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Showing posts from December, 2021

चलो संस्कृती की ओर

 जनमदिन पर दिपक  बुझाने की नही बल्की दिपक जलाने की हमारी संस्कृती है ! दिपक जल गया मतलब जीवन में प्रकाश हो गया और दिपक बुझ गया मतलब जीवन में अंधेरा हो गया... ऐसा प्रतीत होता है ! इसिलिए साथीयों, दिपक बुझावो मत, दिपक जलावो ! चलो प्रकाश की ओर ! चलो नवजीवन की ओर ! चलो संस्कृती की ओर ! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

हम तेजस्वी ईश्वर पुत्र होकर भी आखिर हम ऐसे क्यों हो गये ?

 अंग्रेजों के गुलाम ! ! ! ------------------------------ जि हाँ , भाईयों, अंग्रेजों के गुलाम।बहुत ही बुरा लगता है ना,सुनकर या पढकर ? मगर, दुर्दैववश यही वास्तव है,यही सच्चाई है,यही असलियत है। अंग्रेज देश छोडकर चले गए,मगर हम मानसिक गुलाम बन गए। या जानबूझकर बनाए गए ? हमने अंग्रेजी शिक्षा पध्दति स्विकार की,रहनसहन अंग्रेजों का स्विकार किया। हम नया साल हिंदू कालगणना के अनुसार, मनाना भूल गए,हम चैत्र शुध्द प्रतिपदा,पाडवा, तो मनाते है,मगर ? हमें हाय-हैलो की लत लग गई मगर रामराम कहना हम भूल गए या कहनेवालों को गँवार, खेडुत,अज्ञान समझने लगे। हमने मुगलों की भी गुलामी स्विकार की,शहर,गली के नाम हम गर्व से मुगलों के बिनादिक्कत लेने लगे। हमें अकबर महान पढाया गया,हम स्विकारते गए।धिरे धिरे हमारी संस्कृति, सभ्यता,स्वाभिमान को भूलकर, हम आक्रमणकारियों की जीवन प्रणाली स्विकारते गए,और हमारे ही आदर्शों को,महान सिध्दांतों को भूलते गए। हमारे देश में हमारे ही देवी देवताओं की,महापुरुषों की,सिध्दपुरुषों की विडंबना देखकर भी हमारा खून कभी गरम नही हुवा।हम बहुसंख्यक होकर भी,दिनबदिन मानसिक गुलामी सहर्ष स्विकारते गए। दुर्

दिव्यशक्ती

 ईश्वर भयंकर कठोर सत्वपरीक्षा और अग्नीपरीक्षा लेता है ! अनेक प्रकार के जहर भी हजम करने पडते है ! तभी ईश्वर प्रसन्न होकर " दिव्यशक्ती,दिव्यज्ञान और दिव्यनेत्र प्रदान करता ही है ! " हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

तेरे भी दिन आयेंगे

 *तेरे भी दिन आयेंगे !*  *कोशिश करते रहेंगे, तो ...*   *एक दिन सफलता जरूर* *मिलेगी !*  *हम बात करेंगे आज विश्व की उन सफ़लतम इंसानों की जिसने हार नही मानी विषम परिस्थितियों में अपनी हिम्मत को नही खोया और आगे बढ़ते गए*!!! *केंटुकी फ्रोइड ने 60 साल की उम्र में अपनी पहली रेस्टोरेंट खोली और आज तक उनकी पूरी दुनिया मे रेस्टोरेंट्स की चेन में सेंकडो देशों में सफलता पूर्वक चल रही है*!!! *इंफोसिस के नारायण मूर्ती को एक समय पर अपने घर के जेवरात भी बेचने पड़े थे लेकिन पैसा नही है कैसे होगा क्या होगा कि फरियाद नही की और आज उनकी सफलता आसमान छू रही है* *दुनियाभर में अपनी फ़ॉर व्हीलर मोटर्स से फोर्ड कंपनी को जाना जाता है उनके पास पढ़ाई के पैसे ही नही थे लेकिन हर हाल में उन्होंने जो नक्की किया था उधर हैनरी फोर्ड पहोच गए*!!! *ऑस्कर विजेता हीरोइन मेटलिन बचपन से अस्वस्थ और थोड़ी बहेरी थी आवाज़ सुनने को ही उनको तकलीफ थी फिर भी अभिनय की दुनिया मे मेटलिन का नाम ऊंचा है इज्जत के साथ ऑस्कर एवॉर्ड प्राप्त किया* *भारत की विख्यात नृत्यांगना सुधा चंद्रन का एक पांव नकली है नाचे मयूरी फ़िल्म के बाद नृत्य(डांस) के सेंकडो प्र

अध्यक्ष महोदय,लोकसभा और राज्यसभा

 *अध्यक्ष महोदय,*   *लोकसभा और राज्यसभा* @@@@@@@@@@@@ अध्यक्ष महोदय, लोकसभा, राज्यसभा तथा विधानसभा, विधानपरिषद, आपको नम्र निवेदन किया जाता है की, जब लोकसभा,राज्यसभा का, अथवा विधानसभा ,विधानपरिषद में कामकाज आरंभ होता है,अथवा विकास कामों में चर्चा होती है, तब,सदन के हर एक सदस्य को बोलने का,विचार रखने का मौका दिया जाता है। उसी समय संपूर्ण देश की और देशवासियों की,अपेक्षा यह होती है की,सन्माननीय सदस्यों को जो बोलने के लिए समय दिया जाता है,उसी समय में हर एक सदस्य द्वारा देशविकास के लिए अभ्यासपूर्ण विवेचन हो। इसके साथ ही, जब सन्माननीय सदस्य का भाषण अथवा विवेचन शुरू हो जाता है तब उसका संपूर्ण संभाषण, सभी सन्माननीय सदस्यों द्वारा शांतीपूर्ण तरीकों से सुनाया जाए।उसके भाषण, संभाषण में,बिचमें उसे कोई भी रोके - टोके या गलत टिप्पणी करें ,ऐसा गलत है।अथवा सदन में हंगामा करना , जोरजोर से आवाजे लगाना यह भी गलत है। यह कामकाज संपूर्ण देश और देश की जनता,लाईव्ह प्रसारण द्वारा देखती है।और जब वहाँ पर विकास कार्यों के व्यतिरिक्त भयंकर हंगामा खडा होता है...तो यह सब देखकर देश की जागृत जनता भयंकर दुखी होती है।और

चलो सत्य सनातन की ओर

 *चलो सत्य सनातन की ओर !*   *चलो हिंदु धर्म की ओर !*  🕉🚩🕉🚩🕉🚩🕉🚩 जिनकी ओंकार साधना है वह सभी हिंदु ही है मतलब सभी अनादी - अनंत सनातन धर्म से ही जुडे हुए है ! इसके साथ ही इस देश में रहनेवाले और खुद को अहिंदु कहने वाले भी सभी के सभी भी पुर्वाश्रमीके हिंदुही है क्योंकी इन सभी के पुर्वज भी हिंदुही है ! मतलब साफ है, देश के मेरे सभी भाई हिंदुही है,अर्थात सनातनी ही है ! इसिलिए मेरे सभी भाईयों को, मैं नम्र निवेदन तथा आवाहन करता हुं की, अपने " मूल सनातन सिध्दांतों " से , " जुड जावो " यही हर एक के जीवन का और मनुष्य जन्म का अंतीम  साध्य है ! अपने मूल घर में तेजीसे वापिस लौटने की प्रक्रिया यहाँ से  आरंभ होगी तो.... विदेशों में भी यह अभियान तेजीसे फैलेगा ! हम जल्दी ही हर घर में जाकर सभी को अपने मूल सिध्दांतों से जोडने के लिए आमंत्रित करनेवाले है ! देश में भी और विदेशों में भी ! क्योंकी यह सभी का घर है ! और यही, " वसुधैव कुटुंबकम् " भी है ! और ईश्वर को भी यही मंजूर है ! सभी की आत्मा एक, सभी के पंचमहाभूतों के देह एक, सभी का जन्म मृत्यु भी एक, सभी की श्वास भी एक, सभ

नववर्ष ( मराठी )

 नववर्षाच्या सर्वांना अनेक शुभेच्छा हिंदु कालगणेअनुसार चैत्र शुद्ध प्रतिपदा हा नववर्ष आरंभ मानला जातो.परंतु जगामध्ये एकाच वेळी सर्व व्यवहार सुरळीतपणे पार पडावे यासाठी, जानेवारी पासुन नववर्ष कालगणना मानली जाते.संपूर्ण जगातील व्यवस्था यामुळे एकसंध करण्यासाठी ही कालगणना जगाने स्विकारली आहे. सा.सावधान हिंदुस्थान च्या सर्व वाचक,जाहिरात दार,हितचिंतक यांना हे नववर्ष सुखाचे,समाधानाचे,ऐश्वर्यसंपन्न, आरोग्य संपन्न जावो हीच विधात्याच्या चरणी विनम्र प्रार्थना.

नववर्ष ( हिंदी )

 नववर्ष की अनेक शुभकामनाएं वैसे तो सनातन हिंदु संस्कृती के अनुसार चैत्र शुध्द प्रतिपदा को ही नववर्ष आरंभ होता है।और वैश्विक संतुलन के अनुसार यह कालगणना यथोचित भी है। मगर संपूर्ण विश्व में एकसाथ की कालगणना के अनुसार जनवरी में नववर्ष आरंभ हो जाता है। बिएनएन तथा सिएनएन द्वारा हमारे सभीशुभचिंतकों को,पाठकों को और हमारे चैनल के सभी पत्रकारों को नववर्ष की अनेक मंगल शुभकामनाएं। आप सभी को आर्थिक स्थैर्य, आरोग्य, ऐश्वर्य, यश,किर्ती,दिर्घायुष्य प्राप्त हो,ऐसी हम ईश्वर के चरणों में विनम्र प्रार्थना करते है। आप सभी को नववर्ष की अनेक शुभकामनाएं।

ईश्वर का ह्रदय

 छोटे बच्चों जैसा निष्पाप,निरागस मन, ईश्वर जैसा पवित्र ह्रदय, फुलों जैसा सुंदर मन, होगा तो, खुद ईश्वर भी उसपर निरंतर और शुध्द प्रेम की वर्षा ही करेगा और उसे सदैव अपने ह्रदय में ही स्थान देगा ! जिसे खुद ईश्वर ही अपने ह्रदय में स्थान देगा तो... इससे बढकर सौभाग्य कौनसा होगा ? हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

अखंड हिंदुस्थान

 हिंदु राष्ट्र निर्माण और अखंड हिंदुराष्ट्र  के लिए बस्स्... और थोडा समय का इंतजार... ईश्वर की इच्छा कौन रोक सकता है ? हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

हिंदु राष्ट्र निर्माण

 अनेक ख्रिश्चन राष्ट्र चलते है अनेक मुस्लिम राष्ट्र भी चलते है अनेक बौध्द राष्ट्र भी चलते है छोटासा इस्राएल यहूदियों का राष्ट्र भी चलता है मगर न जाने क्यों कुछ लोगों को हिंदु बहुसंख्यक होकर भी हिंदुराष्ट्र मंजूर नही... ऐसा क्यों ??? संपूर्ण हिंदुस्थानीयों का एक ही सवाल... कब होगा हिंदु राष्ट्र निर्माण ??? हर एक को उत्तर तो देना ही पडेगा हिंदुराष्ट्र निर्माण समय की यही है माँग विनोदकुमार महाजन

सिध्दपुरूष

 बडे विचित्र होते है,सिध्दपुरूष माँ का प्रेम अपने बच्चों के प्रती निरंतर पवित्र ही होता है। ठीक इसी प्रकार से सत्पुरुषों का,सिध्दपुरूषों का समाज के प्रती प्रेम निरंतर पवित्र ही होता है। माँ जिस प्रकार से अपने बच्चों के अखंड कल्याण के लिए प्रेम भी करती है,कभी कभी डांटती भी है,गाली भी देती है और जरूरत पडनेपर उस बच्चे को डंडे से मारती भी है।कभी कभी बच्चों के हित के लिए कठोर शब्दों से प्रहार भी करती है। ठीक इसी प्रकार से सत्पुरुष ,सिध्दपुरूष समाज हित के लिए प्रेम की भाषा भी बोलते है,गाली भी देते है,कठोर शब्दों से प्रहार भी करते है अथवा डंडे से किसी को मारते भी है तो उनका उद्देश्य भी समाज हित के प्रती माँ जैसा ही होता है। सिध्दपुरूषों को समझना तो बडा कठीण होता है।कुछ सिध्दपुरूष तो समाज से दुरी बनाए रखने के लिए जानबूझकर पागल भी बन जाते है,अथवा अखंड ब्रम्ह समाधी में रहते हुए,अनेक बार पागलों जैसी भी हरकतें करते रहते है। बडा विचित्र खेल है यह। सिध्दपुरूषों के आशीर्वाद से अनेकों के नशीब बनते है तो, उनके श्राप से जीवन उजाड भी जाते है। इसीलिए पुण्यवान पुरूषों का आशिर्वाद लेना है या श्राप यह तो हर

स्वच्छ भारत अभियान

 *।________ अधिसूचना_________।        हरि ऊॅं तत्सत। सर्वसाधारण को एतद् द्वारा सूचित किया जाता है कि राष्ट्रवादी एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रकार श्री विनोद नागेश महाजन निवासी राजगुरु नगर खेड़ पूणे महाराष्ट्र (भारत) को उनके रचनात्मक एवं सकारात्मक कार्यों के दृष्टिगत स्वच्छ जलग्राम मिशन  महाराष्ट्र का  राज्य मुख्य समन्वयक ( State Chief Co-ordinator) मनोनीत किया जाता है। आप सभी से आशा किया जाता है कि मिशन के द्वारा भारत के प्रत्येक गाॅव को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लक्ष्य प्राप्ति में इनको ( विनोद एन. महाजन )  को समुचित सहयोग देकर महाराष्ट्र को स्वस्थ और समृद्ध बनाने में सार्थक पहल करेंगे। अलख निरंजन।। जारीकर्ता पंडित लक्ष्मण बालयोगी प्रबंधकर्ता/ मुख्य प्रशासकीय न्यासी स्वच्छ जलग्राम मिशन  , सेवा में, महामहिम राज्यपाल महाराष्ट्र मुंबई  एवं माननीय मुख्यमंत्री महाराष्ट्र सरकार मुंबई तथा समस्त सांसद विधायक व अधिकारी महाराष्ट्र।।*

नामजप का महत्व

 नामजप किजिए जीवन को कृतार्थ किजिए। 🚩नामसंकीर्तन साधना की विशेषता* इसमें सभी वर्णों का अधिकार है । इस महामंत्र की दीक्षा में मुहूर्त के विचार की आवश्यकता नहीं है । इसके जप में बाह्यपूजा भी अनिवार्य नहीं है । _केवल उच्चारण करने मात्र से यह सम्पूर्ण फल देता है ।_ इस मंत्र के अनुष्ठान में देश-काल का कोई प्रतिबंध नहीं है । जूठे मुंह अथवा किसी भी प्रकार की अशुद्ध अवस्था में भी नामजप करने का निषेध नहीं है । श्रीमद्भागवत महापुराण का तो यहां तक कहना है कि जप-तप एवं पूजा-पाठ की त्रुटियां श्रीहरि के नामसंकीर्तन से ठीक और परिपूर्ण हो जाती हैं । *👉नामसंकीर्तनयोग का महत्त्व : मनुस्मृति में कहा गया है –*  _ये पाकयज्ञाश्‍चत्वारो विधियज्ञसमन्विता: ।_   _सर्वे ते जपयज्ञस्य कलां नार्हन्तिषोडशीम् ॥ (मनुस्मृति २.८६)_   *भावार्थ* : अर्थात गृहस्थ द्वारा जो चार महायज्ञ (वैश्‍वेदेव, बलिकर्म, नित्य श्राद्ध एवं अतिथि भोजन) प्रतिदिन किए जाते हैं, जपयज्ञ का फल इन सब कृतियों के फल के कई गुना होता है । 🔸नामजप में जप शब्द की व्युत्पत्ति ‘ज’ जोड(+)‘प’ से हुई है । जप शब्द का अर्थ है ‘जकारो जन्म विच्छेदकः पकारो पाप

तीन साल पहले मेरी भविष्यवाणी

 अब नृसिंह आयेगा। ----------------------------- नृसिंह, जागृत धधगता ईश्वरी तेज,साक्षात ज्वाला, लाव्हा।ना मनुष्य ना पशु।नर-सिंव्ह....। जब जब उन्मत्त, उन्मादी महाभयंकर पातकी,हाहा:कार मचानेवाले, क्रूर हिरण्यकशिपु और हिरण्यकशिपु जैसे भयंकर अनेक राक्षस इस पवित्र भूमि पर पाप का आतंक मचाते है,लोगों का जीना मुश्किल कर देते है...तब तब इसी पवित्र भूमी पर धधगता अंगार, ईश्वरी तेज लेकर नृसिंह जैसे अवतार प्रकटते है और पापियों का सर्वनाश कर देते है, उन्मत्त, उन्मादी हिरण्यकशिपु को टरटरा फाड देते है। अब आज का वर्तमान... क्या है ? भक्त प्रल्हाद रूपी हिंदुओं को,आज हाहा:कारी राक्षस चारों तरफ से पिडाएं,दुखदर्द, यातनाएं दे रहे है।सबकुछ हिंदुओं को असह्य हो रहा है।सदियों से घोर अत्याचार सहते सहते हिंदु समाज,भयभित है,मरणासन्न है। इसी वजह से ऐसे भयंकर अत्याचारीयों का सदा के लिए नाश करने के लिए, हिंदुओं में ही कोई तो भी भयंकर जागृत,तेजस्वी, धधगता अग्नि जैसा नृसिंह जरूर पैदा होगा।और अन्याय, अत्याचार को सदा के लिए जमीन में दफना देगा। क्योंकि अन्याय, अत्याचार का सचमुच में आज आगडोंब हो गया है।और प्रल्हाद रूपी हिंदू

हिंदुराष्ट्र अब हमें बनाना है

 *संयुक्त हिंदु धर्म संसद की* *ललकारी...*  उठो विर पुत्रों उठो, उठो ईश्वर पुत्रों उठो, उठो शूर पुत्रों उठो ! संयुक्त हिंदु धर्म संसद ने की है ललकारी हो रही है हिंदुराष्ट्र निर्माण की तैयारी ! सबको जागृत होना है एकी की वज्रमूठ बनाना है सबको दिल्ली पहुंचना है शक्तिशाली प्रहार करना है हिंदुराष्ट्र अब बनाना है ! हिंदुराष्ट्र बनाने की  करो तैय्यारी दिल्ली आ रहे है सब भगवाधारी ! प.पू.लक्ष्मण जी बालयोगी धीरज भारद्वाज जी की और भी अनेक साधुसंतों की है जबरदस्त तैय्यारी...! है एक ही ललकारी हिंदु राष्ट्र बनाना है संपूर्ण देश को जगाना है हिंदु राष्ट्र बनाने की हो रही है जमकर तैय्यारी ! चलो भाईयों चलो सबमिलकर दिल्ली चलो भेदभाव भुलकर दिल्ली चलो जातपात का झगडा छोडो भगवान के भगवे से सब नाता जोडो ! हर गाँव,नगर,शहर से बहुसंख्या में दिल्ली को  निकलना है मिशन हमारा कामयाब बनाना है ! चलो साथीयों चलो जंतर मंतर चलो चलो साथीयों चलो धरणा धरणे के लिए सबमिलकर दिल्ली चलो हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए सबमिलकर दिल्ली चलो ! घेरा डालो,डेरा डालो  की है पुकार देश में गुंजेगी अब एक ही ललकार हिंदुराष्ट्र बनाना है मुघल, अंग्

हिंदुराष्ट्र के लिए आंदोलन

 मुझे लगता है,ग्रुप पर चर्चा से कुछ लाभ हो रहा है या नही, यह बात तो नही जानता मगर जंतर मंतर पर होनेवाले आंदोलन के लिए किस प्रकार कि निती बन गई है, यह अभी तक स्पष्ट नही हो रहा है। इससे संबंधित कुछ प्रश्न १) आंदोलन के लिए कितने कार्यकर्ता आने की संभावना है २) कार्यकर्ताओं की रहने खाने की किस प्रकार की सुविधा होगी। ३ ) आपातकाल जैसे की कुछ उपद्रवी शक्तियाँ आंदोलन में गुप्त रूप से घुसकर,संगठन अथवा आंदोलन कर्ता को बदनाम करने की साजीश करता है तो हल क्या होगा ४ ) सरकार की तरफ से कितना और कैसा सहयोग प्राप्त हो सकता है ५ ) देश के विविध प्रदेशों से आनेवाले कार्यकर्तिओं की आने जाने की किस प्रकार की सुविधा होगी ६ ) ठंडी के दिन,कोरोना ऐसी अनेक समस्याओं का हल क्या है ७ ) कितने हिंदुत्ववादी संगठन इसमें सहभाग ले रहे है ८ ) विदेशों से कितने कार्यकर्ता आ रहे है ९ ) हिंदु संगठनों में हो रहे वैचारिक मतभेद का हल और मनभेद तथा बुध्दीभेद से हटकर कार्य सफल बनाने की निती क्या है १०) ग्रुपपर विनावजह के अनेक मेसेज आ रहे है इसिलिए अंतिम उद्दिष्ट पुर्ती की व्यूहरचना में अनेक बाधाएं उत्पन्न हो रही है ११ ) ठोस तथा अंत

बिपिन रावत यांना श्रध्दांजली

 बिपिन रावत : - एक राष्ट्रप्रेमी व्यक्तिमत्व बिपिन रावत यांचे हेलीकॉप्टर अपघातामध्ये दुर्दैवी निधन झाले आणी संपूर्ण देशच केवळ हळहळला नाही तर,अख्खा देशच ढवळून निघाला. देशासाठी रावत यांचे योगदान तसे पाहता फार मोठे आहे.३७० कलम,सर्जिकल स्ट्राईक यासारख्या धडाकेबाज निर्णयामुळे रावत यांची कारकीर्द विशेष गाजली.आणी खरोखरीच देशसासाठी हे कार्य महत्वपूर्ण व आव्हानात्मक होते.त्यांच्या दुर्देवी अपघाती निधनामुळे देशाची भयंकर हानी झाली आहे. चिनसारखा बलाढ्य देशसुध्दा रावत यांच्या जबरदस्त रणनीती मुळे रावत यांना दबकून रहात होता.पाकिस्तान ची तर त्यांनी पार ऐसी की तैशी करून पार धुळधाण उडवून दिली होती.देशातील राष्ट्र द्रोही शक्ती पण रावत यांना दबकून होत्या. आम्ही अडीच मोर्चावर काम करतो आहोत,हे त्यांचे उद्गार विशेष उल्लेखनीय होते.चिन सारखा बलाढ्य देश,पाकिस्तान व देशातंर्गत छुपे शत्रू, असा हा अडीच शत्रूंचा मुकाबला ते खंबीरपणे करत होते.ख-या राष्ट्रप्रेमींसाठी बिपिन रावत हे विशेष कौतुकास्पद विषय होता.तर राष्ट्र द्रोह्यांसाठी ते कर्दनकाळ होते. बिपिन रावत यांच्या अपघाती मृत्यु मुळे देशाची कधीही भरून न निघणारी फार

संपूर्ण समर्पण

 *सबकुछ समर्पण !*  ईश्वर के सामने भक्तों को, सद्गुरु के सामने शिष्यों को, सिध्दपुरूषों के सामने  पुण्यवंतो को, और ईश्वर समान अपने  पती के सामने, पतीव्रता स्र्ती को विश्व का, सारा वैभव और स्वर्ग सुख भी य:कश्चित लगता है ! अगर इनको ईश्वर, सद्गुरु अथवा महापुरुषों ने अपना सर भी काटकर मांग लिया, तो एक ही झटके में और विनासोच के पुण्यात्माएं, शिष्य अथवा ईश्वर भक्त अपना सर भी तुरंत काटकर  दे देते है ! इसे कहते है प्रेम, इसे कहते हैश्रध्दा , और इसे कहते है भक्ति !  और ईश्वर भी ऐसे ही महापुरुषों को सर्वश्रेत्व देता है ! धर्म के लिए राजे संभाजी, गुरू गोविंद सिंहजी, और ऐसे अनेक महापुरुषों ने क्रांतिकारियों ने, अपने प्राण की बाजी लगाने  के लिए भी पिछे नही हटे ! तो ऐसे महापुरुषों के सामने धन,वैभव, सत्ता, संपत्ति कौनसी बात है ? इसिलए तो हनुमानजी ने अपनी छाती फाडकर अपने अंदर राम के दर्शन करवाए, सज्जन गढ पर कल्याण  स्वामी ने रामदास स्वामी की इच्छा के लिए, खुद को गढ के उपर से कुद दिया ! अगर सचमुच में जीना ही है तो ऐसा भव्य दिव्य और शानदार जीवन जीने में ही मजा है ! अन्यथा....., किडे मकौड़े भी धरती पर पैदा

विश्व चेतना जागृती अभियान

 *विश्व चेतना जागृती अभियान* ...  *चलो विश्व क्रांति की ओर**  भारत के अनेक पथ,पंथों में बिखरे हुए भाईयों , अब समय आया है,तुम्हारे घरवापसी का।तुम्हारे पुर्वज हिंदु थे।इसीलिए तुम सभी भी हिंदु ही हो।इसीलिए अपने पुराने घर में वापिस लौट के आ जाना। हिंदुस्तान में भी और संपूर्ण विश्व में भी, घर वापसी अभियान तेजी से आरंभ हो चुका है। तो साथियों, चलो एक नये सबेरे की ओर। चलो विश्व क्रांति की ओर। चलो हिंदुयम विश्व की ओर। इसी के साथ ही संपूर्ण विश्व में फैला हुवा मानव भी सनातन ही है,यह मेरा पूरा विश्वास है। क्योंकि सभी का जीवन ईश्वरी सिध्दांतों पर ही चल रहा है। भेद है कहाँ ? सभी का जन्म मृत्यु एक समान। वह भी ईश्वर के हाथों में। सभी का आत्मा एकसमान। इतना ही नही तो,चौ-यांशी लक्ष योनियों का जीवन भी आत्मा से ही संबंधित है। केवल दिखने में देहतत्व अलग। मगर सब एक ही ईश्वर की सभी संतानें। चर्मचक्षु से नहीं अपितु ज्ञान चक्षु से देखेंगे तो संपूर्ण साकार - निराकार विश्व ईश्वर स्वरूप ही है। तो हम भेद क्यों और कैसे कर सकते है ? जब पशुपक्षी भी भेद नही करते है तो,हम क्यों भेद करें ? हम सभी एक ही ईश्वर की संतान हो

सनातन

 *भारत के मुसलमानों, अब समय आया है,तुम्हारे घरवापसी का।तुम्हारे पुर्वज हिंदु थे।इसीलिए तुम भी हिंदु ही हो।इसीलिए अपने पुराने घर में वापिस लौट आ जाना। हिंदुस्तान में भी और संपूर्ण विश्व में, घर वापसी अभियान तेजी से आरंभ हो चुका है। विशेष उल्लेखनीय बात यह है की,तुम्हारा डि.एन.ए.भी हिंदुओं का ही है। चलो एक नये सबेरे की ओर। विश्व क्रांति की ओर। विश्व मय हिंदुत्व की ओर। इसी के साथ ही संपूर्ण विश्व में फैला हुवा मानव भी सनातन ही है,यह मेरा पूरा विश्वास है। तो...सभी धर्मीय भाईयों, चलो अपने पुर्वजों की ओर। चलो अपने मूल सिध्दांतों की ओर। चलो विश्व परिवर्तन की ओर। हम जल्दी ही ला रहे है... विश्व परिवर्तन अभियान... सभी धर्मीयों के लिए V.K.M.( विनोदकुमार ) ( हिंदू संवाद मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि - ०३ )* *मुस्लिम क्यों छोड़ रहे इस्लाम?* भारत में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस्लाम त्याग दिया। न तो यह इस तरह का इकलौता मामला है और न ही इस तरह की घटनाएं अब इक्का-दुक्का हैं। दुनिया भर में मुस्लिमों के एक बड़े हिस्से का इस्लाम से मोहभंग हो रहा है। वाशिंगटन स्थित प्रतिष्ठित प्यू रि

सबका साथ

 वैश्विक क्रांति के लिए आप सभी का  आत्मीय प्रेम, सहयोग और  आशिर्वाद प्राप्त होगा ऐसी आशा करता हुं  !!! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

कुछ तो बोलो

 साथीयों, समाजजागृती के लिए दस लोगों को जगाने के लिए कुछ तो भी लिखो कुछ तो भी बोलो मौन तोडो,विचारों की लडाई में हर इंन्सान को जोडो धर्म कार्य के लिए ,सभी को कार्य प्रवण बनाने के लिए प्रयत्नों की पराकाष्ठा करो कम से कम,कार्य करनेवालों का हौसला तो बढावो उनकी अच्छी पोष्ट भी समाज जागृती के लिए आगे भेजो शांत और स्वस्थ मत बैठो रटफट ऐसा कुछ तो भी बोलो कुछ तो भी लिखो ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो प्रभु कार्य को आगे बढाते चलो हर इंन्सान की इंन्सानियत जगाते चलो हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

समाज जागृती

 तुम दस को जगावो दस हजारों को जगाएंगे और हजार लाखों को जगाएंगे मतलब साफ है तुम्हारी शक्ति लाखों में बढ गई हिंदुत्व की करो पुकार देश के लिए एक ललकार विनोदकुमार महाजन

हिंदुराष्ट्र

 एक ही नारा एक ही ध्यास अखंड हिंदुराष्ट्र बनाएंगे हर घर भगवान का प्यारा भगवा ध्वज लहराएंगे भारत को विश्व गुरू कहलाएंगे हिंदुमय विश्व के लिए संपूर्ण विश्व मानव की चेतना जगाएंगे हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

सद्गुरू चरण

 *सद्गुरु चरणों पर*   *संपूर्ण समर्पण चाहिए*  🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉 इस जनम तो क्या, दस जनम में भी मुझे कर्म को हराना मुमकिन नहीं था ! मगर मेरे सद्गुरु ने कृपा की और मेरा, संचीत,प्रारब्ध ही  बदल गया ! मेरे सद्गुरु जीत गये ! मेरा संचीत कर्म जो ब्रम्हराक्षस बनकर मेरा पिछा कर रहा था और भयंकर कष्ट दायक,नारकीय जीवन भोगने के लिए मजबूर कर रहा था, मेरे सरपर बैठकर मुझपर निरंतर प्रहार कर रहा था, वह कर्म आखिर हार  ही गया ! गुरुमंत्र के चौबीस सालों की खडतर तपश्चर्या से मेरा कर्म आखिर हार गया ! मेरे सद्गुरु हमेशा कहते थे,  *सद्गुरु कृपा से अनेक*   *असाध्य कार्य भी साध्य*   *हो जाते है !*  इसीलिए साथीयों, दुखों से मुक्ति के लिए अखंड गुरूमंत्र का जाप किजिए ! संपूर्ण निष्ठा से ! आपको जरूर दुखों से मुक्ति भी मिलेगी, और नवजीवन भी मिलेगा ! जैसे की तुम्हारा अब पुनर्जन्म ही हो गया है, ऐसा महसूस होगा ! इसीलिए चाहिए सद्गुरु के पवित्र चरणकमलों पर, अतूट निष्ठा और अहंकार शून्य संपूर्ण समर्पण भाव ! फिर जीवन की लडाई आसान हो जायेगी !  *हरी ओम्*  🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉  *विनोदकुमार महाजन*

शादी में सात फेरों का महत्त्व

 विवाह में सात फेरे ही क्यों लेते हैं? आखिर हिन्दू विवाह के समय अग्नि के समक्ष सात फेरे ही क्यों लेते हैं? दूसरा यह कि क्या फेरे लेना जरूरी है?  पाणिग्रहण का अर्थ : - पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से 'विवाह' के नाम से जाना जाता है। वर द्वारा नियम और वचन स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे। इस प्रकार दोनों एक-दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं। कालांतर में इस रस्म को 'कन्यादान' कहा जाने लगा, जो कि अनुचित है।   नीचे लिखे मंत्र के साथ कन्या अपना हाथ वर की ओर बढ़ाए, वर उसे अंगूठा सहित (समग्र रूप से) पकड़ ले। भावना करें कि दिव्य वातावरण में परस्पर मित्रता के भाव सहित एक-दूसरे के उत्तरदायित्व को स्वीकार कर रहे हैं।   ॐ यदैषि मनसा दूरं, दिशोऽ नुपवमानो वा। हिरण्यपणोर् वै कर्ण, स त्वा मन्मनसां करोतु असौ।। -पार.गृ.सू. 1.4.15   विवाह का अर्थ : - विवाह को शादी या मैरिज कहना गलत है। विवाह का कोई समानार्थी शब्द नहीं है। विवाह= वि+वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है- विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना।   विवाह एक संस्कार : - अन्य ध

हिंदु राष्ट्र

 अखंड हिंदुराष्ट्र तथा हिंदुमय विश्व बनाने के लिए ईश्वर खुद पर्दे के पिछे से  अनेक शक्तिशाली योजनाएं बना रहा है फलस्वरूप थोडे दिनों में दिखाई देगा हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

चलो विश्व क्रांती की ओर

 चलो विश्व क्रांति की ओर चलो नये युग की ओर चलो अखंड हिंदुराष्ट्र की ओर एक ही नारा चलो असुर मुक्त धरती की ओर चलो धर्म पुनर्स्थापना की ओर विनोदकुमार महाजन

गुरूजनों को प्रणाम

 गुरूजनों को प्रणाम सभी प्यारे मित्रों को नमस्कार आप सभी का दिन मस्त, स्वस्थ रहे आप सभी जीवन में अनेक उंचाईयाँ हासिल करें सभी का जीवन आनंदमयी चैतन्यदाई हो यही प्रभु से प्रार्थना हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

दुनिया बडी जालिम है

 जालिम दुनियावालों ने कितना भी रूलाया मगर अश्रु पोंछनेवाला खुद ईश्वर ही हो तो रूलानेवालों की क्या हैसियत रह गई विनोदकुमार महाजन

चिंता मत कर

 चिंता मत कर प्यारे आगे आगे बढता जा ईश्वर है तेरा रखवाला मंजिल की ओर बढता जा विनोदकुमार महाजन

शिवगंगा

 विशेष समाचार : - विनोदकुमार महाजन,मुंबई शिवगंगा क्या है ? साथीयों, हमारे धर्म और संस्कृति में गंगा मैय्या, गंगाजल तथा शिवगंगा का महत्व अत्याधिक है। गंगा जल केवल जल न होकर, इसमें अनेक विशेष गुण पाये जाते है। हमारे संस्कृति में यह कहावत है की, जीवन में जरूर कम से कम गंगा में नहाना चाहिए। यह केवल अंधश्रद्धा नही है..तो उच्च कोटि की आत्मीय श्रद्धा है। भगीरथ राजा ने बडे प्रयत्नों से गंगा मैय्या को स्वर्ग से धरती पर मानव कल्याण हेतु लाया है। जिसको प्रत्यक्ष शिवजी ने अपने जटाओं में स्थान दिया है।इसिलिए यह शिवगंगा बन गई। यह जीवनदायिनी है।और शिव ने हिमालय में गंगा मैय्या को धारण किया है...इसीलिए इसको शिवगंगा कहते है।यह केवल नदी या नदी का जल नही है ,अपितु यह मास्वरूप है..हमारी मैय्या है। अजय कुमार पांडेय जी ने बडे श्रद्धा भाव से ,संपूर्ण विश्वोध्दार का बडा सपना देखकर, शिवगंगा प्रा.ली. नाम से एक कंपनी रजिस्टर की है।जो गंगा की तरह धीरे धीरे संपूर्ण विश्व में फैलकर, विश्व व्यापक बनेगी।और संपूर्ण विश्व का कल्याण करने के लिए माँ गंगा की तरह वरदान साबित होगी,ऐसा विश्वास है। शिवजी का वरदहस्त और माँ गंग

हिंदुत्व हेच राष्ट्रियत्व

 हिंदुत्व व राष्ट्रीयत्व एकच हा देश बहुसंख्य हिंदुंचा असल्यामुळे इथल्या चाली,रिती,रूढी,परंपरा ह्या हिंदु धर्म आणी संस्कृतीशी निगडित आणी संबंधित आहेत. त्यामुळे इथले सणवार हे हिंदुत्वाशी निगडित आहेत. आणी इथला समाज हा बहुसंख्येने हिंदु असल्यामुळे इथले राष्ट्रीयत्व देखील हिंदुत्वाशी संबंधीतच आहे.इथे अनेक पथ,पंथ,देवी, देवता,भाषा, प्रांत वेगवेगळे असले तरी सगळ्यांची सांस्कृतिक नाळ एकच आहे.त्यामुळे इथले हिंदुत्व हा एकमेव संस्कृतीशी संबंधित असणारा आणी संपूर्ण हिंदु समाज एकत्रित गुंफून ठेवणारा प्राण आहे. इथे अनेक धर्म मनमोकळेपणाने व आनंदाने नांदतात, हे इथल्या पवित्र भुमिचे वैशिष्ट्य आहे. त्यामुळे सहिष्णुता अथवा भाईचारा हा हिंदु धर्माचा अभिमानाचा विषय आहे.आजवरचा इतिहास तपासता काय दिसते ? हिंदुंनी कधीही आक्रमक होऊन अथवा तलवारीचा धाक दाखवून धर्म वाढवण्याचा प्रयत्न केला नाही. अथवा पैशाच्या थैल्या वाटून धर्म वाढवण्यासाठी इथल्या भुमीमध्ये कधिही प्रयत्न झाले नाहीत, अथवा तसा प्रयत्न ही अद्याप पर्यंत कोणी केला नाही. अनेक आक्रमणे झाली.मुघल, इंग्रजांसारख्या अनेक आक्रमणकारकांनी इथल्या संस्कृतीवर,मंदीरावर, स

कपाळावर गंध लावणे शुभकारक

 कपाळावर गंध लावा कपाळावर गंध असणे हे जागृतपणाचे लक्षण मानले जाते.कपाळावर गंध लावण्याचे अनेक फायदे आहेत. एकतर.आपण आपल्या धर्माबद्दल जागरूक आहोत व आपल्याला आपल्या धर्माचा अभीमान पण आहे ,हे यावरून जाणवते. तसेच आपली माणसे पटकन ओळखण्यास मदत होते. गंध लावलेले पुरुष दहा माणसात विशेष पणे व ठळकपणे उठून दिसतात. आपल्या संस्कृती चा,भारतीय असल्याचा अभिमान प्रकर्षाने त्यामुळे जाणवतो. स्त्री जशी सौभाग्य अलंकार म्हणून कपाळावर कुंकू लावते,आणी ते कुंकू अभिमानाने कपाळावर मिरवते,तसेच आपण ईश्वर भक्त असल्याची आपण कपाळावर गंध लावत असल्याची निशाणी जाणवते. विशेषतः हिंदुत्वाचा पुरस्कर्ता म्हणून आपली समाजात ओळख निर्माण होते. कपाळावर गंध लावण्याचा आणखी एक फायदा म्हणजे, आज्ञाचक्रावर सतत बोटाचा दाब पडून आज्ञा चक्र जागृतीसाठी विशेष उपयुक्त ठरते.त्यामुळे साहजिकच आज्ञाचक्र जागृती द्वारा ,आत्मज्ञान, ब्रम्हज्ञान प्राप्ति साठी विशेष उपयोगी ठरते. चला तर मग,आजपासून, आत्तापासून कपाळावर गंध लावण्याचा संकल्प करू या.आपल्या बरोबर दहा विस लोकांना गंध लावण्यासाठी प्रेरित करू या. या मार्गाने धर्म जागृती अभियान पुढे वाढवू या. हरी

घुसपैठीयों को बाहर निकालो

 *साथीयों,*   *सावधान हो जाईये,*   *घुसपैठीयों को बाहर निकालने* *तक सभी चुनाव* *रोकिए।*  -----------------------------------  *साथीयों,*  यह लेख मैं अत्यंत गहराई से लिख रहा हुं।इसपर मनन,चिंतन करना अत्यावश्यक है। आशा करता हुं की, मेरे अनेक मित्र मोदिजी,योगीजी,अमीत शाहजी के नजदिकी है।वह यह मेरा लेख उनतक जरुर पहुंचायेंगे। और विशेष बात यह है की, एक अत्यंत जागृत तथा आध्यात्मिक, आंतरराष्ट्रीय सुप्रसिद्ध व्यक्तित्व, जिनका नाम मैं कुछ उद्देश्यों से नही लिख रहा हुं, जिन्होंने मुझे एक व्हाट्सएप ग्रुपपर जोडा है।जिसमें अनेक सांसद,विधायक, मंत्रिगण, अनेक व्हिआयपी सदस्यों की उपस्थिति है। कहने का तात्पर्य यह है की, किसी भी हालत में यह लेख मोदिजी, योगीजी, अमित शाहजी तक पहुंचाया जायेगा, ऐशी आशा करता हुं। आपको याद होगा, पश्चिम बंगाल चुनाव में  *खेला होबे का* खेला और शतरंज का खेल कितनी गहराई से खेला गया था। नब्बे प्रतिशत अनुमान यह थे की *बिजेपी सौ प्रतिशत जितेगी* ही जितेगी। मगर क्या हुवा ?  *खेला होबे।*  मतलब अनेक रोहिंग्या, बांग्ला, पाकिस्तान घुसपैठियों ने पूरा चित्र ही पलट दिया। इसिलए अब आगे के चुनावों

बिएनएन और सिएनएन

 बिएनएन और सिएनएन न्यूज चैनल की बढती लोकप्रियता के कारण, अब हमारे चैनल के डायरेक्टर श्री.अजयकुमार पांडेय जी तथा एडिटर इन चिफ श्री.विनोदकुमार महाजन जी को समाज के अनेक महत्वपूर्ण व्यक्ती उत्सुकता की वजह से जानकारी पूंछ रहे है। सभी देशवासियों को बताया जाता है की, हमारे उपरी दो चैनल भारत सरकार द्वारा रजिस्टर हिंदुस्थानी चैनल है। बिएनएन न्यूज चैनल का मतलब है भारत निधी न्यूज अर्थात भारत देश को सोने की चिडियाँ बनाना। तथा सिएनएन न्यूज चैनल का मतलब है चंद्रगुप्त नेशन न्यूज अर्थात चंद्रगुप्त मौर्य जैसा संपन्न, सुजलाम, सुफलाम, अखंड हिंदुराष्ट्र बनाना और संपूर्ण देशवासियों को आर्थिक संपन्न तथा सुसंस्कृत बनाना। और हमारे दोनों न्यूज चैनल का और एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, भारत को विश्वगुरु बनाना। आवो चलो बिएनएन और सिएनएन के साथ जीवन भर के लिए आत्मीय नाता जोडते है। निवेदन : - विनोदकुमार महाजन

धर्म युध्द और बैराग्य

 धर्मयुद्ध और बैराग्य !!! ------------------------------ जब बैराग्य प्राप्त होता है तब आत्मशुध्दी होती है,और आत्मज्ञान( आत्मा-परमात्मा का ज्ञान) होता है !इसी प्रकार से वह पवित्र आत्मा का आत्मोध्दार होता है,और संन्यस्त तथा स्थितप्रज्ञ होकर,भगवा वस्त्र जो विरक्ती का प्रतीक है,पहनकर,मनुष्य वस्ती से दूर,एकांत में जाकर..जैसे हिमालय.. अपना जीवन ईश्वरी चिंतन में लगाता है। भगवान की अगाध माया तथा लिला समझकर,समाज का भला बुरा सबकुछ ईश्वर पर छोडकर,निश्चिंत हो जाता है।समाजोध्दार की चिंता, उसे नही सताती है। और कुछ महात्माएं ऐसे भी होते है की,आत्मोध्दार होकर भी,समाजोध्दार, राष्ट्रोध्दार तथा विश्वोध्दार के लिए समाज में खूद को झौंक देते है। जब धर्म की हानी भयंकर होती है,या फिर असुरी शक्तियों द्वारा धर्म को समाप्त करने की कुनिती बनाई जाती है, तब ऐसे महात्मा स्थितप्रज्ञ होकर भी,धर्म की दशा देखकर बेचैन हो जाते है,उनकी आत्मा भी तडपती है..। और अंदर से उस दिव्यात्मा की आत्मा धिक्कारती रहती है की, "हे भगवान्,ऐसी भयंकर परिस्थिती में मैं कुछ भी नही कर रहा हुं,जो मुझे करना है।" कभी कभी समय ही इतना कठीण

सोनारीचा काळभैरवनाथ

 सोनारीतील नाटेश्वर पंथीय गोरक्षपीठ …. उस्मानाबाद जिल्ह्यातील परंडा तालुक्यातील श्री.क्षेत्र सोनारी हे गांव श्री.काळभैरवनाथ आणि श्री.जोगेश्वरी मंदिरासाठी प्रसिद्ध आहे. सोनारीचा भैरवनाथ महाराष्ट्रातील अनेकांची कुलदेवता आहे. घरात शुभकार्य झालं की, आवर्जून काळभैरवाच्या दर्शनासाठी येतात,गुलाल खोबरं उधळून 'चांगभंलं' म्हणून जयजयकार करतात.  सोनारीचं मुख्य आकर्षण काळभैरव मंदिर, काळभैरव जोगेश्वरी विवाह सोहळ्याची यात्रा, काळभैरवाचा रथ असले तरी फारसं प्रसिद्ध नसलेलं इथलं वैशिष्ट्य म्हणजे काळभैरव मंदिर परीसरात असणारे गोरक्षनाथ पीठ, या पीठाची गुरूगादी आणि तळघरात असलेले भद्रकाली मंदिर! सोनारीत गोरक्षनाथ यांनी स्थापन केलेल्या नाथपंथाच्या नटेश्वरी शाखेचे हे पीठ भारतातील एक प्रमुख पीठापैकी आहे. गोरक्षनाथांचा कालखंड समकालीन साहित्याच्या आधारे अनेक संशोधकांनी नवव्या शतकाच्या मध्यकालखंड मान्य केला आहे. अभिनवगुप्तने हा कालखंड १० शतकाच्या पुर्वीचा तर इतिहास संशोधक नागेंद्र नाथ यांनीही हा कालखंड ९ व्या ऩंतर मांडलेला आहे. गोरक्षनाथ यांनी भारतभर भ्रंमंती केली आणि शिव संप्रदयाची शाखा म्हणून मत्सेंद्रनाथ

सद्गुरु चरण चाहिए या राजऐश्वर्य चाहिए ???

 *सद्गुरू चरण चाहिए...*   *या राजऐश्वर्य ....???*  -------------------------------  भाईयों, गुरू तत्त्व को शब्दों में बांधना असंभव है। अमर्याद व्याप्ती, श्रेष्ठत्व, महानता,उदारता,वात्सल्य, करूणा,दया,प्रेम,ममता, कृपादृष्टि, क्षमाशिलता ऐसे अनेक ईश्वरी गुणसंपन्नता को शब्दों में कौन और कैसे बांध सकेगा ? फिर भी एक छोटासा प्रयास है यह मेरा। गुरूतत्व क्या है इसपर थोडासा विवेचन करता हुं। और मेरे लेख के बाद आखिर में प.पू.लक्ष्मण बालयोगीजी के ने सगुरू के बारे में दिए हुए विचार देता हुं। तो सगुरु कैसे होते है ? सभी देवताओं में श्रेष्ठ तथा सभी देवताओं की भी प्राप्ति कर देने वाले,ब्रम्हज्ञान देनेवाले,अनेक सिध्दियाँ देनेवाले और नर का नारायण बनाने वाले सद्गुरु होते है। सद्गुरु की प्राप्ति आसान नहीं है।पिछले जन्म के हमारे अच्छे कर्म तथा पुण्यसंचय से ही सद्गुरु की प्राप्ति होती है। और गुरु भी परीक्षा में पास होनेपर ही शिष्यों पर कृपा करते है,वरदहस्त देते है। मुझे अगर किसीने पुछा की,  एक तरफ तुम्हारे सद्गुरु तथा दुसरे तरह राजऐश्वर्य रखा जायेगा, तो... तुम दोनों में से किस को चुनेंगे ? अर्थात उत्तर साफ है

कट्टर हिदुत्ववादी योद्धे

 *कट्टर हिंदुत्ववादी* *योध्दे*  लिखना,बोलना और लडने के लिए कट्टर लोग ही चाहिए।और कट्टर बहुत कम होते है।और कट्टर योध्दे युध्द में जीतते है तो... राष्ट्र सुरक्षित रहता है। ऐसे कट्टर हिंदुत्ववादी योध्दे खुद की,परिवार की,आर्थिक समस्याओं की पर्वा किए बगैर,परिणामों की चिंता किए बिना सदैव लडते ही रहते है। नितदिन,निरंतर। आर्थिक समस्याओं से चारों तरफ से घिरकर भी,अनेक समस्याओं का सामना करते करते,समाज हित,राष्ट्र हित के लिए, देव,धर्म, देश के लिए, सत्य की अंतिम जीत के लिए, सिध्दांतों के लिए मर मिटने के लिए भी हमेशा तैयार रहते है। मगर योध्दाओं का मनोबल बढाने के लिए,उनका आत्मसन्मान बढाने के लिए, उनकी सहायता करने के लिए बहुत कम लोग आगे आते है।ना के बराबर। और पिडा देनेवाले ही जादा। योध्दाओं की शक्ती बढाने के लिए बहुत कम लोग आते है।सामाजिक विचित्र समीकरण भी अनेक बार ऐसे योध्दाओं को अनेक मुसिबतों में डालते है। ऐसे भयंकर समय में केवल ईश्वर ही रखवाला होता है। अपनों के लिए लडते है,दिनरात एक करते है,और जिनके लिए लडते है,वही समाज पिडा,नरकयातना देता है ,रूलाता है,पंख काटता है तो... इससे भयंकर दुर्देव क्या हो

नेवले के दर्शन और भाग्योदय

 नेवले के दर्शन से भाग्योदय https://globalhinduism.online/?p=1572 *नेवले के दर्शन से भाग्योदय*  ऐसा कहते है की नेवले का जब दर्शन होते है तो अनेक रूके हुए काम बन जाते है।नेवले का दर्शन अतिशय शुभ माना जाता है।मगर इसके लिए नेवले को ढुंडना नही चाहिए, बल्कि नेवला खुद होकर हमारे सामने आता है,अथवा अचानक,अकस्मात नेवले के दर्शन हो जाते है तो वह क्षण परम भाग्यकारी समझा जाता है। मेरे खुद के नेवले के दर्शन के बाद अनेक आश्चर्यचकित करनेवाले अनुभव मुझे मिले है।और अनेक कार्यों को गती भी मिल गई है। मैं एक काम के लिए जब बाहर गाँव में था,और बाल्कनी में टहल रहा था,तो अचानक मुझे नेवले के दर्शन हो गये।जो मैंने मेरे मोबाईल द्धारा चित्रित किया है। आप सभी के लिए यह व्हिडिओ शेयर कर रहा हुं। आप भी इस नेवले के दर्शन किजिए और आगे शेयर भी किजिए। श्रध्दा अपनी अपनी। हरी ओम्  *विनोदकुमार महाजन* दि.२/१२/२०२१

चलो साथियों चलो

 " *चलो साथियों* " चलो साथीयों चलो , क्रांति की ओर चलो, नवसमाज निर्माण की  ओर चलो ! हर एक को अब राम, कृष्ण,राजे शिवबा बनकर धधगता ईश्वरी तेज अपनाकर आगे आगे है बढना ! नवसमाज निर्माण के लिए, कंधे से कंधा मिलाकर, एक एक कदम आगे है बढना ! सबको साथ लेकर है चलना ! चलो साथीयों चलो, नवराष्ट्र का भी अब हमें, निर्माण है करना ! और साथियों...मैं अकेला थक जाऊंगा, मिलकर बोझ उठाना साथी हाथ बढाना साथी रे ! " *साथी हाथ बढाना !*   *साथी हाथ बढाना !* " भ्रष्टाचार, स्वैराचार पर अब सब मिलके है प्रहार करना ! हैवानियत भरे नंगानाच करनेवाले हाहाकारी यों पर भी, अब है जमकर प्रहार करना ! समाज में छुपे हुए रावण, दुर्योधन, कंस, हिरण्यकशिपु पर भी, अब हमें है चारों तरफ से वैचारिक हमले करना ! चलो मेरे प्यारे साथियों चलो, अब हमें है युग बदलना ! कानून को नही डरने वालों  को भी अब,  कानून के दायरे में रहकर , ही है सबक सिखाना ! चलो साथीयों चलो हर पल, हर दिन बिना थके हारे हमें है, आगे आगे ही बढना ! नितदिन नया चैतन्य लेकर, अंदर का ईश्वरी तेज जगाकर, हमें है मंजिल की ओर बढना ! और संपूर्ण जीत हासिल करके, हमें