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Showing posts from August, 2022

चक्रव्यूह भेदन करके,हिंदुराष्ट्र बनाना है

 क्या सत्य चक्रव्यूह में फँसा हुवा है ??? ( लेखांक : - २०६५ ) विनोदकुमार महाजन ----------------------------- सत्य, जो ईश्वर के हृदय में निरंतर वास करता है ! और असत्य ? क्या राक्षसों के अंदर सदैव छुपा हुआ होता है ? चाहे कुछ भी  सत्य - असत्य की लडाई निरंतर चलती रहती है ! और हमेशा हार असत्य की होती है, और अंतिम विजय सत्य की ही होती है ! मगर सत्य हमेशा परेशान रहता है...मगर फिर भी सत्य कभी भी पराभूत नही होता है ! इसीलिए सत्यवादी भी हमेशा परेशान रह सकता है ! मगर उसके चेहरे पर पराभव की परछाईं भी नही दिखाई देती है ! उल्टा कितना भी भयंकर मुसिबतों का दौर चल रहा हो,सत्यवादीयों के चेहरों पर हमेशा आत्मविश्वास का तेज ही,झलकता है, दिखाई देता है ! आत्मविश्वास दिखाई देता है ! और असत्यवादी हमेशा भयभीत  रहते है ! अब देखते है विस्तार से विवेचन ! क्या आज सत्य, सत्यवादी, सत्याचरणी परेशान है ? असत्य के प्रभाव के कारण सत्य दबा सा हुवा है ? अधर्म ही असत्य का दूसरा रूप होता है ? क्या यही अधर्म ने और अधर्मावलंबीयों ने सत्य को और धर्मावलंबियों को चारों तरफ से घेर के रखा है ? अदृश्य साँप और अजगरों द्वारा ? अब,  हम

हिंदुओं का आत्मतेज किसने समाप्त किया

 हिंदुओं का आत्मतेज कैसे समाप्त किया गया ? ( लेखांक : - २०६४ ) विनोदकुमार महाजन ----------------------------- अनेक सालों तक अन्याय, अत्याचार सहने के बाद व्यक्ति अथवा समाज हतप्रभ,हतबल, निस्तेज, स्वाभीमान शून्य और लाचार हो जाता है। और अगर कोई संस्कृति ही समाप्त करनी है तो उस संस्कृति के जड पर ही प्रहार किया जाता है।अनेक सालों तक उसके आदर्श और आदर्श सिध्दांतों पर ही जमकर चौफेर हमला किया जाता है। हिंदू धर्म अनुयायियों के साथ भी ऐसा ही भयंकर दुष्कर्म,क्रौर्य,षड्यंत्र अनेक सालों तक आक्रमणकारियों ने लगातार किया है। परिणाम स्वरूप हिंदुओं का आत्मबल, आत्मतेज कम हो गया है।सहनशीलता की पराकाष्ठा के कारण अती उदासीनता समाज मन पर छा गई।और समाज को क्षतीग्रस्त बनाकर, पंगु बनाने के लिए अनेक आक्रमणकारियों ने अथक प्रयास जारी रखें। माहौल ही इतना भयावह बनाया गया की, हिंदु खुद को हिंदु कहने के लिए भी डर रहा था,अथवा शरमाता था। और तो और,  हिंदु ही हिंदु धर्म का,देवीदेवताओं का,संस्कृति का मजाक उडाने में धन्यता मानने लगा था। निस्तेज, स्वाभिमान शून्य, लाचार समाज सदैव गुलामी की तरफ लगातार बढता रहता है।और धिरे धिरे

प्रेम की भाषा

 " कुछ " लोगों को अमृत की नहीं बल्कि जहर की जरूरत होती है ! ( लेखांक : - २०६३ ) विनोदकुमार महाजन ------------------------------- भगवान श्रीकृष्ण के पास अमृत कम था ? प्रेमामृत भी कम था ? वह तो खुद ईश्वर था।परमात्मा था। तो सभी पर दिव्य प्रेम ही करेगा ना ? भगवान श्रीकृष्ण एक बार बांसुरी बजाएगा तो सभी पशुपक्षी भी मंत्रमुग्ध होते थे। दिव्य बांसुरी की धून, सभी का चैतन्य जगाती थी।इस दिव्य प्रेमामृत का सभी पशुपक्षी भरभरके अनुभव करते थे। कँस,दुर्योधन, जरासंध जैसे महाराक्षसों के साथ भी भगवान प्रेम की भाषा करते थे। मगर ऐसे भयंकर, भयानक अमानवीय राक्षसों को भगवान श्रीकृष्ण की,उसके प्रेम की,उसके अमृत की,उसके प्रेमामृत की कीमत समझती थी ? बिल्कुल नहीं। ठीक ऐसे ही सभी देवीदेवताओं के पास भी यह सबकुछ तो था ही। दिव्य प्रेमामृत। मगर राक्षसों को इसकी कीमत समझती थी ? बिल्कुल नहीं। इसीलिए अनेक बार हाथ में शस्त्र लेकर अनेक देवीदेवताओं को ऐसे भयंकर उन्मादी, उपद्रवी, हाहाकारी, उन्मत्त राक्षसों का संहार ही करना पडा था।नाश ही करना पडा था। और ऐसे राक्षसों को इसिलए प्रेमामृत की नहीं बल्कि जहर की ही जरूरत ह

महापुरूषों के ही नशीब में जहर क्यों ?

 महापुरूषों का संघर्ष मय जीवन !!! हर महापुरुषों का भव्यदिव्य,प्रेरणादायक,यशस्वी,उत्तुंग जीवन सभी को दिखता है। मगर ऐसे महान पदतक पहुंचने के लिए, उन्हें, कितना भयंकर कडा संघर्ष करना पडा,अपनों ने ही उन्हें कैसे बारबार रूलाया, तडपाया,हतोत्साहित किया,अपमानित किया यह कोई नही देखता है। साधारणतः आजतक जितने भी महापुरुष, जननायक, लोकनायक, युगपुरुष हुए है,उन सभी जीवन भयंकर खडतर और आपदाओं से भरा हुवा मिलता है। भगवान श्रीराम को सौतेली माँ,कैकयी के कारण,बनवास भोगना पडा। भगवान श्रीकृष्ण को सगा मामा कँस द्वारा ही भयंकर दुखों का सामना करना पडा। भक्त प्रल्हाद को अपने ही पीता के कारण भयंकर नरकयातनाएं भोगनी पडी। ध्रुव बाळ को भी सौतेली माँ के कारण भयंकर रोना पडा। इतना ही नहीं तो,संत ज्ञानेश्वर और उनके भाई बहन... भयंकर नरकयातनाएं भोग रहे थे,तब उनके सारे रिश्तेदार कहाँ थे ?उन्हे मुसिबतों के क्षणों में आधार देने के लिए, एक भी आगे क्यों नहीं आया ? संत तुकाराम को सामाजिक उत्पीडन का सामना करना पडा,तब तुकाराम महाराज के सभी रिश्तेदारों ने तुकाराम महाराज को क्यों नही आधार दिया ? हिंदवी स्वराज्य संस्थापक छत्रपती शिवा

अपनों ने ही रूलाया तो क्या करें ?

 विपत्तियों के भयंकर क्षण में हिंदु एक दुसरे की सहायता करता है...?या भाग जाता है...?या हिंदु ही सच्चे हिंदुओं को रूलाता है ? आपकी राय क्या है ? अपनों से ही बहुत दुखदर्द झेले हमनें,अपनों ने ही रूलाया बारबार हमें मुसीबतों में...अपनों ने ही जहर के प्याले भी दीये भरभर के...तो...? दुखदर्द किसे बताएं ? हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

जब ईश्वर ही घर पर आयेगा

 तो...,अपेक्षित यश मिलकर ही रहेगा...!!! ( ले :- २०६० ) विनोदकुमार महाजन 🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉 अगर, हमारा ईश्वर के प्रती प्रेम सच्चा है,श्रध्दा, भक्ती, विश्वास अतुट है तो.... ईश्वर को ढूंडने के लिए, हमें कहीं दूर,तिर्थक्षेत्र, मंदिर नहीं जाना पडेगा ! बल्की, ईश्वर ही हमें ढुंडता हुवा आयेगा ! हमारे साथ सुखदुःख की बाते भी करेगा ! पैठण के एकनाथ स्वामीजी के घर में,प्रभु परमात्मा श्रीकृष्ण गुप्त रूप से श्रीखंड्या... बनकर रहता था ! तो हमारे भी साथ ,अगर हमारी भी सचमुच में योग्यता होगी,तो ईश्वर हमारे साथ क्यों नहीं रहेगा ? मुझे तो ईश्वर मेरे पास होने की दिव्य अनुभूती निरंतर आती रहती है !बारबार आती रहती है ! चाहे वह कोई रूप धारण करके,साकार बनता हो, अथवा निराकार में हमारे साथ हमेशा रहता हो ! तो ईश्वर को अलग कैसे और कहाँ ढुंडेंगे ? रही बात हमारे ईश्वरी कार्यों की ! वो तो योग्य समय आनेपर हमें अपेक्षित यशस्वीता मिलकर ही रहेगी ! अगर ईश्वर खुद ऐसा ही चाहता है तो हमें अलग प्रयास की जरूरत ही क्या होगी ? हमारा अपेक्षित यश खुदबखुद हमारे पास चलकर ही आयेगा ! आकर रहेगा ! सनातन धर्म के,हिंदु धर्म के,सत्य धर्म के कार्

विवादित नही वास्तव

 विवादित मुद्दे नही वास्तविक मुद्दे ( ले : - २०५१ ) विनोदकुमार महाजन -------------------------------- मनुस्मृती, चातुर्वर्णाश्रम,ब्राम्हणत्व ऐसे सभी मुद्दों को बारबार जानबुझकर विवादित बनाया गया। हिंदुत्व पर प्रहार करने के लिए, कुछ सामाजिक भ्रम जानबुझकर फैलाये गये। जिसका खंडन सदसद्विवेकबुद्धी द्वारा करना जरूरी ही नही आवश्यक भी है। जो निरंतर धर्म को जोडने का निरंतर प्रयास करते है,उनको ही तोडने का जानबुझकर प्रयास किया गया। मनुस्मृती के बिरे में भेदभाव, स्वार्थ,छूआछूत के मुद्दे प्रसारित किए गये। वास्तव में यह गलत है। चातुर्वर्णाश्रम में सदैव सामाजिक सौहार्द के कार्य विभाजन द्वारा,सामाजिक सलोखा प्रस्तापित करने का प्रयास किया गया। हमारे अंदर ही चातुर्वर्णाश्रम सदैव मौजूद होता है,उसे बाहर कैसे निकालेंगे,अथवा बहिष्कृत कैसे करेंगे ? जैसे, समाज में शुध्द विचारों का हम बिजारोपण करते है तो वह ब्राह्मण होता है। आसुरीक शक्तियों के नाश के विचार रखते है तो हम क्षत्रीय होते है। आर्थिक विवेचन करते है तब वैश्य होते है। समाज की संपूर्ण गंदगी साफ करने के विचार हम व्यक्त करते है तो हम शुद्र होते है। हमें सि

रेकॉर्ड ब्रेक गाण्यासाठी

 रेकॉर्ड ब्रेक गाण्यासाठी मोदीजी वरती आपल्याला एक सुपर हिट गाणे रिलीज करायचे आहे.गीतरचना,गायन मी स्वतः करणार आहे. गाण्याचा ट्रैक आपल्याला पाहिजे तसा बनवायचा आहे.त्यामध्ये विविध वाद्यांचा,जसे की,ढोल - नगारा - ढोलकी - बासरी - शहनाई - गिटार इत्यादि वाद्यांचा उपयोग करून गाणे जास्तीत जास्त लोकप्रिय बनवायचे आहे.व जास्तीत जास्त जल्लोष पूर्ण बनवायचे आहे. गाण्याचे शुटिंग इनडोर होणार असून,तीन स्पेशल कैमरा द्वारे शुटिंग करायचे आहे. जमले तर मेल - फिमेल सिंगर चे एकत्र गाणे घ्यायचे आहे.व कांही भाग कोरस मध्ये घ्यायचा आहे. सहगायक क्लासीकल गायकच असावा,अशी आवश्यकता नाही. रेकाँर्डिंग चे वेळी गायकाचा आवाज व्यवस्थित यावा,एवढीच अपेक्षा आहे. गरज लागली तर आऊटडोअर शुटिंग घ्यायचे आहे. स्पेशल साउंड इफेक्ट, स्पेशल लाईट इफेक्ट, मागील पडद्यावरील, चलतचित्रासाठी, विशेष बैकग्राउंड बनवून गाणे जास्तीत जास्त लोकप्रिय बनवायचे आहे. गरज लागली तर एक्स्ट्रा इंस्ट्रुमेंट वादक घ्यायचे आहेत. सुरूवातीला यु ट्यूब वरून, दहा कोटी लोकांपर्यंत ,त्यांच्या मोबाईलमध्ये गाणे जावे अशी अपेक्षा आहे. विविध जाहिरात कंपन्याद्वारे गाण्याची जाहिर

सुख की तलाश में !

 सदैव खुश रहने का रामबाण ईलाज : - टेंशन फ्री रहना ! ( लेखांक : - २०५९ ) विनोदकुमार महाजन ------------------------------- सुखी जीवन और सुखी मनुष्य ! एक अवर्णीय जीवन ! आनंदी जीवन ईश्वर का वरदान होता है ! और हर एक मनुष्य अथवा हर एक प्राणी भी सुख के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है ! और सुख किसे नही चाहिए ? सबको चाहिए ! मुझे भी और आपको भी ! मगर सचमुच में सुखी होने का रामबाण ईलाज क्या है ? सदैव टेंशन फ्री रहना ! मस्त रहना,आनंदी रहना ! और सबसे महत्वपूर्ण बात, सभी के जीवन में सुखों की बहार लाने के लिए सदैव तत्पर तथा प्रयत्नशील रहना ! दुखितोंको आधार देना ! उनके चेहरे पर खुशियां और आनंद देखना ! पशुपक्षी सहीत सभी पर निष्पाप, ह्रदय से,निष्कपट प्रेम करना ! आखिर जीवन है ही क्या ? दुख जादा और सुख कम ! सुख कब आता है और निकल जाता है,समझ में भी नही आता है ! और दुख ? निरंतर हमारा पिछा करता रहता है ! और हम सदैव दुखों से दूर भागने की कोशिश करते रहते है ! मगर आखिर दुखों से मुक्त होकर सुखी होने का कुछ तो भी रामबाण ईलाज तो होगा ही ना ? जरूर ! सदैव मस्त रहना ! कलंदर रहना ! हर मुसिबतों की घडी में हँसते,मुस्कुराते र

बेहतरीन जमाना

 https://youtu.be/YRfmaAphHIw सदाबहार गीत, संगीत कहां गया वो जमाना ? जहां सुमधुर, सदाबहार गीत संगीत की बरसात होती थी। कानों को सुनने में आनंद होता था। मन,आत्मा शांत होता था। बांसुरी की सदाबहार धुन। लतादिदी का सुमधुर आवाज का करीश्मा। तबले की बेजोड साथ। अवर्णनीय। पंख होते तो उड आती रे। सदाबहार, बहारदार, अप्रतीम गाना। गाने के बोल बेहतरीन। सुनने वालों को मानो तो... अमृत की बहार। जाने कहाँ, गये ओ दिन ??? क्या ऐसे सुमधुर दिन सचमुच में फिरसे लौट के आयेंगे ? क्या लाजवाब गायक थे, गीतकार थे, संगीत था,गीत था। सबकुछ अप्रतीम।सुंदर। मन का बोझ हल्का करनेवाला। मन को आनंदी करनेवाला बेहतरीन जमाना। सचमुच में वह बेहतरीन जमाना भी... पंख लगाकर सचमुच में दू...र चला गया। बहुत दू...र। रह गई...अनमोल यादें। आप सभी के लिए आज प्रस्तुत है यह सुंदर ,अनमोल गीत... वह भी बांसुरी पर। हेडफोन लगाकर सुनेंगे तो... मन और जादा हर्षोल्लासीत होगा। जरूर सुनिए... यह अप्रतिम गाना... पंख होते तो उड आती रे। क्या ऐसे गाने फिरसे बनेंगे ? क्या ऐसा बेहतरीन जमाना फिरसे लौटकर आयेगा ? संकलन : - विनोदकुमार महाजन

हितशत्रु और गुप्त शत्रुओं से सावधान रहना होगा

 हितशत्रु और गुप्त शत्रुओं से हमेशा सावधान रहिए !!! ( लेखांक : - २०५७ ) विनोदकुमार महाजन ------------------------------ साथीयों, अगर हमें हर क्षण,हर पल,हर क्षेत्र में अगर तरक्की करनी है तो...एक बात पर सदैव विशेष ध्यान देना ही होगा ! हमारे हितशत्रु, गुप्त शत्रुओं पर निरंतर सुक्ष्म नजर रखनी ही होगी ! जो हमेशा हमारे ही अगल बगल में,अडोस पडोस में गुप्त रूप से छुपे हुए होते है ! क्षेत्र चाहे आध्यात्मिक हो,सामाजिक हो,राजकीय हो,व्यावसायिक हो अथवा अन्य कौनसा भी क्षेत्र हो ! हर क्षेत्र में तुम्हे, पिडा देनेवाले, यातना देनेवाले, रूलानेवाले,तुमपर जलनेवाले,विनावजह तुम्हें बारबार बदनाम करनेवाले, हमेशा विनावजह हमेशा भयंकर षड्यंत्र करनेवाले,कार्य में निरंतर अनेक प्रकार की बाधाएं डालनेवाले मिलेंगे ही मिलेंगे ! कार्य जितना व्यापक, विस्तृत उतना हितशत्रुओं की,गुप्त शत्रुओं की,जलनेवालों की,विघ्नसंतोषी लोगों की संख्या भी अधिक... इतना पक्का ध्यान रखिए ! ऐसे भयंकर जालीम शत्रुओं को हम हमेशा नजरअंदाज करते है ! मगर ऐसे विनाशकारी लोगों को ,आसुरीक सिध्दातों पर चलनेवालों को कभी भी नजरअंदाज मत किजिए ! बल्की हरपल उनप

निदान का दोस्त

 निदान का दोस्त...!!! ( लेखांक : - २०५६ ) विनोदकुमार महाजन ------------------------------ आज का लेख जरा हटकर ! दोस्तों पर ! निदान का दोस्त... पर ! साफ दिलवाले, मेरे हजारों मित्रों को लेख समर्पित ! जब कोई गहरी मुसिबत में फँसा हुवा होता है... तब एक दोस्त की,असली मित्र की तलाश होती है ! जैसे मुसीबतों में...सबकुछ समाप्त हो जाता है,मन की उदासी छाई रहती है ,सबकुछ बर्बाद हो गया, ऐसा जब लगता है.... तब... एक दोस्त आता है, बडे प्यार से कंधे पर हाथ रखकर कहता है.... " मेरे दोस्त,इतनी भयंकर मुसीबतों के दौर में भी , तू....मेरा दोस्त जींदा है ना ? और ईश्वर की कौनसी कृपा चाहिए ??? उदास मत होना मेरे दोस्त, फिरसे नई दुनिया खडी करेंगे ! " मित्रों, समझो आपकी भयंकर मुसीबतों में अगर आपको ठीक ऐसा ही दोस्त मिलेगा, जो हतोत्साहित मन को,उत्साहित करेगा... तो हमारे मन को कितना आनंद मिलेगा ना ? चिंता मन को जलाती है, और दुखी मन शरीर को जलाता है ! और ऐसे समय में अगर कोई सच्चा दोस्त आकर, कंधेपर हाथ रखकर आधार देता है... तो हमसे बडा सौभाग्यशाली कौन हो सकता है ? एक पुरानी कहावत बताता हुं, जो मेरे सद्गुरु निरंतर

नंगा साधु !!!

 नंगा साधू ( लेखांक : - २०५५ ) विनोदकुमार महाजन --------------------------- साधू.... एक शक्तिशाली ,वलयांकीत, तेज:पूंज,सामर्थ्यवान शब्द ! जिसने सबकुछ साध लिया वही साधू कहलायेगा ! सदैव मस्त,स्वस्थ, आनंदी व्यक्तित्व ! दूसरों का दुख हरनेवाला व्यक्तित्व ! सदैव ईश्वरी चिंतन में,अपनी ही धून में रहनेवाला एक महान तपस्वी व्यक्तित्व ! आग लगी बस्ती में,साधु अपनी मस्ती में.... ऐसी धारणा धारण करनेवाला,सुखदुख को भेदकर, सदैव स्थितप्रज्ञ रहनेवाला, निस्वार्थी, परोपकारी, सजग,महान व्यक्तित्व ! तन ढकने के लिए छोटासा वस्त्र, पेट के लिए थोडासा अन्न, रहने के लिए कुटिया, यह भी मिले,न मिले... मस्त होकर,आनंद से जीना ही साधु का जीवन होता है ! अनेक नागा साधु भी देखो, सदैव मस्त ईश्वरी आनंद में रहते है ! ना देह की चिंता है,ना खाने की फिकर! आत्मानंद में मस्त होकर जीना ही साधु का जीवन होता है ! शेगांव के गजानन महाराज जैसे महान विभूति भी अनेक बार धरती पर अवतरित होते है,और ईश्वरी कार्य निरंतर करते रहते है ! एक छोटीसी लंगोटी की भी जरूरत नहीं ! नंगा साधू ! कितना उच्च कोटि का बैराग्य ? ना तन ढकने के लिए वस्त्र की जरूरत, ना

मोक्ष

 🌺🏵💐  *"मोक्ष"*   💐🏵🌺 चाहे राजमहल हो या टूटी झोपडी चाहे पंचपक्वान हो या रूखीसुखी रोटी चाहे सुख हो या दुख अमृत हो या जहर सदैव मन की शांति बनी रहनी चाहिए आत्मसंतुष्टि जैसा सुख,आनंद, वैभव दूसरा कोई है ही नही यही मोक्ष है यही स्वर्ग है और यही ईश्वरी कृपा भी है साधू बनकर साध लिया जो चाहिए वह मिल ही गया परमानंद ही है परम वैभव का साधन जिसने गरीबी अमीरी का भेद मिटा दिया ईश्वरी कृपा का अनमोल धन मिल ही गया मगर सद्गुरु कृपा के बिना ईश्वरी कृपा असंभव है इसीलिए सद्गुरु चरणों में जो निरंतर लीन रहता है,उससे बडा सौभाग्यशाली दुनिया में दूसरा कोई नही हो सकता है ।। सद्गुरु आण्णा की जय हो ।। विनोदकुमार महाजन अब एक सुंदर बोधकथा भी पढीये 👇👇👇 *यूनान का एक विख्यात ज्योतिषी एक बार रात में आकाश के तारों का अध्ययन करता हुआ चला जा रहा था।  अचानक चलते-चलते वो एक कुएं में गिर पड़ा।* *कुएं पर पाट नहीं रखे थे। उसकी आंखें आकाश में अटकी थीं और वह चाँद-तारों का अध्ययन कर रहा था।* *कुएं में गिरते ही वो कुएं के अंदर से जोर जोर से चिल्लाने लगा।* *कुएं के पास के ही झोंपड़े से एक गरीब बुढ़िया ने आकर उस ज्योति

मेरेपास समय नही है

 मेरे पास समय नही है...!!! ( लेखांक : - २०५३ ) विनोदकुमार महाजन ---------------------------------- मेरा कारोबार,बिजनेस, व्यावसाय, धंधा ,नोकरी का व्याप इतना बडा है की,मेरे पास.... धर्म, धर्म जागृती, सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप के लिए, पोष्ट शेयर करने के लिए... समय ही कहाँ है ? मस्त पैसा कमाना और ऐशोआराम की जींदगी जीना... बस्स्... और चाहिए ही क्या ? ऐसी सोच अनेक हिंदुओं की सद्यस्थिती में हो सकती है ! साहजिक है ! समयचक्र ने अनेक हिंदुओं को निष्क्रिय किया था ! मगर सारा समय केवल और केवल पैसा कमाने में व्यस्त रहना, अथवा ऐशोआराम की जींदगी जीने में ही बरबाद करना, उचीत नही होगा ! कुछ सामाजिक दाईत्व भी होना अत्यावश्यक है ! क्योंकि राष्ट्र द्रोही शक्तियों पर जमकर प्रहार करने के लिए, संपूर्ण समाज एकजुट होना और एकसाथ सारे के सारे राष्ट्र द्रोहियों का बहिष्कार करना भी अत्यावश्यक है ! वैसे हमारा निद्रीस्त समाज भी धीरे धीरे जाग रहा है,और राष्ट्र द्रोहियों को सबक सिखा रहा है,यह तो आज दिखाई दे ही रहा है ! मगर इससे कार्य नही बढ सकता है ! इसके लिए.. .लगातार, निरंतर, नितदिन ऐसी व्यापक मुहिम का हिस्सेदार

सनातन धर्म को बदनाम करनेवालों का

 सनातन धर्म को विनावजह गाली देनेवालों का...समय ही सर्वनाश कर देगा !!! ( लेखांक : - २०५२ ) विनोदकुमार महाजन ----------------------------- सत्य, हमेशा सुर्यप्रकाश जैसा स्वच्छ, सुंदर,पारदर्शी होता है ! और सत्य सनातन धर्म भी सुंदर और पारदर्शी ही है ! इसीलिए हजारों सालों तक संपूर्ण धरती पर केवल और केवल सनातन धर्म का ही राज्य था !  और बडे आत्मविश्वास के साथ मैं यह कहता हुं की, संपूर्ण धरती पर फिरसे केवल और केवल सनातन धर्म का ही राज्य भविष्य में जरूर आयेगा ! क्योंकि सत्य कभी भी मरता नही है ! सत्य को अगर जमीन में भी दफनाया गया तो भी एक दिन वह सत्य बाहर आकर ही रहता है ! जैसे की आज संपूर्ण विश्व में,खुदाई में केवल और केवल सनातन धर्म के ही सबुत मिल रहे है ! मगर फिर भी,सनातन धर्म को गाली देना यह आजका,कुछ लोगों का एक फैशन ही बन गया है !विशेषत : हमारे ही कुछ लोग इसमें सहभागी होते है,यह दुर्दैव है ! इसिलिए आज मैं सत्य सनातन धर्म का सटीक विष्लेषण कर रहा हुं ! और मुझे आशा है की,मेरा यह लेख विस्तार से पढने के बाद सनातन धर्म को गाली देने के बजाए,हर एक व्यक्ती सनातन के प्रती आदर ही करेगा ! सर्वप्रथम यह दे

जब अभिमन्यू धर्म युध्द में मारा जाता है

 जब, अभिमन्यु धर्म युध्द में मारा जाता है !!! ( लेखांक २०५१ ) विनोदकुमार महाजन ------------------------------ मित्रों, नियती,नशीब यह बडी अजीब चिजें होती है ! हर एक का नशीब अलग अलग ! हर एक का सुखदुःख अलग अलग ! नियती और नियती का खेल भी बडा विचित्र ! भले भलों के साथ आराम से खेलती रहती है नियती! किसी को जीवन भर हँसाती है,तो किसी को जीवन भर के लिए रूलाती भी है ! प्रत्यक्ष ईश्वर भी मानवी देह लेकर जब अवतरीत होता है.... तब....नियती बदलने की संपूर्ण क्षमता होकर भी.... नियती के ही संपूर्ण अधीन रहकर कार्य करता रहता है ! अन्यथा क्या जरूरत थी, राजा राम को राजऐश्वर्य का त्याग करके बनवास स्विकारना पडा ? क्या जरूरत थी कृष्ण कन्हैया को,जन्म होते ही दूर भागना पडा ! और.... क्या जरूरत थी अभिमन्यू को चक्रव्यूह में मरणे की ? वह भी प्रत्यक्ष परमात्मा प्रभू परमात्मा श्रीकृष्ण देहरूप में सामने मौजूद होकर भी ? उस स्थिती को समझने के लिए, कृष्ण का प्यारा अर्जुन की उस समय की मनोदशा को समझने के लिए, जरा धर्म वीर अर्जुन के मनोमस्तिष्क में परकाया प्रवेश करके तो देखो,कितना अर्जुन का ह्रदय तडप गया होगा,प्रत्यक्ष अभिमन्

हरे कृष्णा

 इस्कॉन... ने संपूर्ण विश्व को कृष्ण भक्ति सिखाई !!! https://globalhinduism.online/?p=2772 " इस्कॉन " वैश्विक कृष्ण भक्तों का सुंदर भक्तिरस ! कृष्ण भक्ति क्या होती है... यह सिखिए इस्कॉन में जाकर... संपूर्ण दुनिया को कृष्ण मय बनाया,कृष्ण प्रेमी बनाया,कृष्ण भक्त बनाया... इस्कॉन के श्रेष्ठ भक्ति ने ! खुद का अस्तित्व भूलकर, कृष्ण भक्ति में एकरूप होकर, बडे धूमधाम से,बडे आनंद से, नाचते गाते है यह सर्वश्रेष्ठ भक्त ! लिंक खोलकर सुंदर भजन सुनिए,कृष्ण भक्तों का ! आप सभी का मन भी यह आनंदी दृष्य देखकर, हर्षोल्लासीत हो जायेगा ! भक्ती वेदांत प्रभुपादजी ने मानो धरती का स्वर्ग बनाया... इस्कॉन द्वारा ! हम भी मस्त होकर, झुमेंगे,नाचेंगे,गायेंगे... सुंदर कृष्ण भजन ! ।। हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे ।। ।। हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे ।। हे मेरे गोविंद, गोपाल, सारी दुनिया को कृष्ण भक्ति के अमृत का प्राशन करने के लिए हर्षोल्लासीत कर दें ! हरे कृष्णा विनोदकुमार महाजन

कृष्णा

 मेरे प्यारे श्रीकृष्णा, वैश्विक ईश्वरी कार्य के लिए, सत्य की अंतीम जीत के लिए, कार्यों को वायुगती देने के लिए, संपूर्ण धरती पर,सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के लिए,तेरा थोडासा अंश मुझको भी देना प्रभु। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

कृष्णा

 श्रेष्ठ कृष्ण भक्ति !!! ----------------------------- कृष्णा, मुझे क्या चाहिए ? कुछ नही चाहिए ! बस्स्...केवल और केवल तेरे पवित्र चरणकमल चाहिए ! ना धन चाहिए, ना मान चाहिए ! ना ऐश्वर्य चाहिए, ना संन्मान चाहिए ! ना यश चाहिए, ना किर्ती चाहिए ! ना वैभव, ना राजऐश्वर्य चाहिए ! कृष्णा, जनम जनम तक तेरा पवित्र प्रेम चाहिए ! तेरा पवित्र प्रेम ही चाहिए ! मेरी आत्मा, तुझसे एकरूप हो गई ! तेरी आत्मा, मूझसे एकरूप हो गई ! मेरा चैतन्य,तुझसे एकरूप हो गया ! तेरा चैतन्य, मुझसे एकरूप हो गया ! तु और मैं का भेद मिट गया! कान्हा, मैं तुझसे एकरूप हो गया ! मेरा,तेरा भेद मिट गया ! कृष्णा, मैं तुझसे एकरूप हो गया ! आत्मा परमात्मा का मिलन हो गया ! बस्स्... और चाहिए ही क्या था ? जो चाहिए था,वह सबकुछ मिल गया ! कृष्णा, मैं तेरा हो गया,तु मेरा हो गया ! मनुष्य देह का सार्थक हो गया ! जनम जनम का कल्याण हो गया ! ना सुख रह गया,ना दुख बाकी रहा ! मेरा सबकुछ तेरा हो गया ! कृष्णा, मैं तेरा हो गया,तु मेरा हो गया ! हरी ओम् --------------------------- कृष्ण भक्त, विनोदकुमार महाजन

अखंड भारत दिवस

 *14 अगस्त अखण्ड भारत दिवस*                                             *राष्ट्रीय और एकात्मक संस्कृति की जो आधारभूत मान्यताएँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वीकार की हैं , उन सबका समावेश " अखण्ड भारत " शब्द के अन्तर्गत हो जाता है* । अटक से कटक , कच्छ से कामरुप तथा काश्मीर से कन्याकुमारी तक सम्पूर्ण भूमि के कण - कण को पवित्र ही नहीं अपितु आत्मीय मानने की भावना अखण्ड भारत के अन्दर अभिप्रेत है । *इस पुण्य भूमि पर अनादि काल से जो प्रजा उत्पन्न हुई तथा आज जो है , उनमें स्थान और काल के क्रम से उपरी भिन्न्ताएं चाहे जितनी हों , किन्तु उनके सम्पूर्ण जीवन में मूलभूत एकता का दर्शन अखण्ड भारत का प्रत्येक पुजारी करता है* । आज का दिन स्मरण और मनन करने का दिन है कि कैसे हमारे भारतवर्ष के कुछ हिस्से हमसे अलग कर दिए गये | *नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान , मालदीव, श्रीलंका, पकिस्तान, कश्मीर का हिस्सा , 1962 में चीन ने भारत का 90,000 वर्गमील हिस्सा हडपा | इन सब को आज याद करने का दिन है* | 1947 में हमें खंडित स्वतंत्रता मिली *जो लोग भारत की जनता को यह आश्वासन देते नहीं थकते थे की पकिस्तान मेरी लाश पर

इच्छा मंजिल तक पहुंचने की

 एक इच्छा मंज़िल तक पहुंचा देगी : - तुरंत हिंदुराष्ट्र निर्माण और अखंड भारत,विश्वगुरू भारत... मौन और एकान्त, आत्मा के सर्वोत्तम मित्र हैं। मौन होकर,एकांत में रहकर, अपने मंजिल तक पहुंचने के लिए योजना बनाकर सदैव प्रयत्नशील रहना होगा। सौ प्रतिशत यशप्राप्ती होकर रहेगी।                                                              परीक्षा संसार की,प्रतीक्षा परमात्मा की और समीक्षा स्वंय की करनी आवश्यक है..! किंतु हम परीक्षा परमात्मा की करते हैं,प्रतीक्षा सुख की और समीक्षा दूसरों की करते हैं... इसिलिए सदैव दुखी रहते है। मेहनत की दिशा में वही जाता है  जिसको सफलता की भूख हो। हरी ओम् 🕉🕉🕉 🚩🚩🚩 🙏🙏🙏 विनोदकुमार महाजन

फिल्म प्रोडक्शन हाऊस

 फिल्म प्रोडक्शन हाऊस ( ले : - २०४५ ) विनोदकुमार महाजन ------------------------------ सृष्टि चक्र यह एक ईश्वर का अद्भूत रंगमंच है। जिसमें अनेक आत्मा देह बदल बदल कर " अपना अपना रोल " निभाते रहते है। इस सृष्टि चक्र में ईश्वर निर्मित सनातन धर्म ही अंतिम सत्य है। जो संपूर्ण चराचर में व्याप्त है। और आज फिरसे सनातन संस्कृती को विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिए प्रसार माध्यमों का विशेष सदुपयोग करके एक नया इतिहास भी बनाया जा सकता है। सोशल मीडिया, न्यूज पेपर,किताबे, टिव्ही चैनल के साथ साथ अनेक सांस्कृतिक,सामाजिक फिल्मों का निर्माण करके वैश्विक मानवसमुह के सामने अनेक आदर्शों को पुनर्स्थापीत किया जा सकता है। जो युगों युगों से सनातन धर्म ने काफी प्रयोग करके,सप्रमाण सिध्द किए हुए है। अनेक धर्म ग्रंथों की,अनेक विषयों की विविधता, अनेक देवीदेवताओं का,सिध्दपुरूषों का,ऋषीमुनीयों का,साधुसंतों का आशिर्वाद तथा सत्य का परीक्षण करते हुए विज्ञान के आधार पर सत्य साबीत हुए अनेक प्रमाणों को साक्षीभूत रखकर कार्य विस्तार किया जायेगा। ईश्वर निर्मित सत्य धर्म की पहचान संपूर्ण वैश्विक मानव को करने हेतु

हैवानियत का विरोध

 फिल्म का विरोध नही है : - यह तो हैवानियत का विरोध है !!! ( ले : - २०४४ ) विनोदकुमार महाजन ( प्रखर राष्ट्रप्रेमी,कट्टर हिंदुत्ववादी, अंतरराष्ट्रीय पत्रकार ) ---------------------------- प्रसार माध्यम यह समाज का आईना होता है। समाज प्रबोधन द्वारा आदर्श समाज निर्माण अथवा नवसमाज निर्माण के लिए प्रयासरत रहना यह प्रसार माध्यमों का मुख्य उद्देश होता है। मगर प्रसार माध्यमों द्वारा अगर सत्य पर प्रहार करके,विकृत समाज निर्मिती का जानबूझकर जब प्रयास होता है तब इसका विरोध होना अत्यावश्यक होता है। फिल्म इंडस्ट्री भी एक जबरदस्त शक्तिशाली माध्यम है,जिसके द्वारा अधर्म, कुरितीयां,बुराईयों पर प्रहार होना और सत्य की तथा सत्य धर्म की पुनर्स्थापना होना अपेक्षित होता है। आज की फिल्म इंडस्ट्री क्या कर रही है ? संस्कृती का विद्रुपीकरण करके समाज में संभ्रम फैलाकर अधर्म को बढावा देकर, हैवानियत बढाना, यही उद्देश आज फिल्म इंडस्ट्री में नजर आ रहा है। टिव्ही, अखबार यह सब प्रसार माध्यम भी जब सत्य को उजागर करने के बजाए,अगर सत्य को ही विपर्यस्त बनाकर प्रस्तुत करेंगे तो सामाजिक संभ्रम निर्माण होगा।और इसी माध्यम से सत्य

आनंदानं नाचावं, आनंदानं गावं

 आनंदान नाचावं,आनंदान गावं ---------------------------------- आनंदान नाचावं, आनंदान गावं आनंदान हसावं,आनंदान खेळावं.... हसत खेळत जीवन छान छान जगावं मस्त जगावं कलंदर होऊन जगावर प्रेम करावं स्वकीय, आप्तेष्ट, समाज,मित्र, नातेवाईक सगळ्यावर भरभरून प्रेम करावं पशुपक्षांशीही मस्त नात जोडावं पशुपक्षांचही दु:ख समजावून घ्याव त्यांच्याही सुखदु:खात सहभागी व्हावं प्रत्येकाच्या दु:खात मायेची फूंकर घालावी हसता खेळता सगळ्यांच चैतन्य जागवावं आनंदाच्या जगात सगळ्यांना हरखून टाकावं माझ तुझ विसरावं सगळ्या मित्रावरही खरखुर,स्वच्छ, निष्कपट,निर्मळ,ईश्वरी भरभरून प्रेम करावं सगळ्यांच जीवन मस्त बनवावं सगळ्यांच्या जीवनात सुखाची बहार यावी म्हणून ईश्वरालाही साकड घालावं मस्त हसत खेळत जगावं आनंदान जगावं पशुपक्षासारख आनंदान बागडावं निष्पाप, निरागस लहान मुलासारख मन ठेवून, आनंदी होऊन सगळ्यावर भरभरून प्रेम करावं पण...पण....पण...??? प्रेमाच्या बदल्यात धोका,कपट,स्वार्थ, अहंकार,मोह,मत्सर,द्वेष, निंदा,विश्वासघात मिळत असेल तर ??? तर ??? एका फटक्यात सगळ्यांशी नात तोडावं भगवंताशी अनुसंधान साधावं ईश्वराला शरण जावं ईश्वराशी बोलाव

Bnn और Cnn

 बिएनएन और सिएनएन की संपूर्ण टीम ने दिनरात मेहनत करके,एक जबरदस्त अभियान.... " अश्लीलता मुक्त भारत " चलाकर बिएनएन और सिएनएन का नाम संपूर्ण भारत वर्ष में तथा सारी दुनिया में रौशन किया है,इसके लिए... सारी टीम अभिनंदन के पात्र है। हमारी संपूर्ण टीम को,बहुत बधाई। राखी पौर्णिमा की भी संपूर्ण टीम तथा सभी देशवासियों को अनेक अनेक शुभकामनाएं। भारतीय संस्कृती के अनेक लोकप्रिय उत्सवों में से एक महत्वपूर्ण उत्सव... राखी पौर्णिमा का भी आता है। भाई बहन के निस्वार्थी प्रेम का। इसके साथ ही, १५ आँगष्ट का, ७५ वा अमृतमहोत्सवी,स्वातंत्र्य दिन की संपूर्ण देशवासियों को लाखों शुभकामनाएं। हर घर तिरंगा राष्ट्रीय अभियान में हमारा बिएनएन और सिएनएन परिवार सहर्ष सहभाग लेता है और संपूर्ण भारतवर्ष का और भारतीयों के असीम आनंद का हिस्सेदार बनता है। हर घर तिरंगा लगाने के लिए हमारी संपूर्ण टीम अखंड प्रयास करेगी।और इसी बहाने चौतरफा भारतीय पुनर्उत्थान और संपूर्ण विकास के लिए प्रयासरत रहेगी। जय हिंद वंन्दे मातरम् आपका, अजयकुमार पांडेय, डायरेक्टर विनोदकुमार महाजन, एडिटर - इन - चिफ बिएनएन और सिएनएन संपूर्ण भारतीय न्

कृष्ण को जब राधा मिलती है

 कृष्ण को जब राधा मिलती है !!! ------------------------------- कितना पवित्र नाम ! राधाकृष्ण !!! कितना पवित्र प्रेम ! आपस में कितना पवित्र दिव्य प्रेम ! जनम जनम का पवित्र रिश्ता ! जो सत्यभामा और रूक्मिणी भी न दे सकी,ऐसा सबकुछ समर्पित,पवित्र, दिव्य स्वर्गीय प्रेम ! इसिलिए कृष्ण भी परमात्मा होकर भी राधे के प्रेम का दिवाना ! इसिलिए लोग भी... सत्यभामा कृष्ण रूक्मिणी कृष्ण ऐसा नही कहते है ! राधाकृष्ण कहते है !!! कृष्ण से भी पहले राधा का नाम ! राधाकृष्ण !!! राधा हमेशा कान्हा को कहती है, " कान्हा, तुझे जो चाहिए वह सबकुछ मैं तुझे दे दुंगी। और...तु भी मुझे जो चाहिए वह सबकुछ दे दे ! " क्या चाहिए आखिर राधा को ? क्या चाहिए आखिर कान्हा को ? स्वर्गीय दिव्य प्रेम !!! बस्स्... एक दूसरे के प्रेम के सिवाय तडपती... जलबीन मछली ! युगों युगों से ! युगों युगों तक ! सभी प्रकार के सुखोपभोग, ऐश्वर्य, यश,किर्ती यह तो बाद में है ! सबसे पहले तो आपस में संपूर्ण समर्पीत शुध्द प्रेम ! वह प्रेम.... जो स्वर्गीय अमृत से भी बढकर है ! धन्य है राधाकृष्ण का जनम जनम तक रहनेवाला, अजरामर शुध्द प्रेम !!! धन्य है राधाकृ

चलो मंजील की ओर

 संगठन बनाना, बढाना आसान काम नही है। ( ले : - २०४० ) विनोदकुमार महाजन ----------------------------- समय के अनुसार,बहुत से सामाजिक, आध्यात्मिक, राजकीय संगठन बनते है। मगर उसमें कितने संगठन अपने अंतीम मंजील तक पहुंचते है ? उद्दिष्ट पूर्ती तक कितने संगठन आगे बढते है ? यह महत्वपूर्ण विषय है। आज अनेक हिंदुत्ववादी संगठन भी बन रहे है। मगर उनमें से सक्रिय कितने है ? उद्दिष्ट पूर्ती तक कितने पहुंचे है ? यह भी संशोधन का विषय है। विशिष्ट उद्दीष्ट लेकर आगे बढेंगे, शक्तिशाली रणनीती बनाकर, पक्का " बेसमेंट " बनायेंगे तो निश्चित रूप से " बिल्डिंग " शक्तिशाली ही बनेगी। अनेक विपदाओं का,आपदाओं का सामना करते करते... " पक्की नींव " बनाकर आगे बढेंगे तो... कम समय में उद्दिष्ट पुर्ती तक निश्चित रूप से पहुंचेंगे। संगठन सक्रिय करने के लिए धन की जरूरत तो होती है। मगर इससे भी जादा महत्वपूर्ण होता है, संपूर्ण समर्पित कार्यकर्तांओं की फौज बनाना और उसे आगे बढाना। चिते जैसी स्फुर्ती, चुस्ती,गती लेकर... " विशिष्ट लक्ष " की ओर बढते रहेंगे तो....? लक्ष हासिल होकर ही रहेगा। और संगठन

सभी हिंदुत्ववादी संगठनों को आवाहन !

 सभी हिंदू संगठनों को आवाहन !!! सभी हिंदुओं को अब अपना धधगता ईश्वरी तेज जागृत करना पडेगा, और अन्याय के विरूद्ध आक्रमक होना पडेगा। सभी हिंदुत्ववादी संगठनों को मैं  इसिलए नम्र निवेदन और आवाहन करता हुं की,सभी हिंदुओं का आत्मतेज बढाने के लिए शक्ति बढावो। जो भी व्यक्ती, हिंदू धर्म को,हिंदू संस्कृती को,देवीदेवताओं को बदनाम करेगा.... उसको सामुहिक स्थान पर जूतों से मारकर, जूतों की माला पहनाकर, गधेपर बिठाकर, जलूस निकालने की मैं.... सभी हिंदू संगठनों को अपील करता हुं। और उपर से हर पुलीस स्टेशन में हिंदु धर्म को बदनाम करनेवालों  के खिलाफ रिपोर्ट करो। चाहे वह फिल्म स्टार हो,कोई फिल्म हो अथवा टिव्ही सिरीयल हो.... सभी को एक समान न्याय... तभी धर्म को बदनाम करनेवालों को सबक मिलेगी... और अपनेआप धर्म को बदनाम करनेवाले बरबाद हो जायेंगे। अमीर की  पि.के. अगर हम ही अभिमान से देखते है... और हमारे देवीदेवताओं का मजाक अगर हम ही उडाते है... तो...??? इससे बडा दुर्भाग्य और क्या होगा ? हर हर महादेव विनोदकुमार महाजन

भारत कब हिंदु राष्ट्र बनेगा ?

 भारत कब हिंदु राष्ट्र बनेगा... ऐसा पूछनेवालों के लिए... *भारत हिन्दू राष्ट्र कब बनेगा ?   ये पूछने वालों के लिए बता दूं..!?* *यह हिन्दू राष्ट्र ही था,है और रहेगा भी !!!........तुम हिन्दू कब बनोगे पहले यह तो बताओ...??* समाजवाद का कीडा बनकर हिंदू ही धर्म पर प्रहार कर रहा है... सबसे पहले झूटा समाजवाद तो छोडो और... पहले कट्टर हिंदू तो बनो !!! फिर बहुसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार करनेवाले बेईमानों का... सदा के लिए बैंड बज जायेगा ! हर हर महादेव विनोदकुमार महाजन 🤨🧐😎

धर्म जागृती साठी समाजातील प्रत्येक घटक जागरूक करणे अत्यावश्यक

 गेले काही दिवसापासून हिंदूंची हत्या वाढताय आणि अनेकांनी त्या घटनाविषयी निषेध नोंदवत हिंदूंनाही कट्टर होण्याविषयी जागरूक होण्याविषयी सांगितले जे की चुकीचे नाही... परंतु कट्टर होण म्हणजे नेमकं काय?? किंवा त्यापासून ची साध्यता किंवा इतर अजून कुठले पर्याय आहेत का हिंदूंना जागरूक करण्याविषयीचे याचा धांडोळा घेतला असता लक्षात आलं की... प्रत्येक हिंदूंना आपल्या विस्मृतीत गेलेले रीतिरिवाज, संस्कृती, परंपरा यांची परत एकदा आठवण करून देण्याची आवश्यकता आहे.... शांतीप्रिय समाजाकडून होणाऱ्या हत्याकांड आपले जितके सहजगत्या लक्ष वेधले जाते पण हिंदूंचं मिशनऱ्यांकडून शांततेचा होणाऱ्या छुप्या धर्मांतरंबाबत बरेचजण अनभिज्ञ आहेत... मागास घटकातील किंवा आदिवासी भागातील आपल्याच कित्येक धर्म बांधवांनी २ किलो धान्यासाठी स्वधर्माचा त्याग करून ते ख्रिस्ती झाल्याची फक्त एकच नव्हे तर हजारो घटना आहेत... पण हे का होतंय याचा कोणी विचार केलाय का?? आपले ऋषीमुनी वेदाअध्ययन करून त्यातील विचार खेडोपाडी घरोघरी जाऊन पोचवायचे, लोकांच्या मनात संस्कृतीचा बीजारोपण करायचे.हे परंपरा पुढे लुप्त झाली... पण याच परंपरेची मूलभूत तत्व ख्र