूर्णता असंभव है। क्योंकि हमारे देश में कुछ ऐसे ही बेईमान, गद्दार, नमकहराम लोग रहते है,जिनको.... परोपकार, दया,क्षमा चिज मालूम ही नही है ! इनका कितना भी कल्याण करने का प्रयास करेंगे, इनकी झोलियाँ भरभर कर इन्हे दे देंगे,इनको सोने का राजमहल बनाकर भी आप देंगे,तो भी आपके लिए यह हैवानियत भरे...सैतान कभी भी मानवता का,इंन्सानियत का नाता नही रखेंगे ! आपका विश्व व्यापक कार्य इनके लिए आदर्श नहीं है,बल्कि इनकी जलन है ! और जीवन भर यह हैवान ऐसे ही जलते रहेंगे !  साँप,बिच्छू, बाघ,सिंह भी ईश्वरी सिध्दांतों पर चलते है !  साँप,बिच्छू जहरीले होकर भी विनावजह किसीको दंश नही करते है ! अथवा बाघ,सिंह हिंसक होकर भी,विनावजह की हिंसा कभी भी नहीं करते है ! मगर यह हैवान विनावजह  दंश भी करेंगे, हिंसा भी करेंगे ! और उन्माद ही फैलायेंग