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Showing posts from May, 2021

थोडा सोचते है

 थोडा सोचते है...🤔 ------------------------------- क्या दुसरों को भगाकर उसकी जमीन,मंदिर या प्रार्थना स्थल हडपना.... धर्म है...??? सभी का धन हडपना क्या कोई धर्म है...??? और उपर से मस्त.. रहना...मस्त जीना.. और दुसरों को ही तत्वज्ञान सिखाना... क्या कोई धर्म है...?? इंन्सानियत का गला रेतना... उपर से खुद को.. "देवदुत"बताना.. क्या कोई धर्म है...??? क्या दुसरों की औरतों को भगाकर गुलाम, दासी बनाना... उसके साथ जबरदस्ती करना...बलात्कार करना... क्या धर्म है....??? और अगर है तो--??? ये कैसा धर्म... कौनसा धर्म...??? बताओ..बताओ... भाईयों... सोच समझकर बताओ... प्राणीयों में भी भगवान देखकर उसकी पूजा  करने के बतौर... उसको ही काटकर खाना... उपर से हिंसा का भी.. समर्थन करना... खुद के झुट के लिए दंगा फसाद करते रहना भी कोई धर्म है...??? बताओ...बताओ... मेरे सभी प्यारे मित्रों सभी पथ-पंथ-जाती के मित्रों.... क्या यह सचमुच में धर्म है...??? या ईश्वरी सिध्दांतों के खिलाफ चलने वाली.. या फिर गुनहगारों की टोली है...??? पुराण काल में असुर इंन्सानों का माँस आनंद से खाते थे... अब भी " कुछ"हैवान.. इ

हिंदुओं का धन हिंदुओं के ही काम आना चाहिए

 हिंदुओं का धन, हिंदुओं के ही काम आये...। ------------------------------- हिंदु समाज हमेशा सहिष्णू और भाईचारे में विश्वास रखनेवाला होता है।इसिलिए सदैव हमेशा सभी पर शुध्द एवं निरपेक्ष प्रेम तथा सहयोग करता आया है। मगर अब बहुसंख्यक हिंदु देश में हिंदु समाज सच्चाई के बारे में सोच रहा है। जैसे की हम सरकार को टैक्स देते है।उसी टैक्स के धन का उपयोग केवल और केवल समाजहित तथा देशहित के लिए ही किया जाना चाहिए। जैसे की, अगर यह धन किसी अन्य समाज के विकास के लिए जाता है तो ठीक है। मगर,अगर यह धन अगर विकास के नाम पर पाकिस्तान प्रेमियों के जेब में जाता है तो हम इसका जमकर विरोध करेंगे।क्योंकी आखिर यह धन पाकिस्तान हमारे ही खिलाफ बम-बारूद खरिदने के लिए ही प्रयोग करेगा। जैसे की कुछ ( 1 )पाकिस्तान प्रेमी फिल्म स्टार हमारे पैसों के बल पर बडे होते है,और पाकिस्तान की सहायता करते है,और उपर से सहिष्णू हिंदु समाज को ही , "हिंदु आतंकवादी ",कहते है तो यह बात अती भयंकर भी है और संतापजनक भी है। ( 2 )हमारा धन उनको सभी सुविधा देने के लिए तथा उनकी जनसंख्या बढाने के लिए और उनकी आबादी प्रचंड गती से बढाने के लिए

राम नाम का एक आश्चर्य कारक गणित

 *आप के नाम में छुपा है राम का नाम*  : अद्भुत गणित  अदभुत गणितज्ञ "श्री.तुलसीदासजी से एक भक्त ने पूछा कि महाराज आप श्रीराम के इतने गुणगान करते हैं , क्या कभी खुद श्रीराम ने आपको दर्शन दिए हैं ?..  तुलसीदास बोले :- " हां " भक्त :- महाराज क्या आप मुझे भी दर्शन करा देंगे ??? तुलसीदास :- " हां अवश्य " ....तुलसीदास जी ने ऐसा मार्ग दिखाया कि एक गणित का विद्वान भी चकित हो जाए  !!! *तुलसीदास जी ने कहा , ""अरे भाई यह बहुत ही आसान है  !!! तुम श्रीराम के दर्शन स्वयं अपने अंदर ही प्राप्त कर सकते हो.""* *हर नाम के अंत में राम का ही नाम है.* इसे समझने के लिए तुम्हे एक *"सूत्रश्लोक "* बताता हूं . यह सूत्र किसी के भी नाम में लागू होता है !!! भक्त :-" कौनसा सूत्र महाराज ?" *तुलसीदास* :- यह सूत्र है ... *||"नाम चतुर्गुण पंचतत्व मिलन तासां द्विगुण प्रमाण || || तुलसी अष्ट सोभाग्ये अंत मे शेष राम ही राम || "*  इस सूत्र के अनुसार  ★ *अब हम किसी का भी नाम ले और उसके अक्षरों की गिनती करें*... *१)उस गिनती को (चतुर्गुण) ४ से गुणाकार करें

हिंदु संस्कृति की महानता

 दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न ( स्विट्ज़रलैंड ) जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य खोजने के प्रयासों में लगी थी,एक बार कट्टर चर्चों के निशाने पर आ गयी ।। कारण था कि उसने अपनी लैब परिसर में भगवान शिव के नृत्य स्वरूप "नटराज" को स्थापित किया था ।। विवाद आगे बढ़ा तो वैज्ञानिकों को आगे आकर कारण बताना पड़ा, उन्होंने कहा कि हाल-फिलहाल विज्ञान ने एक खोज की है जिसे "कॉस्मिक डांस" कहा गया है, यानी ब्रह्मांड में कोई भी कण स्थिर नहीं है, बल्कि हर क्षण नृत्य अवस्था में है, यही बात हज़ारों वर्ष पहले हिन्दू संस्कृति नटराज के माध्यम से कहती है, विश्व में एकमात्र हिन्दू धर्मग्रंथ हैं जो सृष्टि के बनने बिगड़ने के बारे में बात करते हैं, इसलिए हमने नटराज को लगाया ।। महान वैज्ञानिक कार्ल सर्गन ने तो यहां तक कहा "जहां विज्ञान अब जाकर अलग-अलग समयचक्र की बात स्वीकार करने लगा है, हिन्दू शास्त्रों में हज़ारों वर्षों से कहा गया है कि ब्रह्मा का एक दिन 8.4 अरब वर्षों का होता है, जो धर्म कॉस्मोलॉजी पर इतनी गहन बातें करता हो, तो एक कॉस्मोलॉजी लैब होने के नाते सर्न को नटराज स्थापित करने में क

विश्व श्रीकृष्णा हिंदु एकता मंच की तरफ से पुरस्कार की घोषणा

 विश्व श्रीकृष्णा हिंदु एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री.आनंद भारती तथा गुरूजी द्वारा,घोषित किया जाता है की, देशविदेशों में हम हिंदु धर्म के उत्थान के लिए गुरूकुल आरंभ कर रहे है।इसके विषय में आप सभी मान्यवरों को विस्तृत जानकारी दी जायेगी। इसके साथ ही,यह भी घोषित किया जाता है की, विश्व श्रीकृष्णा हिंदु एकता मंच के लिए जो भी सदस्य स्पृहणीय कार्य करेगा, उस सदस्यों को अगले साल में ,२०२२ ,विशेष मान्यवरों द्वारा, विशिष्ट पुरस्कार देकर, गौरवान्वित किया जायेगा। हमारे संगठन का, हिंदु एकता का कार्य तेजीसे संपूर्ण देश में तथा विदेशों में बढाने के लिए आप सभी को प्रोत्साहित करने हेतु से यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। निवेदक : - आनंद भारती ( गुरूजी ) शब्दांकन : - विनोदकुमार महाजन २९/०५/२०२१

नास्तिक की भक्ति

 🔥 *नास्तिक की भक्ति* 🔥 . *हरिराम नामक आदमी शहर के एक छोटी सी गली में रहता था।*  . *वह एक मेडिकल दुकान का मालिक था। सारी दवाइयों की उसे अच्छी जानकारी थी, दस साल का अनुभव होने के कारण उसे अच्छी तरह पता था कि कौन सी दवाई कहाँ रखी है।*  . *वह इस पेशे को बड़े ही शौक से बहुत ही निष्ठा से करता था। दिन-ब-दिन उसके दुकान में सदैव भीड़ लगी रहती थी, वह ग्राहकों को वांछित दवाइयों को सावधानी और इत्मीनान होकर देता था।* . *उसे भगवान पर कोई भरोसा नहीं था वह एक नास्तिक था,*  . *खाली वक्त मिलने पर वह अपने दोस्तों के संग मिलकर घर या दुकान में ताश खेलता था।*  . *एक दिन उसके दोस्त उसका हालचाल पूछने दुकान में आए और अचानक बहुत जोर से बारिश होने लगी, बारिश की वजह से दुकान में भी कोई नहीं था।*  . *बस फिर क्या, सब दोस्त मिलकर ताश खेलने लगे।*  . *तभी एक छोटा लड़का उसके दूकान में दवाई लेने पर्चा लेकर आया। उसका पूरा शरीर भीगा था।* . *हरिराम ताश खेलने में इतना मशगूल था कि बारिश में आए हुए उस लड़के पर उसकी नजर नहीं पड़ी।*  . *ठंड़ से ठिठुरते हुए उस लड़के ने दवाई का पर्चा बढ़ाते हुए कहा- "साहब जी मुझे ये दवाइयाँ चाहिए

निष्क्रिय सज्जन

 निष्क्रिय सज्जन...! ------------------------------- जी हाँ साथीयों, निष्क्रिय सज्जन।यह एक भयंकर समस्या है समाज में। भयंकर बीमारी। सज्जनों को हमेशा सजग और सतर्क होकर सत्य की रक्षा,धर्म की रक्षा करनी ही होगी। कर्मण्य,अकर्मण्य के झूटे विवादों में मुझे दिलचस्पी नही है।और नाही निष्क्रिय सज्जनों के प्रती अनादर है। फिर भी, सज्जन व्यक्ति आत्मोद्धार तो करती है मगर समाज के लिए कुछ नही करती है।सबकुछ ईश्वर पर छोड देती है या फिर हर एक के अपने अपने कर्म गतीपर या प्रारब्ध गती पर छोड देती है। फिर भी मेरा कहना है की सज्जनों ने कभी भी निष्क्रिय नही रहना चाहिए।सदैव सक्रिय रहना चाहिए। अगर श्रीकृष्ण धर्मरक्षा के लिए शस्त्र ( सुदर्शन )हाथ में नही उठाते,अगर राजे शिवाजी आसुरिक संपत्ति के विरू हाथ में तलवार नही उठाते( अथवा गांधीजी के तत्वानुसार अहिंसा धर्म का पूर्ण स्वीकार करते तो क्या राजे शिवाजी को औरंगजेब क्षमा करता ?तो फिर गांधीजी को, शिवाजी राजे को भटके हुए देशप्रेमी... कहने का अधिकार कतई नही है...गांधीजी का यह एक तो आधुरा तत्वज्ञान था? या फिर और कुछ...? यह संपूर्ण विषय संशोधन का तथा विस्तृत लेखन करने का

मैं ऐसा क्यों हुं ?

 मैं ऐसा क्यों हुं ??? --------------------------- ( इस व्यंग का किसी से कोई संबंध नहीं है।अगर है तो यह एक केवल योगायोग ही समझना) ---- ओ मेरी माँ,प्यारी प्यारी मेरी माँ... मैं ऐसा क्यों हुं,मैं ऐसा क्यों हुं....??? लोग मुझे बार बार.. मंदबुद्धी कहकर  चिढाते है..बुलाते है। कभी कोई मुझे... पप्पू भी कहता है। ओ मेरी माँ.... कोशिश करनेवालों की हार नही होती... ऐसा कहते है...मगर..थ. फिर भी...बार बार कोशिश करनेपर भी.. लगातार हारता  ही  क्यों हुं..ओ मेरी माँ। मैं ऐसा क्यों हुं....??? बार बार बडा सपना... देखकर भी मैं... हारता ही क्यों हुं..? ओ मेरी प्यारी माँ...। --------------------------- --  विनोदकुमार महाजन।

हमें इतिहास से सीखकर निर्णय लेने होंगे

 धर्म रक्षा,संस्कृति रक्षा,ईश्वरी सिध्दांतों की रक्षा,सत्य की रक्षा,सत्य सनातन की रक्षा,पशुपक्षियों की रक्षा,पेड जंगलों की रक्षा,कुदरत के कानून की रक्षा , के लिए... अब, हम सभी को, मतभेद, मनभेद, भूलकर, एक होना होगा। शक्तीसंपन्न, शक्तीमान, होना होगा। भगवान के भगवे की रक्षा, तथा विश्व के कोने कोने में, भगवान का भगवा, पहुंचाने के लिए, वचनबद्ध, कटिबद्ध, होना होगा। हरी ओम। विनोदकुमार महाजन। *प्रशासक समिति✊🚩* *✊👉मोदी कि जीत एक पड़ाव भर है ।* 👉हमे अपने इतिहास का  पुरा ज्ञान होना चाहिये । क्योकि जो समाज अपने इतिहास को भुलता है इतिहास उस समाज को भुलता है ।🙏 *👉आइए जानते हैं ऐसे 4 घटनाएं जिन्होने भारतवर्ष का  इतिहास बदल दिया।* *👉🚩 _सम्राट अशोक_ का  कंलिग  के युद्ध के बाद बौध्द बनना ।* इसका निहितार्थ यह था कि अब बोद्ध धर्म कि शिक्षाए भारत मे लागु होगी । *याद रखिए* *👉जहा राजा अहिंसक होता है वहा प्रजा कायर ही होती है* दो हजार वर्ष से यह हमे सिखाया गया है कि👇👇 *अहिंसा परमो धर्म* ❌गलत सिखाया गया है । कोइ आपको मारे व आप उसका विरोध भी नही कर सके तो यह ईश्वर के प्रति अपराध ही हुआ🤨 , क्योकि हर जी

दौडकर आना मेरे गोविंद

 हे मेरे प्यारे गोविंद, दुनिया में हो रहा कोरोना का कहर खतम कर दे मेरे प्यारे। संपूर्ण विश्व की मानव जाती घोर संकट में तथा भयंकर दुखों में है। दौडकर आजा मेरे प्यारे। मेरे प्यारे गोविंद गोपाल। सबके प्यारे गोविंद गोपाल। हरे कृष्णा। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

अराजकता फैलाने वाले राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय शक्तियों का बिमोड हो

 सत्य को और ईश्वरी सिध्दांतों को बदनाम करनेवाले राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय अराजक तत्वों का वैश्विक स्तर पर बिमोड होना अत्यावश्यक है जी हाँ साथीयों, संपूर्ण देश में तथा विदेशों में फैले हुए अराजकता फैलाने वाले तत्वों का तुरंत. बिमोड होना अती.आवश्यक हो गया है। सत्य को,सत्य वादीयों को,ईश्वरी सिध्दांतों को बदनाम करने का जो भयंकर षड्यंत्र चलाया जा रहा है...जिसे नैरेटिव... कहते है,इसका तुरंत बंदोबस्त होना अती आवश्यक हो गया है। सच को झूठ और झूठ का सच बनाकर ,अराजकता फैला कर देश के विरुद्ध षड्यंत्र करनेवाले राष्ट्रद्रोही शक्तियों का कानूनी तौर पर तुरंत बंदोबस्त होना अत्यावश्यक बन गया है। तभी सत्य बचेगा, मानवता बचेगी, ईश्वरी सिध्दांत बचेंगे। अगर एक झूठी बात सौ बार लोगों को बताने से सत्य परेशान भी होता है।और बदनाम भी। इसिलए सत्य पर और ईश्वरी सिध्दान्तों पर प्रहार करनेवाले आसुरिक तत्वों का तत्काल बंदोबस्त करना,अथवा इसके लिए तुरंत कानून बनाना अत्यावश्यक हो गया है। राष्ट्रीय तथा वैश्विक अशांति फैलाने वाले शक्तियों का भी बंदोबस्त होना अनिर्वार्य हो गया है। हरी ओम् विनोदकुमार महाजन

परिवार कैसा हो ?

 परिवार कैसा हो ? ---------------------------------- परिवार कैसा हो ? परिवार, सुखी,संपन्न, आनंदी हो परिवार के सभी सभी सदस्य एक दुसरों पर बेहद प्यार, विश्वास करते हो एक दुसरे के लिए मर मिटने के लिए चौबिसों घंटे तैयार हो परिवार के हर सदस्यों का प्रेम निष्पाप, निस्वार्थ हो गुरू कैसे हो ? शिष्य को ब्रम्ह ज्ञान देनेवाले हो शिष्य कैसा हो ? गुरू के चरणों में सबकुछ समर्मीत करके गुरू के शब्दों के लिए मर मिटने वाला हो मित्र कैसा हो ? अपने मित्र प्रेम के लिए सर्वस्व झोंक देनेवाला हो पती कैसा हो ? परिवार के सुखों के लिए खुद के सभी सुखों को त्यागने वाला हो पत्नी कैसी हो ? पती के चरणों में सबकुछ समर्पित करके पती के लिए मरमिटनेवाली हो बेटे कैसे हो ? आज्ञाधारक हो बुजुर्गों के शब्दों की किमत के लिए मान अपमान से आगे जाकर बुजुर्गों पर पवित्र प्रेम करनेवाले हो यही होता है सुखी परिवार आत्मीय परिवार स्वर्गीय आनंददायी परिवार जब मेरे देश का परिवार ऐसा आदर्श हो तभी पृथ्वी का स्वर्ग होगा और स्वर्गीय देवता भी हर्षोल्लास से धरती पर अवतीर्ण होंगे क्या ऐसा भयंकर कलियुगी माहौल में संभव होगा ? निचे के कंमेंट बाँक्स म

शंखरहस्य

 पवित्र शंख के चमत्कारिक रहस्य... 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 क्या शंख हमारे सभी प्रकार के कष्ट दूर कर सकता है? भूत-प्रेत और राक्षस भगा सकता है? क्या शंख में ऐसी शक्ति है कि वह हमें धनवान बना सकता है? क्या शंख हमें शक्तिशाली व्यक्ति बना सकता है? पुराण कहते हैं कि सिर्फ एकमात्र शंख से यह संभव है। शंख की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। शिव को छोड़कर सभी देवताओं पर शंख से जल अर्पित किया जा सकता है। शिव ने शंखचूड़ नामक दैत्य का वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है। शंख के नाम से कई बातें विख्यात है जैसे योग में शंख प्रक्षालन और शंख मुद्रा होती है, तो आयुर्वेद में शंख पुष्पी और शंख भस्म का प्रयोग किया जाता है। प्राचीनकाल में शंक लिपि भी हुआ करती थी। विज्ञान के अनुसार शंख समुद्र में पाए जाने वाले एक प्रकार के घोंघे का खोल है जिसे वह अपनी सुरक्षा के लिए बनाता है। शंख से वास्तुदोष ही दूर नहीं होता इससे आरोग्य वृद्धि, आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ-दोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है। इसके अलावा शंख कई चमत्कारिक लाभ के लिए भी जाना जाता है। उच्च श्रेण

मंत्र सिध्दी

 मंत्र सिद्घ होते ही प्रकट होने लगते हैं यह लक्षण 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए अथवा अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मंत्र जप किया जाता है। मंत्र जप सफल हुआ या नहीं इसके संकेत स्वयं ही मिलने लगते हैं। जब मंत्र, साधक के भ्रूमध्य या आज्ञा-चक्र में अग्नि-अक्षरों में लिखा दिखाई दे, तो मंत्र-सिद्ध हुआ समझाना चाहिए । जप में चित्त की एकाग्रता ही सफलता की गारंटी है। मंत्र का सीधा सम्बन्ध ध्वनि से है। ध्वनि प्रकाश, ताप, अणु-शक्ति, विधुत -शक्ति की भांति एक प्रत्यक्ष शक्ति है। मन्त्रों में नियत अक्षरों का एक खास क्रम, लय और आवर्तिता से उपयोग होता है। इसमें प्रयुक्त शब्द का निश्चित भार, रूप, आकार, शक्ति, गुण और रंग होता हैं। एक निश्चित उर्जा, फ्रिक्वेन्सि और वेवलेंथ होती हैं। इन बारीकियों का धयान रखा जाए तो मंत्रों की मिट्टी से बनायी गई आकृति से भी उसी तरह की ध्वनी आती है। उदाहरण के लिए गीली मिट्टी से ॐ की पोली आकृति बनाई जाए और उसके एक सिरे पर फूंक मारी जाए तो ॐ की ध्वनि स्पष्ट सुनाई देती है जैसे पास ही कोई ओम मन्त्र का उच्चारण कर रहा हो। जप के दौरान उत्पन्न होने वाली ध्वनि ए

दारिद्र्य दहन स्तोत्र

 🙏💥 *दारिद्रय दहन स्त्रोत्र* 💥🙏 व्यक्ति घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे हों, कर्ज में डूबे हों, व्यापार व्यवसाय की पूंजी बार-बार फंस जाती हो उन्हें दारिद्रय दहन स्तोत्र से शिवजी की आराधना करनी चाहिए। महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र बहुत असरदायक है। यदि संकट बहुत ज्यादा है तो शिवमंदिर में या शिव की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन तीन बार इसका पाठ करें तो विशेष लाभ होगा। जो व्यक्ति कष्ट में हैं अगर वह स्वयं पाठ करें तो सर्वोत्तम फलदायी होता है लेकिन परिजन जैसे पत्नी या माता-पिता भी उसके बदले पाठ करें तो लाभ होता है। शिवजी का ध्यान कर मन में संकल्प करें. जो मनोकामना हो उसका ध्यान करें फिर पाठ आरंभ करें। श्लोकों को गाकर पढ़े तो बहुत अच्छा, अन्यथा मन में भी पाठ कर सकते हैं। आर्थिक संकटों के साथ-साथ परिवार में सुख शांति के लिए भी इस मंत्र का जप बताया गया है।      *।। दारिद्रय दहन स्तोत्रम् ।।* विश्वेशराय नरकार्ण अवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय। कर्पूर कान्ति धवलाय, जटाधराय, दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।1 गौरी प्रियाय रजनीश कलाधराय, कलांतकाय भुजगाधिप कंकणाय। गंगाधराय गजराज विमर्दनाय द्रारिद

के रसोई का रहस्य

 #जगन्नाथ धाम, #पुरी की रसोई अत्यंत #अद्भुत है!❤️ #172साल पुराने इस मंदिर के एक एकड़ में फैली #32कमरों वाली इस विशाल रसोई (150 फ़ीट लंबी, 100 फ़ीट चौड़ी और 20 फ़ीट ऊँची) में भगवान् को चढ़ाये जाने वाले #महाप्रसाद को तैयार करने के लिए #752चूल्हे इस्तेमाल में लाए जाते हैं! और लगभग #500रसोइए तथा उनके #300सहयोगी काम करते हैं....ये सारा प्रसाद मिट्टी की जिन सात सौ हंडियों में पकाया जाता है, उन्हें ‘#अटका’ कहते हैं.. लगभग दो सौ सेवक सब्जियों, फलों, नारियल इत्यादि को काटते हैं, मसालों को पीसते हैं.. मान्यता है कि इस रसोई में जो भी भोग बनाया जाता है! उसका निर्माण माता लक्ष्मी की देखरेख में ही होता है। यह रसोई #विश्व की सबसे बड़ी रसोई के रूप में विख्यात है। यह #मंदिर की दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है। मीठे व्यंजन तैयार करने के लिए यहाँ शक्कर के स्थान पर अच्छे किस्म का गुड़ प्रयोग में लाया जाता है! आलू, टमाटर और फूलगोभी का उपयोग मन्दिर में नहीं होता। जो भी #व्यंजन यहाँ तैयार किये जाते हैं, उनके ‘#जगन्नाथ वल्लभ लाडू’, ‘माथपुली’ जैसे कई अन्य नाम रखे जाते हैं। भोग में प्याज

शंखनादाचे फायदे

 शंखनादाचे वैज्ञानिक रहस्य..! आपल्या सनातन वैदिक हिंदू धर्मात पूजेच्या वेळी शंखनाद केला जातो. शंखनादामध्ये प्रचंड रोगनिवारण शक्ती असते. शंख वाजवणाऱ्या व्यक्तीला श्वास रोखून धरावा लागतो, ज्यामुळे ही एक प्राणायमचीच  प्रक्रिया होते. ज्याचा सरळ प्रभाव फुफुसावर आणि श्वास प्रक्रियेवर होतो. त्यामुळे कुठल्याही प्रकारचे फुफुसाचे किंवा श्वासाचे आजार होत नाहीत.  शंखनादाच्या वेळी निर्माण होणाऱ्या शंखध्वनीच्या लहरी वायूमंडळात वेगाने प्रकम्पित होतात त्यामुळे दूषित किटाणूंचा सुद्धा नाश होतो. अथर्ववेदात म्हंटलेलं आहे - " शंखेन हत्वा रंक्षासि" ( अथर्व ४/१०/२) अर्थातच, इथे सूक्ष्म किटाणूंना राक्षसाची उमपा दिलेली आहे आणि शंखनाद केल्यामुळे सूक्ष्म किटाणूंचा नाश होतो असे आपले अथर्ववेद म्हणतात. कल्पना करा आपल्या प्राचीन ऋषीमुनींनी डोळ्यासमोर किती वैज्ञानिक दृष्टिकोन ठेवून ह्या परंपरा निर्माण केल्या होत्या.पण आज ह्याच परंपरा आपण काळाच्या पडद्याआड लोटण्याचा प्रयत्न करतोय आणि त्याचीच मोठी किंमत आज आपल्याला चुकवावी लागतेय.! सदरील फोटो डोळ्यासमोर ठेवून प्रत्येकाने नक्की विचार करा, प्राचीन विज्ञानाचा आध

मेरे प्यारे दोस्तों

 *मेरे प्यारे प्यारे सभी दोस्तों आप सभी मस्त रहो,स्वस्थ रहो*  हमेशा मस्त रहो,स्वस्थ रहो, खुश रहो हंसते रहो,खेलते रहो जीवन का आनंद बडी मस्ती से लेते रहो पशुपक्षीयों की तरह तितली की तरह  छोटे छोटे बच्चों की तरह  मस्त जीवन जीते रहो गुलाब के फूल की तरह खिलखिलाते रहो  *आप दुःख पर ध्यान देंगे* *तो हमेशा दुःखी रहेंगे...* *और सुख पर ध्यान दें* *तो हमेशा सुखी रहेंगे ।* *क्योंकि आप जिस पर* *ध्यान देते हैं वही चीज* *सक्रिय हो जाती है.....* *क्योंकि ध्यान ही जीवन* *की सबसे बड़ी कुंजी है।*      ध्यान लगाते लगाते मस्त मस्त होकर ईश्वरीय आनंद में खुश रहो                            हरी ओम्  *विनोदकुमार महाजन*

प्रेम चाहिए या पैसा चाहिए ???

 प्रेम चाहिए या पैसा ?? ----------------------------- जिसे सच्चा, पवित्र, ईश्वरी प्रेम चाहिए उसको पैसों का हिसाब किताब छोडना पडेगा। क्योंकि भगवान भी ऐसे ही प्रेम के सदैव भुके रहते है।भगवान भी ऐसा देखते है की,मुझपर अखंड और निस्वार्थ प्रेम करनेवाला भक्त कब मिलता है। इसिलए ईश्वरी कृपा प्राप्ति के लिए सबकुछ नौछावर करने की हमेशा तैयारी रखनी चाहिए।चाहे सुख हो या दुख,ईश्वर को कभी भी भुलना नही चाहिए।भगवान हमेशा समर्पित प्रेम करनेवाले भक्त पर ही असली प्रेम करता है,और उसी भक्त पर ही सदैव कृपा भी करता है।और जीसपर सदैव ईश्वरी कृपा रहती है,वह व्यक्ति सदैव आनंदित ही रहता है। मेरा तेरा,धन वैभव,सुख दुख ,मोह माया सबकुछ छोडकर केवल और केवल ईश्वरी चरणों पर ही जो भक्त अपना जीवन और सबकुछ समर्पित करता है,उसीपर ही भगवान की कृपा होती है। सदैव भगवान को माँगनेवाले, मेरा तेरा कहनेवाले, स्वार्थी, अहंकारी लोगों को भगवन् कृपा और भगवत् प्रेम कभी भी नही मिल सकता। इसीलिए अगर किसिको अगर धन,वैभव,पैसा ही चाहिए तो उन्होंने भगवत् कृपा की अपेक्षा करना ठीक नही रहेगा।और जिसको केवल भगवत् कृपा,ईश्वरी प्रेम चाहिए उन्होंने धन प्रा

पत्रकारों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र परवाना चाहिए

 पत्रकारों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र परवाना की जरूरत है। ------------------------------- वास्तव में सत्य के रास्तों पर चलना ही अती कठिन है।क्योंकि जो सत्य के रास्ते से चल रहा है उसको अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पडता है।तलवार की धार पर चलने जैसा यह कार्य होता है।इसिलए अनेक सत्य वादियों को हमेशा अनेक प्रकार के संकटो का सामना करना पडता है।स्वकीय, समाज,आप्त ईष्ट भी हमेशा ऐसे सत्य वादियों के विरुद्ध होते है तथा सत्य वादियों को बदनाम करने का मौका ढुंडते रहते है। और पत्रकार हमेशा सत्य के रास्ते पर चलने वाले ही होते है।और इसिलए पत्रकारों को हमेशा अनेक संकटों का सामना भी करना पडता है। दुष्टों से बचने के लिए तथा आत्मरक्षा के लिए देवी देवताओं को भी सदैव शस्त्रसंपन्न ही रहना पडा है। इसीलिए श्रीकृष्ण के हाथ में सुदर्शन चक्र है,रामजी के हाथ में धनुष है,महादेव के हाथ में त्रिशूल है,हनुमानजी के हाथ में गदा है,माताजी के हाथ में तलवार है। अगर देवीदेवता भी शक्तीसंपन्न और शस्त्रसंपन्न रहते है तो हर सत्य वादियों को और विशेषत:हर पत्रकारों को हमेशा शस्त्रसंपन्न ही रहना चाहिए।दुष्ट दुर्जनों का क्य

विश्व विजेता हिंदु धर्म

 *विश्व विजेता हिंदु धर्म*   विश्व विजेता हिंदु धर्म…..! ! ! ।। सद्गुरु आण्णा की जय ।। ।। श्री गणेशाय नम : ।। ।। 🕉 गं गणपतये नम : ।। ।। जय गजानन श्री गजानन ।। ।। गण गण गणात बोते ।। ।। गजानन बाबा की जय ।। ।। वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटी समप्रभ ।। ।। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्व कार्येशु सर्वदा ।। विश्व विजेता हिंदु धर्म, इसका अर्थ क्या है ? इसका मतलब यह है की जिस महान और ईश्वर निर्मीत संस्कृती को कोई भी और कभी भी नही हरा सकता है, मतलब, विश्व विजेता हिंदु धर्म। कैसे ? जो अंतिम सत्य है,अनादी अनंत है,सनातन है, जिसका कोई आदी नही और अंत भी नही और कभी लुप्त भी हुवा नही, वही सदैव विश्व विजेता ही था,है ,और रहेगा।  *जो ईश्वर निर्मित है वही धर्म है।*   *जिसमें पूर्णत्व है वही धर्म है। जिसमें ईश्वरी सिध्दांत है वही धर्म है। जिसमें भूतदया हो वही धर्म है। जिसमें सृष्टि का कल्याण हो वही धर्म है। जिसमें प्रेम भाईचारे की सिख हो वही धर्म है।*  क्या हमारा हिंदु धर्म ठीक ऐसा ही है ? ठीक ऐसा ही है। कोई प्रश्न ही नही है। और बाकी…? हिंदु संस्कृती से ही निर्माण हुवा एक भाग। मतलब ? मतलब सभी के पुर्वज हिंदु ही थे।

मेरे कृष्णा जल्दी आ जाना

 मेरे कृष्णा मेरे कृष्णा दौड के आजा अधर्म का अंधीयारा मिटाने को उन्मत्त, उन्मादी पापियों का संहार करने के लिए मेरे कृष्णा मेरे कृष्णा जल्दी आ जाना जल्दी आ जाना मेरे बांसूरी वाले कृष्णा मेरे सुदर्शन चक्र धारी कृष्णा आजा आजा जल्दी आजा अधर्म का अंधियारा मिटाने को धर्म ध्वजा विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिए धर्म ग्लानी समाप्त करके धर्म पुनर्स्थापना के लिए मेरे कृष्णा मेरे कृष्णा जल्दी  आ जाना जल्दी आ जाना विनोदकुमार महाजन

ऐसा क्यों हुं ?

 मैं ऐसा क्यों हुं ??? --------------------------- ( इस व्यंग का किसी से कोई संबंध नहीं है।अगर है तो यह एक केवल योगायोग ही समझना) ---- ओ मेरी माँ,प्यारी प्यारी मेरी माँ... मैं ऐसा क्यों हुं,मैं ऐसा क्यों हुं....??? लोग मुझे बार बार.. मंदबुद्धी कहकर  चिढाते है..बुलाते है। कभी कोई मुझे... पप्पू भी कहता है। ओ मेरी माँ.... कोशिश करनेवालों की हार नही होती... ऐसा कहते है...मगर..थ. फिर भी...बार बार कोशिश करनेपर भी.. लगातार हारता  ही  क्यों हुं..ओ मेरी माँ। मैं ऐसा क्यों हुं....??? बार बार बडा सपना... देखकर भी मैं... हारता ही क्यों हुं..? ओ मेरी प्यारी माँ...। --------------------------- --  विनोदकुमार महाजन।

शुध्द आचरण

 शुद्ध आचरण... ---------------------------- अखंड ईश्वरी चिंतन से आचरण शुध्द होता है।और आचरण शुध्द होनेपर आत्मशुध्दी हो जाती है।आत्मशुध्दी होने से ईश्वरी साक्षात्कार होने लगते है। और धिरे धिरे सो...हं का ज्ञान होने लगता है। गुरूमंत्र का जाप,प्राणायाम, ओमकार प्राणायाम द्वारा आत्मचेतना जागृती होने लगती है।और वह आत्मा पावन आत्मा या सिध्दपुरुष बन जाता है।और धिरे धिरे ईश्वरी शक्ति से एकरूप हो जाता है। मनुष्य जन्म का यही अंतीम साध्य होता है।निरंतर साधना से इसका सही ज्ञान होकर,ब्रम्हज्ञान प्राप्ति हो जाती है।और अनेक सिध्दियां भी मिल जाती है। अब देखते है आत्मशुद्धि क्या है।जब मैं देह नही आत्मा हुं,और युगों युगों से मैं ईश्वरी इच्छा से चैतन्य मई हुं ऐसा जब महसूस होने लगता है,तब आत्मशुद्धि होने लगती है। मतलब उस प्राणी के आचार विचार शुध्द होने लगते है। जैसे दुसरों के धन पर कभी भी हक ना बताना,या किसिका धन ना डुबाना।किसी का अगर एक रूपया भी हमारे पास रहता है तो वह पुण्यात्मा तुरंत उस आदमी का एक रूपया भी तुरंत वापिस कर देता है।उसकी यह धारणा बन जाती है की,अगर मैंने किसिका एक रूपया भी डुबोया,तो मुझे अगल

आखिर ऐसा क्यों होता है ?

 आखिर ऐसा क्यों होता है ??? स्वकीयों ने एक प्रतिशत भी सहयोग नही किया।मुसिबतों में प्रेम का और आधार का एक शब्द भी नही दिया।समाज ने भी चारों तरफ से भयंकर मानसिक उत्पीडन किया।बारबार रूलाया। माँ बाप ने भी नदी में देहत्याग किया। और वह बेचारे,अभागे,असहाय, मजबूर, निर्धन,अनाथ,निराधार, निराश्रीत भयंकर दुख झेलते रहे। रोते रहे। मगर किसी को उनकी दया नही आई। ईश्वर ही एकमेव सहारा। कौन थे वह...? नाम है... सोपान,निवृत्ति, ज्ञानेश्वर, मुक्ताबाई.... आलंदी नगरी। जो , पवित्र ईश्वरी आत्माएं, संपूर्ण दुनिया में ही नही तो... आज,संपूर्ण ब्रम्हांड में अजरामर हो गये। सत्य के साथ, सत्य वादीयों के साथ,ईश्वरी सिध्दांतों पर चलनेवालों के साथ,आखिर ऐसा हमेशा क्यों होता है ?  ईश्वर भी उनकी ही भयंकर कठोर अग्नीपरीक्षाएं,सत्वपरीक्षाएं बारबार क्यों लेता है ? इंन्सानों द्वारा, अपनों द्वारा, स्वकियों द्वारा, समाजद्वारा बारबार अपमानित ,प्रताडित क्यों किया जाता है...? और... प्रारब्ध द्वारा भी भयंकर दुखदर्द, वेदना,यातना,जहर ,तडप क्यों देता है...? और इतना होने के बावजूद भी वह पवित्र ईश्वरी आत्माएं इतिहास के पन्नों में अजरामर हो

बडे विचित्र होते है सिध्दपुरूष

 बडे विचित्र होते है सिध्दपुरूष...! ----------------------------- कभी मौन रहते है,तो कभी चिल्लाते है,कभी एकांत में रहते है तो कभी जोर से बाते करते रहते है। कभी नंगे साधु बनकर घुमते है,तो कभी चिल्लम भी फुँकते है।कभी किसी को गाली भी देते है,तो किसी का जानबुझकर अपमान भी करते है। कभी गुप्त रूप में रहते  है,तो कभी प्रकट रूप में शक्तिमान बनकर ईश्वरी कार्य बढाते है। इनको ना नाम की,धन की,वस्त्रों की,प्रतिष्ठा की जरूरत होती है।ना नाम पैसा कमाने की अभिलाषा होती है। कभी किसी के बदन पर थुकते है,तो कभी किसी को ईश्वरी-स्वर्गीय पवित्र प्रेम दिखाते है। बडे विचित्र होते है सिध्दपुरूष। इनको जानना,पहचानना भी बडा मुश्कील कार्य होता है। इसिलिए इनको अवलिया कहते है।जो मन में आया वही करते है। ऐसे अनेक संत-साधु-सत्पुरुष-महात्मा-दिव्यात्मा खुद की पहचान छुपाते है।अहंकार शुन्य बनकर ईश्वरी कार्य गुप्त रूप से बढाते है। ऐसे सिध्दपुरूष बडे विचित्र होते है। गुप्त रूप से,सुप्त रूप से ईश्वरी कार्य कर रहे ऐसे अनेक पुण्यात्माओं को ,सिध्द पुरूषों को मेरे कोटी कोटी प्रणाम। हरी ओम। ------------------------------- विनोदकुमार

कल्की आयेगा

 भगवान कहते है....! ------------------------------- भगवान कहते है, संपूर्ण ब्रम्हांड पर,चराचर पर मेरा सदैव, नित्य, सनातन वास्तव्य था,है और आगे भी रहेगा। रही पृथ्वी की बात।तो यहाँ पर भी मेरा ही राज्य था।मगर न जाने क्यों कलियुगी भयानक इंन्सान ने मुझे ही चुनौती दी।मुझे,मेरे सत्य को,मेरे सत्य सनातन को,मेरे संस्कृति को तबाह करने की कोशिश की। अनेक जगहों पर मेरे मंदिर भी गिराये,और सत्य को,मैंने बनाई हुई संस्कृति को,जमीन के निचे दफनाकर असत्य की हैवानियत और उसका नंगानाच शुरू हो गया। कृष्ण अवतार में मैं गाय को माता मानकर उसकी पूजा करता था,उस गौमाता की खुलेआम हत्याएं करके उनके खून की नदियाँ बहाई जा रही है। हे हैवानियत भरे राक्षसी इंन्सान मैं तेरा यह चार दिन का सारा खेल निराकार रूप से देख रहा हुं। जब मैं उग्र बनूंगा तब तेरा सारा यह हैवानियत भरा खेल मैं समाप्त कर दुंगा। मैं पापियों का नाश करने के लिए, अधर्म का नाश करने के लिए, कब आऊंगा, कब अवतरित हो जाउंगा और कार्य पूरा करके,धर्म की पुनर्स्थापना करके,फिर से स्वर्ग को कब वापिस लौट जाऊंगा, इसका किसिको पता भी नही चलने दुंगा। इतना तो पक्का तय है की,मैं

असली आतंकवादी कौन

 *अब्दुल रशीद है आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी जी हां।* अब्दुल रशीद ने इस देश की पहली आतंकवादी घटना को अंजाम दिया था। मिस्टर औवेसी, मिस्टर कमल हासन और सिकलुर गैंग के माननीय सदस्यों।  *गांधी से भी पहले एक और महात्मा (स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती) की निर्मम हत्या हुई थी और इस राक्षसी कांड को अंजाम दिया था अब्दुल रशीद ने।* इतिहास की इस सच्चाई को जानने से पहले और आतंकवादी अब्दुल रशीद को जानने से पहले आपको ये जानना ज़रूरी है कि स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती थे कौन ???  *कितना दुखद है कि आज इस महान हस्ती का परिचय भी करवाना पड़ता है।*  क्योंकि हम तो अपने इतिहास और अपने अतीत से भागने लगे हैं।  *खैर, स्वामी श्रद्धानन्द 1920 के दौर में हिंदुओं के सबसे बड़े धार्मिक गुरू थे।*  आर्य समाज के प्रमुख थे और उनकी लोकप्रियता के सामने उस दौर के शंकराचार्य भी उनके सामने कहीं नहीं ठहरते थे। *लेकिन वो सिर्फ हिंदुओं के आराध्य ही नहीं थे, महान स्वतन्त्रता सेनानी भी थे।*  वो अपनी छत्र छाया में मोहनदास करमचन्द गांधी को भारतीय राजनीति में स्थापित कर रहे थे। असहयोग आंदोलन के समय वो गांधी के गांधी सबसे बड़े सहयोगी थे। कुछ

बीजमंत्र

 POWER OF MEDITATION  (Power of Beej Mantra)  इन मंत्रों से रातों रात होता है चमत्कार >बीज मंत्र पूरे मंत्र का एक छोटा रूप होता है जैसे की एक बीज बोने से पेड़ निकलता है उसी प्रकार बीज मंत्र का जाप करने से हर प्रकार की समस्या का समाधान हो जाता हैं. अलग- अलग भगवान का बीज मंत्र जपने से इंसान में ऊर्जा का प्रवाह होता हैं और आप भगवान की छत्र-छाया में रहते हैं. बीज मंत्र के लाभ >अपनी समस्याओं के निवारण हेतु बीज मंत्रों का जप करना चाहिए। इसका चमत्कारी प्रभाव होता है और तुरंत लाभ मिलता है। >बीज मंत्र हमें हर प्रकार की बीमारी, किसी भी प्रकार के भय, किसी भी प्रकार की चिंता और हर तरह की मोह-माया से मुक्त करता हैं. अगर हम किसी प्रकार की बाधा हेतु, बाधा शांति हेतु, विपत्ति विनाश हेतु, भय या पाप से मुक्त होना चाहते है तो बीज मंत्र का जाप करना चाहिए. 1. दीर्घायु : व्यक्ति को लम्बी आयु की प्राप्ति होती हैं.  2. धन : व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है. 3. परिवार का सुख : व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है. 4. शत्रु का नाश : व्यक्ति की शत्रु पर जीत होती है. 5. जीवन शांति : व्यक्ति जीवन में

वर्ल्ड हिंदु पंडित ओर्गनाएजेशन

 वर्ल्ड हिंदु पंडित ओर्गनाएजेशन का बेजोड़ वैश्विक कार्य https://globalhinduism.online/?p=517 वर्ल्ड हिंदु पंडित ओर्गनायजेशन ------------------------------------- संपूर्ण दुनिया में अब कमाल दिखा रहा है अब सनातन हिंदु धर्म।और सनातन हिंदु धर्म के ईश्वरी सिध्दांतों को,विश्व के कोने कोने  में पहूंचा रहा है, संपूर्ण विश्व का एकमात्र शक्तिशाली संगठन,  *वर्ल्ड हिंदु पंडित ओर्गनायजेशन* मोरिशस के मेरे सहयोगी आदरणीय श्री.हेमंत पंडित जी ने मुझे ऐसे आंतरराष्ट्रीय संगठन में जोडकर ,मुझे सनातन धर्म की भगवी ध्वजा संपूर्ण विश्व में लहराने के लिए एक अच्छा अवसर दिया है,इसके लिए मैं हेमंत जी का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हुं। इसके साथ ही अमेरिका में स्थित संगठन के स्फुर्तीले विचारक संन्माननीय श्री.अशोकजी तथा उनकी संपूर्ण विश्व में फैली हुई टीम का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हुं,जिन्होंने मुझे ऐसे एक प्रभावशाली तथा शक्ती संपन्न अंतरराष्ट्रीय संगठन में जोड दिया है। मोरीशस के श्री.हेमंत पंडित जी का सनातन धर्म के लिए वैश्विक कार्य भी अतुलनीय है।अनेक देशों में प्रधानमंत्री तक उनके सदैव आत्मीय संपर्क रहते है।बडे ही

बिएनएन और सिएनएन

 पत्रकार साथीयों : — लगे रहो !  बिएनएन और सिएनएन के पत्रकार साथीयों... -------------------------------------- हमारे देश में फैले हुए अनेक पत्रकार साथीयों, आप सभी ने चैनल को लोकप्रिय करने के लिए सोशल मिडिया पर जो जमकर तथा सराहनीय कार्य किया है...सचमुच में यह सब जबरदस्त है। साथीयों, हमारे चैनल के डायरेक्टर श्री.अजयकुमार पांडेय जी तथा मैं,विनोदकुमार महाजन,एडिटर इन चिफ, हम दोनों आप सभी को नम्र आवाहन करते है की,हमारा चैनल संपूर्ण विश्व में लोकप्रिय बनाने के लिए तथा हम सभी की शेरों जैसी दहाडती आवाज जादा बुलंद तथा लोकप्रिय करने के लिए, बस्स...और थोडासा प्रयास करने की जरूरत है।हमारी कार्य सफलता तो नजदिक है ही।इसके साथ ही हमारा करिअर तथा संपूर्ण जीवन भी उज्ज्वल तो होगा ही।साथ ही वैश्विक स्तर पर हमारी इमेज भी बहुत उंची तथा लोकप्रिय भी होगी। बस्स...और थोडा इंतजार करना है,और डटकर कार्य आगे बढाना है। तो....? लगे रहो मुन्ना भाई BNN AND CNN मीडिया हाऊस चैनल व परिवार  के सभी शोसल मीडिया से जुड़ने के लिए लिंक को  क्लिक करें। ● BNN NEWS HEAD OFFICE AMBIKAPUR  https://www.facebook.com/groups/285698733124

पत्रकार साथीयों

 बिएनएन और सिएनएन के पत्रकार साथीयों... -------------------------------------- हमारे देश में फैले हुए अनेक पत्रकार साथीयों, आप सभी ने चैनल को लोकप्रिय करने के लिए सोशल मिडिया पर जो जमकर तथा सराहनीय कार्य किया है...सचमुच में यह सब जबरदस्त है। साथीयों, हमारे चैनल के डायरेक्टर श्री.अजयकुमार पांडेय जी तथा मैं,विनोदकुमार महाजन,एडिटर इन चिफ, हम दोनों आप सभी को नम्र आवाहन करते है की,हमारा चैनल संपूर्ण विश्व में लोकप्रिय बनाने के लिए तथा हम सभी की शेरों जैसी दहाडती आवाज जादा बुलंद तथा लोकप्रिय करने के लिए, बस्स...और थोडासा प्रयास करने की जरूरत है।हमारी कार्य सफलता तो नजदिक है ही।इसके साथ ही हमारा करिअर तथा संपूर्ण जीवन भी उज्ज्वल तो होगा ही।साथ ही वैश्विक स्तर पर हमारी इमेज भी बहुत उंची तथा लोकप्रिय भी होगी। बस्स...और थोडा इंतजार करना है,और डटकर कार्य आगे बढाना है। तो....? लगे रहो मुन्ना भाई हरी ओम् --------------------------------------- विनोदकुमार महाजन

आत्मा मर गई है

 *मुर्दाड बनकर कब तक जियेंगे ???*  मुर्दाड बनकर जीते है यहाँ के लोग, मरे हुए मन से जीते है यहाँ के कुछ लोग। अन्याय करनेवाले अत्याचारी चाहे खुलेआम लाखों अत्याचार करें, आँखें बंद करके जीते है यहाँ कुछ मुर्दाड लोग। क्या इनकी आत्मा मर गई ? या फिर मर गया है इनका मन...? चाहे लाठी से मारो अथवा डंडे बरसावो, इनकी मरी हुई आत्मा कभी जागेगी नही। अगर ऐसा ही माहौल बढता जायेगा तो...? अधर्म बढेगा,अत्याचार बढेगा, पाप का अंधेरा बढता जायेगा। और सब तबाह हो जायेगा। हैवानों की हैवानियत, राक्षसों की राक्षसता, अगर आँखें बंद करके अनदेखी की , तो ऐसे मुर्दाड समाज को कौन बचायेगा,कैसे बचायेगा ? अत्याचार के खिलाफ अंदर की आग,अंदर की ज्वाला अगर मर गई और सभी तमाशाई बन गये तो ऐसे, अंध जनों को कौन बचायेगा ? उन्हे बचाने के लिए, कौन आगे आयेगा ? कौन रहेगा बचाने वाला ? ईश्वरी सिध्दांतों को उखाड फेंककर, संस्कारों के असली धन को दफनाकर, परकीय संस्कृती को अपनाने वालों का हाल, यही होगा,ऐसा ही होगा। तो अब...कौन बचायेगा...? हम पिछे पिछे हटते गये, बारबार पलायन करते रहे, बचाने वालों को ही उल्टा  डंडों से पिटते गये, आसुरों को बढावा द

आँखे खोल इंन्सान, आँखे खोल

 आँखें खोल इंन्सान, आँखें खोल 🕉🕉🕉 --------------------------------------- आँखें खोल इंन्सान, आँखें खोल.....। विशेषत:  उन्मादी इंन्सान, अहंकारी इंन्सान, राक्षसी इंन्सान, हैवानियत के रास्ते से चलना वाला इंन्सान, ईश्वरी सिध्दातों को नकारनेवाला इंन्सान, क्रूर इंन्सान, निष्पाप पशुपक्षियों की हत्या करनेवाला इंन्सान। आँखें खोल। कोरोना तो निमित्त है। उन्मादी इंन्सानों को आँखें खोलने के लिए ईश्वर द्वारा एक सबक है। शायद.... ईश्वर का कोप भी है। आज इसी वजह से हर इंन्सान घरों में कैद है। मगर निष्पाप ,ईश्वरी कानून से चलनेवाला हर पशुपक्षी मस्त है। स्वस्थ भी है।निश्चिंत भी है। भगवान ने उन्मादी इंन्सानों की उन्मादी नशा उतरवाने के लिए शायद दी हुई कठोर सजा है।कठोर दंड है। शायद स्वार्थी इंन्सान इस सदमें से बाहर आयेगा।फिर नया जीवन आरंभ करेगा भी। और..... फिर भी.... इंन्सानों का उन्माद नही कम होगा तो....??? शायद....!!! भगवान और थोडे दिनों बाद... समस्त मानवसमुह को भयंकर कठोर दंडित करेगा। आँखें खोल इंन्सान, आँखें खोल। आज भी समय तेरे हाथ में है। ग्लोबल वार्मींग,जहरीली खेती,जहरीला अनाज, जहरीले फल सब्जियां, नै

ओम्कार ध्यान और आरोग्य

 🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🧘🏻‍♂️🕉️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️🧘🏻‍♀️  *भिन्न भिन्न धर्मों  में  तनाव का  समाधान केवल  मात्र  ॐ कार उपासना से ही है  :: तथा     _निरोग और शान्त चित्त-मन  के लिए करे  ॐ (OM)  का उच्चारण  मिलते है इससे अनेकानेक नैसर्गिक   लाभ  ::_* सनातन धर्म से जुडा एक अदभुत मंत्र:: *ॐ उच्चारण के शारीरिक व मानसिक  लाभ ::* *ॐ* : ओउम् तीन अक्षरों से बना है। *अ उ म्*। *"अ"* का अर्थ है उत्पन्न होना, *"उ"* का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास, *"म"* का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना। *ॐ* सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है। *ॐ* का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है। *ॐ* कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग... 🕉️ *उच्चारण की विधि :: 😌* *प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। *ॐ  का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन व किसी भी  आसन में  तथा  बीमारी  अवस्था में  लेटकर  या बैठकर कर सकते हैं । मुख्यतः उद्देश्य ही महत्वपूर्ण है  न कि बिधि । ॐ  इसका