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Showing posts from September, 2023

हारना नही है

 जीवन में कभी भी हारना नहीं है ! ✍️ २३६३ ××××××××××××××××× जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए ! अंतिम मंजिल मिलने तक डटकर मुसीबतों का दिनरात सामना करते करते हर क्षण , हर दिन केवल और केवल आगे आगे ही बढते रहना चाहिए ! अनेक मुसिबतें आयेगी ! अनेक जहर के , सागर पार करने पडेंगे ! नशीब भी परीक्षा लेगा ! नियति भी परीक्षा लेगी ! ईश्वर भी कठोर परीक्षा लेगा ! समाज भी यातनाएं देता रहेगा ! स्वकीय भी मुसिबतों के पर्बत खडे करेंगे ! मुसीबतों के आग में भी जलना पडेगा ,तपना पडेगा ! आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पडेगा ! तो भी अतूट श्रध्दा ,आत्मविश्वास के साथ , निश्चयपूर्वक एक एक कदम आगे बढाना ही होगा ! जीतता वही है , जिसमें जीतने की प्रबल इच्छाशक्ती होगी ! अनेक विषम और विपरीत परिस्थितियों से लडकर भी जो हार नहीं मानता है , वही कामयाब होता है ! आज के भयंकर अधर्म के माहौल में , विपरीत परिस्थितीयों में , बिल्कुल ठंडे दिमाग से , हमें आगे बढना भी है , और सत्य सनातन का झंडा , संपूर्ण विश्व में लहराना भी है ! मृतप्राय समाज को नवसंजीवनी देकर , उन सभी का आत्मचैतन्य जगाकर ,हमारे अंतिम मंजिल तक हमें पहुंचना ही

ऐसा क्यों ?

 ऐसा क्यों होता है ?? ✍️ २३६२ विनोदकुमार महाजन ********************* अनेक बार हमारे जीवन में बडा विचित्र खेल ही होता है ! और ऐसा आखिर क्यों होता है यह भी समझ में नही आता है ! अनेक बार प्रेम करनेपर भी नफरत ही क्यों मिलती है ? अमृत बाँटनेपर भी आखिर वापिस जहर क्यों मिलता है ? सहायता करनेपर भी विश्वासघात क्यों होता है ? आधार देनेपर भी आघात क्यों मिलता है ? खुद की जान हथेली पर लेकर किसीकी रक्षा करने पर भी हमारे ही जान का वह प्यासा क्यों हो जाता है ? हमेशा नतमस्तक शिष्य मिलने के बजाए उल्टा गुरु को ही ज्ञान सिखाने वाला शिष्य ही क्यों मिलता है ? कृतज्ञता दिखाने पर भी कृतघ्नता का भी बाजार क्यों सजता है ? किसी के कल्याण की बात करनेपर भी उसके मन में गुस्सा क्यों भर जाता है ? पैसों के बाजार में हमेशा सबकुछ उल्टापुल्टा ही क्यों होता है ? हर एक प्रश्न का उत्तर भी हमेशा उल्टापुल्टा ही होता है ? आखिर ऐसा क्यों होता है ? कौन बताएगा ?? क्या यही कलियुग का उल्टा न्याय है ?? और इसका अंतिम उत्तर भी क्या है आखिर ? भावनाशून्य बनना ? संवेदनशून्य बनना ? ह्रदयशून्य बनना ? या हर क्षण ह्रदयपर पत्थर रखकर ही जीना ?

तपश्चर्या

 इतनी कठोर तपश्चर्या करो  की तुम्हें जो भी कुछ चाहिए  वह सबकुछ ईश्वर को  प्रसन्न होकर देना ही पडेगा !! विनोदकुमार महाजन

जो चाहिए वह मिलेगा

 जो चाहिए वह सबकुछ मिलेगा ! ✍️ २३६४ विनोदकुमार महाजन ---------------------------------- तुम्हे जो भी कुछ चाहिए, वह सबकुछ मिलेगा ! आरोग्य मिलेगा ! राजऐश्वर्य मिलेगा ! यश - किर्ती मिलेगी ! मान - संन्मान मिलेगा ! दिर्घायुष्य मिलेगा ! जो भी मेरे साथ आयेगा , उसे जो कुछ चाहिए ,वह सबकुछ मिलेगा ! मगर इसके लिए विश्वास चाहिए ,श्रद्धा चाहिए , प्रेम चाहिए ,आत्मीयता चाहिए ,समर्पण भी चाहिए ! और सबसे महत्वपूर्ण बात , ईश्वर के प्रती विश्वास चाहिए ! यह कोई दिशाभूल नहीं है ! कोई भूलभुलैया नहीं है ! समाज को संभ्रमित करके ,पैसा कमाने का कोई गुप्त एजेंडा नहीं है ! अथवा ना कोई बिझनेस टैक्ट है ! ना धनदौलत और पैसा कमाने की होड है ! यह वास्तव है ! यह हकीकत है ! यह एक ईश्वरी सिध्दांतों पर आधारित सभी के परम कल्याण की ,उच्च कोटी की जीवनप्रणाली है ! अनेक सालों की खडतर तपश्चर्या के बाद ,अनेक सालों की खडतर मेहनत के बाद , अनेक सालों का भयंकर और भयावह जीवन बिताने के बाद , अनेक सालों तक अग्नि में जलने के बाद ,मैंने यशस्वी जीवन के लिए श्रेष्ठतम सिध्दांत बनाये है ! मैंने मेरे जीवन में अनेक आदर्श सिध्दांत बनाये है ! सभी क

यशस्वी जनआंदोलन

 यशस्वी जनआंदोलन खडा करने के लिए प्रभावी यंत्रणा और आत्मियता चाहिए !! ✍️ लेखांक : - २३६१ विनोदकुमार महाजन 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 कौनसा भी जनआंदोलन खडा करने के लिए और उसे यशस्वी बनाने के लिए , प्रभावी योजना चाहिए ! प्रभावी रणनीति भी चाहिए ! और योजना को अमल में लाने के लिए प्रभावी यंत्रणा चाहिए ! और प्रभावी यंत्रणा बनाने के लिए , कार्यकर्ताओं के प्रती उच्च कोटि की हमारी निजी तौर पर आत्मियता चाहिए ! तभी आंदोलन यशस्वी हो सकता है ! आज की घडी में ,संपूर्ण भारत में तथा संपूर्ण विश्व में , मोदिजी ने जो एक प्रभावी तथा शक्तिशाली जनआंदोलन खडा किया है , यह एक अतुलनीय कार्य तो है ही ! और ऐसा जबरदस्त आंदोलन खडा करने की संपूर्ण क्षमता मोदिजी में है ही है ! और ऐसा मोदिजी को ईश्वरी वरदान भी प्राप्त है ,इसमें कोई भी संदेह नहीं है ! बालासाहब ठाकरे जी ने भी शिवसेना नाम का जनआंदोलन भी ऐसे ही अपने बलबूते पर बनाया था ! कार्यकर्ताओं के प्रति उच्च कोटि की आत्मीयता ,यह गुण बालासाहब का विशेष था ! अब मोदिजी को भी देखिए ! सुयोग्य नियोजन ! कार्य के प्रति उच्च कोटि की आत्मियता ! सभी कार्यकर्ताओं के लिए उच्च कोटि की आत्मीयता

श्रीकृष्ण जन्मभूमि

 श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास  जैसे कृष्णप्रेमी तथा आध्यात्मिक संगठन के सभी पदाधिकारियों का तथा सदस्य और सक्रीय कार्यकर्ताओं का सहर्ष हार्दिक स्वागत ! आगामी अक्टूबर माह के द्वितीय सप्ताह में न्यास द्वारा दिल्ली तथा वृंदावन में जो कार्यक्रम घोषित किया गया है , इसके लिए न्यास का , सर्वप्रथम अभिनंदन ! न्यास के सभी पदाधिकारियों का ,सभी सदस्य तथा संपूर्ण विश्व में फैले हुए कृष्णभक्तों का यह अत्यंत गर्व का विषय है ! इसी विषयानुसार एक नम्र निवेदन करता हूं कि , जो भी पदाधिकारी ,सदस्य ,कृष्णभक्त दिल्ली और वृंदावन में आना चाहते है ,मगर उनको वहां की रहने खाने की सुविधा के बारे में कोई जानकारी नहीं है , तो आनेवाले इच्छुकों को , उनके पेमेंट करनेपर मतलब उनका ही पैसा जमा करके ,सभी के लिए एकसाथ ,रहना - भोजन जैसी सुविधा उपलब्ध की जायेगी तो सभी के लिए आसान हो जायेगा ! इसी पैकेज के अनुसार , मथुरा - वृदांवन दर्शन की सुविधा उपलब्ध होगी तो भक्तों के लिए ,और आसानी हो जायेगी ! अगर पाँच दिन ,सात दिन का ऐसा पैकेज उपलब्ध हो जायेगा तो सभी भक्तों के लिए सुविधा मिलेगी ! इसके साथ ही इस अभियान के लिए जो भी भक्त स्

मोदिजी को पत्र ( ३० )

 हर क्षेत्र में , देश को अनेक उंचाईयों तक पहुंचाने वाली ,देश की एकमात्र , केवल ,मोदी सरकार अटल विश्वास अटल श्रद्धा के साथ देश आगे बढ रहा है काँग्रेस का रावणी राज्य समाप्त हुवा भाजपा का रामराज्य आरंभ हुवा नया युग नवनिर्माण का नया जमाना आ गया सचमुच में मेरा देश बदल गया जय हो

गौकृपा

 जिसके सपनों में गौमाता आकर , स्त्री की मधुर आवाज में बाते करती है , प्रेम से उसे बेटा कहकर , अपने स्तनों से लगाकर, दूध पिलाती है...वह व्यक्ती कितना भाग्यशाली होगा ? यह कैसा वात्सल्य हो सकता है ?  कोई महासिध्दयोगी ही समर्पक उत्तर देगा।?

मन

 मन - बुध्दी - चेतना - आत्मा ? = मन विचार करता है बुध्दी उसे सही गलत प्रमाणीत करती है = यह विचार आत्मा तक जाते है यही चेतना है इसे ही चैतन्य कहते है चैतन्य सभी जात ,धर्मीयों में होता हे है मगर इसका सही ज्ञान और प्रत्यक्ष चेतना जागृती केवल और केवल सनातन धर्म ही सिखाता है इसीलिए सत्य सनातन धर्म विश्व में सबसे महान है इसीलिए मन की धारणा भी बुध्दि , और आत्मा तक भेजकर ,इसे प्रमाणित किया जाता है और चेतना उसे अंतिम साध्य के लिए प्रेरित करती है इसिलिए मन की धारणा का सबसे बडा महत्व होता है 👍👍👍

मन की धारणा !

 मुझे जो चाहिए वह सबकुछ मैं हासिल करके ही रहता हूं ऐसी मन की भक्कम धारणा बनाएंगे तो निश्चित रूप से जीवन की हर जंग जीतकर ही रहेंगे ! विनोदकुमार महाजन

प्रेम की कीमत ?

 जब हमारे सच्चे मन की और सच्चे प्रेम की कीमत , हमारे शब्दों की कीमत शून्य होती है तब वह सारे रिश्तेनाते और मित्रपरिवार सदा के लिए , एक ही झटके  में , बिना समय गवांएं , तुरंत छोड देना ही बेहतर होता है ! विनोदकुमार महाजन

विष्णु

 विष्णु संपूर्ण धरती पर आज  रावणराज का हाहाकार  तेज हो रहा है ! चारों ओर सज्जन शक्ति  परेशान है ! सृष्टीसंतुलन को भी आसुरीक शक्तियों द्वारा धोखा पहुंचाया जा रहा है ! धरती माता भी मुसिबत में है ! चारों ओर गौमाताओं का आक्रंदन और श्राप भी तेज है ! गंगामैया भी परेशान है ! कुदरत का कानून और ईश्वरी सिध्दांतों को भी आसुरीक शक्तियों द्वारा ललकारा जा रहा है ! और इसीलिए, सृष्टिनियमों के अनुसार " हाहाकारी ,उन्मादी "  परपिडादायक , रावण ,दुर्योधन जैसे उन्मादी आसुरों का वध भी होगा ! और संपूर्ण धरती पर  पुर्णतः रामराज्य भी अवतरित होगा ! और यह समय भी नजदीक ही है ? परदे के पिछे से ईश्वर और नियती कौनसी योजनाएं बना रही है... यह बात... ईश्वर ही जाने ! मगर फिर भी अदृश्य हलचल जरूर है ! और तेज भी है ! दशावतारी भगवान विष्णु की जय हो ! सियावर रामचंद्र की जय हो !मुरली मनोहर और सुदर्शन चक्र धारी , दोनों भुमीका एकसाथ निभाने वाले , भगवान श्रीकृष्ण की जयजयकार हो ! विनोदकुमार महाजन

दिदी ( ५ )

 कृष्ण स्थितप्रज्ञ है यह बात मैं मानता हूं। मगर गौमाताओं का आज का आक्रंदन और गौमाताओं के खून की आज की बहती नदीयाँ देखकर भी कृष्ण मौन , शांत और स्थितप्रज्ञ कैसे रह सकता है ? कोई भक्त मुसिबतों में फँसकर,तडप तडप कर मर रहा है , और भगवान को जी जान से पूकार रहा है... तो ऐसे भयंकर विपदाओं के क्षणों में भक्त की रक्षा के लिए ,तुरंत दौडकर आयेंगे ?या फिर मौन और स्थितप्रज्ञ ही रहेंगे ? मुख्य प्रश्न यह है की गोपाल को गौमाताओं का आक्रंदन आज क्यों नहीं सुनाई दे रहा है ? विशेषता भगवान होकर भी ? और भक्तों के रक्षा का , भगवत् गीता में वचन देकर भी ? ठीक है प्रारब्ध गति के अनुसार प्रत्यक्ष परमात्मा श्रीकृष्ण देहरूप से अभिमन्यु के पास होकर भी अभिमन्यु को नहीं बचा सके। मगर आज का अधर्मीयों का भयावह माहौल , जलती हुई सज्जनशक्तियों मानसिकता लाखों गौमाताओं का आक्रंदन और अधर्म की भयंकर चारों ओर लगी हुई आग प्रत्यक्ष परमात्मा देख भी कैसे सकते है ? इतनी भयावह स्थितप्रज्ञता कैसी ? धर्म डूबने की कगार पर है आज सत्य परेशान है ईश्वर निर्मित सत्य सनातन धर्म संपूर्ण धरती पर तडप रहा है । तो भी परमात्मा मौन , शांत , स्थितप्र

मोदिजी को पत्र ( २९ )

 नौटंकीबाज दोगला कजरूद्दीन अपने पापों से ही जरूर एक दिन जेल जायेगा देश को संभ्रमित करनेवाले सभी ऐसे नेताओं का संपूर्ण देश एक दिन जरूर भंडाफोड करेगा ही करेगा देश के सभी सत्यप्रेमीओं को जगाने का चौतरफा और यशस्वी प्रयास भी जारी रखना होगा मोदिजी तो बखुबी से इस कार्य को आगे बढा रहे है। संपूर्ण देश के नागरिकों को भी मोदिजी का तन ,मन ,धन से और आत्मा से सहयोग करना पडेगा। जय श्रीराम

दिदी ( ४ )

 यह उत्तर यथोचित नहीं लगता है क्योंकि मैंने मेरे मन की स्थिति के बारे में नहीं लिखा था ,बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की ,उस समय की ,भगवान के नाते से कैसी मानसिक स्थिति होगी, ऐसा प्रश्न किया था भगवान का आत्मा तो स्वयं परमात्मा होने के कारण , शांती का सागर जैसी स्थिति हो सकती है । मतलब दोलायमान की स्थिति न होकर , स्थितप्रज्ञ ,शांत ,स्थीर ही होगी। और शांत भाव से सुयोग्य समय का इंतजार यही भी धारणा होगी मगर ईश्वर जब मानवी देह में प्रवेश करते है तो... रामजी भी सिताहरण के बाद ,सिता वियोग से ,पेडों को पकडकर, सिता सिता पुकारकर रोते थे ऐसी स्थिति में भगवान श्रीकृष्ण के मन की धारणा क्यो होगी ? ऐसा मेरा प्रश्न था

दिदी ( ३ )

 Vinodkumar Mahajan: भगवान श्रीकृष्ण के मातापिता जब कँस के कारागृह में बंद थे.... तब.... प्रभु परमात्मा भगवान श्रीकृष्ण के मन की स्थिति क्या थी ? दुख ,तडप ,वेदना , पीडा या शांती ? ईश्वर जब मनुष्य देह में अवतरित होते है तब कि मानसिक स्थिति के बारें में ? कृष्ण के उस समय के मन में ( आत्मा में नहीं ) परकाया प्रवेश करके ,उनके मन कि स्थिति देखकर ,हम कौनसे अनुमान पर आ सकते है ? आज भी सज्जन शक्ति , दुष्टों के कारागृह में बंदिस्त है और ईश्वर अवतरित होते है...तभी ईश्वर के मन कि स्थिति कैसी होगी ? अथवा आज गौमाताएं... कान्हा कान्हा कहकर ,तडप तडप कर कसाईयों के हाथों से मारी जा रही है... तो.... ऐसा भयावह दृष्य देखकर कान्हा के मन कि स्थिति क्या होगी ? गौमाताओं की बहती खून की नदियां देखकर , कान्हा की मन की स्थिति क्या होगी ? दुखदाई या आनंदी

नरेंद्र त्रिपाठी ( १ )

 नरेंद्र त्रिपाठी सर आप भी मेरे गुरु के ही स्थान पर है। इसीलिए आपको सर्वप्रथम कोटि कोटि प्रणाम करता हूं । उपर आपने मुझे जो अनुमोदन किया है , वह बहुत ही मौलिक है। मैं आपके पास जितनी जल्दी हो सके ,आने की कोशिश करूंगा। आप जैसे पवित्र आत्मा का दिव्य प्रेम देखकर , आत्मानंद की उच्चानुभूती महसूस होती है। जब भाग्य बदलने का समय नजदीक आता है तो स्वयं ईश्वर आप जैसे पुण्यात्माओं के दर्शन कराता है। फिरसे एक बार धन्यवाद। हरी ओम् 🙏🙏🙏

दिदी को ( २ )

 दिदी , सभी आँडिओ सुने। बहुत शांत लगा । लगभग तीन दिनों से आज्ञाचक्र में तेज हलचल महसूस हो रही है। आपके आँडिओ सुनते समय में , थोडीबहुत सहस्त्राकार में भी हलचल महसूस हो गई। मगर फिर भी... जलबिन मछली क्यों तडप रही है ? यह समझ में नहीं आ रहा है ! उसे केवल और केवल जल ही चाहिए। तभी वह मछली जिवीत रहेगी।और शांत भी होगी। " जल " का मतलब आप जरूर समझ गई होगी। मतलब शक्ति चाहिए। चर्चा नहीं, कृति चाहिए। वैश्विक कार्य का रास्ता चाहिए। जलबिन तडपती मछली को ,ज्ञान नहीं जल चाहिए। आप मेरी बात जरूर समझ गई होगी। कृति चाहिए। वैश्विक संगठन के लिए बल चाहिए। सनातन संस्कृति को विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिए तेज गति चाहिए। गति ही जल है। ईश्वरी तत्वों से , गुरु से ,गौमाता से ,जगदंबा से ,और उनके पवित्र चरणकमलों पर संपूर्ण शरणागत भाव से ,संपूर्ण आनंद ,प्रेम और समर्पण से ही अखंड साधना शुरू है। तो भी..." जल " नहीं मिल रहा है ,इसीलिए मछली तडप रही है । बहुत ही मौलिक जानकारी देने के लिए धन्यवाद। बहुत दिनों बाद मन थोड़ा शांत हुवा। हरी ओम्

मेरा छोटासा गांव : - कारी

 मेरा छोटासा , सुंदर गांव : -  कारी !! लेखांक : - ✍️ २३५६ विनोदकुमार महाजन --------------------------------- हम विश्व के कोने में कहीं भी जायेंगे , कितना भी बडा नाम कमाएंगे , कितनी भी धनदौलत कमाएंगे... फिर भी हमारा बचपन जहां गुजरा है , उस गांव की , बचपन के अनेक मित्र , दोस्त ,यारों की , उस गांव की , हमेशा दिल में एक इच्छा रहती है की , उस जगह पर मैं फिरसे जाऊं , उन सभी प्यारे दोस्तों से मिलूं ,जिन्होंने एकसाथ सुखदुख बाँट के लिया था , आपसी झगड़ा करने के बाद भी फिर से सबकुछ भूलकर , एक दूसरे पर सच्चा प्यार किया था !  सच्चा मित्रप्रेम ! उस जगह पर फिरसे जाने की सभी की इच्छा होती ही है ! मेरा भी ठीक ऐसा ही एक छोटासा गांव है : - कारी ! इस गांव में मुझे अनेक दोस्त मिले ! सुखदुख बाँटने वाले ! सच्चा प्रेम करनेवाले ! अब एक इच्छा यह भी है की , मेरे गांव की चारों तरफ से प्रगति हो , गांव का चारों तरफ से आर्थिक - आध्यात्मिक विकास हो ! मेरे गांव में कोई दीन दुखी ना रहे ! गांव के सभी सदस्य सुखी ,आनंदी ,खुशहाल ,संपन्न ,समृद्ध ,यशस्वी जीवन जीयें ! ईश्वर से भी मेरी निरंतर यही प्रार्थना रहेगी ! गांव में अगर

आत्मा का नाम

 आपके " आत्मा " का नाम क्या है ? ✍️ २३५५ विनोदकुमार महाजन ------------------------------- आप सभी के अंदर , हर एक सजीवों के अंदर , आत्मा होती है ! इसे ही चैतन्य कहते है ! क्या आप इसे देख सकते हो ? क्या आप इसे जान सकते हो ? और आपके आत्मा का नाम क्या है ? शरद , रमेश , प्रमोद , विनोद क्या यह सभी आत्मा के नाम है ? नहीं ! यह आत्मा के नहीं ,बल्कि ईश्वरी कृपा से , हमारा जो पंचमहाभूतों से बना हुवा यह छोटासा देह है , उस देह का यह नाम है ! और उसी पंचमहाभूतों के देह के अंदर एक तेजस्वी , जागृत , चैतन्य मयी आत्मतत्व है ! और इस आत्मतत्व का ना रंग है , ना रूप है , ना इसे आकार है और नाही इसकी जन्म और मृत्यु होती है ! एक ही आत्मा प्रारब्ध गति के अनुसार,अनेक , विविध देह बदलती रहती है ! इसे ही चौ-याशी लक्ष योनियों का भ्रमण कहते है ! और इसी ज्ञान की प्राप्ति करने के लिए ही ,हमारे देह का ईश्वरी प्रायोजन है ! आत्मज्ञान ,ब्रम्हज्ञान प्राप्त करके आत्मोध्दार और मोक्षप्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करते रहना ही मानवप्राणी के जीवन का प्रमुख उद्देश्य होता है ! और आत्मोध्दार होने के बाद , विश्वोध्दार के लिए

मोदिजी को पत्र ( २८ )

 जयराम रमेश दियास्वप्न देख रहा है वह यह भूल रहा है कि, टक्कर ईश्वरी कृपा प्राप्त मोदिजी से है मोदिजी से जिसने भी टक्कर लेने की कोशिश की मिट्टी ही मिल गये यशवंत सिन्हा ,शत्रुघ्न सिन्हा , नवज्योत सिंह सिध्दू , एकनाथ खडसे , नाना पटोले जैसे अनेक उदाहरण देखिए... क्या हाल हो गया ? फारूख अब्दुल्ला , मुक्ति मेहबूबा की कितनी भयंकर दूर्दशा हो गई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की स्थिति भयावह हो गई चायना जैसा बलाढ्य देश भी घुटनों के बल पर आ गया तो ? जयराम रमेश जैसों की क्या औकात है मोदिजी के सामने टिकने की ? मोदिजी बोलते कम है और कर दिखाते जादा है दूसरी एक महत्वपूर्ण बात यह भी है की मोदिजी जैसे विश्ववंदनीय युगपुरुष को जयराम रमेश जैसे स्वार्थान्ध लोग क्या टक्कर देंगे ? उस महामानव का विरोध मतलब ? आत्मघात है और उस महामानव की पूजा , आत्मोध्दार है जय मोदिराज 🙏🙏🙏 विनोदकुमार महाजन

नम्रता कुमारी पांडेय

 दिदी गायत्री साधना की बेहतरीन जानकारी आपने इकठ्ठा की है। और यह मौलिक ज्ञान ग्रुपपर दिया है इसके लिए धन्यवाद मगर क्या आज्ञाचक्र से सीधा सहस्त्राकार तक पहुंचने के लिए अथवा हठयोग की सिध्दीयाँ प्राप्त करने के लिए केवल शक्तीपात दिक्षा की ही जरूरत है ? अथवा केवल हठयोगी ही ऐसी दिक्षा दे सकते है ? तो ऐसे हठयोगी कहाँ मिलेंगे ? वैश्विक ईश्वरी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए तेज:पूंज और शक्तीशाली ईश्वरी शक्ति के सहयोग की जरूरत तो होती ही है और हठयोग द्वारा ऐसी शक्ति प्राप्त करना संभव है क्या माता गायत्री हठयोग के लिए सहयोग कर सकेगी ? विवेकानंद तो शायद हठयोगी नहीं थे रामकृष्ण परमहंस जी ने विवेकानंद जी को शक्तीपात दीक्षा द्वारा ही शक्तीमान बनाया था और तभी उनके वैश्विक कार्य में गति प्राप्त हो गई थी मगर कुछ हठयोगियों ने तो केवल ईश्वरी चींतन में ही जीवन बीताया था क्या आपके द्वारा हठयोग की दीक्षा प्राप्त हो सकेगी ? अभी तो आज्ञाचक्र से ईश्वरी शक्तियों के संपर्क में हूं मगर फिर भी वैश्विक कार्य में बाधाएं क्यों आ रही है ? कुछ समझ में नहीं आ रहा है ! तेज गती चाहिए ही चाहिए इसके लिए अखंड खडतर साधना भ

मोदिजी को पत्र ( २७ )

 प्रभुजी आपको परकाया प्रवेश सिध्दी का ईश्वरी वरदान प्राप्त है इसीलिए आप तुरंत उसके आत्मा में प्रवेश करके हर एक का सुखदुख और क्षमता नाप लेते है आप जैसे पवित्र आत्मा को मेरा कोटि कोटि प्रणाम है 🙏🙏🙏🕉

ईश्वर है रखवाला

 सत्य के रास्तों पर चलनेवालों को जालिम दुनिया हमेशा तडपाती है ! और सत्य का रास्ता भी तलवार की धार पर चलने जैसा ही होता है ! और ऐसे क्षणों में मन में अशांति निर्माण होती है... तो..... निचे की पंक्तियाँ जरूर पढनी चाहिए ! ***** ऐ जालिम दुनियावालों तुम कितने भी भरभरके जालिम जहर के प्याले  देने से क्या फायदा ? मेरे पास तो पहले से ही सद्गुरु कृपा के और ईश्वरी वरदान के अमृत के  कुंभ भरभरके भरे पडे हुए है ! तुम लाख कोशिश करों मुझे तडपाने की ? मगर उसका भी क्या फायदा ? जब हिरण्यकशिपु भक्त प्रल्हाद को मारने की बारबार कोशिश करता है ? तब प्रल्हाद का रखवाला ही धधगता ईश्वरी तेज उसका नारसिंव्ह ही खुद दिनरात प्रल्हाद के पास रहता है ? और प्रल्हाद की दिनरात चींता भी करता है ? तो ईश्वर भक्तों को तडपाने वाले तुम कौन हो ? भक्त प्रतिपालक भगवान नारसिंव्ह की जय हो ! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

मोदिजी को पत्र ( २६ )

 जय भाजपा तय भाजपा कमल का फूल , मिटा देगा जीवन की सारी सारी धूल चुनना है तो केवल लक्ष्मी माता का... कमल ही चुनिए लक्ष्मी मैया की जय

मोदिजी को पत्र ( २५ )

 बेहतरीन विडिओ है इस्राएल ने देश के गद्दारों को ऐसे ही चूनचूनकर और अज्ञात बनकर ही ठोंका था ऐसी निती हिंदुस्तान को भी आजमानी चाहिए देश के गद्दार चाहे कौनसे भी देश में छूपे हूए हो , उन्हें ऐसा ही ठोकना उचित रहेगा अमरीका ने तो ओसामा बिन लादेन को अफगानिस्तान में घुसकर ठोंका था अब हमें भी ठीक इसी तरह से देशद्रोही दाऊद को भी ठोंकना ही चाहिए 👍👍👍 " खलिस्तानियों का वध " जैसी बेहतरीन गेम दिखाने के लिए, धन्यवाद...

मोदिजी को पत्र ( २४ )

 अब नौटंकीबाजों की नौटंकी पूरा देश जान चुका है चाहे कुछ भी करो , जनता मतदान तो नहीं करेगी ऐसे नौटंकीबाजों को मतदान तो सिर्फ और सिर्फ असली हिरो...मोदिजी को ही होगा पूरे देश का पूरा समर्थन केवल और केवल मोदिजी को ही रहेगा मेरा देश बदल गया है..सचमुच में.. चच्चा लेहरू से लेकर , आजतक के सुटकेश उठाने वाले नौटंकीबाजों को देश अब जान चुका है अब एक ही नारा , एक ही पुकार हर हर महादेव घर घर मोदी

ईश्वरी वरदान

 दुख खुद का और सुख सभी का होता है ! लेखांक : - २३५३ ✍️ विनोदकुमार महाजन ---------------------------------- दुख ? हरेक के जीवन में आता ही है ! अवतारी पुरूषों को ,सिध्दपुरूषों को , साक्षात राम और कृष्ण को भी दुख भोगना ही पडता है ! मगर दुख में हिस्सेदार कौन होता है ? शायद ना के बराबर ! इसिलिए दुख तो अकेले को ही भोगना पड़ता है ! और सुख ? सुख के सभी हिस्सेदार होते है ! धन , वैभव किसी एक के कारण घर में आता है ! और उस धन वैभव का उपभोग और आनंद परिवार के सभी सदस्य लेते है ! इसिलिए दुख खुद का अकेले का होता है ! और सुख सभी का ! हँसते रहिए ! हँसाते रहिए ! जीवन भर के लिए , खुद आनंदी रहिए ! दूसरों को भी आनंदी बनाईये ! खुद दुख में रहकर दूसरों को आनंदी करना , एक ईश्वरी वरदान है ! अकेले में खुद के आँसू खुद ही पोंछकर , दूसरों के आँसू भी पोंछते रहना भी , ईश्वरी वरदान की एक सुंदर कला है ! हरी ओम् 🕉🚩🌹

चुनावी प्रक्रिया

 मतदान प्रक्रिया में विशेष और बढचढकर सहभागिता के लिए,और हिंदुत्व के प्रती जागरण के लिए सुयोग्य और गतिशील प्रचारयंत्रणा चाहिए ! इसके सिवाय हर मतदाता घर से बाहर निकलकर , मतदान करने के लिए ,मतदान बूथ तक पहुंचकर ,मतदान करें ,इसके लिए , ठोस एवं शक्तिशाली योजना चाहिए ! हर बूथ पर निगरानी के लिए ,सिसिटिव्ही लगाने चाहिए ! बाहरगाँव में ,दूर प्रदेश में रहनेवाले मतदाताओं का मतदान होने के लिए , एक स्वतंत्र शासकीय प्रणाली चाहिए ! बोगस मतदान रोकने के लिए , घुसपैठियों को मतदान से दूर रखने के लिए , विशेष यंत्रणा चाहिए ! मतदान के लिए ,विशेष संशोधन प्रणाली को लेकर अमल में लाने के लिए , एक प्रभावशाली समीती का गठन होना चाहिए ! तभी लोकतंत्र जिवीत रहेगा ! सत्य को न्याय मिलेगा ! " हैवानियत " से देश बचाने के लिए और  " सत्यमेव जयते ! " का उद्घोष करने के लिए , तथा ..." जय हिंद !! " का नारा और बुलंद करने के लिए , मुझे वरीष्ठ स्तर से शासकीय अधिमान्यता मिलेगी तो , निश्चित रूप से मैं चुनावी प्रक्रिया में ,महत्वपूर्ण योगदान दे सकता हूं ! विनोदकुमार महाजन

सत्य

 उल्टा न्याय ? ✍️ २३५४ विनोदकुमार महाजन ********************* क्या सचमुच में, सैतान को , सुख ,यश ,धनदौलत , आरोग्य ,दिर्घायु ,सेवाधारी भरपूर होते है ? और सज्जन को ....? शायद ? दुख , अपयश ,अपमान,आर्थिक परेशानियां ,अनारोग्य , कम उमर और लगभग अकेलेपन का शाप होता है ? क्या यही नियती का उल्टा न्याय है ? उदाहरण ? एक तरफ , क्रूर सैतान, अत्याचारी औरंगजेब ? और ? दूसरी ओर ? ईश्वरी सिध्दांतों पर चलनेवाले , हिंदवी स्वराज्य संस्थापक राजे शिवछत्रपती ! उपरी दोनों का उदाहरण क्या दर्शाता है ? इसका उत्तर एक ही है... सत्य परेशान जरूर होता है ! मगर अजरामर ही होता है ! और असत्य का मुंह काला ही होता है ! इसीलिए, औरंगजेब आजतक बदनामियां झेलता रहा ! और राजे शिवछत्रपती को ईशत्व प्राप्त हुवा ! और सबसे महत्वपूर्ण बात , औरंगजेब के पुतले जलाए जाते है ! और राजे शिवछत्रपती की पूजा की जाती है ! रावण के भी पुतले जलाए जाते है ! और राम की पूजा होती है ! और अंत में ...एक अंतिम सत्य ...? राम के हाथों से ही रावण का वध भी होता है !! युगों युगों से ! युगों युगों तक ! यही एकमात्र ईश्वरी सिध्दांत अजरामर भी रहता है ! हर हर महादेव

महापुरुष

 बचपन से लेकर , अनेक सालों तक , जब अनेक जहरीले साँप लगातार काटते रहते है , और वह व्यक्ति मृत्युशैया तक पहुंच जाता है ! और लगभग सुदबुध ही खो बैठता है ! वह व्यक्ति अगर जिवीत भी रहता है , और उसके अंदर का अनेक साँपों का जालीम जहर भी उतर जाता है तो ? और वही व्यक्ति महापुरुष भी बन जाता है तो ? निश्चित रूप से यह एक आश्चर्यजनक घटना भी है ! और दैवी चमत्कार भी ! अथवा अनेक सालों तक मछली जलबिन तडपती रहती है , मगर फिर भी मर नहीं सकती है , और फिरसे गहरे समुद्र में एकरूप हो जाती है ( रूपक )  तो ? एक चमत्कार ? देव तारी त्याला कोण मारी ? ( भक्त प्रल्हाद और हिरण्यकशिपु ? ) ( विस्तार से लेखन.... अगली किताब में ) विनोदकुमार महाजन

श्रीकृष्ण

 मेरी भविष्यवाणी बहुत ही जल्द कृष्णजन्मभूमी आंदोलन विश्व में तेज गति से लोकप्रिय हो जायेगा जय श्रीकृष्ण 🙏 विनोदकुमार महाजन ,राष्ट्रीय मिडिया प्रभारी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन

कल्कीदूत

 *कल्की ??*  " धर्मग्लानी हटाने के लिए " और....  " धर्मरक्षा के लिए...? " " *जन्मेजय* राजा का ...." " विश्व के संपूर्ण *जहरीले साँपों* का ...." " *सर्पसत्र* फिरसे आरंभ होगा ??? " और अब...." *अधर्मी* साँपों को बचाने के लिए.... " कोई " *आस्तिक मुनि "*  " फिरसे लौटकर वापिस नहीं  आयेगा ....!?? " " तभी और तभी....  *धर्मग्लानी* भी हटेगी.... और....  *धर्मरक्षा* भी होगी !!? "                       *कल्कीदूत*?? 【 लाखों में एक ही मतीतार्थ समझ सकेगा ? 】  *नस्त्रादमस...* .. क्या *धर्मयुद्ध*  अटल है ?

मोदिजी को पत्र ( २३ )

 सबसे बडा जोक कह रहे है कनेडियन प्रधानमंत्री या फिर उनको पागलपन का दौरा पड गया है , ऐसा लग रहा है । शायद G 20 में मोदिजी का बेहतरीन जलवा और " वसुधैव कुटुम्बकम " का मोदिजी का लोगो सहा नहीं जा रहा है । खैर , देश हो या विदेश , मोदिजी के ईश्वरी कार्य को जो भी गलत बताएगा , एक दिन मिट्टी में मिल जायेगा हर हर महादेव

सबकुछ ईश्वर का है

 सद्गुरु के चरण और ईश्वर की शरण में ..... ✍️ २३५० विनोदकुमार महाजन ---------------------------------- मेरे जीवन में , जिसे मैं बारबार मेरा कहता हूं , वास्तव में मेरा कुछ भी नहीं है ! जो भी कुछ है वह सबकुछ मेरे सद्गुरु का और ईश्वर का है ! और इसिलिए मेरा सबकुछ सद्गुरु के चरणों में और ईश्वर के शरण में ,समर्पित है ! यह पंचमहाभूतों का देह भी मेरा नहीं है ! आत्मा भी ईश्वर का है ! मेरा सुखदुख , मेरा पापपूण्य , मेरा कर्मभोग , मेरा हर जन्म भी ईश्वर के अधिन है ! इसिलिए मेरा जो भी कुछ है , वह सबकुछ सद्गुरु चरणों पर और ईश्वर को शरण जाकर ,समर्पित करता हूं ! मैं जो वैश्विक कार्य कर रहा हूं , वह भी उसी परमात्मा का कार्य है ! इसिलिए यश - अपयश , मान - अपमान ,  गरीबी - अमीरी , अमृत - जहर ,  सुख - दुख सबकुछ सद्गुरु का और ईश्वर का है ! इसिलिए सबकुछ उनके पवित्र चरणकमलों पर , संपूर्णता शरण में जाकर , समर्पित करता हूं ! और उन्हीं के आदेश के अनुसार ही अगला वैश्विक कार्य का रास्ता तय करता हूं ! ।। श्रीकृष्ण: शरणं मम् ।। हरी ओम्

रिश्तेनाते छोड़ दिए !

 *जिन्होने घरदार , रिश्तेनाते छोड दिए....वह महापुरुष बन गये !!*  ✍️ २३४९ विनोदकुमार महाजन ----------------------------------- मोहमाया का बाजार बडा विचित्र होता है ! मगर महापुरूषों को मोहमाया का झूठा मायावी बाजार कभी भी नही रोक सकता है ! जिन्होने घरदार , रिश्तेनाते सदा के लिए छोड दिए ,कौन जींदा है , कौन स्वर्गवासी हो गया है , यह देखने के लिए , ऐसे महापुरूषों ने कभी भी वापिस मूडकर नही देखा ! और वही महापुरुष भी बन गये ! झूठे मायावी मोहजाल में , मेरातेरा में जो फँस गये , वह कैसे महापुरुष बन सकेंगे ? जिन्होने बडा नाम कमाया , जो अजरामर हो गए वह सभी महापुरुष कभी भी रिश्तेदारी में कभी भी नही लटके ! भगवान श्रीकृष्ण ने सदा के लिए एकेक गाँव ,एकेक रिश्तानाता सदा के लिए छोड दिया ! भगवान होकर भी पिछे मूडकर कभी भी देखा नही ! यादवी के समय में भी सभी रिश्तेनातों को त्याग दिया ! और अंत में सोने की द्वारका भी समंदर में डूबो दी ! क्योंकि फिरसे धन वैभव का झूठा ,मायावी विवाद ही खडा ना हो ! खुद के मृत्यु को भी , एक व्याध को निमित्त मात्र बनाकर,हँसते हँसते गले लगाया ! ध्रुव बाळ ने घरदार छोडकर कठोर तपश्चर्या क

मोदिजी को पत्र ( २२ )

 देश बदल रहा है विश्व भी बदल रहा है मोदिजी नाम के अवतारी युगपुरुष ने धरती माता का चेहरा मोहरा ही बदल दिया है ! धन्य हो गई भारत माता ! धन्य हो गई धरती माता ! धन्य हो गये स्वर्ग के सभी देवता ! नया युग आया विश्व परिवर्तन का झंडा लहराया ! हिंदुराष्ट्र निर्माण अखंड भारत का भी अब डंका बज गया ! मोदीजी है तो सबकुछ मुमकिन है का नया चमत्कार हो गया ! नामुमकीन नाम का यहाँ तो एक शब्द भी नही रह गया ! संपूर्ण भारतीयों का और विश्व में फैले हुए संपूर्ण सनातनीयों का गर्व से सीना चौडा हो गया ! जय हो जय हो मोदीराज की त्रिवार जयजयकार हो ! अब हम जैसे प्रखर राष्ट्रप्रेमीयों की भी है एक ही आस ! मोदिजी जैसे महानायक के साथ वैश्विक कार्य का डंका बजाने की इच्छा है खास ! मोदिजी जैसे महानायक मोदिजी जैसे युगपुरुष मोदिजी जैसे महापुरुष को हम सभी भारतीयों का है कोटी कोटी प्रणाम ! त्रिवार वंदन !! जय हो जय हो !!! 🙏🙏🙏🕉🚩 विनोदकुमार महाजन आंतरराष्ट्रीय पत्रकार 8329894106

मोदिजी को पत्र ( २१ )

 कभी दत्तात्रेय गोत्र धारण करनेवाले फर्जी ब्राह्मण तो कभी क्रिप्टो बनकर देश को और सनातन धर्म को बदनाम कर रहे है, सनातन संस्कृति के बरबादी का सपना देख रहे है कोर्ट में शपथपत्र देकर , राम को काल्पनिक पात्र बोल रहे है इसका अंतिम कानूनी हल चाहिए केवल और केवल आप ही ऐसी भयंकर मुसिबतों के जड पर प्रहार करने की क्षमता रखते है आपके निर्णय का संपूर्ण देश बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा है सर जैसे 370 , राममंदिर , नोटबंदी के निर्णय हुए , ऐसे ही चमत्कारों की अपेक्षा है पाकव्याप कश्मीर के भारत में विलय से भी संपूर्ण देश आनंदित हो जायेगा , और इसका सौ प्रतिशत असर 24 के चुनाव में देखने को मिलेगा 🙏🙏🙏🕉🚩

कसम महादेव की खाते है

 हमने धरती पर जन्म क्यों लिया ?? ✍️ २३४८ विनोदकुमार महाजन ********************* साथीयों , क्या हमारा जन्म और मृत्यु हमारे हाथ में है ? बिल्कुल भी नहीं है ! तो मानव जन्म में व्यर्थ का घमंड , अहंकार क्यों ? और अज्ञानता वश मानवी देह का दुरूपयोग क्यों ? और कितने दिनों तक ? सोचो !! तो हमारे मनुष्य जन्म का ईश्वरी उद्देश्य ही क्या है ? खुद को पहचानना ! खुद ईश्वर स्वरूप हो जाना ! और ईश्वर का कार्य आजीवन करते रहना ! ईश्वर निर्मित सत्य सनातन के कार्यों में खुद को झोंक देना ! मगर हम वास्तव में क्या करते है ? खाना ,पीना ,चार पैसे कमाना , घर बनवाना , बिवी बच्चों में ही जीवन व्यर्थ गँवाना ? ऐसा नहीं है मित्रों ! ईश्वर निर्मित सत्य सनातन की रक्षा करना , उसका प्रचार - प्रसार करना ,सत्य सनातन धर्म की महती सभी को बताना यही मनुष्य जीवन का ईश्वरी प्रायोजन है ! तो सचमुच में " तुने " ऐसा कार्य किया ? या व्यर्थ ही जीवन गँवाया ? इसिलिए , चल उठ बंदे , आज से और अभी से , सत्य सनातन धर्म की रक्षा के लिए , उसके संवर्धन के लिए ,जीवन में ठोस कदम उठा रे बंदे ! सनातन क्या है ? सनातन ही अंतिम सत्य है ! सनातन

न्याय चाहिए

 जातीय आरक्षण खतम कर दो ! आर्थिक आरक्षण लागू करो ! तुरंत जातीय आरक्षण समाप्त कर दो और आर्थिक आरक्षण लागू कर दो ! फिर चमत्कार देखिए : - केवल और केवल एक ही दिन में देश का संपूर्ण अराजक खतम होगा ! आर्थिक मुसिबतों में फँसे हुए सभी धर्मीय ,सभी जातीय भरभरके आशिर्वाद भी देंगे ! और वही गोरगरीब जीवनभर का साथ भी देंगे ! ऐसा कानून लाने के लिए हम सभी का आमरण आंशन शुरू करना पडेगा ! ईश्वर की सब एक ही संतान ! आजमा के तो देख लो ! इससे संपूर्ण समाज एक क्षत्रछाया में आ जायेगा ! और धार्मिक ,जातीय झगड़ा तुरंत समाप्त हो जायेगा ! विनोदकुमार महाजन

मोदिजी को पत्र ( २० )

 मोदिजी का यह भाषण सत्य सनातन की पुष्टि करता है ! सनातन धर्म का जो भी विरोध करेगा, उसे आजीवन कारागृह में भेजने का , सख्त कानून बनना पडेगा ! तभी सनातन धर्म विरोधी पागल कुत्ते शांति से बैठेंगे ! अन्यथा यह सनातन विरोधी, धर्मद्रोही लोग सनातन धर्म और आदर्श सनातन संस्कृति के खिलाफ जहर उगालते रहेंगे ! इन सभी का तुरंत कानूनी इलाज होना अत्यावश्यक है ! पागल कुत्ते यह शब्द लिखने के लिए आप सभी की क्षमा चाहता हूं ! मगर ऐसे लोगों को ऐसी ही भाषा समझ में आती है ! देश और विश्व के तमाम हिंदुओं को अब आक्रामक होना ही पडेगा ! ईश्वर निर्मित सत्य सनातन धर्म की जय हो ! 🙏🙏🙏

भूके को रोटी, प्यासे को पाणी चाहिए

 भूके को खाना चाहिए, प्यासे को पाणी !! ✍️ २३४६ विनोदकुमार महाजन ********************* जीवन का एक बहुत ही छोटासा तत्त्वज्ञान है ! बस्स्...यह तत्त्वज्ञान जिसे समझ में आ गया , वह मनुष्य जीवन का असली उद्दीष्ट समझ गया ! भूके को खाना चाहिए ! और प्यासे को पाणी चाहिए ! ऐसे समय में उसे कोई तत्त्वज्ञान के डोस पिलायेगा ? तो उससे क्या फायदा ? इसिलिए तत्त्वज्ञान की भाषा बोलने के बजाए , भूके को रोटी और प्यासे को पाणी मील जायेगा , तो वह जीव आत्यानंदी हो जायेगा ! हमारे दरवाजे पर ( अब फ्लैट सिस्टिम के कारण, यह भी बंद हो गया है ! ) कभी भिकारी आता है , कभी गौमाता आती है ,कभी कुत्ते आते है , कभी कौवे - चिडियाँ भी आती है ! ऐसे समय में उन सभी के लिए , अपने हिस्से का कुछ खाना देते है ...तो...? सचमुच में ? हमारी भूतदया देखकर , स्वर्ग में ईश्वर भी खूश , आनंदी हो जाता है ! और जो ईश्वर के आनंद के लिए जिता है , उससे बडा सौभाग्यशाली कौन होता है ? मगर असल में होता क्या है ? दरवाजे पर कोई भिकारी ,कुत्ता ,गौमाता आयेगी तो ? उनको चार गालीया देकर ,उनको धक्के देकर ,दूर भगाया जाता है ! बगैर कुछ खानापाणी दिये ! कमाल है ना

दुनियादारी तुम्हे पागल बना देगी !

 दुनिया तुम्हे पागल बना देगी !!? ✍️ २३४५ विनोदकुमार महाजन ********************* सुख दुखों से भरा यह मनुष्य का यह जीवन हे ! जिसमें सुख कम और दुख जादा होता है ! अनेक बार , मनुष्य को अनेक मुसिबतों से गुजरना पडता है ! ऐसे समय में हमें आधार की जरूरत होती है ! हर बार केवल आर्थिक आधार की ही जरूरत होगी , ऐसा नही है ! अनेक बार हमें मानसिक आधार की भी नितांत आवश्यकता होती है ! भूलेभटके समय में ! मुसिबतों के समय में ! " चिंता मत कर , ईश्वर सबकुछ ठीक करेगा ! " ऐसे महत्वपूर्ण दो शब्द भी बहुत काम आते है ! मगर दुनियादारी में होता उल्टा ही है! हमें आधार मिलने के बजाए ,आघात झेलने पडते है ! जिसपर दिव्य प्रेम किया वह भी नफरत करने लगते है ! और वह व्यक्ति सैरभर हो जाता है ! समाज भी, उसकी असलियत समझाकर, उसे आधार देने के बजाए, भयावह अफवाहें फैलाकर ,लगातार बदनामीयों का सिलसिला आरंभ कर देता है ! और यही क्षण जीवन में सबसे भयानक होता है ! ऐसे आघातों से सँवरना बहुत कठीण होता है ! और दुनिया ? और दुनियादारी ? लगभग पागल ही बना देगी मुसिबतों के क्षणों में !? ह्रदय पर इतने भयंकर कुठाराघात करेगी ,मानसिक उत्पीड

मोदिजी को पत्र ( १९ )

 मोदिजी का जलवा है ये मोदिजी की उमंग है ये मोदिजी का उत्साह है ये मोदिजी का प्रकाश है ये मोदिजी का चैतन्य है ये मोदिजी का नितनया आविष्कार है ये नई उमंग है नई आशा है नई दिशा है नई उषा है विश्व व्यापक रणनीती की ये पूकार है ये नवभारत निर्माण का ध्यास है ये चैतन्य दाई समाज निर्माण का विश्वास है ये सुजलाम सुफलाम भारत का जयजयकार है ये

मोदिजी को पत्र ( १८ )

 प्रभुजी, आपके एक आशिर्वाद से मेरे सनातन धर्म के वैश्विक कार्य के सभी रास्ते चुटकी में खुल जायेंगे। सनातन धर्म पर अनेक वैश्विक भाषाओं में किताबें लिखना , अनेक आध्यात्मिक फिल्मे बनाना ,अखबार,टिव्ही, सोशल मीडिया पर सनातन धर्म का प्रचार - प्रसार करना , अनेक राष्ट्रप्रमुखों को इसके लिए सहभागी करना , इस ईश्वरी कार्य के लिए , आपका तन ,मन ,धन से सहयोग और आशिर्वाद चाहिए। अब मैं नामुमकीन को मुमकिन में बदलनेवाले ,युगपुरुष मोदिजी के सानिध्य में हूं। मुझे वैश्विक कार्य के लिए कौन रोकेगा ? 🙏🙏🙏🕉🚩 विनोदकुमार महाजन 9890349751

दिल का रिश्ता

 एक बार टूटा हुवा रिश्ता कितनी भी कोशीश करनेपर जीवनभर के लिए, फिर से कभी भी जोडा नही जा सकता है ! चाहे वह मित्र हो , रिश्तेदार हो या फिर पडोसी हो ! मगर इसमें भी एक सच्चाई यह है की , दिल की गहराई के रिश्ते कभी भी टूटते नही है ! और स्वार्थ के लिए जोडे गये रिश्ते कभी भी टिकते नही है ! विनोदकुमार महाजन

शब्दों की शक्ती !

 जिसके जुबान में सच्चाई होती है उसके साथ ईश्वर निरंतर रहता है ! दिया हुवा शब्द तुरंत पुरा करने की जो क्षमता रखता है वह जीवन में एक दिन जरूर यशस्वी ही होता है ! और दिये गये शब्दों की जो हेराफेरी करता है , संभवत: वह जीवन में यशस्वी नही होता है ! जो पशुपक्षीयों सहित सभी पर निष्पाप प्रेम करता है और पशुपक्षी भी जिसपर शुध्द प्रेम करते है वह व्यक्ती देवतुल्य होता है ! सर्वाभूती भगवंत ऐसी जिसकी धारणा है ,वह व्यक्ती ईश्वरी शक्ति से एकरूप हो जाता है ! विनोदकुमार महाजन

मोदिराज

 मोदी नाम का जादू !! 👍🪷🪷🪷🪷🪷 " मोदी ! " नाम ही इतना शक्तिशाली है की , जो विरोधीयों के जाल में कभी भी फँसता नही है ! उल्टा सारे विरोधीयों पर ऐसी जबरदस्त और शक्तिशाली  " गुगली " फेंकता है की , सारे के सारे विरोधी एक फटके में ही " क्लीन बोल्ड " हो जाते है ! आखिर जिस महात्मा को और युगपुरुष को , " ईश्वरी वरदान " प्राप्त है , ऐसे महापुरुष को कौन हराएगा ? इसिलिए ? हमारा , हम सभी देशवासियों का भी दाईत्व है की , " अपना हर एक किमती वोट , सिर्फ मोदिजी को ही देना है ! " समझ गए ना ? " इधर उधर " बिल्कुल भी भटकना नही है ! सिर्फ और सिर्फ मोदी ! " मोदी " नाम ही काफी है ! हर हर मोदी ! घर घर मोदी ! मोदिराज जींदाबाद ! ओनली मोदिजी और बिजेपी ! 👍🪷🪷🪷🪷🪷 विनोदकुमार महाजन

मोदिजी को पत्र ( १७ )

 २४ के बाद सब विरोधी लाईन पर आयेंगे और मोदी मोदी रट लगाएंगे लोकसभा में मोदिजी जब भाषण कर रहे थे तब भी सभी विरोधी मोदी मोदी नाम की रट लगा रहे थे मोदिजी के विरोध में भी डर लगता है इनको जब मोदिजी सीना तानके ,लोकसभा में छाती पर हाथ रखकर यह कह रहे थे की, " एक अकेला शेर ही तुम सबको भारी है ! " तब टीवी पर हमने देखा है विरोधीयों की बत्ती ही गुल हो गई थी। यही शक्ति है असली शेर की। और पूरा देश...शेर की दहाड़ सुन रहा है और इससे ही सारे विरोधी परेशान है जय मोदीराज 👍👍👍

मोदिजी को पत्र ( १६ )

 घमंडीया गठबंधन की समाप्ति भी मोदिजी द्वारा ही होगी। इनके मन में मोदिजी के प्रति इतना भयंकर डर है की , इस डर के मारे सभी ठगबंधन वाले चोर एक हो गये है। इनको पता है २४ में मोदिजी जीतेंगे तो ? इनकी काली संपत्ति भी सरकार जमा होगी। और सारे चोर..." अंदर होंगे..." और जनता सबकुछ जानती है। रक्तपिपासु , भ्रष्टाचारी ठगबंधन वाले चोरों को जनता ही अब चुनाव में सबक सिखाएगी। और मोदिजी को भारी बहुमतों से जीताएगी।

लोटांगण

 कार्य सफल नही बनेगा तो भी चलेगा ! मगर दुष्टों के सामने लोटांगण नही करना चाहिए !! विनोदकुमार महाजन

त्रिवार सावधान !

 सावधान !!! ✍️👍 २३४१ विनोदकुमार महाजन 🙊🙊🙊🙊🙊 आधे हल्दी से पिले होनेवाले बहुत लोग मिलेंगे इस देश में ! ऐसे लोग खुद को भयंकर होशियार ,सयाना ,विद्वान समझते है ! और दूसरों को हमेशा महामूर्ख ही समझते है ! ऐसे अतीमहाविद्वान ,अतीसयाने लोगों के साथ कभी भी बहस मत किजिए ! उल्टा , मैं ही मुर्ख हूं , पागल हूं ,अज्ञानी हूं ऐसा उसे कहकर ,उसको भी हाथ जोडकर ,सदा के लिए ,ऐसे महामूर्खों से दूर चले जाने में ही हमारी भलाई है ! अन्यथा ? " असंग से संग और प्राणों  से संकट " ऐसा भयंकर बिकट प्रसंग आता है ! ठीक इसी प्रकार से , दुष्टों से और कपटी लोगों से भी सदैव दूर और सावधान ही रहना चाहिए ! क्योंकि साँप से भी भयंकर जहरीले और हानिकारक दुष्ट और कपटी लोग होते है ! इसिलिए , " दुर्जनं प्रथमं वंदे "  कहकर वहाँ से भी दूर चले जाईये ! और सबसे महत्वपूर्ण बात... मुर्खों के साथ भी कभी भी बहस मत किजिए ! अन्यथा ? पछताना ही पडता है ! इसिलिए मुर्खों के साथ भी कभी भी चर्चा ,बहस मत किजिए ! ऐसे लोगों से भी हमेशा दूर ही रहीए ! ज्ञानी और योग्य व्यक्ती के सामने ही हमारे ज्ञान की ,गुणों की , हमारे अंदर के क्

कृष्णा

 🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 कृष्णा,      मुझे क्या चाहिए ? कुछ नही चाहिए ! बस्स्...केवल और केवल तेरे पवित्र चरणकमल चाहिए ! ना धन चाहिए, ना मान चाहिए ! ना ऐश्वर्य चाहिए, ना संन्मान चाहिए ! ना यश चाहिए, ना किर्ती चाहिए ! ना वैभव, ना राजऐश्वर्य चाहिए ! कृष्णा, जनम जनम तक तेरा पवित्र प्रेम चाहिए ! तेरा पवित्र प्रेम ही चाहिए ! मेरी आत्मा, तुझसे एकरूप हो गई ! तेरी आत्मा, मूझसे एकरूप हो गई ! मेरा चैतन्य,तुझसे एकरूप हो गया ! तेरा चैतन्य, मुझसे एकरूप हो गया ! तु और मैं का भेद मिट गया! कान्हा, मैं तुझसे एकरूप हो गया ! मेरा,तेरा भेद मिट गया ! कृष्णा, मैं तुझसे एकरूप हो गया ! आत्मा परमात्मा का मिलन हो गया ! बस्स्... और चाहिए ही क्या था ? जो चाहिए था,वह सबकुछ मिल गया ! कृष्णा, मैं तेरा हो गया,तु मेरा हो गया ! मनुष्य देह का सार्थक हो गया ! जनम जनम का कल्याण हो गया ! ना सुख रह गया,ना दुख बाकी रहा ! मेरा सबकुछ तेरा हो गया ! कृष्णा, मैं तेरा हो गया,तु मेरा हो गया  🦚जन्माष्टमी की शुभकामनाएं 🦚

मोदिजी को पत्र

 भारत का रहनेवाला हूं भारत की बात सुनाता हूं है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूं भारत का रहनेवाला हूं मनोजकुमार को भारतपूत्र भी इसिलिए कहते है अब मोदिजी ने भी सभी भारतीयों का सीना चौडा कर दिया है भारत भारत माता की जय इसिलिए, अंग्रेजों का शाप INDIA नाम खतम और I.N.D.I.A. भी खतम इसिलिए तो सब राष्ट्रद्रोही और चोर परेशान है जबरदस्त निर्णय संपूर्ण देश में खुशी की लहर... जय हो मोदिराज जींदाबाद

सद्गुरु चरणकमल चाहिए

सद्गुरू चरणकमल चाहिए !! नितदिन ,निरंतर , हरदिन , हरपल , मुझे मेरे सद्गुरू के चरणकमल चाहिए ! ना धन चाहिए - ना वैभव चाहिए ! ना बंगला चाहिए - ना गाडी चाहिए ! ना मान चाहिए - ना संन्मान चाहिए ! ना यश चाहिए - ना किर्ती चाहिए ! ना सुख चाहिए - ना दुख चाहिए ! ना खाना चाहिए - ना पाणी चाहिए ! ना स्वर्ग चाहिए - ना मोक्ष चाहिए ! ना स्वर्गीय सुख चाहिए - ना राजऐश्वर्य चाहिए ! मुझे तो केवल मेरे सद्गुरू के पवित्र चरणकमल चाहिए ! यही सभी सुखों की बहार है ! यही साक्षात अमृत की वर्षा है ! मुझे तो केवल मेरे सद्गुरू आण्णा के  जनमजनम तक पवित्र चरणकमल ही चाहिए !! हरी ओम् विनोदकुमार महाजन ( बापू )

कमाल का देश है ये

 कमाल का देश है ये !! ✍️ २३३९ विनोदकुमार महाजन 🤔🤔🤔🤔🤔 कमाल का देश है यारों , सचमुच में कमाल का देश है ये ! यहाँ के लोग जातीय निर्मूलन भी चाहते है , और साथ में ? जातीय आरक्षण भी चाहते है ? दोनों विरूद्ध सिध्दांत एकसाथ ? कैसे संभव होगा ये आखिर ? कैसे संभव होगा ? कौन बताएगा ? व्याघ्र अभयारण्य , पक्षी अभयारण्य भी यहाँ होते है ! और पवित्र आत्मा गौमाताओं को बचाने के लिए कोई नहीं आता है ? उनको मारणे के लिए हजारों बुचडखाने होते है ? और हरदिन लाखों गौमाताओं को तडपातडपाकर मारा जाता है ? कैसा सिध्दांत है ये ? हर जाती , धर्म के लिए यहाँ पर अलग अलग कानून होता है ? ईश्वर ने सब इंन्सानों का एक जैसा बनकर भी , हर एक के लिए अलग अलग न्याय क्यों ? सभी को एकसमान न्याय क्यों नहीं ? कमाल का देश है ये ! सचमुच में अजब देश है ये दोस्तों ! ९८ प्रतिशत गुण पानेवाला यहाँ शायद चपरासी बनता है ? और ५५ - ६० प्रतिशत गुण पानेवाला कलेक्टर ? यह कैसा न्याय है ? इसीलिए, चलो साथियों चलो ! अब संपूर्ण देश को एक ही सूत्र में बनाते है ! सभी को समान न्याय ,सभी को समान हक के लिए , नया सूत्र बनाते है ! ईश्वर निर्मित हर इंन्सान क

मोदिजी को पत्र ( १४ )

 केवल राहुल गांधी ही जड की मूल नहीं है गांधी नेहरू परिवार ही जड का मूल है काँग्रेस और बिकाऊ चमचे ही देश में अराजकता बढाने के लिए अग्रसर है काँग्रेस का साथ देनेवाले मूर्ख हिंदु भी समस्याओं के जड का मूल है और यह जड का मूल ही पूर्णता उखाड़ फेंक देना चाहिए और यह ईश्वरी कार्य केवल और केवल मोदिजी ही कर सकते है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की नीति और भगवत् गीता का संपूर्ण आदर्श मोदिजी के दिमाग में फीट्ट है.... इसिलिए मोदिजी को हराना किसी के बस की बात नहीं है खुद भगवान श्रीकृष्ण का और महादेव का वरदान जिस युगपुरुष को प्राप्त है ,ऐसे महान आत्मा को ,युगपुरुष को कौन हरायेगा ? संभव ही नहीं है जिन्होंने अपनी दिव्य निती के अनुसार संपूर्ण विश्व को मोहित किया है , ऐसे महात्मा को हराने का अगर विरोधी दिवास्वप्न देखते है... तो...उनका यह दिवास्वप्न ही रहेगा २४ के बाद राष्ट्रीय तथा वैश्विक हिंदुत्व की तेज लहर मोदिजी द्वारा आरंभ की जायेगी और संपूर्ण विरोधी संपूर्णता ध्वस्त हो जायेंगे यह मेरे आत्मा की आवाज है और आत्मा की आवाज कभी भी खाली नहीं जाती है मोदिराज जींदाबाद सत्य सनातन धर्म जींदाबाद मोदिजी है तो ? सबकुछ मु

एक समय था

 एक समय था !! ✍️ २३३८ विनोदकुमार महाजन ********************* एक समय ऐसा भी था , जब हर जगहों पर मुक्त में पाणपोईयाँ लोग लगाते थे ! और आज ? बंद बोटल में  हर जगहों पर बीस रूपये में  एक लिटर पाणी मिलता है ! कहाँ से कहाँ तक पहुंच गया इंन्सान ? और इंन्सानों की दुनिया ? एक समय था , जब हर जगहों पर मुक्त में अन्नछत्र चलाए जाते थे ! और आज ? हर जगहों पर धाबा बनवाकर , पाँच दस रूपये की तंदूर रोटी , साठ - सत्तर रूपये में बेची जाती है ! उसे खरीदने वाले भी खूब मिलते है ! कितना बदल गया इंन्सान ? सूरज ना बदला , चाँद ना बदला ? सचमुच में कितना बदल गया इंन्सान ? एक समय था , जब पांथस्थों के लिए , हर जगहों में , मुक्त में धर्मशालाएं होती थी ! और आज ? धर्म शालाओं में भी , छोटेसे रूम के लिए , हजार - दो हजार ले जाते है ! कैसा बदल गया इंन्सान ? एक समय था , जब खुद भूका रहकर ,दूसरों को बडे प्रेम से खाना खिलाया जाता था ! और आज ? भ्रष्टाचारी ...गरीबों का भी खून चुसचुसकर , बडे बडे राजमहाल बनाते है ? सचमुच में कितना बदल गया इंन्सान ? ऐसा इंन्सानों का भयावह मुखौटा देखने से बेहतर यही है कि , तुरंत मेरा असली घर... स्वर्ग

नफरतों के बाजार में

 नफरतों के बाजार में !! ✍️ २३३७ विनोदकुमार महाजन ********************** हम तो दुनियादारी समझ  न सके ! हम तो बहुत ही भोलेभाले और सिधेसादे निकले ! जिनके अंदर भरभरके नफरत का जहर भरा पडा है , उनसे भी सच्चा प्रेम कर बैठे ! उनसे भी हम सच्चा प्रेम कर बैठे ! जालीम दुनियादारी बहुत ही आगे निकल चुकी ! हम दुनियादारी के छक्के पंजे समझ न बैठे ! दुनिया का असली मायावी रंग भी हम ना समझ सके ! हम तो बहुत ही सिधेसादे ,भोलेभाले निकले ! सभी को ईश्वरी अंश समझकर, सभी पर स्वर्गीय दिव्य प्रेम कर बैठे ! और पछताकर ,जीवन भर के लिए , रो बैठे ! दुनियादारी का असली चेहरा , असली मुखौटा हम समझ ना सके ! हम तो सभी पर दिव्य प्रेम कर बैठे ! पशुपक्षीयों में भी ईश्वर होता है , यह भी हम समझ सके ! मगर क्रूर इंन्सानों के असली चेहरे हम समझ न सके ! मगर क्रूर इंन्सानों का असली चेहरा देखकर , ह्रदय भी छलनी हो गया ! कोमल ह्रदय से भी खून बहने लगा ! और आखिर में , क्रूर इंन्सानों की दुनिया में.... हमें भी ह्रदयशून्य बनना पडा ! सभी रिश्ते नाते तोडकर , केवल ईश्वर से ही नाता , सदा के लिए , जोडना पडा ! हम तो सभी पर दिव्य प्रेम कर बैठने की मह

मोदिजी को पत्र ( १३/)

 सत्यवचन है प्रभुजी इसिलिए अब हमको व्यापक हिंदु जनजागरण अभियान तेज करना होगा घर घर जाकर ,हर एक हिंदु को जगाना होगा उन सभी का धर्माभिमान जगाना होगा राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आप मुझे ऐसे ईश्वरी कार्य के लिए संधी उपलब्ध कर देंगे और आपके आशीर्वाद मिलेंगे तो मैं संपूर्ण देश और विश्व में हिंदु ह्रदय परिवर्तन तेज गती से करने में सक्षम रहुंगा निद्रीस्त हिंदुओं को देखकर सचमुच में आत्मा काँप उठती है भगवन् कुछ तो भी किजिए आप ही हिंदु तारणहार है 🙏🙏🙏

आँनलाईन रमी

 आँनलाईन रमी से , यूवा पिढी बरबाद हो रही है ! ✍️ २३३६ विनोदकुमार महाजन 🟥🟥🟥🟥🟥🟥🟥 यूवा पिढी को केवल पैसा चाहिए ! ऐशोआराम के लिए ! भलेबुरे मार्गों से ! झटपट पैसा ,झटपट अमीरी ! और झटपट अमीरी से मिलने वाली सभी भौतिक सुविधाएं ! असली भगवान को सब भूल रहे है ! और पैसा ही भगवान बन गया है ! और परिणाम ? भयंकर ! चाहे कुछ भी हो ,पैसा ही चाहिए ! इसके परिणाम ? दया, क्षमा,शांति , मानवता ,मन का बडप्पन , संस्कार ? समाप्त हो गए ! और सांस्कृतिक अध:पतन हो गया ! भोगवादी समाज बनता गया ! फ्री के लालची समाज का उदय हो गया ! इससे अनाचार, भ्रष्टाचार बढ गया ! चारों तरफ भयंकर अराजक ! कौन जीम्मेदार इसका ? जानबूझकर सामाजिक अध:पतन करनेवाली कौनसी राजकीय पार्टी जीम्मेदार है इसके लिए ? विशेषत: आजादी के बाद गलत विचार धारा को समाजमन पर कुटिल नितीद्वारा थोंपने वाली राजकीय पार्टी ? परीणाम सुसंस्कृत समाज निर्मिती के बजाए , असंस्कृत ,बेफिकर ,असभ्य समाज निर्माण का जीम्मेदार कौन ? पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण ,स्वैराचार ,दारू , मटका, जूवा , नशीले पदार्थों की आदते , समाज को कहाँ ले जा रही है ? अब एक नया फ्राँड समाज में ते

गीता का वचन !

 हे ईश्वर... ✍️ २३३५ विनोदकुमार महाजन 🙏🕉🚩🙏🕉🚩 हिंदुत्व को निगलने के लिए , चारों तरफ से अजगर तेज गती से आ रहे है ! एक कालयवन है ! दूसरा कालईसायत है ! तीसरा छद्मसेक्युलर है ! और चौथा निद्रीस्त हिंदु है ! इसिलिए अब हिंदुत्व को बचाने के लिए एक शक्तिशाली महानायक की तुरंत और सख्त जरूरत है ! जो चारों अजगरों से हिंदुत्व को बचा सके ! कौन है वह महानायक ? और कहाँ है ?? उसके उदय की ओर हम सभी जागृत हिंदुत्वप्रेमी आँख लगाकर बैठे है ! हे नारसिंव्ह ,धर्म बचाने तू फिरसे आजा ! हे परशुराम ,धर्म बचाने तू फिरसे आजा ! हे राम ,धर्म बचाने तू फिरसे आजा ! हे कृष्ण , धर्म बचाने तू फिरसे आजा ! हे विष्णू,कल्की बनकर, अब तू जल्दी आ जाना ! देर ना करना प्रभो ! देर ना करना ! सत्य तडप रहा है ! सत्यवादी तडप रहा है ! सत्य सनातन मुसिबत में है ! अधर्म का अंधेरा गहरा है ! अधर्मीयों के पाप का उन्माद भयावह है ! माँ भारती मुसिबत में है ! धरती माता भी मुसिबत में है !! जल्दी आ जाना प्रभू ! जल्दी आ जाना !! वचन गीता का अब तुही निभाना ! सत्य सनातन की रक्षा करना ! 🙏🕉🚩🙏🕉🚩

धर्म रक्षा

 जो अजगर तुम्हे निगलने के लिए आ जायेगा , उससे पहले ही तुम उस अजगर को ही निगल दो ! धर्मरक्षा का धर्मसूत्र !! विनोदकुमार महाजन