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Showing posts from December, 2023

नववर्ष

 मेरा नववर्ष केवल हिंदु कालगणना के अनुसार ही रहेगा ! क्योंकि मैं हिंदु हूं !! विनोदकुमार महाजन

जहर

 जहर हजम करते रहेंगे !! ✍️ २४२९ ############# मीरा ने तो श्रीकृष्ण का नाम लेकर जालिम जहर  भी हजम किया ! तो हम भी श्रीकृष्ण का नाम लेकर छोटेसे दुखों  का जहर क्यों नहीं हजम कर सकते है ? और अगर... अमृत प्राप्त करना है तो जालिम जहर के अनेक  प्याले तो हजम करने ही पडेंगे !! जय श्रीकृष्णा !!! ############# विनोदकुमार महाजन

विश्वास और संकल्प

 *जीवन की हर लढाई*   *मैं जीतकर ही रहुंगा*   *ऐसा विश्वास रखिए !*   *और संकल्प भी किजिए !*   *क्योंकी विश्वास और*   *संकल्प में बहुत बडी*   *शक्ती होती है !*   *जय श्रीराम !*   *विनोदकुमार महाजन**

कर्मकहानी

 *कर्मकहानी !!*  ✍️ २४२८ ********************* ईश्वर के दरबार में जब किसी सिध्दपुरूषों  की किमत अनमोल होती है ठीक इसी समय में रिश्तेनातों में उसी महात्मा की किमत शून्य होती है ! पैठण के एकनाथ महाराज जी के यहाँ स्वयं भगवान श्रीकृष्ण... श्रीखंड्या बनकर पाणी भरता था और उनके घरमें गुप्त रूप में रहता था ! उसी समय उनका बेटा हरी पंडित झगडा करके दूर निकल गया था ! लगभग हर महापुरुषों की क्या यहीं कहानी होती है ? ।। *रामकृष्णहरी ।।*  ।। *जय जय रामकृष्णहरी ।।*  ********************  *विनोदकुमार महाजन*

मोदिजी को पत्र ५४

 चोर,उचक्के, डाकू काँग्रेस वालों ने सत्तर साल तक देश को लूटा ,बरबाद किया।और देशवासियों को गुमराह भी किया है। काँग्रेस को सदा के लिए जमीन में दफनाने में ही देश का कल्याण है काँग्रेस पर चौतरफा हमला करके संपूर्ण नेस्तनाबूत करने के लिए ,आप सभी पवित्र आत्माओं का संपूर्ण सहयोग अपेक्षित है। विनोदकुमार महाजन पत्रकार व्हाटसअप 8329894106

सत्यवचन

 *सत्यवचन !!!*  सनातन के ईश्वरी कार्य के लिए " *तुम्हें क्या सहयोग चाहिए ? "*  ऐसा कोई मनुष्यप्राणी तुम्हें शायद पुछेगा ही नही... बल्की अनेक रूकावटें डालकर निचे जरूर गिरायेगा !  *वह भी हिंदु !*  कमाल है ना ? मगर उच्च कोटि की श्रध्दा होगी तो खुद ईश्वर ही हर कदमपर तुम्हारा मार्गदर्शन जरूर करेगा !!  *और आगे का रास्ता भी दिखाएगा !*   *यह मेरा स्वानुभव है !!* इसीलिए हमेशा ईश्वर के भरौसे रहो किसी इंन्सानों के नही !  *हर हर महादेव*  *जय श्रीकृष्णा*  *विनोदकुमार महाजन*

शब्दों की ताकत

 *💐 शब्दों की ताकत 💐* " *चींता मत कर ! "*  तेरे भी नशीब का  दरवाजा एक दिन  जरूर खुल ही जायेगा  ऐसी मन को हरदिन सुचना देते रहिए !!!  *विनोदकुमार महाजन*  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 एक नौजवान चीता पहली बार शिकार करने निकला। अभी वो कुछ ही आगे बढ़ा था कि एक लकड़बग्घा उसे रोकते हुए बोला, ” अरे छोटू, कहाँ जा रहे हो तुम ?” “मैं तो आज पहली बार खुद से शिकार करने निकला हूँ !”चीता रोमांचित होते हुए बोला।  “हा-हा-हा-, लकड़बग्घा हंसा,” अभी तो तुम्हारे खेलने-कूदने के दिन हैं, तुम इतने छोटे हो, तुम्हे शिकार करने का कोई अनुभव भी नहीं है, तुम क्या शिकार करोगे !! लकड़बग्घे की बात सुनकर चीता उदास हो गया। दिन भर शिकार के लिए वो बेमन इधर-उधर घूमता रहा, कुछ एक प्रयास भी किये पर सफलता नहीं मिली और उसे भूखे पेट ही घर लौटना पड़ा। अगली सुबह वो एक बार फिर शिकार के लिए निकला। कुछ दूर जाने पर उसे एक बूढ़े बन्दर ने देखा और पुछा, ” कहाँ जा रहे हो बेटा ?” “बंदर मामा, मैं शिकार पर जा रहा हूँ। ” चीता बोला। बहुत अच्छे ” बन्दर बोला , ” तुम्हारी ताकत और गति के कारण तुम एक बेहद कुशल शिकारी बन सकते हो। जाओ तुम्हे जल्द ही सफलता म

मैं केवल

 *मैं केवल...???* ✍️ २४२६ ******************** मैं केवल राम को ही मानता हूं केवल कृष्ण को ही मानता हूं मैं केवल हिंदु धर्म के देवीदेवताओं को ही मानता हूं...  *ऐसा मैं कभी भी कहता आया नहीं हूं...!* मैंने कभी भी ऐसा कहकर , लाऊडस्पीकर लगाकर , जोरजोरसे चिल्लाचिल्लाकर , सभी की नींद उडाकर , दूसरों को पीडा तकलीफ देकर ...  *मैं *केवल और केवल मेरे ही भगवान को मानता हूं...*   *दूसरों के कभी भी नहीं...*   *ऐसा कभी भी गलती से भी नहीं कहा है !*  क्योंकि मैं सभी का सन्मान करता हूं , सदियों से करता भी आया हूं !  *इतिहास साक्षी है !!*  उल्टा , मैं हमेशा यही कहता आया हूं की मैं सभी को मानता हूं ! सभी धर्मीयों को मानता हूं ! सभी धर्मीयों से प्रेम भी करता आया हूं ! मैं सभी धर्मीयों के महापुरुषों को भी मानता हूं ! क्योंकि मैं मानवता का पुजारी हूं ! मैं सहिष्णु हूं ! सभी धर्मीयों को मैं सदियों से मानवता के नाते से स्विकारता आया हूं ! सभी का नम्रतापूर्वक संन्मान भी करता आया हूं ! सभीपर निरंतर ,निरपेक्ष प्रेम ही करता आया हूं !  *क्योंकि मैं हिंदु हूं !*   *मैं सनातनी हिंदु हूं !*  किसी के साथ बैर - भेदभाव कर

दूसरों का दुखदर्द

 *दूसरों का दुखदर्द !?*  ✍️ २४२५ ********************* दूसरों का दुखदर्द समझो ! दूसरों का दुखदर्द जानो ! उसके दुखदर्द में सहायक बनो ! तो ईश्वर भी तुम्हारा हरपल सहायक बनकर ही रहेगा ! अगर विनावजह किसी को पीडा , तकलीफ ,दुखदर्द देंगे , उसके मुसिबतों में सहायता करने के बजाए , उल्टा उसको ही मुसिबतों में डालेंगे तो....? ईश्वर भी तुम्हारे पिछे मुसिबतों का दौर लगातार छोडता रहेगा ! दूसरों के दुखदर्द में कुछ कारणवश अगर सहायक नहीं बन सकते हो तो भी चलेगा ! मगर उसके मुसिबतों के दौर में पीडादायक तो मत बनो ! याद रखिए.... बुरा वक्त सभीपर आता ही है ! इसीलिए हमेशा नम्र , शालीन , अहंकार शून्य बनकर , दूसरों को यथासंभव सहायक बनकर ही जीवन का हर दिन गुजारने में ही ईश्वरी आनंद प्राप्त होगा और जीवन का उद्देश्य भी साध्य होगा ! हरी ओम् जय श्रीकृष्णा ******************  *विनोदकुमार महाजन*

सनातनी

 किडेमकौडे की तरह निरर्थक जीना है ? या सनातन का कार्य करके देवीदेवताओं की तरह सर्वश्रेष्ठ जीना है ? यह आपके हाथ में है ! जागो !!  *विनोदकुमार महाजन*

केवल सनातन

 ईश्वर का कार्य !! ✍️ २४२४ महापुरुषों के पुतले बनाते है ! मगर ईश्वर की तो मुर्ती होती है ! और मंदिर में प्राणप्रतिष्ठित की जाती है ! मुर्ती मतलब मुर्त स्वरूप ! ईश्वर का प्रत्यक्ष प्रमाण ! और जब यही ईश्वर की मुर्ती ह्रदय मंदिर में सदा के लिए विराजमान होती है तब ? वह देह ही मंदिर बन जाता है ! ईश्वर की ह्रदय में प्राणप्रतिष्ठा ! ईश्वर स्वरूप देह ! कितना मनोहारी दृष्य है ना ? मनोहर को अंदर बसाना ? और उसी से , उसी मनोहर से सदा के लिए एकरूप हो जाना ! और एकरूप होकर उसके ही सनातन धर्म का कार्य निरंतर आगे बढाते रहना ! यही तो मनुष्य देह का  ईश्वरी प्रायोजन है ! खाया पिया मर गया ? ईश्वर का कार्य किए बगैर ? सनातन का कार्य किए बगैर ? ऐसे तो किडे मकौड़े भी पैदा होते है ! और मर जाते है ! इसीलिए नरदेह का सार्थक सनातन धर्म का कार्य बढाने में ही है ! आँखें खोल प्राणी !! हरी बोल ! विनोदकुमार महाजन

मनुष्यों से प्रेम

 मनुष्यों से प्रेम ? ✍️ २४२३ ईश्वर से प्रेम किजिए निसर्ग से भी प्रेम किजिए निष्पाप पशुपक्षीयों पर भी निस्सीम प्रेम किजिए ! मगर इंन्सानों से प्रेम ? शायद... कभी भी मत किजिए ! क्योंकी ईश्वर , निसर्ग , पशुपक्षी तुम्हें प्रेम के  बदले में ?  प्रेम ही देंगे ! निष्पाप,निष्कपट,पवित्र ! मगर स्वार्थी इंन्सान ? शायद...प्रेम के बदले में ? विश्वासघात ही करेगा ! अखंड सावधान !! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

एक धर्म ??

 एक धर्म ??? ✍️ २४२२ ⁉❓⁉❓⁉❓⁉ संपूर्ण विश्वपटल पर एक धर्म ( ? ) है ! वास्तव में वह खुद को धर्म कहलाता है ! मगर वह धर्म है ही नहीं है !  *धर्म के नाम पर पूरा का पूरा अधर्म ही है !* सबकुछ हाहाकार है , उन्माद है , क्रौर्य है , अमानवीयता है ,हैवानियत है ,सैतानी राज है ! पाप का भयंकर थैमान है , पाप का भयावह ,भयानक आतंक है ! सब के सब ईश्वर के और ईश्वरी सिध्दांतों के विरूद्ध ,उल्टा आचरण करनेवाले ,भयावह आसुर , राक्षस !  *क्या मेरी यह बात आप सभी को मंजूर है ?*  और एक महत्वपूर्ण बात आज आप सभी को बताता हूं... जो भी पैशाचिक सिध्दांत ,ईश्वरी सिध्दांतों के विरूद्ध चलता है... उसी का अंत भी ईश्वरी सिध्दांतों से ही , खुद ईश्वर ,नियती और निसर्ग कर ही देती है ! और यह मेरा वैयक्तिक मत नहीं है तो... संपूर्ण ब्रम्हांड का ,सृष्टी का और अनायासे संपूर्ण धरती का ,अर्थात पृथ्वी का भी सिध्दांत है ! और इसी ईश्वरी सिध्दांतों के आधार पर , आज मैं दावे के साथ कहता हूं की ... ऐसे भयावह पैशाचिक ,राक्षसी तथा आसुरिक सिध्दांतों का सर्वनाश भी...  *संपूर्ण सर्वनाश...*   *नजदीक ही है !*  आगे आगे देखिए... होता है क्या ? मानवता

आई

 आई आई आई आई मी वर असं येऊ ? वर कसं येऊ ? सांग ना गं आई ? आईची अगाध ममता , प्रेम ,करूणा , वात्सल्य याचे वर्णन कसे करावे ? पशू , पक्षी , प्राणी यांची आई आपल्या लेकरावर किती निस्सिम , निर्वाज्य , निरपेक्ष , पवित्र ईश्वरी प्रेम करते याचं हे जबरदस्त उदाहरण आहे. जबरदस्त विडिओ जरूर पहा. विनोदकुमार महाजन हा व्हिडिओ नॅशनल जिओग्राफिक चॅनल वर प्रकाशित झाला होता,ज्या व्हिडिओला लाखो लोकांनी लाईक केलं आहे आणि उत्कृष्ट चित्रीकरणाचं लाखो मिलियन डॉलरचं बक्षिस सुध्दा या व्हिडिओला मिळालं आहे,जगात अशक्य काहीही नाही,फक्त तुमची इच्छाशक्ती दुर्दम्य हवी...कृपया हा 5 मिनिटांचा व्हिडिओ संपूर्ण पहा.  👏👏👌👌

हिंदू

 हर एक हिंदु को  कट्टर हिंदु धर्माभिमानी  बनना ही पडेगा !! जी हाँ !!! विनोदकुमार महाजन

मोदिजी को पत्र ( ५३ )

 आजादी से लेकर आजतक ठीक ऐसी ही हेराफेरी कर रही थी और देश को गुमराह कर रही थी मगर अब जमाना बदल गया है ये मोदिराज और मोदियुग का नया जमाना है मोदिराज में सब भ्रष्टाचारी चोर , उचक्के परेशान है और इसिलिए मोदिजी को हटाने का दियास्वप्न देख रहे है मगर चोरों को यह पता नही है की, मोदिजी को ईश्वरी वरदान प्राप्त है इसिलिए मोदिजी शक्ती भी दिनप्रतिदिन बढती ही जा रही है मोदिजी को हराना इनके बस की बात नही है 👍👍👍

जूनं ते सोनं

 *जुनं ते सोनं !!* ✍️ २४२१ खरंच , पुर्वीचा काळ म्हणजे सदाबहार काळ होता. जुनं ते खरंच सोनं होत. जुन्या माणसांचा सहवास सुध्दा स्वर्गतुल्य होता. प्रेमळ माणसांच्या प्रेमळ आठवणी. माणसं एकमेकावर जीवापाड प्रेम करायची.दिलेल्या शब्दाला जागायची. दुस-यासाठी जगायची अन् झिजायची सुध्दा. खरंच सुवर्ण अक्षरांनी लिहावा असा सुवर्णकाळ होता तो. जुनी माणसं पण कशी धडधाकट असायची. दारात गावरान गाय असायची. गाईच दूध, तूप , दही ,ताक भरपुर मिळायचं. गाईच शेण , गोमूत्र ही बहुमोल असायचं. आणी आता ? गावरान गायही गेली. अंगणही गेल. गाईच दूध , तूप ,दही ,ताकही गेल.शेण ,गोमूत्र ही गेल. अन् नशिबाला आलं ,फवारलेलं विषारी धान्य , विषारी भाजीपाला , विषारी फळे. अन् घरोघरी आजारी माणसाचं  प्रमाण वाढलं . आणी माणूसही खरंच विषारी झाला. मनानं पण आणी विचारानपणं. आणी शारीरिक दृष्टिने पण ? खरंच ,माणूस कुठल्या कुठं वहात गेला. संपत गेला. अहंकाराचा तोरा मात्र ,भलताच वाढला.घरोघर वाढला. मी मोठा की तू मोठा ? खरंच , पुर्वीच्या माणसाचं मन मोठं होतं . पण आता सगळचं खोटेपणाचं पीक आलं. शहरी फ्लैट सिस्टिमनं तर सगळं गणितच पार बिघडवलं . आणी वर पुन्हा मो

मोदिजी को पत्र ( ५२ )

 दिशाभूल करना ,समाज को संभ्रमित करना , हेराफेरी करना , नौटंकी करना , देशवासियों को गुमराह करना यह तो काँग्रेस की , नेहरू से लेकर आजके राहुल गांधी तक की पूरानी गंदी चाल तो है ही ! सबकुछ हेराफेरी ! नेहरू ने भी देश के साथ हेराफेरी करके , केवल एक ही मत के आधार पर , कानून की धज्जीया उडाकर ,सत्ता हथीयाई थी ! मगर मन को एक प्रश्न चुभता है की , आखिर बापू ( महात्मा गांधी जी ) ने ऐसे सत्ता हस्तांतरण को अनुमती क्यों और कैसे दी थी ? वजह तो कोई भी नहीं थी ? उल्टा...पुण्यपुरूष , लोहपुरूष , योग्यता और श्रेष्ठत्व होने के बावजूद भी...ऐसे महत्वपूर्ण पद के लिए ,वल्लभभाई पटेलजी को क्यों नकारा ? देश भी वजह जानना चाहता है ! मोदिजी के कारण अब जनता जागृत हो रही है ! और गांधी परिवार के गंधे कारनामे भी धीरे धीरे संपूर्ण देश जानने लगा है ! राहूल गांधी की पप्पू बनकर देश को गुमराह करने की गुप्त निती भी सारा देश अब जानने लगा है ! मोदिजी ने अपने बुध्दि चातुर्य से संपूर्ण देशवासियों को जगाया है , और गांधी , नेहरू परिवार का विकृत चेहरा , अब संपूर्ण देशवासियों को दिखाई दे रहा है ! इसीलिए गांधी परिवार का भविष्य भी धीरे ध

तपश्चर्या

 कठोर तपश्चर्या से जब महापुरूषों का कर्म बदल जाता है तब उनका पुनर्जन्म हो जाता है ! और उनके पूराने रिश्तेनाते सब छूट जाते है ! " वसूधैव कुटूंबकम " ही उनका परिवार बन जाता है ! श्रीहरी !!! विनोदकुमार महाजन

जळकी लोकं ?

 " *जळक्या " लोकांपासून सावध रहा !!* ✍️ २४२०  *विनोदकुमार महाजन* ---------------------------------- सद्या समाजामध्ये एक नविन प्रकारची प्रजाती अस्तित्वात आली आहे. जळक्या लोकांची प्रजाती ! या प्रजातीच वैशिष्ट्य एक आहे की , ते सदैव कुणा ना कुणावर ,निष्कारण जळतच असतात . यांचा देहस्वभावच हा असतो. कुणाचं चांगल झालेल यांना बघवणार नाही . कुणी यशस्वी होतो आहे , चांगल यश कमावतो आहे ,नाव कमावतो आहे ,पैसा कमावतो आहे म्हंटलं की , यांच्या पोटात हमखास दुखायलाच लागतं . यांना कुणाच चांगल झालेलच सहन होत नाही . आणी मग ? सतत जळत राहतात असली जळकी लोकं . सततचा जळफळाट. अन् मग यांच्या काड्या चालू होतात . यांचा जळफळाटाचा पोटशूळ जसजसा वाढत जातो , तसतसा यांचा द्वेष ,मत्सर उग्र रूप धारण करतो , अन् मग असले उपद्रवी लोक काड्या टाकायच काम करतात . जाता येता एखाद्याला कुजक बोलणं ,टोचून - टाकून बोलणं , दुस-याला विनाकारण हसणं ,टिंगलटवाळी करणं, दुस-याची सतत नींदा नालस्ती करत राहणं , दुस-याविरूध्द सतत कारस्थान करत राहणं , दुस-याची बदनामी करत राहणं , हेच यांच वैशिष्ट्य असतं . अगदी जीवनभर. असली लोक मेल्यावरच दूस-या

पडोसी

 *पड़ोसी* खट खट.....खट खट....कौन है ....पता नहीं कौन है इतनी रात गए ....बडबडाते हुए सावित्रीदेवी ने दरवाजे के बीच बने झरोखे से झांककर देखा .....अरे रमा तुम ....इतनी रात गए जानती भी हो दो बज रहे है क्या है.... आंटीजी वो......वो बाबूजी की तबीयत खराब हो रही है उन्हें बडे अस्पताल लेकर जाना होगा .... आंटीजी अंकलजी से कहिए ना वो अपनी गाडी से उन्हें...बात बीच मे काटते हुए सावित्रीदेवी बोली .... बेटा वो इनकी भी तबीयत खराब है बडी मुश्किल से दवाई देकर सुलाया है ऊपर से गाडी भी ठीक नहीं है तो तुम चौक पर चली जाओ वहां कोई आटो टैक्सी मिल जाएगी ..... क्या चौक पर..... रमा की आँखें भीगी हुई थी रात दो बजे चौक पर ..... मां बाबूजी ने कभी आठ बजे के बाद घरसे नही निकलने दिया कारण अक्सर मां बाबूजी उसे समझाते रहते थे बेटा ये वक्त असामाजिक तत्वों के बाहर घूमते हुए शिकार करने का ज्यादा होता है .... लेकिन आज....आज तो मुझे जाना ही होगा ...मां को ढाढस बंधाकर आई हूं .....मुझे बेटी नही बेटा मानते है मेरे मां बाबूजी तो मैं कैसे पीछे हट सकती हूं.....लेकिन मन मे अक्सर अकेली लडकियों के साथ होती वारदातों की खबरें रमा के मन

मौन और शांती

 मौन और शांती का महत्त्व ! https://globalhinduism.online/?p=4719 🫐🫐🫐🫐🫐🫐🫐🫐🫐🫐🫐 लोग तुम्हारा साथ देना तो दूर तुम्हें पहचानने से भी इंकार कर देंगे इसलिए.. 1. कभी किसी को मत बताना कि तुम कंगाल हो गए। 2. कभी किसी को मत बताना कि तुम कमजोर हो गए हो। 3. कभी किसी को मत बताना कि तुम हारे हुए हो। 4. कभी किसी को मत मताना कि तुम अकेले रह गए हो। 5. कभी किसी को मत बताना कि तुम टूट चुके हो। हमेशा शांत रहे और अपने आप पर विश्वास रखे। "ये वक्त भी गुजर जाएगा" 🫐आप सभी का मंगल हो🫐 विनोदकुमार महाजन सौजन्य : - अजित कुमार

चैनलवालों

 टिवी चैनलवालों... तुकडा गैंग को बहस के लिए चैनलों पर बुलाकर ,उनका महत्व विनावजह क्यों बढाते हो ? देशद्रोहियों को तो धक्के मारकर देश के बाहर निकालना चाहिए ! हाँ या ना ? विनोदकुमार महाजन

कृष्ण

 स्वयं भगवान श्रीकृष्ण मुझे लिखने कि निरंतर प्रेरणा देते रहते है !! विनोदकुमार महाजन

जब मैं...

 *जब मैं कृष्णअवतार में था...* ✍️ २४१९  *विनोदकुमार महाजन* 🕉🕉🕉🕉🕉🚩 जब मैं कृष्णअवतार में था...? जम मैं पंचमहाभूतों के देह में था... तब भी मुझे... धर्म रक्षा के लिए , सत्य की रक्षा के लिए , निरंतर और अथक प्रयास करना पडा था ! मेरा सगा मामा ही मेरे जान का प्यासा था ! इसिलिए मुझे कुटिल निती द्वारा , यश की और धर्म रक्षा की योजना बनानी पडी थी ! चौबीसों घंटे , सजग तथा सावधान रहकर , शत्रुपक्ष पर विजय प्राप्त करनी पडी थी ! समय और नियती के अनुसार ही मुझे व्यापक जीत की रणनीति बनानी पडी थी ! मेरे आँखों के सामने ही मेरे प्रिय सखा , अर्जुन के पुत्र , अभिमन्यु को चक्रव्युह भेदने के लिए ,और उसे बाहर आने के लिए ,सहयोग करने के बजाए , अभिमन्यु की मृत्यु भी मुझे देखनी पडी थी ! मैं स्वयं भगवान होकर भी , प्रारब्ध गती का विचित्र खेल मैं नहीं रोक सका था ! इतना ही नहीं तो , मेरे आँखों के सामने ही , मेरे यादव कुल का सर्वनाश और यादवी , मुझे मेरे आँखों से देखनी पडी थी ! मेरी खुद की मृत्यु भी एक व्याध के हाथों से ही होनी थी ! क्योंकि यही नियती की इच्छा थी !  *और मैं , स्वयं भगवान होकर भी , स्वयं विष्णु होकर भ

विश्व स्वधर्म

 *विश्व स्वधर्म सुर्ये पाहो !!*  विविध माध्यमोंद्वारा सनातन संस्कृति को विश्व के कोने कोने में पहुंचाने की मैं अब पूर्ण क्षमता रखता हूं ! और मेरे सद्गुरु आण्णा तथा गुरु दत्तात्रेय की संपूर्ण कृपा तथा वरदहस्त  से मेरा यह अलौकिक दिव्य ईश्वरी कार्य आरंभ हो गया है ! जो साथ देगा उसका भी धन्यवाद रहेगा ! और जो साथ नहीं देगा उसका भी धन्यवाद रहेगा ! जो विरोध करेगा उसका  भी धन्यवाद रहेगा ! मेरे ईश्वरी कार्य को रोकने की किसी भी सैतानी ताकतों की अब क्षमता नहीं है !  *विश्व स्वधर्म सुर्ये पाहो !!*  हरी ओम्  *विनोदकुमार महाजन*

सद्गुरू का सानिध्य

 *मेरे सद्गुरु आण्णा !!*  ✍️ २४१७ मेरे आण्णा के सानिध्य में परम शांती का भंडार था अन्न , वस्र्त ,निवारा ,धन , वैभव है या नही इसकी कोई चिंता नही थी ! मस्त , आनंदी जीवन था ! साक्षात स्वर्ग !  साक्षात स्वर्गीय आनंद ! आण्णा के रूप में  साक्षात ईश्वर ही मेरे  साथ था ! निरंतर ! जन्मजन्मातर से लेकर जन्मजन्मातर तक यह दिव्य प्रेम , यह दिव्य शांती का भंडार  अबाधित है ! मेरे सद्गुरू आण्णा का साकार - निराकार का सहवास अबाधित है ! सद्गुरू कृपा और ईश्वरी कृपा का सर्वोच्च वरदान तो यही है ! और क्या चाहिए ? हरी ओम्  *विनोदकुमार महाजन*

मोहमाया

 *महापुरूषों के रिश्तेदार ?*  ✍️ २४१६ ----------------------------------- साधारणतः सभी सिध्दपुरूष , महापुरुष , अवतारी पुरूष सभी प्रकार के मोहमाया से और मोहमई दुनिया से दूर रहना ही पसंद करते है ! इसिलिए सभी महापुरूषों ने सदा के लिए , घरदार , रिश्तेनातों का झूठा अडंबर छोड ही दिया है...ऐसे अनेकों उदाहरण देखने को मिलेंगे ! " जगन्मिथ्या ब्रम्हंसत्य ! " उसी उक्ती का स्विकार करके ही अनेक महापुरुष अपना जीवन बिताते है ! इसिलिए सदा के लिए मायावी दुनिया के रिश्तेनातों का ऐसे महापुरुष त्याग ही कर देते है ! इसिलिए अनेक महापुरुष जीवनभर के लिए अकेला ही रहना पसंद करते है ! ना कभी रिश्तेदारों के यहाँ आजीवन जाते है ! और ऐसे महापुरूषों के रिश्तेदार कौन ? यह बात भी साधारणतः किसी को पता नहीं होती है ! आद्य शंकराचार्य , स्वामी विवेकानंद , संत ज्ञानेश्वर , संत तुकाराम जैसे अनेक महान विभुतियों ने झूठे रिश्तेनातों का और मोहमई दुनिया का सदा के लिए , त्याग ही किया हुवा दिखाई देता है ! उच्च कोटी का बैराग्य भी यही दिखाता है ! मगर साधारणतः यह बात भी सत्य है की , कोई भी रिश्तेदार , ऐसे महापुरूषों का उनकी म

समर्पण

 ईश्वरी शक्ति को सबकुछ समर्पित करने के बजाए ईश्वरी शक्तियों को जो ललकारता है , उसका जीवन बरबाद हो जाता है ! विनोदकुमार महाजन

ईश्वर

 जब हम ईश्वर पर निरपेक्ष प्रेम करते है तब हमारा श्रेष्ठत्व  खुद ईश्वर ही सभी को एक दिन जरूर दिखा  ही देता है ! विनोदकुमार महाजन

माझी आई

 अखेर माझी आई मला सापडलीच मला स्वप्नात येऊन किती मंजूळ भाषेत माझ्या कानात बोलली " कशाला रडतोस ? कशाला काळजी करतोस ? कशाला चींता करतोस ? मी आता तुझ्या घरी रहायला आली आहे ! " आई तुला कोटी दंडवत       तुझंच लेकरू                      विनोद

बैरागी

 *विश्व का सबसे महान बैरागी : -*   *नरेंद्र मोदी !!* ✍️ २४१५  *विनोदकुमार महाजन* 🙏🙏🙏🙏🕉 मन का बैराग्य मतलब सभी प्रकार की मोहमाया का संपूर्णतः त्याग और ईश्वरी चरणों में संपूर्ण समर्पित जीवन ! लोभ , मोह ,अहंकार का संपूर्णतः त्याग ! वही सच्चा बैरागी होता है ! और जब देश का प्रधान ही उपरी निर्देशित सभी गुणों से संपन्न होता है ,तब संपूर्ण देश ,दस दिशाओं से , वेगवान गती से , सभी क्षेत्रों में , तेजीसे दौडने लगता है ! और आज संपूर्ण भारतीयों के सौभाग्य से , आज हमें सर्वोच्च सत्तास्थान पर विराजमान , प्रधान व्यक्ति , खुद को देश का प्रधानमंत्री ना कहकर , बडे विनम्रता से और शालीनता से , खुद को , देश का और संपूर्ण देशवासियों का प्रधानसेवक कहलाता है ! सचमुच में संपूर्ण भारतीयों के लिए , तथा विश्व के कोने कोने में फैले हुए , तमाम भारतीयों के लिए , यह अत्यंत गर्व का तथा हर्ष का विषय है ! मोदिजी की विशेषता यह है की , सर्वोच्च सत्तास्थान पर विराजमान होकर भी , सभी प्रकार का राजऐश्वर्य होकर भी , उनके अंदर एक प्रतिशत का भी गर्व , अहंकार नहीं है ! मोह , लालच नहीं है ! उल्टा संपूर्ण समर्पित भाव से ,बडी वि

ईश्वर

 ईश्वर कहाँ है ? ✍️ २४१४ 🕉🕉🕉🕉🕉 पृथ्वी के गर्भ में अखंड उबलती लाव्हा किसने बनाई ? मेरे भगवान ने ! सूरज के आग के गोले किसने बनाये ? मेरे ही ईश्वर ने ! चंद्र के गुरूत्वाकर्षण का संबंध ? पृथ्वी के समंदर के पाणी से , किसने बनाया ? मेरे ही प्रभु परमात्मा ने ! सृष्टी की अद्भुत रचना किसने बनाई ? मेरे परमात्मा ने ! सजीवों के जन्म मृत्यु का अद्भुत रहस्य ,  किसने बनाया ? मेरे दयालु परमेश्वर ने ! फिर भी अल्पबुद्धि मुर्ख और अहंकारी मनुष्य , पूछता है ? कहाँ है ईश्वर ? दिखाओ जरा ? अरे अकल के अंधे मुर्ख प्राणी रोम रोम में बसा है मेरा राम ! कंकर कंकर में है मेरा ही शंकर ! पग पग पर है मेरा दयालू भगवान ! ईश्वर का अस्तित्व पूंछनेवाले महामुर्ख ? अकल के अंधे ? आँख होकर भी अंधा कैसा ? ईश्वर का और ईश्वरी शक्ती का अद्भुत रहस्य तो , चौबिसों घंटे , चर्मचक्षु से और ? ज्ञानचक्षु से भी....दिखाई ही देता है ! इसिलिए बंदे , आना है तुझे ईश्वर के शरण में ! और... सनातन का रास्ता तू स्विकार ! हो जायेगा जीवन का सारा अंधेरा दूर ! समाप्त होगा तेरे जीवन का सारा हाहाकार ! भगवान के शरण में ही होते है अनेक चमत्कार ! सत्य सन

मुसीबत

 मुसिबतों की आग में जब हम जल रहे होते है तब हमें बचाने के लिए दौडकर जो आता है वहीँ सच्चा साथी होता है ! विनोदकुमार महाजन

सद्गुरु कृपा

 सद्गुरू कृपा और ईश्वरी कृपा से बढकर दूसरा कोई धन ही नहीं हो सकता है !! विनोदकुमार महाजन

सनातन धर्म

 विश्वकल्याण के लिए :- सनातन धर्म !! ✍️ २४१३ 🕉🕉🕉🕉🕉🚩🚩 हिंदुत्ववाद मतलब  विश्वव्यापक संपूर्ण सजीवों का अखंड कल्याण ऐसा होता है ! सृष्टि का कल्याण मतलब हिंदुत्ववाद !! ठीक इसी प्रकार से समाजवाद , साम्यवाद , निधर्मीवाद , सामंतवाद का विश्वव्यापक और सभी के अखंड कल्याण का व्यापक अर्थ कैसे होता है ? इसका विश्लेषण कौन करेगा ? इसिलिए केवल और केवल सनातन धर्म अर्थात हिंदु धर्म में ही विश्वव्यापकता भी है , पूर्णत्व भी है और संपूर्ण मानवसमुह सहीत सभी सजीवों का अखंड कल्याण भी है ! भूतदया भी सनातन धर्म ही सिखाता है ! और " सर्वाभूती भगवंत " ऐसी महानता भी केवल और केवल सनातन धर्म ही सिखाता है ! आत्मा से परमात्मा तक का मतितार्थ भी सनातन धर्म ही सिखाता है ! और खुद ईश्वर स्वरूप बन जाना भी सनातन धर्म ही सिखाता है ! इसीलिए ... चलो सनातन धर्म की ओर ! चलो सभी के कल्याण की ओर ! चलो विश्वव्यापकता की ओर ! चलो " वसुधैव कुटुम्बकम " की ओर ! चलो विश्वगुरु भारत की ओर ! चलो नवयुग निर्माण की ओर ! चलो सत्ययुग की ओर ! चलो उन्मादी कलीयुग के अंत की ओर ! जय श्रीकृष्ण ! विनोदकुमार महाजन 🕉🕉🕉🕉🕉🚩🚩

हिंदुओं का दुर्देव

 हिंदुओं का दुर्दैव ? ✍️ २४१२ 🤔🤔🤔🤔🤔🙊 हमारे... " हिंदुस्थान में " जब दूसरे धर्म के लोग उनका धर्म कार्य बढाने लगते है उनका कार्य तेजीसे चमकने लगता है तब उनके ही सभी लोग उनका संपूर्ण सहयोग करते है ! और ( शायद ? ) उनको विदेशों से फंडिंग भी होती है...? इतना ही नहीं तो ? हमारे भी लोग उनको ऐसे कार्यों में संपूर्ण सहयोग भी करते है ?और प्रेम भी करते है ?  उदाहरण ? मदर तेरेसा ? मगर हमारा कोई हिंदु भाई  अगर तन - मन - धन से और संपूर्ण समर्पित भाव से अथवा कभी कभी अनेक आर्थिक मुसिबतों का सामना करते करते , अथवा खुद के प्राणों की पर्वा भी किए बगैर हिंदुत्व का कार्य आगे बढाने की लगातार कोशिश करते रहते है... तब ? ( शायद ? ) उन्हें... फंडिंग मिलनी तो दूर हमारे ही लोगों द्वारा  बारबार  उन्हे हतोत्साहित ,  अपमानीत करने की कोशिश  की जाती है...प्रोत्साहित करने के बजाए ? उल्टा कट्टर हिंदुत्ववादियों के खिलाफ भयंकर षड्यंत्र रचाये जाते है ? उन्हें ही बदनाम करते है ? उन्हें संपूर्णता नेस्तनाबूद और बरबाद करने का प्रयास भी हमारे ही लोगों द्वारा किया जाता है ? उनके ही विरुद्ध विनाशकारी जाल बिछाते है

मोदिजी को पत्र ( ५१ )

 हमारे जैसे साधारण व्यक्ति, एक एक रूपये के लिए भी हिसाब किताब रखते है...और इनके पास...? खरबों का खजाना...? हे ईश्वर , तेरा लाख लाख आभार है , की ऐसे समय में तुने , मोदिजी नाम के युगपुरुष को धरती पर भेज दिया.... अन्यथा ? इस देश का , ऐसे खरबों के भ्रष्टाचारी कितनी भयावह तबाही कर देते देश में...?? मोदियुग में भी ऐसे महाभयंकर चोर मिल रहे है... तो सोचिए... जब ऐसे ही चोरों का राज देश पर था ? तो इन्होंने क्या नहीं किया होगा ? ईश्वर है रखवाला...🙏🙏🙏🕉

आभार

 जिनको मैंने मेरा ,अपना समझकर , हमेशा दिव्य ईश्वरी प्रेम किया , उन्होंने भी मेरे खिलाफ भयंकर षड्यंत्र करके , नफरत का और बदनामीयों का जहर जिन्होंने निरंतर फैलाया , उन सभी का आभार ! धन्यवाद !! इसके कारण ही मैं ईश्वर के नजदीक जल्दी पहुंच गया !!! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

तीर्थक्षेत्रों के लिए

 *संपूर्ण देश के तीर्थस्थानों के लिए...*  ✍️ २४१० 🚩🚩🚩🚩🚩👍 संन्माननीय प्रधानमंत्री तथा सभी राज्यों के मुख्यमंत्रीजी को एक नम्र निवेदन है... देश के सभी तीर्थक्षेत्रों के माँसाहार , शराब ,मटका , गुटखा के सभी दूकान तुरंत बंद किए जाए ! यह विषय संपूर्ण हिंदु समाज के आस्थाओं का विषय है ! सभी हिंदुत्ववादी संगठन इस महत्वपूर्ण विषय पर विशेष ध्यान देंगे ऐसा विश्वास रखता हूं ! जब सभी तीर्थक्षेत्रों का पावित्र्य बढेगा तब... संपूर्ण देश में धर्मप्रेमीयों का आत्मबल भी बढेगा ! चलो क्रांति की ओर ! हर हर महादेव ! जय भवानी ! जय शिवाजी !  *विनोदकुमार महाजन* 🚩🚩🚩🚩🚩🕉

वास्तविकता

 *जीवन का वास्तव्य !!*  ✍️ २४०९ 🕉🕉🕉🕉🕉 ईश्वरीकृपाप्राप्त महात्मा  जब किसीपर कृपा करते है तब उसका संपूर्ण जीवन ही बदल जाता है और उसका सदैव सुखमय तथा आनंदी जीवन बन जाता है ! तथा ऐसे महात्माओं की  अगर हमपर अवकृपा  होती है तब उसका संपूर्ण जीवन ही बरबाद होता है और नरकमय बन जाता है ! इसिलिये ऐसे महात्माओं को कभी भी तडपाओ और तरसाओ मत ! उन्हे सहयोग नही करेंगे तो भी चलेगा , मगर उनका शाप कभी भी लेना नहीं चाहिए ! हरी ओम्  *विनोदकुमार महाजन* 👍👍👍👍👍

मंजिल

 *दिव्य मंजिल तक...*  ✍️ २४०८ 🕉🕉🕉🕉🕉 अनेक जहरीले साँपों के जालिम जहर हजम करके भयंकर दुखदायक और क्लेशदायक  कर्मगती और प्रारब्धगती पर विजय प्राप्त करके , मेरे सद्गुरू आण्णा की कृपा से , मैं आखिर  मेरी ... " *दिव्य मंजिल तक "*  पहुंच ही गया !! जब हमारे विश्वकल्याण के और धर्म कार्य के इरादे पक्के होते है तब स्वयं भगवान ही हमें निरंतर आगे बढने का रास्ता दिखाता ही है ! हरी ओम् जय श्रीकृष्ण  *विनोदकुमार महाजन*  ७ / १२ / २०२३ ( गुरूवार ) ✅✅✅✅✅

कठोर शब्द

 *कठोर शब्द !!*  ✍️ २४०७ 🕉🕉🕉🕉🕉 जब कोई महापुरुष हमें कठोर शब्दों द्वारा ताडन करते है तब वह हमारा भाग्य बदलने के लिए ही प्रयास करते है ! इसीलिए सिध्दपुरूषों के और महापुरुषों के कठोर शब्द अमृतसमान होते है ! मगर साधारण लोग इसका दिव्य अर्थ समझने में असमर्थ होते है ! और उस महापुरुष को ही उल्टी गाली देने लगते है ! और ऐसे करने से उनका भाग्य बदलना तो दूर की बात है... महापुरुषों को अपमानीत करने के कारण , उनका संपूर्ण जीवन ही भयंकर दुखदाई बन जाता है ! इसीलिए किसी को परपीड़ा देने से पहले , उस व्यक्ति को और उसके दैवीय उद्देश्यों को समझना चाहिए ! जैसे माँ अपनी संतानों पर सदैव दिव्य प्रेम करती है , मगर उसके कल्याण के लिए कभी कभी  कठोर शब्दों द्वारा प्रहार भी करती है ! अथवा कभी कभी मार भी देती है ! महापुरुषों का ह्रदय भी , समाज के प्रती तथा समाज हित के प्रती , निरंतर माँ जैसा ही होता है ! हरी ओम्  *विनोदकुमार महाजन*  🚩🚩🚩🚩🚩

सत्पुरुष

 सत्पुरुषों का सदैव  संन्मान करने के बजाए कुछ लोग उनके साथ भी गंदी राजनीति और हेराफेरी करते है ! कहाँ से कहाँ तक ? पहुंच गया इंन्सान ? हे भगवान अब इन्हे ? तु ही बचाना !! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

विडंबन ?

 विडंबन !!? अगर हमारी क्षमता  और योग्यता होगी तो देवीदेवता भी हमसे दिव्य प्रेम करते है ! सहयोग भी करते है ! हमारे साथ प्रेमपूर्वक बातें भी करते है ! मगर उसी ईश्वर ने बनाया  हुवा एक छोटासा इंन्सान हर पल उसी सिध्दपुरूषों का महापुरुषों का द्वेष ,मत्सर करता है ! उसीके खिलाफ षड्यंत्र  करके उसीका जीना हराम  कर देता है ! संत ज्ञानेश्वर , संत तुकाराम इसके उदाहरण है ! एक समय की सुखी रोटी  को भी तडपाया ऐसे  महापुरुषों को , ऐसे  इंन्सानों ने ! भिक्षा माँगकर भी जीने नहीं दिया ! पग पग पर रूलाया उन पुण्यात्माओं को भी ! ईश्वर स्वरूप पवित्र  आत्माओं को भी ! तरसकर उनके माता पिता ने देहत्याग करने के बाद भी ? अनाथ बेचारे !  और क्रूर मनुष्यप्राणी ? और उनके मृत्यु के बाद ? उनके ही सोने के मंदिर बनवाता है यही इंन्सान ! हे भगवान ? कितना बडा भयंकर विडंबन है सब , पृथ्वी निवासी मानवप्राणी का ? इंन्सानों की अजब दुनिया ! सबको संन्मती दे भगवान !! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

नफरत

 नफरतों के बाजार से.... जो हमसे विनावजह द्वेष , नफरत करते है , हमारे खिलाफ हमेशा नफरत का जालिम  जहर फैलाते है , उनसे सदा के लिए संबंध विच्छेद किजिए  और सदा के लिए उनसे दूर चले जाईये ! उनकी छाँव से भी  हमेशा बचके रहिए ! उनके घर जाना तो दूर की बात है ! इसमें ही हमारी भलाई है ! इसी में ही हमारा  आत्मकल्याण भी है ! नफरतों के बाजार से हमेशा बचके रहिए ! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

गलितगात्र हिंदु समाज ?

 एकतरफ हिंदुओं के चेहरे ? बहुसंख्या में मृतप्राय , गलितगात्र और उदास , हताश ? और ? हिंदुत्व से दूर विचारधारा वालें ? तो दूसरी तरफ ? " सैतानों " के चेहरेपर ? पापों का भयावह  ( अ ) धार्मिक उन्माद ? ऐसा चित्र कब बदलेगा ? हिंदु तेजस्वी कब बनेगा ? विनोदकुमार महाजन

तेजस्वी तारा

 संपूर्ण विश्व के , कोने कोने में बसे हुए हिंदुओं को वायुगती से जागृत करके , उन्हे संगठित करके ,  शक्तिसंपन्न हिंदु समाज बनाने के लिए ,  " एक तेजस्वी तारा तुरंत चाहिए ! " कौन है ? कहाँ है ? जो मृतप्राय हिंदु समाज को नवसंजीवनी और नवचैतन्य दें सकें ? उनका आत्मचैतन्य जगा सकें ? धर्म के राह पर उन्हे तुरंत खिंचकर ला सके ? अधर्म का वैश्विक उन्माद खंडन करने का और सनातन धर्म की शक्ति बढाने का यही एकमात्र और अंतिम उपाय बचा है ? विनोदकुमार महाजन

कानून व्यवस्था

 कानून व्यवस्था ? ✍️ २४०२ विनोदकुमार महाजन ✅✅✅✅✅ जहाँ बहुसंख्यक समाज होता है , और उनके हितों के कानून जब होते है तब  उसे लोकतंत्र कहा जाता है ! और इसी को ही कानून व्यवस्था भी कहा जाता है ! मगर यहाँ पर तो बहुसंख्यक ( हिंदु ) समाज पर अन्याय करनेवाले ही कानून अगर है तो ? यह कैसा लोकतंत्र है ? और यह कैसी कानून व्यवस्था है ? यह तो " फेल लोकतंत्र " है ! यह तो अराजक है ! लोकतंत्र के नाम पर दिशाभूल है ? फरेब है ? धोखा है ? इसिलिए बहुसंख्यक समाज के हितों के कानून तुरंत बनाकर उनके संपूर्ण सुरक्षा का प्रबंध करना ही होगा !! तभी लोकतंत्र बचेगा ! जी हाँ !! देश बचावो ! हिंदु धर्म की , संस्कृति की और सभ्यता की सुरक्षा के कानून तुरंत बनने ही चाहिए ! कौन बनायेगा ?? देश की है यही पूकार ! न्याय चाहिए न्याय ! तुरंत न्याय ! कौन देगा ? बस हो गया अत्याचार ! बस हो गया हाहाकार ! हिंदु मंदिरों का पैसा ? सबका ! और विशिष्ट समुदाय के लोगों के प्रार्थना स्थानों का पैसा ? केवल उनका ? यह कैसा अंधा कानून है ? और कैसा अंधा लोकतंत्र है ? कौन देगा न्याय ? कब देगा न्याय ? वह भी तुरंत , विनाविलंब ! और न्याय नहीं म

हमारा दाईत्व

 *तुझा दास मी व्यर्थ जन्मास आलो ?*  ✍️ २४०१  *विनोदकुमार महाजन*  🐂🐂🐂🐂🐂 मेरी , आप सभी की  माँ - गौमाता.. जिसकी हर दिन ? बहुत ही क्रूरता से... हत्याएं हो रही है ! जिसके खून की नदीयाँ लगातार बह रही है ! और हम गौमाताओं के सभी तेजस्वी पूत्र ? हताश , उदास ,निराश होकर हरदिन उसकी हत्याएं देख रहे है !? व्यर्थ है ऐसा मजबूर मानवीदेह !? जो सत्य को न्याय नहीं दे सकता है !? ईश्वरी सिध्दांतों की जीत नहीं कर  सकता है !? गौमाताओं की हत्या तुरंत नहीं रोक  सकता है !? माता गंगा का  शुध्दिकरण नहीं कर सकता है !? व्यर्थ है मनुष्य जन्म !? व्यर्थ है मानवी देह का ईश्वरी प्रायोजन ?? मेरा और तुम्हारा सभी  का भी ?? भयंकर पाप आँखों से देखने के सिवाय पर्याय नहीं है ? अस्मानी , सुल्तानी सैतानी राज ?? क्या कोई भी ? ( तानाशाह बनकर ?? ) हाहाकारी अधर्मीयों का नंगानाच... तुरंत रोकने की क्षमता नहीं रखता है  इस देश में ? कहाँ लुप्त हो गया हमारा ,हम सभी का धधगता ईश्वरी तेज ? एक भी " शिवराय " नहीं है इस देवीदेवताओं  के देश में ?? तो आखिर यही  कहना पडेगा क्या ... ? " तुझा दास मी व्यर्थ जन्मास आलो !! "

आज की घडी

 आज की घडी में आपका घर , बंगला ,गाडी आपका करोड़ों रूपया कुछ भी मायने नही  रखता है ! आज की भयंकर मुसिबतों की घडी में हम सभी का एक ही महत्वपूर्ण दाईत्व है... संगठित होकर हिंदुत्व बचाना !! विनोदकुमार महाजन

सनातन धर्म

 संपूर्ण पृथ्वी पर एक दिन , ईश्वर निर्मित केवल और केवल सत्य सनातन धर्म ही  बचेगा !! विनोदकुमार महाजन