अंग्रेजों के गुलाम ! ! ! ------------------------------ जि हाँ , भाईयों, अंग्रेजों के गुलाम।बहुत ही बुरा लगता है ना,सुनकर या पढकर ? मगर, दुर्दैववश यही वास्तव है,यही सच्चाई है,यही असलियत है। अंग्रेज देश छोडकर चले गए,मगर हम मानसिक गुलाम बन गए। या जानबूझकर बनाए गए ? हमने अंग्रेजी शिक्षा पध्दति स्विकार की,रहनसहन अंग्रेजों का स्विकार किया। हम नया साल हिंदू कालगणना के अनुसार, मनाना भूल गए,हम चैत्र शुध्द प्रतिपदा,पाडवा, तो मनाते है,मगर ? हमें हाय-हैलो की लत लग गई मगर रामराम कहना हम भूल गए या कहनेवालों को गँवार, खेडुत,अज्ञान समझने लगे। हमने मुगलों की भी गुलामी स्विकार की,शहर,गली के नाम हम गर्व से मुगलों के बिनादिक्कत लेने लगे। हमें अकबर महान पढाया गया,हम स्विकारते गए।धिरे धिरे हमारी संस्कृति, सभ्यता,स्वाभिमान को भूलकर, हम आक्रमणकारियों की जीवन प्रणाली स्विकारते गए,और हमारे ही आदर्शों को,महान सिध्दांतों को भूलते गए। हमारे देश में हमारे ही देवी देवताओं की,महापुरुषों की,सिध्दपुरुषों की विडंबना देखकर भी हमारा खून कभी गरम नही हुवा।हम बहुसंख्यक होकर भी,दिनबदिन मानसिक गुलामी सहर्ष स्विकारते गए। दुर्