चक्रव्यूह भेदन करके,हिंदुराष्ट्र बनाना है
क्या सत्य चक्रव्यूह में फँसा हुवा है ??? ( लेखांक : - २०६५ ) विनोदकुमार महाजन ----------------------------- सत्य, जो ईश्वर के हृदय में निरंतर वास करता है ! और असत्य ? क्या राक्षसों के अंदर सदैव छुपा हुआ होता है ? चाहे कुछ भी सत्य - असत्य की लडाई निरंतर चलती रहती है ! और हमेशा हार असत्य की होती है, और अंतिम विजय सत्य की ही होती है ! मगर सत्य हमेशा परेशान रहता है...मगर फिर भी सत्य कभी भी पराभूत नही होता है ! इसीलिए सत्यवादी भी हमेशा परेशान रह सकता है ! मगर उसके चेहरे पर पराभव की परछाईं भी नही दिखाई देती है ! उल्टा कितना भी भयंकर मुसिबतों का दौर चल रहा हो,सत्यवादीयों के चेहरों पर हमेशा आत्मविश्वास का तेज ही,झलकता है, दिखाई देता है ! आत्मविश्वास दिखाई देता है ! और असत्यवादी हमेशा भयभीत रहते है ! अब देखते है विस्तार से विवेचन ! क्या आज सत्य, सत्यवादी, सत्याचरणी परेशान है ? असत्य के प्रभाव के कारण सत्य दबा सा हुवा है ? अधर्म ही असत्य का दूसरा रूप होता है ? क्या यही अधर्म ने और अधर्मावलंबीयों ने सत्य को और धर्मावलंबियों को चारों तरफ से घेर के रखा है ? अदृश्य साँप और अजगरों द्वारा ? अब, हम